दर्शकों की स्टेडियम में मौजूदगी से पड़ता है असर ?

2021-08-13 18:39:05

टोक्यो ओलंपिक खेल 2020 और यूरो 2020 जैसे बड़े खेल टूर्नामेंटों में एक असमानता थी, और वो थी दर्शक। जापान की राजधानी टोक्यो में हुए 32वें ग्रीष्मकालीन खेलों में दस हजार से ज्यादा एथलीटों ने कुल एक हजार से ज्यादा पदकों के लिए अपने-अपने मुकाबलों में हिस्सा लिया। लेकिन सभी स्पर्धाओं के दौरान स्टेडियमों में दर्शक मौजूद नहीं थे। यानी कोई भी दर्शक स्टेडियम में अपने प्रिय खिलाड़ियों के उत्साहवर्धन के लिए नहीं जा पाया। सिर्फ स्टेडियमों के बाहर हुए ईवेंट्स जैसे मैराथन रेस, वॉक रेस, और रोड़ साइकिल रेस जैसे मुकाबलों में दर्शकों को अनुमति दी गई थी लिहाजा बड़ी संख्या में दर्शकों ने सड़कों के किनारे खड़े होकर खिलाड़ियों की हौसला अफजाई की।

वहीं इसके उलट इस साल जून-जुलाई में हुए यूरो 2020 फुटबॉल टूर्नामेंट की खास बात ये थी कि दर्शकों को फुटबॉल स्टेडियमों में अपने प्रिय खिलाड़ियों के खेल को देखने की अनुमति दी गई थी। जिस वजह से भारी संख्या में खेल प्रेमी स्टेडियमों में उमड़े और यूरो फुटबॉल के फाइनल तक अपनी-अपनी टीमों का खेल देखा। तो क्या दर्शकों की मौजूदगी से खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर असर पड़ता है।

खेल के जानकार मानते हैं कि खाली स्टेडियम, शोर-गुल का अभाव और घरेल दर्शकों की गैरमौजूदगी खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर असर डालता है। दर्शकों की मौजूदगी से खिलाड़ियों में उत्साह की लहर दौड़ जाती है और उनके प्रदर्शन पर इसका निश्चित रुप से सकारात्मक असर पड़ता है। इसके अलावा मेजबान देशों के खिलाड़ियों को अपने घरेलू दर्शकों की मौजूदगी से जहां फायदा मिलता है वहीं विपक्षी टीमों को इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है। हालांकि क्रिकेट की बात करें तो घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिताओं में मैदान पर कम ही दर्शक आते हैं, लिहाजा क्रिकेट खिलाड़ियों को अपने शुरुआती दिनों में बिना दर्शकों के खेल खेलने की आदत हो जाती है।

लेकिन दर्शकों की गैरमौजूदगी और खेलों के आयोजनों के थमने की वजह से कुछ सकारात्मक पहलू भी निकलकर सामने आए हैं। पेशेवर खिलाड़ियों को आम तौर पर तीन से चार महीने का ब्रेक नहीं मिलता है तो ये खिलाड़ियों के लिए अच्छा रहा और कई खिलाड़ी जिन्हें ब्रेक की दरकार थी उन्हें उपयुक्त आराम भी मिल गया। वहीं दर्शकों की मौजूदगी की वजह से पड़ने वाले दबाव से भी पेशेवर खिलाड़ियों को राहत महसूस हुई होगी।

डेढ़ साल के बाद अब उम्मीद यही की जा रही है कि चाहे क्रिकेट हो या ओलंपिक गेम्स, फुटबॉल हो या टेनिस, दर्शकों को अब इसी बात का इंतजार है कि खिलाड़ियों का हुनर, जोश, जुनून और भावनाओं का रेला एक बार फिर से देखने को मिले।

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