20170902

2017-09-11 10:02:10 CRI

 

पंकज -  नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

 अंजली श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है मऊनाथ भंजन, उत्तर प्रदेश से मोहम्मद इरशाद, शमशाद अहमद, गुफ़रान अहमद, नेयाज़ अहमद, इरशाद अहमद अंसारी, अब्दुल वासे अंसारी, रईस अहमद, शादाब अहमद शारिक अनवर और दिलकशां अनवर आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म यश (1996) का गाना जिसे गाया है अभिजीत ने गीतकार हैं ... और संगीत दिया है तबुन सूत्रधार ने और गीत के बोल हैं ------

 

 सांग नंबर 1. ज़िंदगी एक गीत है .... 

 

पंकज -  एक हफ्ते में करोड़ो की मालकिन हो गई एक लड़की

कहते हैं भगवान जब देता है तो छप्‍पर फाड़ कर देता है। ये कहावत अमेरिका की रहने वाली एक लड़की पर लागू होती है। उसने दो बार लॉटरी का टिकट खरीद कर करोड़ों रुपये बैंक बैलेंस इकठ्ठा कर

अमेरिका की रहने वाली हैं रोजा

अमेरिका की रहने वाली 19 साल की रोजा डॉमिनिग्वेज ने लॉटरी के पांच टिकट खरीदे थे। एक टिकट की कीमत 320 रुपये थी। रोजा अक्‍सर लॉटरी की टिकट खरीदती हैं। पर कभी उनके साथ ऐसा नहीं हुआ कि एक हफ्ते में दो बार उनकी लॉटरी निकल आये और वो करोड़पति हो जाएं। रोजा बताती हैं उन्‍हें लॉटरी का टिकट खरीदना अच्‍छा लगता है। वो अपनी किस्‍मत आजमाती हैं। लॉटरी की टिकट लेने के लिये रोजा हफ्तेभर पहले तो डॉलर जोड़ती हैं फिर जाकर लॉटरी टिकट ले आती हैं। इस बार जब वो पहली लॉटरी टिकट लेकर आईं तो उन्‍होंने एक लॉख डॉलर की रकम जीती।  

रोजा ने जीती 4 करोड़ की रकम

एक लाख डॉलर जीतने के बाद रोजा की खुशी को ठिकाना नहीं रहा। वो फिर से लॉटरी खरीदने के लिये लॉटरी की दुकान पर गईं और एक लॉटरी की टिकट खरीद कर लाईं। इस बार भी किस्‍मत उनके साथ थी और उन्‍हें फिर से पांच लाख डॉलर की लॉटरी जीती। लॉटरी जीतने के बाद रोजा के बैंक में करीब 4 करोड़ 23 हजार रुपये प्रवेश कर चुके हैं। रोजा ने बताया कि वह इस रकम से शॉपिंग करेंगी और नई कार खरीदेंगी। इसके अलावा भी रोजा ने एक लंबी शॉपिंग लिस्‍ट तैयार रखी है। वो पूरे हफ्ते खूब शॉपिंग करेंगी और दोस्‍तों के साथ मस्‍ती करेंगी। 

 

अंजली – 2. हमारे पुराने और नियमित श्रोता ने हमें अगला पत्र भेजा है ग्राम सगोरिया, तहसील शामगढ़, ज़िला मंदसौर, मध्यप्रदेश से श्याम मेहर, निकिता मेहर, आयुष, संगीता, ललिता, दुर्गाबाई और पूरा मेहर परिवार आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म खामोशी (1996) का गाना जिसे गाया है उदित नारायण, सुलक्ष्णा पंडित और जतिन पंडित ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है जतिन ललित ने, गीत के बोल हैं ----

 

सांग नंबर 2. सागर किनारे भी दो दिल हैं प्यासे ....


पंकज - बिना किसी वाहन के 30 टन तरबूज को पहुंचा दिया एक जगह से दूसरी जगह

चीन में एक यूनीवर्सिटी के छात्रों ने 30 टन तरबूज को चंद मिनटों में ही एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा दिया।

कॉलेज के छात्रों का अनोखा कारनामा

आमतौर पर किसी भारी या वजनी सामान को ले जाने के लिए वाहन या मशीन का प्रयोग करते हैं। इतने वजनदार सामान को उठाना इंसान के बस की बात तो नहीं। लेकिन इसे कर दिखाया है चीन की एक यूनिवर्सिटी के छात्रों ने। खबरों की मानें तो चीन के झेन्‍गझोयु में सियास यूनिवर्सिटी के छात्रों ने मिलकर यह अनोखा कारनामा किया है। सोशल मीडिया पर इसका एक वीडियो भी हफ्ते भर से काफी वायरल हो रहा है। 

अंजली – श्रोता मित्रों हमारे कार्यक्रम में जबसे आपके पत्रों की संख्या बढ़ी है तबसे हमारा मन भी और उत्साहित हो चला है, जिसकी वजह से हमें आपका सबसे पसंदीदा कार्यक्रम बनाने में मज़ा भी आने लगा है, हम चाहते हैं कि आप हमें ऐसे ही पत्र लिखा करिये जिससे हमारा और आपका साथ यूं ही बना रहे। इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जो हमें लिख भेजा है ग्राम महेशपुर खेम, ज़िला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से तौफ़ीक अहमद सिद्दीकी, अतीक अहमद सिद्दीकी, मोहम्मद दानिश सिद्दीकी और इनके परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म चलते चलते (1976) का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर  ने गीतकार हैं अमित खन्ना और संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने गीत के बोल हैं -----

 

सांग नंबर 3. दूर दूर तुम रहे ....

 

पंकज - मानव श्रंखला बनाकर पहुंचा दिया तरबूज

सियास कॉलेज के छात्र व प्रोफेसर पिछले कई दिनों से गर्मी से काफी परेशान हैं। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन ने इन्‍हें राहत देने के लिए तरबूज मंगवाए। जाहिर है इतने बड़े कॉलेज में छात्रों की संख्‍या भी काफी ज्‍यादा होगी। ऐसे में मैनेजमेंट ने करीब 30 टन तरबूज का ऑर्डर दिया। अब इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए गाड़ी या मशीन का इस्‍तेमाल नहीं हुआ। बल्‍िक छात्र 'ह्यूमन चेन' बनाकर तरबूज को एक-दूसरे के हाथों में थमाते चले गए। इससे बिना किसी अतिरिक्‍त खर्चे के तरबूज अपनी जगह पहुंच गया। 

 

अंजली -  इस समय हम एक छोटा सा संगीत ब्रेक लेंगे जिससे हमारे मन में ताज़गी आए ... तो मैं उठा रही हूं आपका अगला पत्र आप हैं बुद्ध रेडियो श्रोता संघ, भिंड, मध्यप्रदेस से अनामदर्शी मसीह और इनके परिजन आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म सरगम (1979) का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने गीत के बोल हैं -----

 

सांग नंबर 4. कोयल बोली दुनिया डोली ....

पुनर्जन्‍म! 4 साल के बच्‍चे को याद है अपने पिछले जन्‍म की बातें, 11 साल पहले हुई थी मौत

ना हम किसी अंधविश्‍वास को बढ़ावा दे रहे हैं और नासुनी सुनाई बात को बता रहे हैं। वास्‍तव में हरियाणा के एक गांव में रहने वाले बच्‍चे ने कहा है कि उसका पुर्नजन्‍म हुआ है।

 बोलना सीखते ही लेने लगा गांव का नाम 

हरहयाणा के जींद इलाके के एक गांव जलालपुरा कलां में एक बच्‍चे का जन्‍म करीब चार साल पहले हुआ था। घर वालों ने उसका नाम लविश रखा। लविश जैसे जैसे बड़ा हुआ और उसने बोलना शुरू किया उसके मुंह से अक्‍सर ही एक शब्‍द सुनाई देने लगा, रामरा। दरसल रामरा एक गांव हैं जो जलालपुरा कलां से थोड़ी दूर पर स्‍थित है। वो ये भी कहने लगा कि उसकी मां का नाम कमला है। जब उसकी रट बढ़ती गयी तो परिवार वालों को कुछ शकहुआ और वो उसे लेकर सात किलोमीटर दूर रामरा गांव की ओर चले। जैसे जैसे वो करीब पहुंचे नन्‍हें लविश ने उन्‍हें आगे का रास्‍ता बताना शुरू कर दिया। 

अंजली -  मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं फुलिया, चतकातला, नदिया, पश्चिम बंगाल से धीरेन बसाक, अनिता बसाक, नंदिता बसाक, दिशा बसाक और भजन बसाक आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म चलते चलते (1976) का गाना जिसे गाया है बप्पी लाहिरी और सुलक्ष्णा पंडित ने, गीतकार हैं अमित खन्ना और संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने गीत के बोल हैं -----

सांग नंबर 5. जाना कहां है प्यार यहां है .....

 

पंकज -  बताई मौत की वजह, अपना और परिजनों का नाम पता भी याद 

गांव में पहुंच कर उसने अपने पुराने घर का पता भी बताया और सही रास्‍ते से गलियों में गुजर कर अपने घर ले आया, जहां वो संदीप नाम का बच्‍चा था। उसने परिवार में अपने पहले माता पिता और परिवार के दूसरे सदस्‍यों का नाम भी बताया। बात यहीं खत्‍म नहीं हुई बल्‍कि वो सबको अपने खेत पर उस जगह ले गया जहां करेंट लगने के कारण पूर्व जन्‍म में संदीप की मौत हुई थी। 

विज्ञान को हो ना हो परिवारों को यकीन 

इस बात की पुष्‍टि रामरा गांव के संदीप के परिवार ने भी की कुछ वर्ष पहले उनके 14 साल के बेटे संदीप की उसी जगह करेंट लगने से मौत हुई थी। हालाकि विज्ञान पुर्नजन्‍म की अवधारणा को नहीं मानता किंतु संदीप और लविश के परिवार को पूरा यकीन है कि ये पुर्नजन्‍म का ही मामला है। संदीप का परिवार इस जानकारी से बेहद खुश है और मानता है संदीप ने ही मानव योनि में दोबारा लविश के रूप में जन्‍म लिया है। वे भविष्‍य में उसके संपर्क में रहने का भी दावा कर रहे हैं। रामरा और जलालपुरा कलां दोनों गांवों में इस समय लविश चर्चा और कौतूहल का विषय बना हुआ है।  

अंजली – हमारे अगले श्रोता हैं युनिवर्स यूथ क्लब बाजिदपुर, चंग्वारा, दरभंगा, बिहार से शंकर प्रसाद शंभू, रंजू मुखिया, अमित कुमार, अजीत कुमार आलोक, अर्चना आलोक, दीपू कुमार मुखिया, महावीर मुखिया, लाल किशोर अलोक, कल्पना आलोक, अपर्णा आलोक, शिव शंकर मंडल और इनके साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म लोक परलोक (1979) का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने गीत के बोल हैं -----

 

सांग नंबर 6. बादल कब बरसोगे ...

 

पंकज तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

अंजली - नमस्कार।  

 

 

 


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