जीवित बुद्ध का पुनर्जन्मः दलाई लामा कैसे चुने जाते हैं
छिंगहाई-तिब्बत पठार विश्व की छत माना जाता है। नव वर्ष से वांगक्वो उत्सव तक,और दुनिया में बुद्ध की सबसे बड़ी पेंटिंग की प्रदर्शनी की गतिविधि तक, इस अद्भुत भूमि पर रंग-बिरंगी संस्कृति पैदा हुई। तिब्बती बौद्ध धर्म के उद्भव से इसे यहां पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया गया है। तिब्बती बौद्ध अनुयाइयों के लिए धार्मिक गतिविधि जीवन का अहम हिस्सा होती है
उन का मानना है कि कुछ धर्म गुरु पूर्व जन्म के अवतार होते हैं। वे पूर्व जन्म की बुद्धिमता पर उत्तराधिकार कर अनुयाइयों का मार्गदर्शन करते हैं। इस खास उत्तराधिकार तरीके से चुने गये धर्म गुरु को तिब्बती भाषा में "तुल्कु" या "रिनपोछे"कहते हैं, यानी "जीवित बुद्ध" कहा जाता है।
यह डॉक्यूमेंट्री हमें इस रहस्यमय भूमि में ले जाएगी और जीवित बुद्ध के पुनर्जन्म के पीछे की कहानी बताएगी...