01 दर्शनीय स्थल--​वुथाई पर्वत की कहानी

2017-09-26 20:30:01 CRI

 

01 दर्शनीय स्थल--​वुथाई पर्वत की कहानी

वुथाई पर्वत की कहानी 五台山的故事

चीन में चार बौद्ध पर्वत मशहूर हैं, जिनके नाम हैं वुथाई पर्वत(wǔ tái shān), अमेई पर्वत (é méi shān), फूथो पर्वत (pǔ tuó shān)  और च्युहवा पर्वत (jiǔ huà shān) पर्वत । कहा जाता है कि ये चार पर्वत बौद्ध धर्म के बोधिसत्व मुंजुश्री, सामंतभद्र, अवलोकितेश्वर और क्षितिगर्भ के तपस्या स्थल थे। ये चार पर्वत बौद्ध धर्म की संस्कृति से जुड़ने के साथ-साथ चीन के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल के तौर पर भी जाने जाते हैं।  

चार प्रमुख बौद्ध पर्वतों में से वुथाई शान मध्य चीन के शानसी प्रांत में स्थित है। यहां चीनी भाषा में“वु”का अर्थ पांच है और“थाई”का अर्थ चबूतरा है।

पांच पर्वत चोटियों में चारों ओर से घिरा होने वाला यह पहाड़ी घाटी बहुत सुन्दर है, पांच पर्वत चोटियों का ऊपरी भाग समतल और विस्तृत है, देखने में मिट्टी का विशाल चबूतरा जान पड़ता है। पांच समतल चोटियां क्रमशः पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, उत्तर और बीच में स्थित होने के कारण उनके नाम भी पूर्वी चबूतरा, पश्चिमी चबूतरा, दक्षिण चबूतरा, उत्तरी चबूतरा और मध्य चबूतरा पड़े। इसी से इस पर्वत को वुथाई शान अर्थात पांच चबूतरों वाला पहाड़ कहा गया। वुथाई शान उत्तर चीन में समुद्र सतह से सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित है।

बौद्ध कथाओं के अनुसार वुथाई शान का पुराना नाम वुफ़ङ शान (wǔ fēng shān) पर्वत था। यहां“वुफ़ङ”का अर्थ“पाँच चोटियों”से है। उस समय वहां का मौसम बहुत खराब था, जाड़ों के दिन कड़ाके की सर्दी होती थी और वसंत काल में तेज़ रेतीली हवा चलती थी। गर्मियों में भूमि तपती गर्मी से सूख जाती थी। खेतों में फ़सल मुश्किल से उगती थी और किसानों का जीवन बहुत दूभर था।

एक दिन, बोधिसत्व मुंजुश्री उपदेश देने वहां से गुजरे। उन्होंने देखा कि स्थानीय लोग बड़ी मुसीबत में हैं, तो उन्होंने वहां की जलवायु बदलने की ठान ली।

01 दर्शनीय स्थल--​वुथाई पर्वत की कहानी

वुथाई पर्वत की कहानी

मुंजुश्री को मालूम था कि पूर्वी समुद्र के ड्रैगन राजा के पास एक दिव्य पत्थर है, जो सूखे मौसम को आर्द्र और सुहावना बनाने की शक्ति रखता है। तो उन्होंने एक भिक्षु का रूप धारण किया और समुद्र के ड्रैगन राजा से वह पत्थर मांगने चले गये।

मुंजुश्री पूर्वी समुद्र के पास पहुंचे, तो ड्रैगन राजा के महल के बाहर एक विराट पत्थर पड़ा देखा। पास जाकर तुंरत बड़ी शीतल वायु की एक ताजा लहर मुंह पर पड़ी। मुंजुश्री ने ड्रैगन राजा से मिलने के बाद अपनी मांग बतायी, लेकिन ड्रैगन राजा ने विनय से उसकी मांग ठुकराते हुए कहा:“धर्माचार्य जी, आप जो भी मांगे, आप को दे दूंगा, बस यह पत्थर नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि वह समुद्र के तल के भीतर से खोद कर लाया गया है, जो असाधारण शीतल और तरोवर है, मेरे पुत्र रोज बाहर काम से लौटने के बाद इस पर बैठकर गर्मी और थकान मिटाते हैं। अगर आप उसे ले गये, तो पुत्रों के लिए विश्राम का स्थान नहीं रहेगा।”

मुंजुश्री ने ड्रैगन राजा को बार-बार यह कहकर समझाया बुझाया कि वह वुफ़ङ शान पहाड़ के भिक्षु हैं, वहां के लोगों को मुसीबतों से उबारने के लिए यह पत्थर मांग रहे हैं।

लेकिन ड्रैगन राजा मन ही मन इस दिव्य पत्थर को दूसरों को देना नहीं चाहता था, पर मुंह पर वह मुंजुश्री के अनुरोध को सीधे ठुकरा भी नहीं सकता था। उसने सोचा कि इस बूढ़े भिक्षु में इतनी ताकत कहां होगी कि वह अकेले इसे ले जा सके। तो उसने मुंजुश्री से कहा:“यह पत्थर बहुत भारी है, अगर बिना किसी की मदद के, आप इसे ले जा सकें, तो ले जाए।”

मुंजुश्री ड्रैगन राजा को धन्यवाद देने के बाद पत्थर के पास आये। उन्होंने मुंह में एक प्रकार का मंत्र जपा, देखते ही देखते वह विशाल पत्थर एक छोटी गोली में बदल गया। मुंजुश्री उसे जेब में डालकर इतमीनान से चले गये। ड्रैगन राजा मुंजुश्री की दिव्य शक्ति पर अवाक रह गया और उसे कुछ पछतावा भी नहीं रहा।

मुंजुश्री जब वुफ़ङ शान पर पहुंचे, तो सूरज तपती किरणें छोड़ रहा था। काफी समय से सूखा पड़ रहा था, जमीन फट कर उसमें दरारें पड़ चुकी थी और लोग असहनीय मुसीबत झेल रहे थे। मंजुश्री ने उस दिव्य पत्थर को पहाड़ों के बीच एक वादी में रख दिया। क्षण ही में वह करिश्मा हुआ कि वुफ़ङ पर्वत एकाएक  शीतल होकर एक सुहावनी पहाड़ी वादी बन गया। इसके बाद यह वादी शीतल वादी के नाम से मशहूर हो गयी, लोगों ने वहां मंदिर बनाकर उसे शीतल मंदिर का नाम भी दिया। वुफ़ङ शान का नाम भी बदलकर छिंग ल्यांग शान (qīng liáng shān) पर्वत यानी शीतल पर्वत रखा गया। तभी से वुथाई शान को छिंगल्यांग पर्वत भी कहा जाता है।

वुथाई शान चीन के राष्ट्रीय स्तर के दर्शनीय स्थलों की सूची में शामिल है। वहां बौद्ध धार्मिक संस्कृति का बड़ा विकास हुआ। पांचों अनोखी पर्वत चोटियों के आसपास बड़ी संख्या में बौद्ध मंदिर बनाये गए। अब तक भी 42 मंदिर सुरक्षित हैं, जिनमें से नानछान(Nán chán) मठ अर्थात “दक्षिणी ध्यान”मठ तथा फ़ोक्वांग (fó guāng) मठ यानी“बुद्ध किरण”मठ चीन के थांग राजवंश में निर्मित हुए , जो एक हजार तीन सौ साल पुराना है। ये दोनों मठ चीन में सुरक्षित सबसे पुराने काष्ठ भवन निर्माण हैं, जिससे प्राचीन चीन की धार्मिक संस्कृति और वास्तु कला के विकास की झलक मिलती है।

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वुथाई पर्वत की कहानी

वुथाईशान में चोटियां और चट्टानें अनोखी हैं, चश्मे और झरने ठंडे और स्वच्छ हैं, पेड़ पौधे छायादार हैं, पर्वतों पर पूरे साल बर्फ ढंकी रहती है, इसलिए गर्मियों के दिनों में यहां शीतलता का आनंद लिया जा सकता है।


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