017 चिड़िया की मृत्यु
चिड़िया की मृत्यु 惊弓之鸟
"चिड़िया की मृत्यु"नीति कथा को चीनी भाषा में"चिंग कोंग च न्याओ"(jīng gōng zhī niǎo) कहा जाता है। इसमें"चिंग"का अर्थ चौंकना होता है, जबकि"कोंग"का अर्थ है धनुष, तीसरे शब्द"ची"का अर्थ का होता है और अंतिम शब्द"न्याओ"चिड़िया या पक्षी है। कुल मिलाकर कहा जाए, तो"चिंग कोंग ची न्याओ"का अर्थ निकलता है धनुष की आवाज़ से चौंक पड़ी चिड़िया।
चीन के युद्धरत राज्य काल की कहानी थी। एक दिन मशहूर तीरंदाज कङ-लेइ वेई राज्य के राजा के साथ टहल रहे थे। दूर आकाश में एक जंगली हंस उड़ती आ रही नजर आई, कङ-लेइ ने राजा से कहा:"महा राजा, मैं बिना तीर के प्रयोग मात्र तंतु मार कर बजाने से उस जंगली हंस को मार गिरा सकता हूं।"
राजा ने अविश्वास की मुद्रा में मुस्कराया:"तुम्हारी तीरंदाजी इतनी कुशल पहुंची है।"
कङ-लेइ ने हां कह कर हामी भरी।
थोड़ी देर में वह हंस नजदीक आ पहुंचा, मौका देखकर कङ-लेइ ने बिना तीर रखे कमान के तंतु पर जोर देकर ऐसा मारा, जिससे फुङ की तेज आवाज निकली, देखते ही देखते इस तेज आवाज के साथ वह जंगली हंस अनायास ऊपर की ओर झपक गया, फिर वही हवा में कई बार निर्बल पंख फड़फड़ा करके अन्त में नीचे की ओर गिर पड़ा।
इस करिश्मा पर राजा को अत्यन्त बड़ा आश्चर्य हुआ, उसका मुंह देर तक खुला हुआ रहा। उसने ताली बजा बजा कर कहा:"कमाल है, आदमी का तीरंदाजी कौशल इतने ऊंचे स्तर पर भी पहुंच सकता है। सचमुच ताज्जुब की बात है।"
कङ-लेइ ने राजा को समझाते हुए कहा:"महा राजा, वास्तव में मेरा तीरंदाजी कौशल इतना ऊंचा नहीं है। असलियत बात यह है कि हंस के शरीर पर घाव लगा है।"
राजा को और आश्चर्य हुआ:"बहुत दूर से तुझे कैसा मालूम हो गया था कि हंस पर घाव लगा है?"
कङ-लेइ ने समझाया:"यह हंस बहुत धीमी गति से हमारी ओर उड़ने आ रहा था और उसकी आवाज भी धीमी और दुख से भरी हुई सुनाई देती थी। अनुभव मुझे बताता है कि उसकी उड़ने की गति इसलिए धीमी थी कि उसके शरीर में घाव लगा है। आवाज दुखी होने का कारण है कि वह अपने दल से लम्बे समय से अलग थलग हो गया था। अलगाव की स्थिति में पड़ी घायल चिड़िया जरूर घबराती रहती है। ऐसी मानसिक हालत में कमान के तंतु की तेज़ आवाज सुनने पर वह अवश्य घबराते हुए ऊंपर की ओर भाग जाती है, तेज गति से पंख फड़फड़ाने के कारण उसके शरीर में पड़ा घाव फिर से फट सकता है और वह भी असह हो कर नीचे गिर आता है।"
"चिड़िया की मृत्यु"यानी चीनी भाषा में"चिंग कोंग च न्याओ"(jīng gōng zhī niǎo) नाम की नीति कथा हमें बताती है कि किसी बात पर गौर से विचार करने पर उसकी असलियत का पता लग सकता है। इसलिए हमें गौर से चीजों का अध्ययन करने तथा उसका विश्लेषण करने की आदत प्राप्त करना चाहिए। चीन में इस नीति कथा से जो कहावत बनाया गया है, उसका अर्थ है कि बड़ी घबराने की स्थिति में कोई भी अपने को बचा नहीं सकता।