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    वर्ष 2016 में चीन और दक्षिण एशिया के बीच सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति हासिल हुई
    2016-12-23 19:33:24 cri

    चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने कहा था कि चीन दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों केस थ मेल-मिलाप पूर्वक रूप से सह-स्तित्व करना चाहता है और दक्षिण एशिया के विकास को आगे बढ़ाने को तैयार है। चीन और विभिन्न दक्षिण एशियाई देश एक दूसरे के महत्वपूर्ण सहयोगी साझेदार हैं। दोनों पक्षों के बीच सहयोग का उज्ज्वल भविष्य होगा। साल 2016 गुज़र हो गया है और 2017 आ गया है। तो वर्ष 2016 में चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच संबंध में क्या-क्या विकास प्राप्त हुआ?2017 में द्विपक्षीय सहयोग क्या-क्या पहलुओं में जोर दिया जाएगा?इन दिनों हमारे संवाददाता ने पेइचिंग विश्वविद्यालय के दक्षिण एशिया अनुसंधान केंद्र की स्थाई मामला समिति के उप प्रधान वांग श्यू के साथ साक्षात्कार किया। उन्होंने वर्ष 2016 में चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच संबंध का सिंहावलोकन किया और साल 2017 में द्विपक्षीय संबंध के विकास पर आउटलुक किया।

    वांग श्यू के विचार में राजनीतिक क्षेत्र में वर्ष 2016 में चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच संबंध लगातार बेहतर विकसित रूझान बरकरार रहा। खास कर चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने बांग्लादेश की यात्रा की और कोआ में आयोजित ब्रिक्स देशों के 8वां शिखर वार्ता में भाग लिया। इन गतिविधियों से चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच राजनीतिक आपसी विश्वास की मज़बूती जाहिर हुई। आर्थइक क्षेत्र में"एक पट्टी एक मार्ग"की महत्वपूर्ण परियोजना के दक्षिण एशिया में कार्यान्वयन में उल्लेखनीय प्रगति हासिल हुई। चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच आर्थिक व्यापारिक सहयोग लगातार गहराते हुए आगे बढ़ाया जा रहा है।

    वर्तमान विश्व में सबसे बड़े विकासशील देशों और सबसे तेज़ गति विकसित वाले देशों के रूप में चीन और भारत के बीच सहयोग में बड़ी निहित शक्ति मौजूद है। चीन-भारत संबंध और दोनों देशों के विकास पर दुनिया भर की नज़र टिकी हुई है। पेइचिंग विश्वविद्यालय के दक्षिण एशिया अनुसंधान केंद्र की स्थाई मामला समिति के उप प्रधान वांग श्यू ने साल 2016 में चीन-भारत संबंध में प्राप्त उपलब्धियों का सिंहावलोकन करते हुए कहा:

    "वर्ष 2016 में चीन और भारत के बीच राजनीतिक क्षेत्र में बेहतर विकसित रुझान कायम हुआ। दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आवाजाही अधिर रही, इससे द्विपक्षीय वास्तविक सहयोग की मज़बूती जाहिर हुई। आर्थिक क्षेत्र दोनों देशों के बीच गैर-सरकारी आर्थइक व्यापारिक निवेश और आवाजाही तेज़ गति से बढ़ गई। चीनी गैर-सरकारी उपक्रम भारत में निवेश करने की बड़ी इच्छा जाहिर हुई। मेरे वितचार में राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखने के साथ ही साथ गैर-सरकारी आर्थिक व्यापारिक निवेश की मज़बूती चीन-भारत संबंध के लगातार स्थिर विकास के लिए महत्वपूर्ण गारंटी की भूमिका निभाती है।"

    वर्ष 2016"एक पट्टी एक मार्ग"के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के निर्माण में प्रगति प्राप्त साल है। 13 नवम्बर को पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह का प्रयोग औपचारिक तौर पर शुरु हुआ। प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने उद्घाटन समारोह में भाषण देते हुए कहा था कि"आज नए युग के आगमन का द्योतक है।"इसके साथ ही आर्थिक कॉरिडोर से जुड़े विभिन्न मार्गों का निर्माण भी जोरों पर है। वांग श्यू ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के महत्व की चर्चा करते हुए कहा:

    "पहला, चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का निर्माण पाकिस्तान खुद के आर्थिक विकास के लिए बड़ी भूमिका निभाता है। पाक सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत होगी। इसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर की भूमिका 2 प्रतिशत होगी। दूसरा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर एक खुला विचार नहीं है। अब चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक सहयोग में'एक प्लस चार'वाले नमूने के रूप में नई स्थिति सामने आई। यानी की चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर को प्रधानता देते हुए ग्वादर बंदरगाह, यातायात बुनियादी संस्थापन, ऊर्जा और उत्पादन क्षमता का सहयोग चार क्षेत्र हैं। न चारों क्षेत्रों में विकसित रूझान तेज़ रहा। विभिन्न परियोजनाओं का सर्वांगीण कार्यान्वयन दौर में प्रवेश हो चुका है।"

    वांग श्यू ने कहा कि उक्त दो पहलुओं के अलावा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के निर्माण के दौरान सामाजिक कल्याण कार्य के विकास पर भी महत्व दिया जाता है। चीन सरकार ने अपने उपक्रमों को पाकिस्तान में अपना सामाजिक जिम्मेदार लेने को प्रोत्साहन किया है। इसके साथ ही गैर सरकारी संगठन और संस्थाएं चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के विकास में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में सामाजिक कल्याण कार्य किए। यह चीन-पाकिस्तान समान भाग्य वाले समुदाय के निर्माण के लिए लाभदायक है। वांग श्यू के विचार में चीन-पाकिस्तान आर्थइक कॉरिडोर का निर्माण"एक पट्टी एक मार्ग"के सर्वांगीण कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संबंधित तटीय देश यह देख सकते हैं कि"एक पट्टी एक मार्ग"के निर्माण से चीन और पाकिस्तान की जनता को बड़ा लाभ पहुंचाया जाता है।

    30 सितम्बर को 18 महिनों तक बंद हुई श्रीलंका में कोलंबो बंदरगाह सीटी परियोजना का कार्यान्वयन एक बार फिर शुरु किया।पेइचिंग विश्वविद्यालय के दक्षिण एशिया अनुसंधान केंद्र की स्थाई मामला समिति के उप प्रधान वांग श्यू ने नवम्बर में इस सीटी परियोजना का निरीक्षण दौरा किया। वे इस परियोजना के पुनः निर्माण का साक्षी बने। स्थानीय नागरिकों के साथ विचारों का आदान प्रदान करने के दौरान उन्होंने विकास के प्रति स्थानीय लोगों की जिज्ञासा और चीनी निवेश को दी गई मान्यता महसूस किया। इसकी चर्चा करते हुए वांग श्यू ने कहा:

    "आर्थइक व्यापारिक सहयोग वर्तमान चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग की प्रमुख धारा है। चाहे'एक पट्टी एक मार्ग'हो, या चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच संबंध क्यों न हो, पारंपरिक भू-राजनीति से प्रभावित हुए,जिनके सामने कुछ चुनौतियां मौजूद था। लेकिन इन चुनौतियों को दूर करने के बाद चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच संबंध सही रास्ते पर वापस लौट आया है।'आपसी संपर्क'के माध्यम से क्षेत्रीय आर्थिक विकास को आगे बढ़ाया जाता है। अंत में दक्षिण एशिया के 8 देशों और चीन ने आर्थिक विकास पर अधिक नज़र डाली है। दोनों पक्षों की जनता के सुख को उन्नत करने के लिए आर्थिक सहयोग की प्रमुख धारा अपरिवर्तित है।"

    साल 2017 में चीन और दक्षिण एशियाई देशों के संबंध के विकास और सहयोग का आउटलुक करते हुए वांग श्यू ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा:

    "वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान शांगहाई सहयोग संगठन के औपचारिक सदस्य बन जाएंगे। यह क्षेत्रीय आतंक विरोधी सहयोग की मज़बूती और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के मुकाबले के लिए लाभदायक होगा। इसके साथ ही मतभेद के अधिक कारगर रूप से प्रबंधन और नियंत्रण, क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए भी बहुत सार्थक होगा। मुझे इसे एक द्योतक बात मानता हूँ। चीन और भारत के बीच गैर-सरकारी निवेश का तेज़ गति से विकास होगा। इसके आधार पर दोनों देशों के आर्थिक व्यापारिक सहयोग, खास कर मुक्त व्यापार संधि जैसे क्षेत्र में प्रगति प्राप्त होगी या नहीं, यह चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापारिक रकम की वृद्धि के लिए भी बड़ी भूमिका निभाएगा।"

    पेइचिंग विश्वविद्यालय के दक्षिण एशिया अनुसंधान केंद्र की स्थाई मामला समिति के उप प्रधान वांग श्यू के विचार में चीन और दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग में भारी निहित शक्ति मौजूद है। भावी एक साल में दोनों पक्षों को आपसी संपर्क मज़बूत करते हुए आर्थिक सहयोग पर केंद्रित होकर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंध के सहयोग समान जीत की प्राप्ति के लिए समान कोशिश करनी चाहिए। सहयोग और समान जीत चीन और दक्षिण एशिया संबंध के स्वस्थ विकास के लिए महत्वपूर्ण गारंटी भी है।

    (श्याओ थांग)

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