02 दर्शनीय स्थल--यांगत्सी नदी की त्रि-घाटी
दर्शनीय स्थल--यांगत्सी नदी की त्रि-घाटी 三峡故事
यांगत्सी नदी चीन की सबसे बड़ी नदी है और विश्व की तीसरी बड़ी नदी भी। यांगत्सी नदी के ऊपरी और मध्य भागों में तीन संकरी घाटियां हैं, जो छ्युथांग श्या (Qu tang Xia) घाटी, वुश्या (Wu Xia) घाटी और शीलिन श्या (Xilin Xia) घाटी के नाम से मशहूर हैं। यहां बता दें कि चीनी भाषा में“श्या”का अर्थ“घाटी”होता है। इन तीन घाटियों का एक साझा नाम है त्रि-घाटी। त्रि-घाटी की कुल लम्बाई दो सौ किलोमीटर है, वहां भौगोलिक स्थिति अद्भुत अनोखी और विरल है। प्राकृतिक सौंदर्य मनमोहक है और अनुपम दर्शनीय क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है।
यांगत्सी नदी की त्रि-घाटी के पश्चिमी छोर पर विस्तृत छ्युथांग श्या घाटी के किनारे पर पाई ती नगर के नाम का एक दर्शनीय स्थल है, जिसका नाम एक सच्ची ऐतिहासिक घटना पर आधारित है।
ईस्वी 25 में चीन एक ऐसे ऐतिहासिक काल से गुज़र रहा था, जबकि दो सौ साल तक चले पश्चिमी हान राजवंश का पतन हुआ था। पर नए राजवंश की स्थापना अभी नहीं हो पाई थी। देश युद्धरत स्थिति में था। देश के दक्षिण पश्चिम भाग में अधिकृत स्थानीय सैन्य सरदार कोंगसुन शु (Gongsun Shu) राजनीतिक परिवर्तन की बाट जोह रहा था।
कहा जाता है कि एक दिन कोंगसुन शु ने एक सपना देखा, जिसमें किसी ने उसे बताया कि आप 12 साल के लिए सम्राट बनेंगे। इस सपने पर कोंगसुन शु को बड़ा आश्चर्य हुआ। दूसरे दिन सुबह, जब वह उद्यान में टहल रहा था, तो अचानक देखा कि उद्यान के कुएं में से सफ़ेद हवा श्वेत ड्रैगन की आकृति में ऊपर की ओर उड़ गई। कोंगसुन शु को लगा कि यह उसके सम्राट बनने का संकेत है। तभी उसने अपने को सम्राट घोषित कर दिया और सम्राट का नाम पाई ती अर्थात सफ़ेद सम्राट रखा। सम्राट की गद्दी पर बैठने के बाद उसने छ्युथांग श्या घाटी के मुहाने पर निर्मित नगर का नाम बदल कर पाई ती नगर यानी सफ़ेद सम्राट नगर रखा और वहां बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए।
कोंगसुन शु का एक अच्छा दोस्त मा युआन (Ma Yuan) था, वह बड़ा प्रतिभाशाली और कार्यकुशल था। कोंगसुन शु के सम्राट बनने की खबर पाकर वह दूर से उसके पास आया। उसकी कल्पना से परे था कि कोंगसुन शु ने उसके साथ पुराने मित्र के रूप में व्यवहार नहीं किया, बल्कि उसके सामने सम्राट की तरह पेश आया। उसने अपने आदमी को मा युआन के लिए एक साधारण किस्म का सूती प्रजा वस्त्र बनाने की आज्ञा दी, इसके बाद भारी शाही सेना और मंत्री अधिकारियों के बीच जयजयकार के माहौल में कोंगसुन शु ने मा युआन को राजमहल में बुलाया और उसे उच्च पद सौंप कर राज्य की सेना के सेनापति के रूप में नियुक्त किया। मा युआन के साथ पाई ती नगर में आए अन्य लोगों को बड़ी खुशी हुई और सभी कोंगसुन शु के पदाधिकारी बनने को तैयार हो गए। किन्तु मा युआन ने उन लोगों को समझाया:“वर्तमान देश में हर जगह उथलपुथल मच रही है , अभी यह तय नहीं हुआ है कि देश की सत्ता किस के हाथ में आएएगी। ऐसी स्थिति में भी कोंगसुन शु नहीं जानता कि विनम्रता के साथ प्रतिभाओं का स्वागत किया जाए और उनके साथ राज्य के बड़े-बड़े मामलों पर निर्णय लिया जाए, उलटे वह महज रस्म और शान शौकत जैसे मसलों को महत्व देता है। इससे जाहिर है कि वह एक दिखावा करने वाला राजा है, हम दूरदर्शी विवेक लोग उसके महल में कैसे सेवा कर सकते हैं।”
इसके बाद कोंगसुन शु को छोड़कर मा युआन तत्कालीन प्रतिभाशाली सेनापति ल्यू श्यो (Liu Xiu) की सेना में भर्ती हुआ।
मध्य चीन में सैन्य फतह में जुटे ल्यू श्यो ने लुओ यांग शहर में राष्ट्रीय स्तर के पूर्वी हान राजवंश की स्थापना की। उसने कोंगसुन शु के नाम पत्र भेजकर देश की विभिन्न स्थितियों का विश्लेषण कर उसे आत्मसमर्पण करने के लिए समझाया। लेकिन कोंगसुन शु ने अपने को सम्राट समझ कर इसके लिए तैयार नहीं हुआ। अंत में ईस्वी 37 में ल्यू श्यो की सेना ने कोंगसुन शु के राज्य पर आक्रमण कर कब्जा किया और कोंगसुन शु भी मारा गया।
कोंगसुन शु 12 साल तक सम्राट की गद्दी पर बैठा। आखिरकार उसके राज्य का भी पतन हुआ। देश के दक्षिण पश्चिमी भाग में कोंगसुन शु का 28 सालों तक शासन रहा, इस दौरान मध्य चीन में हो रहे युद्धों से देश का यह भाग बच गया और वहां अपेक्षाकृत रूप से शांति और सुरक्षा बनी रही। अपने शासन काल में कोंगसुन शु ने कृषि और जल सिंचाई के विकास पर ध्यान दिया और प्रजा के लिए हितकारी काम किए। इसके कारण उसके मारे जाने के बाद स्थानीय लोगों ने उसकी स्मृति में पाई ती नगर में पाई ती मंदिर बनाया।
दर्शनीय स्थल--यांगत्सी नदी की त्रि-घाटी 三峡故事
यांगत्सी नदी के त्रि-घाटी क्षेत्र में पाई ती नगर के अलावा बड़ी तादाद में ऐतिहासिक धरोहरें और कथाएं देखने सुनने को मिलती हैं। उदाहरण कके लिए त्रि-घाटी के तटों पर 12 खूबसूरत पर्वत चोटियां खड़ी नज़र आती हैं, जो देवी पर्वत चोटी के नाम से मशहूर हैं, हरेक पर्वत चोटी का अपना अलग नाम भी है, जिनके बारे में भी रूचिकर कहानी प्रचलित है।
वर्तमान में यांगत्सी नदी के त्रि-घाटी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी जल संसाधन परियोजना त्रि-घाटी जलाशय का निर्माण किया गया। जिसकी ऊँचाई 110 से 175 मीटर है। त्रि-घाटी जलाशय परियोजना के कारण इस क्षेत्र में कुछ ऐतिहासिक अवशेष और प्राकृतिक सौंदर्य जलमग्न हो गए, लेकिन कुछ नए प्राकृतिक सौंदर्य भी प्रकाश में आए।