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कान को हाथ से बन्द करके घंटी की चोरी 掩耳盗铃
"कान को हाथ से बन्द करके घंटी की चोरी"नाम की नीति कथा को चीनी भाषा में"यान अर ताओ लिंग"(yǎn ěr dào líng) कहा जाता है। इसमें"यान" का अर्थ है बंद करना और"अर"का अर्थ है कान,"यान अर"का अर्थ तो निकलता है हाथ से कान को बंद करना।"ताओ"का अर्थ है चुराना और"लिंग"का अर्थ होता है घंटी।
प्राचीन काल की कहानी है। एक चोर शहर के धनी परिवार के आंगन में घुस गया। उसने आंगन में एक घंटा देखा। चोर उसे घंटे को चोर कर ले जाना चाहता था, पर घंटा बड़ा था और चोर उसे उठा कर ले जाने में असमर्थ था, फिर चोर ने घंटे को तोड़ कर उसके टुकड़े कर बेचने के बारे में सोचा।
घंटे को तोड़ कर टुकड़े करने में तेज़ आवाज सुनाई पड़ सकती थी और घर के लोग जाग कर उसे पकड़ सकते थे। यह सोच कर चोर फिर चोरी करने का दूसरा तरीका सोचने लगा। उसे ध्यान आया कि लोग इसलिए घंटी की आवाज़ सुन सकते हैं, क्योंकि उनके कान होते हैं, यदि कान को किसी चीज़ से बन्द कर दिया जाय, तो कोई भी आवाज़ नहीं सुन सकता।
यह सोचकर चोर को बड़ी राहत मिली, उसने रूई के दो टुकड़े ढूंढ़कर उसे अपने कानों में ठूंस दिया, फिर उसने बिना किसी चिंता के साथ घंटे को तोड़ना शुरू किया।
हां, चोर के कान तो बंद हो गए थे, किन्तु दूसरों के कान खुले
थे। घंटा टूटने की आवाज़ सुनकर लोग कमरे से बाहर निकले और उन्होंने चोर को पकड़ लिया।
"कान को हाथ से बन्द करके घंटी की चोरी"नाम की नीति कथा में वह चोर तो बुद्धूराम निकला, जो सोचता था कि अपने कान में रूई डालने से दूसरे लोगों को सुनाई नहीं देगा। वह बिलकुल अपने आप को धोखा देता है।