जेएनयू के प्रोफेसर डॉ. श्रीकांत कोंडापल्ली से ख़ास इंटरव्यू
भारत में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर ईस्ट एशियन स्टडीज के अध्यक्ष और चीनी अध्ययन के प्रोफेसर, डॉ. श्रीकांत कोंडापल्ली ने कहा कि चीनी और भारतीय सभ्यताएं दुनिया की सबसे पुरानी और समृद्ध सभ्यताओं में से हैं, और अपने संबंधों को मजबूत बनाने के लिए उन्हें अपने पुराने संबंधों का विस्तार करना चाहिए और सहयोग के और अधिक तरीकों को खोजना चाहिए।
डॉ. श्रीकांत कोंडापल्ली ने हाल ही में पेइचिंग में पिछले सप्ताह आयोजित एशियाई सभ्यताओं का संवाद सम्मेलन के दौरान चाइना रेडियो इंटरनेशनल को एक ख़ास वीडियो इटरव्यू दिया।
प्रोफेसर कोंडापल्ली ने एशियाई सभ्यताओं का संवाद सम्मेलन के बारे में बात करते हुए कहा कि यह संवाद सम्मेलन एक-दूसरे की सभ्यताओं को समझने और एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने की कोशिश है। उन्होंने यह भी कहा कि "एशियाई देशों के बीच आदान-प्रदान और आपसी सीख” के विषय के तहत, सम्मेलन में 47 एशियाई देशों और एशिया से बाहर के देशों के देशों के 2,000 से अधिक सरकारी अधिकारी और विभिन्न तबकों के प्रतिनिधि, सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाने, सांस्कृतिक संबंध बढ़ाने और समुदाय की एक नई भावना को बढ़ावा देने के लिए इकट्ठा हुए हैं।
प्रोफेसर कोंडापल्ली ने सीआरआई से कहा, "विभिन्न सभ्यताओं के बीच टकराव नहीं होना चाहिए, और कोई भी संस्कृति किसी अन्य संस्कृति से श्रेष्ठ नहीं है, क्योंकि हम सभी वैश्वीकरण की प्रक्रिया में हैं। एक-दूसरे से सीखते रहना चाहिए।","
उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच संबंध इस बात का उदाहरण हैं कि विभिन्न सभ्यताएं कैसे सह-अस्तित्व में रहना चाहिए और शांति और मित्रता में संवाद करना चाहिए।