अमेरिका का प्रभुत्व और अफगानिस्तान का मानवाधिकार
15 अगस्त को अफगानिस्तान के तालिबान ने राजधानी काबुल में प्रवेश किया। अमेरिका और पश्चिमी देशों के समर्थन वाली अफगान सरकार का पतन हुआ। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बयान में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के इस्तीफा देने की अपील की, जबकि बाइडेन ने हालिया अफगान परिस्थिति को लेकर ट्रम्प पर दोष लगाया। इस समय अमेरिकी राजनेताओं ने एक दूसरे की निंदा की, लेकिन वे शायद भूल गए कि उनके पीछे असली पीड़ित 3 करोड़ अफगान लोग हैं।
हां, अमेरिकियों की नजर में अफगानिस्तान शायद उनके द्वारा 20 साल में करोड़ों डॉलर की पूंजी लगाकर 2000 से अधिक अमेरिकी सैनिकों की जान गंवाने के बाद स्थापित मध्य एशिया का एक सामरिक पड़ाव है। लेकिन अब वे अपने राजनीतिक लाभ और आर्थिक मांग के लिए वहां से हट चुके हैं और एक बर्बाद अफगानिस्तान पीछे छोड़ दिया है। अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में 20 साल तक किये गये आतंकवाद विरोधी युद्ध से अफगानिस्तान को क्या मिला ? अफगान लोगों के पास बोलने का अधिकार है।
अफगानिस्तान की भूतपूर्व मानवतावादी कमेटी की सदस्य ने सीएमजी को बताया कि रिपोर्ट से जाहिर है कि युद्ध से अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस गर्मी के मौसम में अपने घरों को छोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा कि नाटो और अमेरिका आदि बहुदेशीय टुकड़ियों द्वारा अफगानिस्तान में किए गए हवाई हमलों से बड़ी संख्या में आम लोग मारे गए। इन अंतर्राष्ट्रीय टुकड़ियों ने अफगानिस्तान में अफगान लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन किया है।
अफगानिस्तानी राजनीतिक विश्लेषक अहमदुल्लाह वाजिर ने कहा कि 20 साल पहले अमेरिकी सेना ने आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने का झंडा उठाकर अफगानिस्तान में प्रवेश किया। 20 साल बीत चुके हैं, उन्होंने कहा कि लक्ष्य को साकार किया गया है। वास्तव में अफगानिस्तान में आतंकवाद अब भी मौजूद रहा है। अलकायदा संगठन, इस्लामिक स्टेट और अन्य आतंकवादी संगठन इस क्षेत्र और दुनिया को धमकी दे रहे हैं। इस समय पर अमेरिका अफगानिस्तान से हट चुका है। तो इसका मतलब है कि भविष्य में अफगानिस्तान और आसपास को धमकी देने वाली आतंकवादी कार्रवाइयों को लेकर अमेरिका अनदेखी करेगा और उसे अकेला छोड़ेगा।
अफगानिस्तान के विद्वान अहमद सफी ने कहा कि पश्तून जाति अफगानिस्तान में सबसे बड़ी जाति है, लेकिन अमेरिका ने दूसरी जातियों को पश्तूनों का विरोध करने के लिए प्रेरित किया, अफगानिस्तान में गृहयुद्ध छेड़ा और अफगानिस्तान की अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप किया। अमेरिकी की उत्तेजना में ज्यादा से ज्यादा लोगों ने युद्ध में हिस्सा लिया। अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति दिन ब दिन बिगड़ रही है। एक देश में सुरक्षा न होने से लोग कैसे सुखमय जीवन बिता सकते हैं। साथ ही आर्थिक विकास भी नामुमकिन है। आर्थिक विकास न होने से लोग और गरीब होंगे। यह एक बुरा चक्र है। अफगानिस्तान में वर्षों का युद्ध अफगानिस्तान की गरीबी की जड़ है।
(श्याओयांग)