06 दर्शनीय स्थल--पोताला महल की कहानी
दर्शनीय स्थल--पोताला महल की कहानी 布达拉宫的故事
“विश्व की छत”के नाम से मशहूर छिंगहाई-तिब्बत पठार पर, जहां विश्वविख्यात पोताला महल स्थित है।
रहस्यों से परिपूर्ण छिंगहाई-तिब्बत पठार पर जो विश्व में समुद्र सतह से सबसे ऊंचे और विशाल महल रूपी वास्तु निर्माण खड़ा है, वह तिब्बती बौद्ध धर्म का आलीशान भवन निर्माण--पोताला महल है।
पोताला महल का निर्माण सातवीं शताब्दी में आरंभ हुआ था, जो तिब्बती राजा सोंगत्सेन गाम्पो (Songtsen Gampo) द्वारा थांग राजवंश (618 से 907 तक के काल) में राजकुमारी वनछङ (Wen Chen) के साथ शादी के लिए बनवाया गया था। पोताला का अर्थ पुतल है। कहते थे कि पुतल बोधिसत्व अवलोकितेश्वर के निवास द्वीप का नाम है, इसलिए पोताला भी दूसरा पुतल पर्वत कहलाता है। पोताला महल तिब्बत के ल्हासा शहर में खड़े लाल पहाड़ पर बनाया गया है, जो समुद्र सतह से तीन हजार सात सौ मीटर ऊंचा है। महल पहाड़ी ढलान से ऊपर चोटी पर निर्मित हुआ है, जिसका क्षेत्रफल तीन लाख 60 हजार वर्ग मीटर है। पोताला महल लाल भवन और श्वेत भवन दोनों भागों में बंटा है, लाल भवन बीच में भव्य रूप से खड़ा नज़र आता है और उसके दोनों ओर श्वेत भवन उसीकी सुन्दरता में चार चांद लगाते हैं। लाल और सफ़ेद रंगों के बीच बहुमंजिला पोताला महल देखने में बहुत मनोहारी और शानदार लगता है ।
पोताला महल का मुख्य भवन लाल पहाड़ की चोटी पर स्थित है। वह राजा सोंगत्सेन गाम्पो ने तपस्या करने के लिए बनवाया था। भवन गुफ़ा नुमा है, जिसके भीतर सोंगत्सेन गाम्पो और उसकी रानी, थांग राकवंश की राजकुमारी वनछङ, उसकी दूसरी रानी नेपाल की राजकुमारी भृकुटी और उसके प्रमुख मंत्री लोन तोंगत्सेन (Lon Tongtsen) आदि की मूर्तियां मौजूद हैं। यह सभी सातवीं शताब्दी के तिब्बती थुपो राजकाल की कलाकृतियां हैं और अनमोल सांस्कृतिक धरोहर है।
पोताला महल तिब्बती बौध धर्म की ठेठ शैली में निर्मित भवन निर्माण है, फिर भी उसमें हान जाति की वास्तु कला--स्तंभों पर चित्र नक्काशी अपनायी गई है, जो इस बात का साक्षी है कि आज से 1300 साल पहले चीन के हान और तिब्बत जातियों में शादी ब्याह का रिश्ता कायम हुआ था। तिब्बत और हान जातियों की एकता स्थापित हुई थी। 1300 साल पहले की तिब्बती राजा और थांग राजवंश की राजकुमारी की शादी की दिलकश कहानी आज भी हान और तिब्बती लोगों की जबान पर है।
पोताला महल
याद रहे, ईस्वी सातवीं शताब्दी में तिब्बत में शक्तिशाली थुपो राज्य की स्थापना हुई। राजा सोंगत्सेन गाम्पो एक परिश्रमी, बुद्धिमान, प्रजा से प्यार करने वाला महत्वाकांक्षी शासक था, उसके शासन काल में थुपो राज्य दिनोंदिन शक्तिशाली बनता चला गया। चीन के भीतरी इलाके में स्थापित थांग राजवंश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास करने और भीतरी इलाके की समुन्नत तकनीक और संस्कृति सीखने के लिए सोंगत्सेन गाम्पो ने थांग राजवंश की राजकुमारी वनछङ से वैवाहिक संबंध बनाने का प्रस्ताव पेश किया।
राजा सोंगत्सेन गाम्पो ने अपने विश्वसनीय मंत्री लोन तोंगत्सेन को विवाह प्रस्ताव के लिए उपहार सहित थांग राजवंश की राजधानी छांगआन भेजा। जब राजा का विशेष दूत लोन तोंगत्सेन छांगआन पहुंच, तो उसे पता चला कि थांग राजवंश के कई पड़ोसी राज्यों ने भी सुन्दर और सुशील राजकुमारी वनछङ से विवाह का प्रस्ताव पेश करने विशेष दूत भेजे थे। थांग राजवंश के सम्राट थाईत्सोंग (TaiZong) ने समस्या के समाधान के लिए विभिन्न देशों से आए दूतों को बुद्धि की स्पर्धा के लिए तीन पहेलियां पेश की, जिस किसी ने तीनों प्रश्नों के सही उत्तर दिये, उसी के राजा का वनछङ के साथ शादी का प्रस्ताव स्वीकार किया जाएगा।
थांग सम्राट थाईत्सोंग का पहला प्रश्न था कि शाही उद्यान में दस लकड़ियां रखी गई हैं, हरेक के दोनों छोर मोटाई में बराबर है, विभिन्न राज्यों के दूतों को यह पहचाना होगा कि लकड़ी का कौन सा हिस्सा उसकी जड़ है और किस छोर उसका सिर है। बुद्धिमान थुपो मंत्री लोन तोंगत्सेन ने लकड़ी को पानी में डाला, लकड़ी का जड़ वाला भाग घनत्व सघन होने के कारण भारी होता है, वह पानी में अपनी तरफ़ डूब जाता है। इस तरीके से उसने लकड़ी के जड़ और सिर को अलग पहचानाने में सफलता पायी।
थांग सम्राट थाईचोंग का दूसरा प्रश्न था कि एक ऐसा जेड है, जिसके अन्दर नौ मोड़ों वाला लम्बा टेढ़ा घुमावदार छोटा छेद बनाया गया। विशेष दूतों से कहा गया कि वे एक महीन धागे को जेड के छेद में से आर-पार घुसा दें। अन्य राज्यों के दूत तो बड़े गौर से धागे को जेड के अन्दर के छेद में डालने की कोशिश में थे, लेकिन बुद्धिमान लोन तोंगत्सेन को एक अच्छा उपाय सूझा। उसने जेड के छेद के एक ओर शहद लगाया, एक महीन धागे को चींटी के कमर में बांधा, चींटी को छेद के दूसरे छोर पर रखा। जब चींटी ने छेद के उस पार के शहद की गंध सूंघी, तो वह छेद के अन्दर घुसी और दूसरी ओर से निकल गयी। इस तरह लोन तोंगत्सेन ने दूसरी स्पर्धा भी जीती।
थांग सम्राट थाईचोंग का अंतिम प्रश्न था कि सौ मादा घोड़े और सौ बछड़े मिश्रित हुए रह रहे हैं, दूतों से मांग है कि वे मादा घोड़े और उसके बछड़े को दूसरे मादा घोड़े और उसके बछड़े से अलग कर पहचान दें। अन्य दूतों में से किसी ने रंग से विभाजित करने की कोशिश की, तो किसी ने आकृति से। लेकिन उन सभी की कोशिश असफल रही।
लोन तोंगत्सेन ने मादा घोड़ों और बछड़ों को अलग कर रात भर बाड़ों में रखा, दूसरे दिन सुबह उन्हें बाहर छोड़ दिया। रात भर भूखे बछड़े अपनी-अपनी मादा घोड़े के पास दौड़ कर दूध पीने लगे। इस तरह मादा घोड़े और उसके बछड़े को भी अलग कर पहचान लिया गया।
पोताला महल के सामने पूजा करने वाले बौद्ध धर्म के श्रद्धालु
लोन तोंगत्सेन के सही उत्तर को देखकर थांग राजवंश के सम्राट थाई चोंग ने उसकी बुद्धिमत्ता आजमाने के लिए एक अतिरिक्त पहेली दी, यानी उससे कहा गया कि वह पांच सौ बुरके से चेहरा ढंके युवतियों में से राजकुमारी वनछङ को पहचान ले। राजमहल के बाहर के लोगों में से किस ने भी राजकुमारी को नहीं देखा था, उसे पांच सौ समान वस्त्र पहनी युवतियों में पहचान लेना काफी मुश्किल था। सभी अन्य दूत लाचार हो गए। परन्तु लोन तोंगत्सेन ने पता था कि राजकुमारी वनछङ को एक किस्म का विशेष खुशबू वाली इत्र पसंद है, इस इत्र की सुगंध को मधुमक्खी भी पसंद करती है। राजकुमारी को पहचानने के दिन लोन तोंगत्सेन ने अपने पास कुछ मधुमक्खियां रखी थी। इस दौरान उसने मधुमक्खियां छोड़ दी। मधुमक्खियां राजकुमारी की वह विशेष सुगंध सूंघ कर उसी के पास उड़ गईं। इस तरह लोन तोंगत्सेन ने एक बार फिर जीत हासिल ली।
सम्राट थांग थाईचोंग ने सोचा कि थुपो राज्य का मंत्री तो इतना बुद्धिमान है, फिर उसके राजा ज़रूर विवेकशील होंगे। अंततः उसने अपनी बेटी राजकुमारी वनछङ का हाथ तिब्बती राजा सोंगत्सेन गाम्पो को सौंप दिया।
इस शादी पर तिब्बत के थुपो राज्य के राजा सोंगत्सेन गाम्पो को अपार खुशी हुई और राजकुमारी वनछङ से विवाह के लिए उसने 999 कमरों वाला एक भव्य महल बनाने का आदेश दिया। इस तरह ल्हासा में पोताला महल निर्मित हुआ। और राजकुमारी वनछङ से विवाह प्रस्ताव की वह रूचिकर कहानी भी पोताला महल के भित्ति चित्रों में वर्णित हुई है।