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    संडे की मस्ती 2016-09-25
    2016-09-25 19:44:26 cri

    शिनच्यांग एक्सपो में दक्षिण एशियाई व्यापारियों की भागीदारी

    https://hindi.cri.cn/1153/2016/09/22/1s202586.htm

    पांचवां चीन-एशिया युरोप एक्सपो 20 से 25 सितंबर तक पश्चिमोत्तर चीन के शिनच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश की राजधानी उरुमचि में आयोजित हो रहा है। मौजूदा एक्सपो का मुख्य विषय है"समान रुप से सलाह मशविरा, समान रूप से निर्माण, समान रूप से सिल्क रोड को साझा करें:मौका और भविष्य"। कुल 6 अंतरराष्ट्रीय संगठनों, 57 देशों और क्षेत्रों के अतिथि इसमें भाग ले रहे हैं, जिनमें 2192 देसी-विदेशी उद्योगधंधे और करीब 3500 व्यापारी शामिल हैं। यह संख्या इस एक्सपो के इतिहास में एक रिकोर्ड है। भारत, पाकिस्तान, नेपाल और अफ़गानिस्तान के व्यापारियों ने शिनच्यांग अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र को दक्षिण एशियाई माहौल में रंगा। जहां हाथ के बने दक्षिण एशियाई कंबल, चमकदार रत्न, लकड़ी से बने नक्काशी वाले फ़र्निचर जैसी वस्तुएं देसी-विदेशी दर्शकों और पर्यटकों को आकर्षित किया। इन व्यापारियों के विचार में चीन-एशिया यूरोप एक्सपो ने उनके लिए अधिक व्यापारिक मौका और सपने के बखूबी अंजाम देने का मंच प्रदान किया।

    कई व्यापारी चीन-एशिया यूरोप एक्सपो के पुराने दोस्त बन चुके हैं। चीनी भाषा में निपुण 29 वर्षीय व्यापारी मलिक चटिशम अली उनमें से एक है, जो दिल्ली से है। उसने चीनी भाषा में खुद का परिचय देते हुए कहा:"मेरा नाम अली है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैं 29 वर्ष का हूँ। हम यहां वस्त्र, कांस्य हस्त नक्काशी वस्तुएं बेचने आए हैं। मैं चौथी बार उरुमचि में आयोजित चीन-एशिया युरोप एक्सपो में भाग ले रहा हूँ। यह एक्सपो बहुत ही अच्छा है, जिससे हमें बड़ा मुनाफ़ा मिलता है। आशा है कि इस वर्ष के एक्सपो में हमें भी अच्छा मुनाफ़ा मिलेगा।"

    दिल्ली से आए व्यापारी अली ने आशा जतायी कि मौजूदा एक्सपो के सुअवसर का लाभ उठाकर अधिक से अधिक लोग उसकी कंपनी और मालों के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। अगले एकस्पो में वह फिर भाग लेगा और ज्यादा बड़ा मंडप में अपनी कंपनी की वस्तुएं प्रदर्शित करेगा। बातचीत में अली ने हमारे संवाददाता को बताया कि उसे चीन और चीनी भाषा सीखना बेहद पसंद है। यहां तक कि उसकी पत्नि भी चीनी है।

    वहीं, अली सरफराज़ भी दिल्ली से है। उसके मंडप में लकड़ी से बनी नक्काशी वाली फर्निचर और चमड़े से बने वस्त्रों की प्रदर्शनी है। सरफराज़ ने कहा:"दो साल पूर्व मेरे दोस्त ने मुझसे एशिया-यूरोप एस्कपो का परिचय दिया और कहा कि यह एक बहुत शानदार मेला है। दो साल बाद, यानी इस वर्ष के मेले का पैमाना और बड़ा हो गया। यह मेरी दूसरी बार की भागीदारी है।"

    सरफराज़ ने कहा कि एशिया-यूरोप एक्सपो से उसे अधिक व्यापारिक मौके मिले हैं। इसके साथ ही यह एक्सपो उसके बराबर दूसरे दक्षिण एशियाई व्यापारियों को और बड़ा मंच मुहैया करवाता है। उसने कहा:"इस एक्सपो से मेरा व्यापार में बढ़ोत्तरी आयी है। अधिक से अधिक लोगों ने मेरे उत्पादों के बारे में जाना है। मुझे लगता है कि उरुमचि बहुत अच्छा शहर है । यहां के लोग बहुत मित्रवत है और खाने की चीज़े भी बेहद स्वादिष्ट है। अगले एक्सपो में मैं जरूर भाग लेने आऊंगा।"

    उल्लेखनीय बात यह है कि मौजूदा चीन-एशिया-यूरोप एक्सपो ने शिनच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के कृषि विकास की योजना और पड़ोसी देशों के बाज़ार की मांग को जोड़कर 14 प्रदर्शनी मंडल स्थापित किए, जिनमें निवेश सहयोग मंडप, टेक्सटाइल वस्तु मंडप, कृषि उत्पाद मंडप, अंकूर वाइन मंडप, स्मार्ट जीवन मंडप और रत्न जेड मंडप आदि शामिल हैं।

    शिनच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश भारत, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, तजाकिस्तान और रूस जैसे 8 देशों को जोड़ता है। प्राचीन काल से ही शिनच्यांग पश्चिम के लिए चीन का द्वार खोलने की महत्वपूर्ण खिड़की है। शिनच्यांग की रीति रिवाज़ और लोगों का जीवन तरीका दक्षिण एशियाई रीति रिवाज़ों और जीवन तरीके से मिलता-जुलता है।

    शिनच्यांग में कंबल परिवारों में बहुत लोकप्रिय है। इस तरह मौजूदा एक्सपो में दक्षिण एशियाई शैली के कंबल स्थानीय लोगों की पसंदीदा वस्तु बन गया। हमारे संवाददाता से मुलाकात के दौरान पाकिस्तान से आए कंबल व्यापारी फ़हद अली ने गर्व के साथ कहा:"शिनच्यांग वासी हमारे कंबल को पसंद करते हैं। वह आम तौर पर कंबल को फ़र्श पर और दीवार पर रखते हैं। शिनच्यांग पाकिस्तान के बगल में है। यहां के अधिकांश लोग कंबल प्रेमी हैं। इस तरह एक्सपो में उन्हें कंबल खरीदना पसंद है।"

    फ़हद को कंबल का व्यापार करते हुए 30 साल हो चुके हैं। इस वर्ष वह तीसरी बार चीन-एशिया-यूरोप एक्सपो में भाग ले रहा है। पहले दो चरणों के एक्सपो की चर्चा करते हुए उसने कहा:"खुदा का शुक्रिया है। पहले दो चरणों के एक्सपो में मेरा सौदा बहुत शानदार रहा। इस तरह मैं तीसरी बार यहां आया हूँ। मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छी बात है। विश्वास है कि इस बार के एक्सपो में मुझे भी बड़ा मुनाफ़ा जरूर मिलेगा।"

    फ़हद ने कहा कि वह न केवल चीन में पाकिस्तान की वस्तुएं बेचता है, बल्कि चीन से कंबल बनाने वाली कच्ची सामग्री का आयात भी करता है। एक्सपो में फ़हद, अली और सरफराज़ समेत अन्य कई दक्षिण एशियाई व्यापारी भाग ले रहे हैं। वे अपने देश की श्रेष्ठ वस्तुएं लेकर शिनच्यांग आए। वास्तव में दो हज़ार वर्ष पहले ही, उनकी तरह अनगिनत व्यापारी शिनच्यांग आए और इस स्थल से होकर चीन के दूसरे स्थान तक पहुंचे। उन्होंने रेगिस्तान और गोबी क्षेत्र से गुज़रकर चीन, मध्य-एशिया और यूरोप को जोड़ने वाला"रेशम मार्ग"स्थापित किया। आज, यह मार्ग जीवन शक्ति से ओतप्रोत हो रहा है।

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