20170916

2017-09-19 09:31:03 CRI

 

पंकज -  नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं। 

अंजली श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है, ग्राम सगोरिया, तहसील शामगढ़, ज़िला मंदसौर, मध्यप्रदेश से श्याम मेहर, निकिता मेहर, आयुष, संगीता, ललिता, दुर्गाबाई और पूरे मेहर परिवार ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म परिचय (1972) का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर और भूपेन्द्र ने गीतकार हैं गुलज़ार और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

 

सांग नंबर 1. बीती ना बिताए रैना ...  

पंकज -  वैज्ञानिकों ने तैयार किया बिजली पैदा करने वाला कपड़ा 

न्यू यॉर्क 
अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मेटल फ्री इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल करके एक ऐसा कपड़ा तैयार किया है, जिससे ऊर्जा पैदा करके छोटे उपकरण चलाए जा सकेंगे। ये कपड़े हल्के और आरामदायक होंगे। 'अडवांस फंक्शनल मटीरियल' जर्नल में छपी स्टडी के अनुसार, इस कपड़े को वेपर डिपोजिशन मेथड और कंडक्टिंग पॉलिमर की मदद से बनाया गया है, जिसकी वजह से यह कपड़ा धुलने, रगड़ने, प्रेस करने, पसीने और अन्य चीजों से भी सुरक्षित है। इसकी मोटाई तकरीबन 500 नैनोमीटर है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैसचूसिट्स की तृषा एंड्रयू ने बताया, 'हमारे लेख में उस पदार्थ के बारे में बताया गया है, जिसकी आज विज्ञान को जरूरत है। हमने यह भी दिखाया है कि यह कपड़ा धुलने, रगड़ने, पसीने और अन्य चीजों से सुरक्षित है। 

अंजली -  मित्रों कार्यक्रम में हमें अगला पत्र लिख भेजा है मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश से मोहम्मद इरशाद, शमशाद अहमद, गुफ़रान अहमद, नियाज़ अहमद, इरशाद अहमद अंसारी, अब्दुल वासे अंसारी, रईस अहमद, शादाब अहमद, शारिक अनवर और दिलकशां अनवर ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म स्वर्ग नर्क का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं ----- 

सांग नंबर 2. लीना ओ लीना ... 

पंकज -  कोटिंग के बाद भी इस कपड़े को छूने पर कुछ पता नहीं चलता। दो कंडक्टिंग इलेक्ट्रोड के बीच में अलग-अलग पदार्थों को रखकर घर्षण और गति की वजह से कुछ वॉट बिजली पैदा हो सकती है। इन कपड़ों को पहनने वाले के शरीर में गति की वजह से ऊर्जा पैदा होती है, जिसे बिजली में बदला जा सकता है। इस तरह के कपड़े हेल्थ और टेक्नॉलजी के नजरिए से सेना के जवानों और हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।' ऐंड्रयू ने आगे कहा कि इसके लिए हमें ग्राहकों को मनाना नहीं पड़ेगा, इसके लॉन्च होते ही सब इस पर टूट पड़ेंगे। शोधकर्ताओं का कहना है कि हमारी इस खोज ने बिजली बनाने वाली चीजों को पहन पाने से संबंधित दिक्कत को खत्म कर दिया है। 

पंकज -  सैंकड़ों नहीं, हजारों कीड़ों का घर है आपका चेहरा, हैं मकड़ी के रिश्तेदार

चाहे आप चेहरा धोएं या नहीं, आपके चेहरे पर इस वक्त भी रेंग रहे होंगे सैंकड़ों नहीं, हजारों कीड़े।क्या आप अपने चेहरे पर काफी ध्यान देते हैं? या फिर आप अपने चेहरे के प्रति काफी लापरवाह हैं? अगर हम आपसे कहें कि चाहे दोनों में आप कैसे भी तरह के व्यक्ति हों, आपका चेहरा सैंकड़ों नहीं, हजारों कीड़ों का घर है तोइस समय भी रेंग रहे होंगे हजारों कीड़े...

अंजली – श्रोता मित्रों आप अब मैं उठाने जा रही हूं आपका एक और पत्र जिसे हमें लिख भेजा है धीरेन बसाक, अनिता बसाक, नंदिता बसाक, दिशा बसाक, भजन बसाक और इनके सभी मित्रजनों ने आपने हमें पत्र लिखा है ग्राम फुलिया चतकातला, पोस्ट नूतन फुलिया ज़िला नदिया, पश्चिम बंगाल से, और आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म इंतकाम (1969) का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं राजेन्द्र कृष्ण और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ----

 

सांग नंबर 3.  गीत तेरे साज़ का तेरी ही आवाज़ में ...


पंकज -  जी हां, ये बिल्कुल सच है। 1842 में इस कीड़े की खोज पहली बार कान में जमा मैल में हुई थी। ये माइक्रोस्कोपिक जीव आठ पैरों के होते हैं और मकड़ियों के नजदीकी रिश्तेदार होते हैं। लेकिन अभी तक ये बात साफ नहीं थी कि ये इंसानों के चेहरे पर रहते हैं या नहीं।

लेकिन अब साइंटिस्ट्स ने दावा किया है कि दो प्रजाति के माइक्रोस्कोपिक जीव इंसानों के चेहरे पर ही रहना पसंद करते हैं। इनका नाम डेमोडेक्स फोलीक्युलोरम और डी ब्रेविस है। दोनों का शेप कीड़ों की तरह होता है और इनके काफी छोटे पैर होते हैं। लेकिन ये मकड़ियों के सबसे नजदीकी रिश्तेदार माने जाते हैं। इनमें डेमोडेक्स फोलीक्युलोरम जहां बालों और स्किन के पोर्स में रहते हैं वहीं डी ब्रेविस स्किन के अंदर रहते हैं। साइंटिस्ट्स का दावा है कि हर समय ये चेहरे आपके चेहरे पर रेंगते रहते हैं।

आगे जानें कैसे आपके चेहरा बनता है इन कीड़ों का घर...

आपके चेहरे पर ही मरकर सड़ जाते हैं ये कीड़े 

अंजली – श्रोता मित्रों आपके बढ़ते पत्रों की संख्या बताती है कि हमारा ये कार्यक्रम आप सभी के बीच कितना लोकप्रिय होता जा रहा है, और इससे हमें कितनी खुशी मिलती है इसका आप अंदाज़ा नहीं लगा सकते, अगला पत्र आया है युनिवर्स यूथ क्लब, बाजिदपुर, चंग्वारा, दरभंगा, बिहार से जिसे लिखा है शंकर प्रसाद शंभू, रंजू मुखिया, अमित कुमार, अजित कुमार आलोक, अर्चना आलोक, दीपू कुमार मुखिया, महावीर मुखिया, लाल किशोर मुखिया, कल्पना आलोक, अपर्णा आलोक, शिव शंकर मंडल, मेराज आलम, विश्वनाथ मुखिया, अनिल कुमार गुप्ता और नरेश कुमार गुप्ता ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म क्रांति (1981) का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं मनोज कुमार और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ----

 

सांग नंबर 4. मारा ठुमका बदल गई चाल ....


पंकज -  इस दावे में जिस बात ने लोगों का ध्यान सबसे ज्यादा खींचा है वो ये है कि इन कीड़ों की बॉडी वेस्ट डिस्पोज नहीं कर पाती। ऐसे में ये अपनी बॉडी में ही वेस्ट इकठ्ठा करते हैं। फिर मरने के बाद ये कीड़े फूट जाते हैं और सारे बैक्टीरिया आपकी स्किन में फैल जाते हैं।

 

  ऐसा होता है इनका खाना
नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रॉफेसर डॉ. मेगन थाइमस ने बताया कि ये बैक्टीरिया आपकी स्किन को ही खाते हैं। कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि ये स्किन के डेड सेल्स खाना पसंद करते हैं। जबकि कुछ ऐसे भी है, जो ये सोचते हैं कि ये बैक्टीरिया स्किन के ग्लैंड्स से निकलने वाले ऑयल को खाते हैं।

अंजली – हमारे अगले श्रोता हैं हरिपुरा, झज्जर, हरियाणा से प्रदीप वधवा, आशा वधवा, गीतेश वधवा, मोक्ष वधवा, निखिल वधवा और यश वधवा आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म लोक परलोक (1979) का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं -----

 

सांग नंबर 5. अईसे नाचो अईसे गाओ ...  

 

पंकज -   हैं स्किन प्रॉब्लम के जिम्मेदार


वैसे तो चेहरे पर रहने वाले इन माइक्रो जीव से कोई खास नुकसान नहीं है, लेकिन इन्हें स्किन प्रॉब्लम रोसेकीय (Rosacea) के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसकी वजह से स्किन में दाने हो जाते हैं और चेहरा लाल दिखने लगता है। जिन्हें ये स्किन प्रॉब्लम हो जाती है, उनके स्किन में ये बैक्टेरिया 10 गुना ज्यादा रहते हैं।

नहीं पा सकते इनसे छुटकार


वैसे तो इन बैक्टीरियाज से छुटकारा पाने के लिए कई ट्रीटमेंट मौजूद हैं लेकिन इन्हें जड़ से मिटाना नामुमकिन है। इलाज के छः हफ्ते बाद ये दुबारा आपके चेहरे में आ जाएंगे। आपके इम्यून सिस्टम पर निर्भर करता है कि आपकी बॉडी इन बैक्टीरियाज से कैसे लड़ पाएगी?

अंजली – मित्रों ये मैं उठा रही हूं अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है मालवा रेडियो श्रोता संघ, प्रमिलागंज, अलोट, महाराष्ट्र से बलवंत कुमार वर्मा, राजुबाई माया वर्मा, शोभा वर्मा, राहुल, ज्योति और अतुल ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म सनम तेरी कसम (1982) का गाना जिसे गाया है राहुल देव बर्मन और एनेटे पिंटो ने गीतकार हैं गुलशन बावरा और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने गीत के बोल हैं ----- 

सांग नंबर 6. जाना ओ मेरी जाना, मैं हूं तेरे ख्वाबों का राजा .... 

पंकज तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

अंजली - नमस्कार।  

 

 

 

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