वाराणसी – घाटों की नगरी
गंगा घाट (फोटो स्रोत: भारत के पर्यटन मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट)
दुनिया की सबसे प्राचीन आवासीय बस्तियों में से एक पावन शहर वाराणसी, जो पवित्र गंगा के किनारे बसा है, सदियों से तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। विख्यात लेखक मार्क ट्वेन, जो 19वीं सदी के अंतिम दशक में भारत आया था, उसने इस शहर का वर्णन इस प्रकार से किया था, ‘‘यह शहर इतिहास से भी प्राचीन है, परंपरा से भी प्राचीन है, यहां तक कि किंवदंती से भी प्राचीन है।’’
भगवान शिव की नगरी कहे जाने वाला वाराणसी, भारत के सात पवित्र नगरों में से एक है। किंवदंती के अनुसार भगवान शिव ही आकाशीय नदी गंगा को धरती पर लेकर आए थे, इसीलिए इसे पावन माना जाता है। देशभर से हज़ारों श्रद्धालुगण यहां आकर पवित्र गंगा के जल में डुबकी लगाते हैं। ऐसी मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से किसी के भी पाप धुल जाते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि जिस किसी की भी यहां पर अंत्येष्टि की जाती है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कई तो ऐसा मानते हैं कि पावन काशी की यात्रा (काशी की तीर्थयात्रा, वाराणसी आरंभ में काशी कहलाता था) अपने जीवनकाल में किए जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है।
वाराणसी शहर सदियों पुराने इतिहास, कला एवं परंपरा की पराकाष्ठा है जो उसकी आभा में रंगीन परतों को समाहित करने का काम करते हैं। इस शहर की आभा इसके घाटों पर प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देती है। पवित्रता एवं परमात्मा की खोज में तीर्थयात्री यहां आते हैं, गंगा के घाट वाराणसी के आध्यात्मिक परिदृश्य पर प्रकाश डालते हैं। प्रसिद्ध गंगा आरती से लेकर अंत्येष्टि तक, सदियों से ये धार्मिक अनुष्ठान इन घाटों पर किए जाते रहे हैं।
हाल ही के वर्षों में, यह शहर दर्शन, योग, आयुर्वेद का प्राचीन औषधीय विज्ञान एवं ज्योतिष का ज्ञान कराने का प्रमुख केंद्र बन गया है।