18 बुद्धिमानी से जुड़ी कथा--घास की नाव से बाण उधार लेना
घास की नाव से बाण उधार लेना 草船借箭
“घास की नाव से बाण उधार लेना”बुद्धिमानी से जुड़ी एक कथा है, जिसे चीनी भाषा में“छाओ छुआन च्ये च्येन”(cǎo chuán jiè jiàn) कहा जाता है। इसमें“छाओ”का अर्थ है घास, जबकि“छुआन”है नाव या जहाज़।“च्ये”का अर्थ है उधार लेना और“च्येन”का अर्थ है बाण या तीर।
ईस्वी तीसरी शताब्दी में यानी इस्वी वर्ष 220 से 280 तक के समय में चीन में वेई, शू और वू त्रि-राज्य काल था। उत्तरी चीन पर वेई राज्य, दक्षिण पश्चिमी चीन पर शू राज्य और दक्षिण चीन पर वू राज्य का नियंत्रण हुआ करता था। इन तीनों राज्यों में वेई राज्य अधिक शक्तिशाली था।
वेई, शू और वू तीनों राज्यों के बीच अकसर युद्ध हुआ करते थे। एक बार वेई राज्य की सेना ने जल मार्ग से यांगत्सी नदी के किनारे पर स्थित वू राज्य पर हमला बोल कर युद्ध चलाया। वेई राज्य की सेना वू राज्य की भूमि के नज़दीक यांगत्सी नदी के तट पर पहुंची और वू राज्य पर धावा बोलने की तैयारी में तैनात हो गई।
वू राज्य के सेनापति चोउ यु (zhōu yú) ने वेई सेना की तैनाती स्थिति का जायजा लेने के बाद दुश्मन के हमले को रोकने में तीर धनुषों का सहारा लेने का निर्णय किया। इसके लिए एक लाख बाणों की ज़रूरत थी। वू राज्य की कारीगरी शक्ति के हिसाब से एक लाख तीर बनाने में दस दिन की आवश्यकता थी। लेकिन वू राज्य की सेना के लिए इतना लम्बा समय नहीं बचा था।
वेई राज्य के हमले के मुकाबले के लिए वू और शू राज्यों में गठबंधन कायम हुआ था। शू राज्य के सैनिक सलाहकार चु क ल्यांग (zhū gě liàng) इस समय वू राज्य की यात्रा पर था। चु क ल्यांग चीन के इतिहास में असाधारण प्रतिभा और युद्ध कला में अद्भुत कुशलता के लिए बहुत मशहूर था।
वू राज्य के सेनापति चोउ यु ने जब चु क ल्यांग से बहुत कम समय में आवश्यक तीर बनाने का उपाय पूछा, तो चु क ल्यांग ने कहा कि एक लाख तीर पाने के लिए तीन दिन का समय काफी है। सभी लोग समझते थे कि चु क ल्यांग डींग मारता है। लेकिन चु क ल्यांग ने तीन दिन के भीतर तीर निर्माण काम पूरा करने का आश्वासन पत्र लिख डाला, जिस के अनुसार यदि तीन दिन के भीतर जरूरी तीर नहीं बनाये जा पाए, तो उसे मौत की सजा सुनाई जाएगी।
एक लाख तीर बनाने का काम स्वीकार करने के बाद भी चु क ल्यांग ने जल्द से काम शुरू नहीं किया था। उसने वू राज्य के वरिष्ठ मंत्री लु सू (lǔ sù) से कहा कि ऐसा कठोर काम सामान्य तरीके से पूरा नहीं हो पाएगा। उसे लु सू की मदद की जरूरत है। उसने लु सू से बीस जहाज और हर जहाज के लिए बीस सैनिक मांगे और सभी जहाजों को काले कपड़ों से ढक दिया जाएगा और जहाजों पर चारों ओर घास फूस के मानव पुतले खड़े किए जाएंगे। इसके अलावा चु क ल्यांग ने लु सू से उसकी रहस्यमय योजना को गोपनीय रखने का वचन भी लिया।
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इस प्रकार की तैयारी करने के बाद चु क ल्यांग बड़े आराम के साथ बैठे रहा। पहला दिन बिना कुछ किए गुजरा। दूसरा दिन भी कोई काम नहीं हुआ। तीसरा दिन का समय आया, लेकिन चु क ल्यांग ने एक तीर भी नहीं बनवाया। सभी लोग बहुत चिंचित हो उठे।
तीसरे दिन की रात को चु क ल्यांग चुपचाप से लु सू को एक जहाज पर ले गया। बड़े आश्चर्य के साथ लु सू ने पूछा:“यहां हम क्या करने आए हैं?”
चु क ल्यांग ने मुस्कराते हुए कहा:“अभी आपको पता चलेगा।”
चु क ल्यांग के आदेश पर पहले से तैयार बीस जहाजों को एक रस्सी से बांधे एक लम्बे काफिले के रूप में यांगत्सी नदी के उस पार तैनात वेई राज्य के सैन्य शिविर की ओर रवाना किया गया।
उस रात में घुप अंधेरा छाया था और हवा में घना कोहरा फैल रहा था। नदी की सतह पर उंगली दिखाए भी नहीं दिखती थी। चु क ल्यांग ने जहाज़ काफिले को वेग गति से वेई राज्य के सैन्य शिविर के नज़दीक जाने तथा शिविर की ओर मुख करते हुए कतार में खड़ा होने का हुक्म दिया और जहाजों पर सवार सैनिकों को ढोल बजाते हुए ललकार करने को कहा।
इस हरकत पर लु सू के होश हवास उड़ गए। उसने चु क ल्यांग से कहा:“आप क्या कर रहे हैं?हमारे पास केवल बीस जहाज़ और चार सौ सैनिक हैं, अगर वेई राज्य की सेना ने हम पर हमला बोल दिया, तो हम जिन्दा नहीं रहेंगे।”
लु सू की चिंता देख कर चु गल्यांन मुस्कराते हुए बोला:“मुझे पक्का यकीन है कि वेई सेना घने कोहरे में हमला नहीं बोलेगी। हम जहाज में आराम से मदिरा का आनंद ले सकते हैं।”
ढोल की ऊंची आवाज़ और सैनिकों की ललकार सुनने पर वेई राज्य के सेनापति छाओ छाओ (cáo cāo) ने तुरंत अपने जनरलों को बुलाकर स्थिति का जायजा लिया और यह फैसला किया कि यांगत्सी नदी पर घना कोहरा छाया होने के कारण आक्रमण करने आए दुश्मन की स्थिति साफ़ पता नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि उसे रोकने के लिए सेना के सभी तीरंदाज दुश्मन के जहाजों पर बाण छोड़ें।
जल्द ही वेई राज्य के दस हजार तीरंदाजी सैनिक नदी के तट पर तैनात कर दिए गए, जो ललकार की आवाज़ सुनकर दुश्मन के जहाजों पर अंधाधुंध बाणों की वर्षा करने लगे।
थोड़ी देर में ही चु क ल्यांग के नेतृत्व में वू राज्य के घास से भरे पुतलों वाले सभी बीस जहाजों में तीर लग गए। फिर चु क ल्यांग ने बीस जहाजों का दूसरा पक्ष घुमा कर वेई सेना की ओर मुंह करने का हुक्म दिया। वेई सेना के तीर फिर जहाजों के दूसरी ओर लगे घास के पुतलों पर लगने लगे। कुछ समय में ही सभी जहाज हज़ारों तीरों से भर गए, तो चु क ल्यांग के आदेश पर वू सेना के ये बीस जहाज़ जल्द ही वापस अपने शिविर में लौटने लगे। इस समय नदी पर कोहरा छटने लगा था, वेई राज्य की सेना को जब असलियत का पता चला, तो बड़ी पूछताछ की गई।
चु क ल्यांग के जहाज़ सुरक्षित रूप से वू राज्य के सैन्य शिविर में लौट गये। वहां वू सेना के सेनापति चोउ यु द्वारा भेजे पांच सौ सैनिक तीर लेने के इंतजार में थे। गिने जाने पर पता लगा कि एक लाख से भी अधिक तीर मिले हैं।
वू राज्य का सेनापति चोउ यु चु क ल्यांग की बुद्धिमता और साहस माने बगैर नहीं रह सका। दरअसल चु क ल्यांग मौसम विज्ञान में भी पारंगत था। मौसम सर्वेक्षण से उसे मालूम था कि यांगत्सी नदी पर उस रात घना कोहरा छाएगा, इसका फायदा उठा कर उसने अपनी अक्ल से दुश्मन की सेना को उल्लू बना कर एक लाख तीर हासिल किए।