रेशम की कहानी

2020-12-19 16:43:57

मैं रेशम हूं             

"पूर्वी रेशम देश" चीन से हूं      

हुआंगती राज्यकाल के दौरान         

लोगों ने घर में रेशम के कीड़ों को पालना शुरू किया 

और रेशम की बुनाई की     

2 हजार से अधिक वर्षों पहले  

"रेशम मार्ग" से मुझे भारत ले जाया गया   

तब से, मैं एक बीज की तरह   

चीन और भारत की सांस्कृतिक मिट्टी में  

दो प्राचीन पूर्वी सभ्यताओं का सम्मिश्रण करती हूं    

इस दुनिया के दूसरे सबसे बड़े रेशम उत्पादक और सबसे बड़े कच्चे रेशम आयातक में      

भारतीय लोग मुझे एक सितारा मानते हैं    

और मुझे साड़ी में भी बनाया जाता है  

मुझे पहनने वाले बहुत सुंदर लगते हैं   

जो जीवन, सौंदर्य और रंग की समझ का प्रतीक है  

चीन में मैं लोगों के आँखों का तारा हूं 

मुझसे बनाए गए वस्त्र वास्तव में श्रेष्ठ होते हैं 

मैं जिन सड़कों से गुजरती हूं, वहां मेरी खूब प्रशंसा होती है 

लेकिन मैं अपनी उपस्थिति भर से संतुष्ट नहीं हूं   

लंबे इतिहास में 

प्राचीन रेशम मार्ग पर बारांबार यात्रा करते हुए 

मुझे धीरे-धीरे इस सड़क का सांस्कृतिक महत्व मिला  

एक यात्रा के दौरान   

मेरे स्वामी और मैं तुनह्वांग में ठहरे   

लेकिन मुझे लगा कि विभिन्न सुन्दर भित्ति चित्रों में उड़ने वाली अप्सराओं में मेरी छाया मिल गई है 

मुझे अचानक से प्रतीत हुआ

कि हजारों वर्षों के सांस्कृतिक हस्तांतरण में 

तुनह्वांग में उड़ने वाली अप्सराओं को भारतीय, पश्चिमी और चीनी संस्कृतियों द्वारा समान रूप से विस्तारित किया गया है

भारतीय पौराणिक कथाओं में जन्मी इस परी ने  

चीनी सभ्यता के साथ मिलन में अधिक चमकदार रोशनी दी है   

इतिहास को देखते हुए   

समृद्ध चीनी थांग राजवंश की कविता की पूर्णता 

सोंग और मिंग राजवंशों के नव कन्फ्यूशीवाद 

इन सभी चीनी संस्कृतियों ने भारतीय संस्कृति के सार को अवशोषित किया है  

यह मेरे और मेरे दूत भागीदारों के लिए अविभाज्य है  

अब  

मेरे स्वामी ने मेरे क्षितिज को व्यापक बना दिया है 

हमने चीन में बॉलीवुड फिल्मों का विशाल बाजार देखा है   

वर्ष 2013 के बाद से   

चीन की मुख्य भूमि में 100 से अधिक सह-प्रस्तुतियों को रिलीज़ किया गया  

जिनका कुल बॉक्स ऑफिस लगभग 20 अरब युआन है   

वर्ष 2015 में   

चीन में भारत का पहला योग कॉलेज युन्नान राष्ट्रीयता विश्वविद्यालय में स्थापित हुआ     

योग और थाईची दोनों एक जैसे हैं  

वे सामंजस्यपूर्ण भावना को साझा करते हैं   

पिछले 70 वर्षों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ  

वर्ष 2000 से   

चीन में भारतीय पर्यटकों की संख्या  

लगभग 10 लाख हो गई है 

और भारत में चीनी पर्यटकों की संख्या 3 लाख से अधिक हो गई है  

चीन और भारत ने अनुवाद और प्रकाशन की परियोजना भी शुरू की  

भारतीय साइनोलॉजी का लंबा इतिहास है   

और साइनोलॉजी भारतीय अकादमी में सबसे लोकप्रिय बन रही है  

ये दोनों देशों के सांस्कृतिक एकीकरण और सहजीवन का फल है

बल्कि भविष्य में दो संस्कृतियों के निरंतर विकास के बीज भी हैं

मेरा एक छोटा-सा शरीर है 

मैं एक हज़ार साल की हूं लेकिन अभी भी युवा हूं   

मैंने दो प्राचीन सभ्यताओं की निरंतर प्रगति देखी है

और अंतहीन आदान-प्रदान और आपसी सीख जारी है

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