07 दर्शनीय स्थल--शीहू झील की कहानी
दर्शनीय स्थल--शीहू झील की कहानी 西湖的故事
पूर्वी चीन के हांगचो शहर में स्थित पश्चिमी झील, जिसे चीनी भाषा में शीहू (xī hú) कहा जाता है, यहां“शी”का अर्थ है पश्चिम और“हू”का अर्थ है झील। शी खू झील अपने असाधारण सौंदर्य की वजह से प्रसिद्ध है। 14वीं शताब्दी में मशहूर महान इतालवी यात्री मार्क पोलो जब हांगचो आया, तो उसने शी खू झील की खूबसूरती देखकर कहा“जब मैं यहां पहुंचा, तो लगा , मानो मैं स्वर्ग में पधार पहुंच गया हूं।”
शीहू झील पूर्वी चीन के चच्यांग प्रांत की राजधानी हांगचो शहर की एक मोती मानी जाती है। वह तीनों तरफ़ पहाड़ों से घिरी है, झील का पानी स्वच्छ और दृश्य मनोहारी होता है। चीन के प्राचीन मशहूर महा कवि पाई च्युयी (Bai Juyi)) और सु तोंगफो (Su Dongpo) के नाम से नामंकित दो तटबंध“पाई बांध”और“सु बांध”झील के स्वच्छ जल के भीतर दो हरित फीते की तरह लेटे मालूम पड़ते हैं। तटबंधों पर कतारों में हरे-भरे पेड़ खड़े झील के सौंदर्य में चार चांद लगा देते हैं। सदियों से बड़ी संख्या में कवियों और चित्रकारों ने शीहू झील के सुन्दर दृश्यों का कविता और चित्रों के रूप में वर्णन किया है।
थांग राजवंश के महान कवि पाई च्युयी ने शीहू झील पर यह कविता लिखकर उसे और प्रसिद्ध बना दिया।
कविता इस प्रकार है:जी नहीं माना, छोड़कर चला, हांगचो से दूर। रोके रखा मुझे, आधे मन, शीहू झील से प्यार।
सोंग राजवंश में महान कवि सु तोंगफो ने शीहू झील की तुलना प्राचीन चीन की मशहूर सुन्दरी सी श (Xi Shi) से करते हुए यह कविता लिखी:जल राशि का सौंदर्य बेजोड़, स्वच्छ आकाश में और मोहक। पर्वत की खूबसूरती दूर से दिखी, बारिश की धुंध में और अनोखी। शीहू झील का लावण्य सी श की तरह है, श्रृंगार से सुशोभित हुई हो, सादा परिधान सजे, हर मन को लुभाता दिन नित्य।
शीहू झील के दस सौंदर्य दृश्य चीन में हर किसी व्यक्ति की जबान पर हैं, जिनमें सु बांध का वसंती सौंदर्य, अनूठे प्रांगण में कमल का तालाब, झील के जल पर शरद कालीन चांद की परछाई, टूटे पुल पर बर्फ की खूबसूरती, विलो पेड़ों के झुंड में कोयल की चहचहाट, कमल तालाब में सुनहरी मछलियों का दर्शन, त्रि पगोडों के बीच पानी की चांदनी, लेफङ पगोडे पर सूर्यास्त का अनोखा दृश्य, नानपिन मठ में संध्या वेला की घंटी तथा दो पर्वत चोटियों पर छाए मेघ आदि शामिल हैं।
शीहू झील के बारे में कई मनमोहक लोक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से टूटे पुल पर बर्फ़ नामक सौंदर्य में चर्चित टूटे पुल से जुड़ी एक लोक कथा आज तक लोगों के बीच लोकप्रिय है। इस लोक कथा का नाम है“सफेद नाग की कहानी”, जिसमें सफेद नाग से परिवर्तित सुन्दरी की श्यु श्यान (Xu Xian) नाम के युवक के सच्चे प्रेम का वर्णन किया गया है। दोनों की पहली मुलाकात इस टूटे पुल पर हुई थी।
शीहू झील का दृश्य
लोककथा का कथानक इस प्रकार है:एक सफेद नाग ने हजार साल तक कड़ी तपस्या कर अंत में मानव का रूप धारण किया। वह एक सुन्दर और शीलवती युवती में बदली। इस सफ़ेद नाग का नाम पाई न्यांगज़ (Bai niang zi) पड़ा। उसके साथ एक नीले नाग ने पांच सौ साल तपस्या की और एक छोटी लड़की के रूप में बदल गई। उसका नाम पड़ा श्याओ छिंग। पाई न्यांगज़ नाम की सफेद नाग वाली युवती और श्याओ छिंग दोनों सखी के रूप में शीहू झील की सैर पर आयी। जब दोनों टूटे पुल के पास पहुंची, तो भीड़ के बीच एक सुन्दर युवक दिखाई पड़ा। पाई न्यांगज़ को उससे प्यार हो गया। श्याओ छिंग ने अलोकिक शक्ति से वर्षा बुलाई, वर्षा में श्यु श्यान नाम का वह सुन्दर युवक छाता उठाए झील के किनारे आया।
बारिश के समय पाई न्यांगज़ और श्याओ छिंग के पास छाता नहीं था, वे बुरी तरह पानी में भीग पड़ीं, उनकी मदद के लिए श्यु श्यान ने अपनी छाता उन दोनों को दे दी, खुद वह पानी में भीगे खड़ा रहा। ऐसे चरित्र वाला युवक पाई न्यांगज़ को बहुत पसंद आया और श्यु श्यान को भी खूबसूरत युवती पाई न्यांगज़ से प्यार हो गया। श्याओ छिंग की मदद से दोनों की शादी हुई।
पति-पत्नी दोनों ने झील के किनारे दवा की एक दुकान खोली। श्यु श्यान बीमारियों का इलाज करना जानता था, वे दोनों निःस्वार्थ रूप से मरीजों का इलाज करते थे और स्थानीय लोगों में बहुत लोकप्रिय हो गए।
लेकिन शहर के पास स्थित चिनशान मठ के धर्माचार्य फ़ा हाई (Fa Hai) पाई न्यांगज़ को निशाचर समझता था। उसने गुप्त रूप से श्यु श्यान को उसकी पत्नी का रहस्य बताया कि वह सफेद नाग से बदली हुई है। उसने श्यु श्यान को पाई न्यांगज़ का असली रूप देखने की एक तरकीब भी बतायी। श्यु श्यान को फ़ा हाई की बातों से शक हुआ।
"पाइ न्यांगची की कहानी"शीर्षक टीवी धारावाहिक की प्रमुख पात्र
चीन का त्वानवू पर्व प्राचीन काल से ही मनाया जाता है। इस उत्सव पर लोग चावल से बनायी मदिरा पीते थे, वे मानते थे कि इससे अशुभ चीज़ों से बचा जा सकता है। इस उत्सव को मनाने के दिन श्यु श्यान ने फ़ा हाई द्वारा बताए तरीके से अपनी पत्नी पाई न्यांगज़ को मदिरा पिलाया। इस वक्त पाई न्यांगज़ गर्भवर्ती हो चुकी थी। मदिरा उसके लिए ठीक नहीं थी, लेकिन पति के बार-बार कहने पर उसे मदिरा पीना पड़ा। मदिरा पीने के बाद वह सफेद नाग के रूप में बदल गई, जिसके डर से श्यु श्यान की मौत हो गयी।
अपने पति की जान बचाने के लिए गर्भवती पाई न्यांगज़ हजारों मील दूर तीर्थ खुनलुन पर्वत में रामबाण औषधि गलोदर्म लाने गयी। गलोदर्म की चोरी करते समय उसने अपनी जान से खेलते हुए वहां के राक्षशों से घमासान युद्ध लड़ा, पाई न्यांगज़ के सच्चे प्रेम से प्रभावित होकर राक्षसों ने उसे रामबाण औषधि भेंट की। पाई न्यांगज़ ने उसे वापस लाकर अपने पति कि जान बचायी। श्यु श्यान भी अपनी पत्नी के सच्चे प्यार से बहुत प्रभावित हुआ, दोनों का प्यार और गहरा हो गया।
किन्तु धर्माचार्य फ़ा हाई को यह अच्छा नहीं लगता था कि पाई न्यांगज़ इस दुनिया में रह रही है। उसने श्यु श्यान को धोखा देकर चिनशान मठ में बंद कर दिया और उसे भिक्षु बनने पर मजबूर किया। इस पर पाई न्यांगज़ और श्याओ छिंग को बहुत क्रोध आया, दोनों ने जल जगत के सिपाहियों को लेकर चिनशान मठ पर हमला बोला और श्यु श्यान को बचाना चाहा। उन्होंने बाढ़ बुलाकर मठ पर धावा करने की कोशिश की, लेकिन धर्माचार्य फ़ा हाई ने भी दिव्य शक्ति दिखा कर हमले का मुकाबला किया। क्योंकि पाई न्यांगज़ गर्भवती थी और बच्चे को जन्म देने वाली थी, इसलिए वह फ़ा हाई से हार गयी और श्याओ छिंग की सहायता से पीछे हटकर चली गई। वो दोनों फिर शीहू झील के टूटे पुल के पास आयी, उस वक्त मठ में नज़रबंद हुए श्यु श्यान मठ के बाहर चले युद्ध की गड़बड़ी से मौका पाकर भाग निकला। वह भी टूटे पुल के पास आ पहुंचा। संकट से बचकर दोनों पति पत्नी को बड़ा दुख भी हुई और खुशी भी। इसी बीच पाई न्यांगज़ ने अपने पुत्र को जन्म दिया। लेकिन बेरहम फ़ा हाई ने पीछा करके पाई न्यांगज़ को पकड़ा और उसे शीहू झील के किनारे पर खड़े लेइ फङ (Lei Feng) पगोडे के नीचे दबा दिया और यह शाप दिया कि जब तक शीहू झील का पानी नहीं सूख जाता और लेइ फ़ङ पगोड़ा नहीं गिरता, तब तक पाई न्यांगज़ बाहर निकल कर दुनिया में बाहर नहीं आ सकती।
वर्षों की कड़ी तपस्या के बाद श्याओ छिंग को भी सिद्धि प्राप्त हुई। उसकी शक्ति असाधारण बढ़ी। उसने शीहू झील लौटकर धर्माचार्य फ़ा हाई को परास्त कर दिया। शीहू झील का पानी सूख गया, लेइ फङ पगोडा गिर गया और सफ़ेद नाग पाई न्यांगज़ को बचा लिया।