चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनपिंग ने 16 सितम्बर को दोपहर कोलंबो पहुंचकर श्रीलंका की राजकीय यात्रा की शुरुआत की। पिछले 28 वर्षों में यह पहली बार है कि चीनी राष्ट्राध्यक्ष ने श्रीलंका की यात्रा की है। इस यात्रा से न केवल चीन और श्रीलंका के बीच सामरिक भागीदारी को और मजबूत बनाया जाएगा, अप्रतिबंधित व्यापार पर वार्ता को बढ़ाया जाएगा और द्विपक्षीय, बहुपक्षीय व्यापार के विकास को गति दी जाएगी, बल्कि दोनों देशों के बीच संबंधों को और एशियाई प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता पर भी इसके सकारात्मक प्रभाव होंगे। श्रीलंका यात्रा के अवसर पर चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने 16 सितंबर को श्रीलंका के अखबार डेली न्यूज पर "साथ मिलकर सपनों का पीछा करने वाले साझेदार बनें" शीर्षक वाला एक लेख छापा। इसमें कहा गया है कि चीन-श्रीलंका समान विकास करते हुए भविष्य का समान निर्माण करेंगे।
चीन और श्रीलंका के बीच मित्रता का इतिहास काफी पुराना है। दोनों देशों के बीच गैर सरकारी विनिमय लगातार जारी है, जबकि राजनीतिक सहयोग मजबूत हुआ है। पिछले वर्ष चीन-श्रीलंका ने पीढ़ी दर पीढ़ी वाली मित्रता की रणनीतिक साझेदारी संबंध स्थापित किए हैं। जो दोनों देशों के संबंधों के विकास का नया दौर शुरू होने का द्योतक है।
वर्ष 2009 में श्रीलंका में गृह युद्ध की समाप्ति के बाद चीन ने श्रीलंका में आर्थिक और सामाजिक निर्माण का महत्वपूर्ण समर्थन किया था। चीनी कंपनियों ने श्रीलंका में अधिक बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को शुरु किया।
चीन और श्रीलंका के बीच आर्थिक सहयोग एक दूसरे के लिये लाभकारक हैं। भविष्य में चीन और श्रीलंका सहयोग को आगे बढ़ाकर बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करेंगे।
गौरतलब है कि इस यात्रा के दौरान चीन और श्रीलंका के नेता अप्रतिबंधित व्यापार क्षेत्र पर वार्ता करेंगे। संबंधी अप्रतिबंधित व्यापार समझौते दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश सहयोग को भविष्य में और मजबूत करेंगे।
वर्ष 2013 में श्रीलंका की आर्थिक विकास दर प्रतिश्त 7.2 पहुंच गई थी। बताया जाता है कि चीन के अलावा श्रीलंका एशिया में आर्थिक विकास गति सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाले देशों में से एक है। चीन और श्रीलंका का सह-विकास क्षेत्रीय संरचना में सुधार और एशिया प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता की रक्षा में सहायक सिद्ध होगा।
(हैया)