आम अफ़गान नागरिकों की नजर में अमेरिका का 20 वर्षीय आतंक विरोधी युद्ध
“मुझे अमेरिकी सेना से नफरत है। उन्होंने मेरे परिवार के 10 बेगुनाह सदस्यों को मार डाला।”
अफ़गान नागरिक एमल अहमदी ने हाल ही में चाइना मीडिया ग्रुप के संवाददाता के साथ हुए साक्षात्कार में यह बात कही। कुछ दिन पहले राजधानी काबुल स्थित उसका साधारण सा घर अमेरिकी हवाई हमले का शिकार बना। इस दौरान उसके तीन बेटे, छोटी बेटी और भाई के बच्चों समेत 10 लोगों की मौत हो गई। इसे याद करते हुए अहमदी को बहुत दुःख हुआ। उसकी बेटी केवल तीन साल की थी और सबसे छोटा बेटा मात्र 11 वर्ष का था। अहमदी ने अमेरिकी सेना के लिए तीन साल तक अनुवादक का काम किया, वह बहुत चिंतित है। अब अमेरिकी सेना वापस जा चुकी है, और वह उसके साथ कोई संपर्क कायम नहीं कर सका है।
अहमदी ने सीएमजी संवाददाता को बताया कि वर्तमान में उसकी और उसके परिवार की स्थिति बहुत खराब है। कुछ परिजनों को खो देने की वजह से उसकी पत्नी और परिवार के कई सदस्य अस्पताल में भर्ती हैं। उनका घर पूरी तरह से नष्ट हो गया है, जहां न कोई रह सकता है और न ही उसकी मरम्मत करना संभव है। अभी वह बेरोजगार है। उसके बड़े भाई की भी हवाई हमले में मौत हो गयी, जो पहले उसकी आर्थिक मदद करता था।
अहमदी ने कहा कि अब तक, उन्हें अमेरिका की ओर से कोई मुआवजा और संवेदना नहीं मिली है। अफ़गानिस्तान में 20 साल तक अमेरिका के युद्ध ने अपार दुःख पहुंचाया है।
20 साल पहले, 11 सितंबर 2001 को, अमेरिका पर बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें 2,996 लोगों की मौत हुई, और 2 खरब डॉलर की आर्थिक क्षति पहुंची। इससे आहत अमेरिका ने तुरंत ही अफ़गानिस्तान में अल-कायदा संगठन, संगठन के सरगना बिन लादेन और उन्हें आश्रय देने वाले तालिबान शासन पर हमला किया, इस तरह 20 साल तक जारी“आतंक-रोधी युद्ध”शुरु हुआ।
20 साल बाद, अमेरिका ने अफ़गानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला ली है। रिपोर्ट के अनुसार, बीते 20 सालों में अमेरिका द्वारा छेड़े गये आतंक विरोधी युद्ध ने अफ़गान लोगों को विशाल मानवीय आपदाएं और नुकसान पहुंचाया। 30 हज़ार से अधिक आम नागरिक अमेरिकी सेना द्वारा मारे गए, या अराजकता व युद्ध की वजह से उनकी मौत हुई। अन्य 60 हज़ार लोग घायल हुए और 1 करोड़ दस लाख लोग बेघर हुए।
अफ़गानिस्तान में युद्ध के खिलाफ आवाज उठाने वाली अदेलाह बहराम ने चाइना मीडिया ग्रुप से कहा कि सैन्य हस्तक्षेप आतंकवाद को कभी खत्म नहीं कर सकता। आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई में आम नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए, इसके साथ ही उसे आम नागरिकों को आतंकी हमलों से बचाने का काम करना चाहिए। लेकिन अफ़गानिस्तान में अमेरिका के सैन्य हस्तक्षेप से अनगिनत आम नागरिक हताहत हुए। अमेरिका की यह सैन्य रणनीति मानवाधिकार का उल्लंघन ही है, और उसने इसे कभी नहीं रोका। अमेरिका दूसरे छोटे और कमजोर देशों में नागरिकों की आवाज़ नहीं सुनता, या न सुनने का नाटक करता है।
अमेरिकी कांग्रेस की रिसर्च सर्विस द्वारा जारी एक शोध के मुताबिक, साल 1992 से 2017 तक, 25 वर्षों में अमेरिका ने विदेशों में 188 सैन्य हस्तक्षेप किये, जिसमें अफ़गान युद्ध अमेरिका के इतिहास में सबसे लम्बे समय तक जारी युद्ध था।
अन्य देशों में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप आमतौर पर "संप्रभुता से ऊपर मानवाधिकार" के बैनर तले होता है। लेकिन 20 वर्ष के युद्ध ने न तो अफगानिस्तान की संप्रभुता को ध्यान में रखा और न ही इस देश के लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान किया। आम लोगों के जीने के अधिकार की अनदेखी की जाती रही। अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा चलाए गए सैन्य अभियानों में अंधाधुंध हवाई हमलों और यहां तक कि जानबूझकर हत्याओं से अफगानिस्तान अहमदी परिवार जैसी कई त्रासदियों का कारण बना है। अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में, एक शादी या एक पार्टी, संभवतः हवाई हमलों का निशाना बन सकती है। अमेरिका के नेतृत्व में गठबंधन सेना स्थानीय लोगों के जीवन की छाया बन गई है।
जैसा कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लीच्येन ने 10 सितंबर को आयोजित नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिका अफगान मुद्दे को शुरु करने वाला है, और उसे इससे गहरा सबक लेना चाहिए। अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप का अंत वास्तविक जिम्मेदारी लेने की शुरुआत होनी चाहिए। अफगान नागरिकों को आर्थिक, मानवीय सहायता व आजीविका संबंधी मदद प्रदान करने की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी अमेरिका की है। अफगानिस्तान की संप्रभुता और स्वतंत्रता का सम्मान करने के आधार पर अमेरिका को अफगानिस्तान को स्थिरता बनाए रखने, अराजकता को रोकने, आतंकवाद के खतरे का दमन करने में मदद करनी चाहिए, ताकि अफ़गानिस्तान स्वस्थ विकास की ओर आगे बढ़ सके।
(श्याओ थांग)