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    टी टाइम 160901(अनिल और नीलम)
    2016-09-01 19:30:24 cri

    दोस्तो, आज सबसे पहले हम बात करेंगे पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन आदि की। इसके साथ ही दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स में असिसटेंट प्रोफेसर पंकज कुमार के साथ। जो कि भारतीय विशेषज्ञों के एक दल के साथ 33वीं अंतर्राष्ट्रीय भूगोल कांग्रेस में हिस्सा लेने बीजिंग पहुंचे थे।

    जैसा कि हम जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है। विश्व भर के वैज्ञानिक इस बात पर चिंता जताते रहे हैं। यहां तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता भी इन्हीं कदमों में से एक है। हाल के दशकों में जिस तेजी से शहरीकरण बड़ा है, प्रकृति के साथ छेड़छाड़ हुई है। उसके चलते प्राकृतिक आपदाएं भयावह रूप ले रही हैं। जिससे जान-माल का भारी नुकसान होता है। सुनामी, बाढ़, सूखा आदि के चलते दुनिया बहुत परेशान है।

    वैज्ञानिक लंबे समय से चेतावनी देते आ रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते तापमान से भारत के लगभग ग्लेशियर धीरे-धीरे खिसक रहे हैं। माना जा रहा है कि ग्लेशियर प्रतिवर्ष कुछ मीटर से लगभग 15-20 मीटर खिसक रहे हैं। अगर यही क्रम जारी रहा तो भविष्य में मानव को इसकी बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है।

    वहीं खाद्य सुरक्षा और शहरीकरण और नदियों में बढ़ते प्रदूषण की समस्या भी लोगों को परेशान कर रही है। इन्हीं चिंताओं और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए भारत सहित विश्व भर के भूगोलवेत्ता 21 से 25 अगस्त तक बीजिंग में जमा हुए। पांच दिनों तक चली 33वीं अंतर्राष्ट्रीय भूगोल कांग्रेस में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया गया।

    भूगोलवेत्ताओं ने बार-बार हो रही प्राकृतिक आपदाओं के लिए प्रकृति के साथ की जा रही छेड़छाड़ को जिम्मेदार ठहराया।

    लीजिए प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए इसी मुद्दे पर पेश करते हैं, दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स में असिसटेंट प्रोफेसर पंकज कुमार के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश। पंकज पिछले कई वर्षों से ग्लेशियरों के व्यवहार का अध्ययन कर रहे हैं।

    अभी आपने सुनी दिल्ली विश्वविद्यालय के असिसटेंट प्रोफेसर पंकज कुमार के साथ चर्चा।

    लीजिए अब प्रस्तुत है, दूसरी जानकारी।

    अर्जेंटीना मेंसाल 1920 में बनी एक रेल लाइन दुनिया के सबसे ऊंचे रेल रूटों में से एक है। ये रेल लाइन एंडीज पर्वत श्रृंखला से गुजरती है। इस रेल रूट से गुजरने वाली ट्रेन को 'ट्रेन टू द क्लाउड' कहा जाता है। 'ट्रेन टू द क्लाउड' जब कुछ खास इलाकों से गुजरती है तो ऐसा मालूम पड़ता है कि वह बादलों को चीर कर आगे बढ़ रही है।

    अर्जेंटीना में समुद्र तल से चार हजार मीटर की ऊंचाई पर एक रेल लाइन गुजरती है। एंडीज पर्वत श्रृंखला से गुजरने वाली यह रेल लाइन दुनिया के सबसे ऊंचे रेल रूटों में से एक है। इस रेल रूट से गुजरने वाली ट्रेन को 'ट्रेन टू द क्लाउड' कहा जाता है। इस रेल रूट की शुरुआत अर्जेंटीना की सिटी ऑफ साल्टा से होती है। इसकी ऊंचाई 1,187 मीटर है।

    वहीं 36 साल के एक युवक ने एक ही फिल्म 105 बार थिएटर में देखकर अलग ही रिकॉर्ड कायम किया है। उसने नागराज मंजुले की बनाई मराठी फिल्म 'सैराट' को 105 बार देखा है। दरअसल, इस फिल्म के प्रति दीवानगी इसलिए है, क्योंकि यह फिल्म युवक की जिंदगी से काफी मिलती-जुलती है। एक ही फिल्म 105 बार देखने की दीवानगी के दौरान हनुमंत के 10 हजार रुपए से ज्यादा खर्च हो गए । वहीं, हनुमंत की रोजाना की कमाई 300 रुपए है।

    अब प्रोग्राम में वक्त हो गया है श्रोताओं की टिप्पणी शामिल करने का।

    पहला पत्र आया है, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का। वहीं पश्चिम बंगाल से रवि शंकर बसु और झालावाड़ राजस्थान से राजेश कुमार मेहरा, देवाशीष गोप आदि ने भी पत्र भेजे हैं।

    श्रोताओं की टिप्पणी के बाद अब बारी है, हंसगुल्ले यानी जोक्स की।

    पहला जोक

    चिंटू - डॉक्टर साहब, मुझे एक प्रॉब्लम है! डॉक्टर- क्या? चिंटू - बात करते वक्त मुझे आदमी दिखाई नहीं देता! डॉक्टर- ऐसा कब होता है? चिंटू - फोन करते वक्त...!

    दूसरा जोक

    जेलर संता से " तुम किस जुर्म में जेल की सजा काट रहे हो ? " संता जेलर से " कुछ खास नहीं साहब. बस सरकार से कम्पटीशन कर रहा था " जेलर संता से " मैं समझा नहीं कैसा कम्पटीशन ? " संता जेलर से " जी नोट छापने का कम्पटीशन "

    तीसरा जोक-

    टीटी : कहां जाना है ? संता : जहां राम का जन्म हुआ था. टीटी : टिकट है ? संता : नहीं. टीटी : तो चलो. संता : कहां ? टीटी : जहां कृष्ण का जन्म हुआ था

    जोक्स यहीं संपन्न होते हैं।

    दोस्तो, आपको आज का प्रोग्राम कैसा लगा। हमें जरूर बताइएगा। हमें आपके सुझावों और टिप्पणी का इंतजार रहेगा। हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.......

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