019 चूहों का बोलबाला

2017-03-14 19:57:07 CRI

019 चूहों का बोलबाला

चूहों का बोलबाला 老鼠猖獗

"चूहों का बोलबाला"कहानी को चीनी भाषा में"लाओ शू छांग च्वे"(lǎo shǔ chāng jué) कहा जाता है। इसमें"लाओ शू"चूहा है, जबकि"छांग च्वे"का अर्थ है अनियंत्रित स्थिति में आना, यहां बोलबाला कहा जाता है।

कहा जाता है कि पुराने समय में चीन के युङ चाओ नगर में एक अंधविश्वासी आदमी रहता था। चीनी परम्परा के अनुसार उसका जन्म चूहा वर्ष में हुआ था। इसलिए वह चूहा को अपना पूज्य देवता समझता था। उसके घर में चूहा पकड़ने वाला बिल्ली नहीं पाला जाता था और चूहों को अनाज के गोदाम और रसोइघर में मनमानियां करने छोड़ा जाता था। इसी के कारण बड़ी संख्या में चूहे नगर के कोने कोने से उसके घर आ बसे।

दिनदहाड़े चूहे झुंड के झुंड में मकानों में घूमते फिरते थे और हुंकार मचाते थे। उन्हें घर के मालिक के आगे भी घूमने खेलने की हिम्मत भी आयी थी। रात में चूहों में खाना छीनने के लिए झगड़ा भी होता था और ची-ची की आवाज से लोगों की नींद को खराब देते थे ।

इस अंधविश्वासी आदमी के घर के सभी फर्निचरों को चूहों से बदहाल काटा गया था और अलमारियों में कपड़ों की चिथड़े ही चिथड़े पड़े नजर आते थे। यहां तक घर के तीन वक्त के खाना भी चूहों के भोजन के बाद छूटा बासी चीजें बन गए। लेकिन मालिक इस सब पर आंखें मूंद कर कुछ नहीं करता था और घर वालों को चूहा मार करने की अनुमति नहीं देता था ।

यों कुछ साल गुजरे थे। इस आदमी का घर दूसरी जगह स्थानांतरित हुआ। नया आया घर के मालिक को मकानों में चूहों की बोलबाला देखकर अत्यन्त आश्चर्य हुआ। उसने कहा:"चूहा बड़ा घृणाजनक जीव है, उन्हें इतना हंगामा मचाने को क्यों दिया जाता है?"

उसने चूहा पकड़ने के लिए पांच शक्तिशाली बिल्लियां लाईं और कुछ मजदूर भी बुलाए। घर के तमाम दरवाजें और खिड़कियां सील कर दी गई और मकानों की छतों पर से खपरियां हटाई गई। जहां भी चूहा के बिल्ल पाये गए, वही उसके अन्दर धुँआ झोंका गया। फिर अन्दर पानी डाला गया, अंत में सभी चूहा बिल्लों को बन्द कर दिया गया। इस तरह मारे गए चूहों की लाशें एक छोटी पहाड़ी सी बनी नज़र आयी। उन्हें दूर जगह ले जाये गए और सड़ने गलने का बदबू महीनों तक फैलता रहा।

यह कथा हमें बताती है कि किसी भी हानिकर वस्तु पर किसी भी कारण से दया या प्यार नहीं आना चाहिए और अंधविश्वास से दूर रहना चाहिए।

019 चूहों का बोलबाला

राजा लु वांग चिड़िया पालता था 鲁王养鸟

"राजा लु वांग चिड़िया पालता था"नाम की कहानी को चीनी भाषा में"लु वांग यांग न्याओ"(lǔ wáng yǎng niǎo) कहा जाता है। इसमें"लु वांग"प्राचीन काल में लु राज्य का राज्य था, यहां लु राज्य का नाम है और वांग का अर्थ है राजा। तीसरा शब्द"यांग"एक क्रिया शब्द है, जिसका अर्थ है पालना, और अंतिम शब्द"न्याओ"का अर्थ है चिड़िया या पक्षी।

प्राचीन जमाने में लु राज्य में दूर समुद्र से एक चिड़िया उड़ आई। लु राज्य के लोग इस किस्म की पक्षी को कभी देखने को नहीं पाते थे। उसे देखने के लिए नगर में घनी भीड़ लग भी जाती थी। अंततः खबर राज महल तक पहुंची। राजा लु वांग समझता था कि यह ज़रूर स्वर्ग से अवतारित पक्षी देवता है। सो उसने चिड़िया को राज मंदिर में पूजा के लिए रखकर पालने का आदेश दिया।

राजा लु वांग के आदेशानुसार चिड़िया को खुश करने के लिए दरबारी वाद्य दल रोज गंभीर्य वाला दरबारी धुन बजाता रहा। राजा के रसोई ने हर वक्त शाही भोज बनाया। इस प्रकार के शान शौकत से भरा प्रबंध से समुद्री पक्षी घबरा गयी और बड़ा भयभीत होने से उसने खाना पीना तक छोड़ दिया, फिर तीन दिन के बाद इस चिड़िया ने डर और भूख के मारे दम तोड़ दिया।

लु राज्य का राजा यदि जिस तरह पक्षी के साथ व्यवहार करता था, उसी तरह अपनी प्रजा के साथ करता था। उसकी प्रजा ज़रूर उसका डटकर समर्थन करती थी। मगर चिड़िया ऐसी पाली नहीं जा सकती है, क्योंकि वह जीव जंतु है, मानव नहीं।

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