15 बुद्धिमानी से जुड़ी कथा--थिआन ची की घुड़दौड़ प्रतियोगिता
थिआन ची की घुड़दौड़ प्रतियोगिता 田忌赛马
“थिआन ची की घुड़दौड़ प्रतियोगिता”बुद्धिमानी से जुड़ी एक कहानी है, इसे चीनी भाषा में“थिआन ची साई मा”(tián jì sài mǎ) कहा जाता है। इसमें“थिआन ची”व्यक्त का नाम है, जबकि“साई”का अर्थ है प्रतियोगिता या मैच और“मा”का अर्थ है घोड़ा, तो“साई मा”का अर्थ घुड़दौड़ प्रतियोगिता हुआ।
ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में चीन की भूमि पर कई राज्य अस्तित्व में आए, जो आपस में युद्ध लड़ते थे। उस जमाने में वेई राज्य का प्रतिभाशाली अधिकारी सुन पीन (sūn bìn) अपने समकक्ष पदाधिकारी फांग च्वान (páng juān) की ईर्ष्या और अत्याचार के कारण छी राज्य से आए राजदूत द्वारा बचाया गया और छी राज्य की राजधानी में भाग गया।
छी राज्य के राजदूत की सिफारिश पर सुन पीन की मुलाकात छी राज्य के सेनापति थिआन ची (tián jì) से हुई। थिआन ची ने सुन पीन से युद्ध कला के बारे में पूछा, तो सुन पीन ने तीन दिन तीन रात तक युद्ध कला की व्याख्या की, जिसके परिणामस्वरूप सुन पीन पर सेनापति थिआन ची के प्रति अपार आदर और गहरी श्रद्धा हो गई और वह सुन पीन के साथ आदरणीय मेहमान के रूप में व्यवहार करने लगे।
थिआन ची के प्रति सुन पीन भी बहुत कृतज्ञ था और वह समय-समय पर थिआन ची को लाभदायक परामर्श और सुझाव देता था।
उस जमाने में घुड़दौड़ प्रतियोगिता छी राज्य के कुलीन वर्ग में अत्यन्त लोकप्रिय थी। राजा से लेकर विभिन्न स्तरों के अधिकारी तक अकसर घुड़दौड़ के आयोजन में हिस्सा लेते थे। मैच पर भारी रकम की बाजी भी लगती थी। सेनापति थ्येन ची भी राजा और अन्य दरबारी अधिकारियों के साथ घुड़दौड़ की बाजी में भाग लेता था, लेकिन वह आम तौर पर हार जाता था।
एक दिन फिर घुड़दौड़ प्रतियोगिता पर बाजी लगी और थ्येन ची भी फिर एक बार बाजी में हार गया। घर लौट कर वह बड़ा नाखुश हुआ। यह देख कर सुन पीन ने उसे सांत्वना देते हुए कहा:“आप निश्चिंत रहें, अगले मैच के समय मुझे भी ले जाएं,संभव है कि मैं आपको थोड़ी मदद दे सकूं।”
थिआन ची की घुड़दौड़ प्रतियोगिता 田忌赛马
जब अगली घुड़दौड़ का मौका आया, तो सुन पीन थिआन ची के साथ मैच मैदान चला गया। दरबार के बहुत से अधिकारी और राजधानी के आम लोग भी मैच का तमाशा देखने आए।
मैच के आरंभ से पहले सुन पीन ने मैच के नियम का पता लगाया कि छी राज्य में घुड़दौड़ के लिए घोड़ों का उनकी दौड़ने की गति के अनुसार तीन वर्गों में बांटा जाता है। तीन वर्गों में आए घोड़ों को तीन रंगों के आभूषणों से सजाया जाता है और समान वर्ग के घोड़े एक ही मैच में हिस्सा लेते हैं, तीन मैंचों में से दो मैच जीतने वाले को विजेता घोषित किया जाता है।
सुन पीन द्वारा बारीकी से घोड़ों का जायजा लेने के बाद उसे पता चला कि थिआन ची के तीनों वर्गों के घोड़े दूसरों के घोड़ों से ज्यादा कमजोर नहीं हैं, महज मैच की कला न जानने के कारण वह अकसर हार जाता है। सुन पीन ने थिआन ची को आश्वासन दिया:“आप निश्चिंत होकर मैच पर बाजी लगाए, मैं आपको जीत दिलाऊंगा।”
थिआन ची बहुत खुश हुआ। उसने राजा के साथ एक हजार स्वर्ण सिक्कों की बाजी लगायी। राजा के घोड़े पिछले मैचों में कभी भी नहीं हारे थे, इसलिए उसने भी पूरे विश्वास के साथ बाजी मानी।
सुन पीन के सुझाव पर थिआन ची ने अपने पहले वर्ग के घोड़े को तीसरे वर्ग के आभूषण से सजाया और दूसरे वर्ग के घोड़े को पहले वर्ग के आभूषण से सजाया और अपने तीसरे वर्ग के कमजोर घोड़े को राजा के पहले वर्ग के शहज़ोर घोड़े के मुकाबले में डाला।
जब घुड़ दौड़ का मैच आरंभ हुआ, तो राजा का बढ़िया घोड़ा तेज गति के साथ आगे दौड़ा और थिआन ची के कमजोर घोड़े को काफी पीछे छोड़ा। इस पर राजा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दूसरे मैच में थिआन ची ने सुन पीन की सलाह पर अपने पहले वर्ग के घोड़े को राजा के दूसरे वर्ग के घोड़े के मुकाबले में लगाया। बड़े रोमांचक मुकाबले थिआन ची के घोड़े ने राजा के घोड़े को पीछे छोड़ कर दूसरा मैच जीता।
फिर अहम तीसरा यानी अंतिम मैच आया। इसमें थिआन ची के दूसरे वर्ग के घोड़े और राजा के तीसरे वर्ग के घोड़े के बीच स्पर्धा चली। अंत में थिआन ची के घोड़े ने आगे दौड़ कर तीसरा मैच भी जीता। इस तरह थिआन ची ने एक हार दो जीत पर पूरी बाजी जीती।
थिआन ची की घुड़दौड़ प्रतियोगिता 田忌赛马
मैच के इस अप्रत्याशित नतीजे पर राजा को बड़ी हैरत हुई। उसे समझ में नहीं आ सका कि थिआन ची को कहां से इतने ज्यादा श्रेष्ठ घोड़े मिले। तभी थिआन ची ने उसे बताया कि उसकी जीत अच्छे-अच्छे घोड़े मिलने के बजाए अच्छी मैच-कला के प्रयोग से हुई है। उसने राजा को सुन पीन का बताया उपाय बताया, जिसे सुनकर राजा का दिमाग खुल गया। उसने तुरंत सुन पीन को राजमहल में बुलाकर उसके साथ युद्ध कला पर खुल कर बातचीत की और सुन पीन की योग्यता तहेदिल से मान ली।
छी राजा ने सुन पीन को अपनी सेना के सलाहकार के पद पर नियुक्त किया, जिसे राज्य की समूची सेना का संचालन करने का अधिकार प्राप्त था। सुन पीन की मदद में छी राज्य के सेनापति थिआन ची ने सेना को कारगर युद्ध कला से प्रशिक्षित किया। वह सेना दूसरे राज्यों की सेनाओं के खिलाफ़ लड़ाइयों में अजेय रही।
अच्छा श्रोता मित्रों, अभी आपने बुद्धिमानी से जुड़ी एक कथा, जिसका शीर्षक है“थिआन ची की घुड़दौड़ प्रतियोगिता”, इसे चीनी भाषा में“थिआन ची साई मा”(tián jì sài mǎ) कहा जाता है। इस कहानी में मुख्य पात्र थिआन ची है, लेकिन उसके सलाहकार सुन पीन ने घुड़दौड़ में बुद्धि दिखाई।
वास्तव में सुन पीन प्राचीन चीन के युद्धरत काल में सुप्रसिद्ध सैन्य रणनीतिकार था। वह《सुन ची के युद्ध की कला》यानी《द आर्ट अफ़ वॉर》के लेखक, मशहूर सैन्य रणनीतिकार सुन वू की संतान था। लोग सुन वू के सम्मान में उन्हें सुन ची (sūn zi) कहते हैं। सुन पीन ने《सुन पीन की युद्ध कला》नाम का लेख भी लिखा था।
सुन पीन और फांग च्वान(páng juān) दोनों वेइ राज्य में एक ही गुरू से सैन्य ज्ञान सीखते थे। लेकिन फांग च्वान अपने से अधिक बुद्धिमान सुन पीन से ईर्ष्या करता था। उसने सुन पीन के घुटने की हड्डी को काट दिया। सुन पीन तो विकलांग बन गया। बाद में सुन पिन को वेई राज्य में आए छी राज्य के दूत ने बचाया। फ़ान च्वान के अत्याचार से बचने के लिए सुन पीन छी राज्य की राजधानी में भाग गया। उसका मिलन छी राज्य के सेनापति थिआन ची से हुआ और थिआन ची के सलाहकार के रुप में सहायता देता था। इस कहानी में घुड़दौड़ के बाद सुन पीन को छी राज्य के राजा वेइ वांग ने सुन पीन को राज्य के सैन्य सलाहकार नियुक्त किया। सुन पीन की सहायता से सेनापति थिआन ची ने दो बार वेइ राज्य के सेनापति फ़ान च्वान को हराया, इन दो विजेताओं के आधार पर छी राज्य बाद में शक्तिशाली राज्य बना।