ल्हासा श्वेतुन त्योहार:गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत का मज़ा

2021-08-07 17:17:51

ल्हासा श्वेतुन त्योहार:गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत का मज़ा_fororder_2

तिब्बती पंचांग के अनुसार, हर वर्ष के सातवें महीने की पहली तारीख को श्वेतुन त्योहार मनाया जाता है। चीनी राज्य परिषद द्वारा पुष्टि की गई पहली खेप वाले गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत के रुप में ल्हासा श्वेतुन त्योहार परंपरा और आधुनिकता, अर्थतंत्र और संस्कृति, त्योहार और पर्यटन जैसे कारकों का मिश्रित मंच बन चुका है, जो बहुत प्रभावशाली और सुप्रसिद्ध त्योहार होने के नाते, तिब्बती की श्रेष्ठ संस्कृति और शहर की सुन्दरता दिखाने वाला मंच भी बन गया है। इस वर्ष 8 से 14 अगस्त तक ल्हासा श्वेतुन त्योहार धुमधाम से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा में मनाया जाएगा।

श्वेतुन त्योहार लोगों का परम्परागत त्योहार है, जिसका लम्बा पुराना इतिहास है। तिब्बती भाषा में “श्वे” का अर्थ है “दही”, जबकि “तुन” का अर्थ “खाना”। इस तरह “श्वेतुन” का अर्थ होता है “दही खाना”। जाहिर है, श्वेतुन त्योहार तो दही खाने के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। किन्तु कालांतर में श्वेतुन त्योहार के विषयों में काफी परिवर्तन आया है और दही खाने की जगह मुख्य तौर पर तिब्बती ऑपेरा ने ले लिया है, इस वजह से इस त्योहार को तिब्बती ऑपेरा त्योहार भी कहा जाने लगा है।

कहा जाता है कि तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलुग संप्रदाय यानी पीला संप्रदाय के संस्थापक गुरु त्सोंग खापा ने तिब्बती बौद्ध धर्म में सुधार करने के वक्त कड़े शील निर्धारित किए। तिब्बती पंचांग के अनुसार, वर्ष के हर चौथे से छठे महीने तक तिब्बत में गर्मियों का मौसम होता है। इस दौरान विभिन्न प्रजातियों के छोटे बड़े जीव-जंतु क्रियाशील होने लगते हैं। इन जीव-जंतुओं की रक्षा करने के लिए चौथे से लेकर छठे माह तक तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षुओं को मठों के बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाती है और उन्हें मठों में लगन से बौद्ध सूत्रों का अध्ययन करना होता है। वे छठे माह के अंत और सातवें माह की शुरूआत में मठों के बाहर जा सकते है। तिब्बत में यह फ़सल काटने का मौसम होता है, गाय और भेड़ हृष्ट-पुष्ट हो जाती हैं और उनका दूध उच्च-गुणवत्ता का मिलता है। इसलिए आम लोग भिक्षुओं को भिक्षा के रूप में दही दी जाती हैं और मठों में भी दही से अपने मेहमानों का सत्कार किया जाता है। इसी तरह दही खाने का त्योहार यानी श्वेतुन त्योहार पैदा हुआ।

पांचवें दलाई लामा आवांग लुओसांग च्यात्स के समय में श्वेतुन त्योहार में दही खाने के साथ-साथ रंगबिरंगे तिब्बती ऑपेरा प्रदर्शित किये जाने लगे। तभी से श्वेतुन त्योहार में न केवल दही खाया जाता था, बल्कि उत्कृष्ट तिब्बती ओपेरा का प्रदर्शन भी किया जाने लगा।

परम्परागत श्वेतुन त्योहार का संचालन मुख्यतः तिब्बत के तीन प्रमुख मठों में से एक ड्रेपुंग (Drepung) मठ करता है। इसलिए श्वेतुन त्योहार के प्रथम दिन को ड्रेपुंग थ्वेतुन भी कहा जाता है। उस दिन सुबह तिब्बती लोग विभिन्न स्थानों से राजधानी ल्हासा के पश्चिम भाग में स्थित जाइबुंग मठ में एकत्र हो जाते हैं, मठ में एक विशाल लोह ढांचे पर बुद्ध का शानदार चित्र फैलाकर दिखाया जाता है, यह श्वेतुन त्योहार की शुभारंभ रस्म है। ड्रेपुंग मठ के भिक्षु धार्मिक वाद्ययंत्रों की धुन में तिब्बती थांगखा चित्रकला शैली में खिंची हुई एक शानदार बुद्ध तस्वीर को एक लोह के ढ़ांचे पर फैला कर रखते हैं, जिस पर बौद्ध धर्म के त्रि-काल के भगवान के रंगीन चित्र दिखाई देते हैं। त्रि-काल के भगवान में बीते काल, वर्तमान काल और भावी काल के तीन रूपों के बुद्ध भगवान हैं। शानदार बुद्ध चित्र की प्रदर्शन रस्म संपन्न होने के बाद तिब्बती लोग बड़ी आस्था के साथ आगे बढ़कर चित्र के सामने पूजा प्रार्थना करते हैं और बुद्ध तस्वीर पर शुभ सूचक तिब्बती सफेद हाता और धन दौलत भेंट करते हैं। ऊंचे विशाल पहाड़ पर रखे जाने के कारण यह विशाल बुद्ध तस्वीर दस से ज्यादा किलोमीटर दूर-दूर साफ-साफ दिखाई देती है।

हर साल श्वेतुन त्योहार के दौरान बुद्ध चित्र का प्रदर्शन जरूर किया जाता है। एक तरफ़ तिब्बती बौद्ध धर्म के इस अनमोल और दुर्लभ खजाने की पूजा की जाती है, दूसरी तरफ़ इससे बहुत लंबे समय तक संग्रहीत होने से बुद्ध के थांगखा चित्र को फफूंदी लगने या कीड़ा लगने से बच जाता है। इधर के सालों में तिब्बत में पर्यटन उद्योग के लगातार विकास के चलते, बुद्ध चित्र प्रदर्शन देसी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

बताया गया है कि साल 2021 में ल्हासा श्वेतुन त्योहार के दौरान, उद्घाटन समारोह के आयोजन के अलावा, जातीय पारंपरिक घुड़सवारी कार्यक्रम, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में छठा तिब्बती ओपेरा प्रतियोगिता एवं लोग कला प्रदर्शन, तिब्बती शतरंज प्रतियोगिता, श्वेतुन त्योहार बुद्ध थांगखा चित्र प्रदर्शन, और ब्रांड-नाम वस्तुओं का मेला आदि गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। श्वेतुन त्योहार के दौरान, तिब्बती लोग न केवल अपने परिजनों और मित्रों के साथ एकत्र होकर दही खाते हैं, खेलते हैं, घुड़सवारी कार्यक्रम देखते हैं, बल्कि तिब्बती ओपेरा का आनंद भी लेते हैं। त्योहार की खुशियों में वे गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत का खूब मजा लेते हैं।  

( लेखक:थांग य्वानक्वेइ, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग )

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