अफगानिस्तान में "आतंकवाद विरोधी" युद्ध के 20 वर्षों में अमेरिका ने क्या हासिल किया

2021-08-25 16:36:09

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अक्टूबर 2001 से अमेरिका ने "आतंकवाद के मुकाबले" के नाम पर अफगानिस्तान में युद्ध शुरू किया। इस साल अगस्त में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की जल्दबाजी में वापसी की गयी। अब 20 साल बीत चुके हैं। 16 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी मिशन केवल आतंकवाद से लड़ने के लिए है। लोगों ने लंबे युद्ध में अमेरिका द्वारा छोड़ी गई आपदाओं को दोष देने की निंदा की, और साथ ही पिछले 20 वर्षों में "आतंकवाद के मुकाबले" के "परिणामों" के बारे में भी चिंतित हैं।

आंकड़े बताते हैं कि बीते 20 सालों में अफगानिस्तान में आतंकवादी धमकी हमेशा रही है। अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों की संख्या में कटौती नहीं हुई, जबकि बढ़ोतरी हुई है, जो 20 से अधिक पहुंची है। संयुक्त राष्ट्र स्थित चीनी दूत ताई पिन ने 22 अगस्त को सुरक्षा परिषद की एक खुली बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि आईएस, अलकायदा, पूर्वी इस्लामी आंदोलन और पाक तालिबान आदि आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान में इकट्ठे गए हैं।

अफगानिस्तान के आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञ अहम्मद नूर ने सीएमजी के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका और उस के गठबंधन देश आतंकवाद और उग्रवाद को न रोककर एक शांतिपूर्ण अफगानिस्तान की स्थापना नहीं करना चाहते हैं। उनका मकसद आतंकवादी संगठनों का समर्थन कर क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा का समर्थन करना है। कई सबूतों से साबित हुआ कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में कई आतंकवादी संगठनों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मदद दी थी और अफगानिस्तान के पड़ोसी देश, जैसे चीन और रूस को धमकी दी। यह इस क्षेत्र में अमेरिका के हितों से मेल खाता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा था कि उनके राष्ट्रपति बनने से पहले अफगानिस्तान एक विफल कार्य बन चुका था, जबकि उन्हें अनिवार्य मामलों से रियायत देनी पड़ी है। अफगानिस्तान में 20 सालों के युद्ध के बाद अमेरिका आगे कोई भी कर्तव्य नहीं निभाएगा।

अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से हटने के बाद अफगानिस्तान की स्थिति की चर्चा में चीनी दक्षिणी मुद्दे के विशेषज्ञ वांग श्वू ने 21 अगस्त को एक साक्षात्कार में कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति में कई अनिश्चितताएं हैं। इसके प्रभाव से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकवादी कार्रवाइयों में इजाफा होगा।

(श्याओयांग)

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