अगस्त 2021 में अफगान तालिबान ने राजधानी काबुल में प्रवेश किया, और अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से हट गई, जिसके बाद अमेरिका का 20 वर्षीय तथाकथित "आतंकवाद विरोधी युद्ध" समाप्त हो गया। पिछले 20 वर्षों में काबुल-कंधार राजमार्ग, जिसे "मौत की सड़क" कहा जाता है, में छिपे विभिन्न विस्फोटक, हमले और संघर्ष जो कभी भी हो सकते हैं, हजारों लोग मारे गए या गंभीर रूप से घायल हो गए।
इस राजमार्ग के पास के गाँव के बच्चों ने कहा कि यदि कोई विदेशी आक्रमण और युद्ध नहीं होता, तो अफगानिस्तान उन्नत मशीनों और सुंदर रत्नों वाला एक बहुत शक्तिशाली देश होता।
बाजार में दुकानों के लगभग हर कोने में गोलियों के निशान हैं। आदिवासी बुजुर्ग ज़मारुद ने कहा कि विनाश और मृत्यु के अलावा, युद्ध कोई उपहार नहीं लाया। सैकड़ों घर नष्ट हो गए, 500-600 लोग मृत हो गए, और 300-400 लोग घायल या विकलांग हो गए। युद्ध के कारण गाँव का स्कूल बंद कर दिया गया था, और बच्चों को हर दिन अपने घरों से दूर एक पहाड़ी स्कूल में जाना पड़ता है। हालांकि पिछले दो दशकों में, अफगानिस्तान की शिक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सहायता लाखों डॉलर तक पहुंच गई है। इस स्कूल में अभी भी कोई डेस्क नहीं है, और कोई पाठ्यपुस्तक भी नहीं।
अब अफगान लोग अपनी मातृभूमि के पुनर्निर्माण का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अमेरिका, जो अफगानिस्तान में 20 वर्षों से लड़ रहा था, एक तरफ अपने सहयोगियों के साथ एक तथाकथित "लोकतंत्र शिखर सम्मेलन" आयोजित कर रहा है, दूसरी तरफ अफगान के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। क्या यही "लोकतंत्र" है जिसे अमेरिकी दुनिया में बेच रहा है?
(नीलम)