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अनिल- टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां, आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 25 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। तो जल्दी से हो जाइए तैयार।
अनिलः रियो ओलंपिक का समापन सोमवार को हो गया। ब्राजील के रियो में आयोजित 31वें ओलंपिक की क्लोजिंग सेरेमनी ऐतिहासिक मारकाना स्टेडियम में आयोजित हुई। इस दौरान स्टेडियम में कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद रहे। हालांकि क्लोजिंग सेरेमनी में दर्शकों की संख्या थोड़ी कम रही।
कार्यक्रम की शुरुआत बेहतरीन रंग-बिरंगी रोशनी के बीच हुई। सैंकड़ों कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति के जरिए ये जताया कि दुनिया कितनी प्रगति कर चुकी है। कलाकारों ने ओलंपिक रिंग्स और क्राइस्ट द रिडीमर का आकार बनाकर स्टेडियम में मनमोहक नजारा पेश किया।
इसके बाद ओलंपिक में शिरकत करने वाले 207 देशों के खिलाड़ियों ने स्टेडियम में मार्च पास्ट करना शुरु किया। इसमें सबसे पहले ओलंपिक खेलों की शुरुआत करने वाला देश ग्रीस था। ब्राजील और जापान के दल एक साथ स्टेडियम में पहुंचे। क्योंकि ब्राजील ने इस बार के ओलंपिक की मेजबानी की तो अगले ओलंपिक की मेजबानी जापान करेगा। समारोह में भारत की तरफ से कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक भारतीय ध्वज लेकर स्टेडियम में पहुंची। क्योंकि बैडमिंटन में सिल्वर मेडल जीतने वाली पीवी. सिंधू भारत लौट चुकी थी। इस वजह से वह समारोह में हिस्सा नहीं ले पायी।
अब ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन की बात करते हैं। भारत ने इस बार 119 प्रतिनिधियों का सबसे बड़ा दल रियो भेजा था। लेकिन सिर्फ दो पदक ही हासिल हो पाए। वो भी महिलाओं ने दिलाए। भारत के कई स्टार खिलाड़ियों से उम्मीद थी। लेकिन अभिनव बिंद्रा, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा और लिएंडर पेस ने निराश किया।
भारत को पहला पदक पहलवान साक्षी मलिक ने दिलाया, तो दूसरा रजत के रूप में पीवी सिंधू ने बैडमिंटन में जीता। अंतिम दिन आखिरी उम्मीद पहलवान योगेश्वर दत्त से थी, लेकिन वह हार कर बाहर हो गए। इस तरह भारत 207 देशों के बीच 67वें स्थान पर रहा।
जिम्नास्ट दीपा करमाकर ने अपने प्रोडुनोवा वाल्ट से सभी तक दिल जीतकर फाइनल तक सफर तय कर इतिहास रचा। वह भले ही 15.066 के शानदार अंकों के साथ चौथे स्थान रहीं। लेकिन फाइनल में पहुंचने वाली पहली जिम्नास्ट बनकर उन्होंने नाम कमाया।
अब जानते हैं कि भारत ने ओलंपिक की तैयारियों पर कितना खर्च किया।
खेल मंत्रालय ने टारगेट ओलंपिक पोडियम (टॉप्स) स्कीम के तहत दो साल में खिलाड़ियों की ट्रेनिंग पर 180 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके तहत करीब 100 खिलाडि़यों को मदद दी गई। हालांकि इसका बजट 45 करोड़ था, जिसे चार गुना कर दिया।
विदेशी कोच भी नियुक्त किए। लंदन में जहां 20 फीसदी विदेशी कोच थे, वहीं रियो में यह आंकड़ा 40 फीसदी हो गया।
ऐसा पहली बार हुआ जब खिलाडि़यों को व्यक्तिगत कोच दिए गए। इनमें से कुछ को तो रियो भी साथ भेजा गया।
लेकिन यह जानना दिलचस्प है कि भारत में खेलों पर आखिर कितना खर्च होता है।
भारत में सिर्फ तीन पैसे प्रति व्यक्ति प्रति दिन खेल पर खर्च होते हैं।
ओलंपिक से जुड़ी जानकारी के बाद वक्त हो गया है, बिजनेस से जुड़ी खबर का।
दोस्तो, आप जानते होंगे कि आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल जल्द ही पूरा होने वाला है। रघुराम राजन की जगह अब उर्जित पटेल लेंगे। मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल सितंबर में खत्म हो रहा है।
पटेल अभी भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर हैं। 4 सितंबर को वे अपना त्रिवर्षीय कार्यकाल शुरू करने वाले हैं।
52 वर्षीय पटेल 2013 में भारतीय रिजर्व बैंक शामिल हुए थे और इस साल जनवरी में उन्हें दूसरा कार्यकाल दिया गया था। 2013 से वे केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति विभाग को चला रहे हैं।
28 अक्टूबर, 1963 में जन्मे पटेल ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में एम.फिल, येल यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पीएचडी किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक से जुड़ने से पहले पटेल बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के सलाहकार थे। उन्होंने एक दशक तक अर्थ जगत में गुजारा है और रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
राजन की तरह, पटेल ने भी अमेरिका, म्यांमार और भारत समेत अनेक डेस्क पर 1990 के दशक में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में काम किया है। उन्होंने वित्त मंत्रालय के सलाहकार के तौर पर भी काम किया है।
आरबीआई में पटेल ने उस पैनल का नेतृत्व किया है जिसके सुझावों पर रिजर्व बैंक के मॉनिटरी पॉलिसी फार्मूलेशन में कई आधारभूत बदलाव किए गए।
उर्जित रिजर्व बैंक में मॉनिटरी पॉलिसी संभाले रहे हैं और देश में महंगाई को काबू में रखने में उनका अहम योगदान माना जाता है।
उर्जित के सामने मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के अलावा, पटेल को बैंक को बुरे कर्जों से भी उबारने की चुनौती होगी।
नीलमः अब स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देते हैं। ऑफिस में हमे जब भी पानी पीना होता है हम प्लास्टिक की एक ही बोतल को बार-बार इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस बोतल को आप बार बार इस्तेमाल कर रहे हैं उस पर हर एक सेंटीमीटर एरिया में करीब 9 लाख कीटाणु होते हैं। वैज्ञानिकों ने तो ऐसी बोतल की तुलना टॉयलेट सीट से की है बल्कि उससे भी खराब बताया है।वैज्ञानिकों ने एक हफ्ते तक ऐसी बोतलों पर शोध किया जिसका इस्तेमाल एथलीट कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने पाया कि उसके एक सेंटीमीटर के एरिया में करीब 90,0000 कीटाणुओं की कॉलोनी बनी हुई थी। यह एक टॉयलेट सीट पर मौजूद कीटाणुओं से कहीं ज्यादा है। ट्रेडमिल रिव्यूस नामक एक संस्थान ने इस रिसर्च को किया।
वैज्ञानिकों के मानें तो बोतल पर जमा होने वाले बैक्टीरिया में से करीब 60 प्रतिशत कीटाणु ऐसे होते हैं जो आपको बीमार कर सकते हैं। इन कीठाणुओं से डायरिया, फूड प्वाइजनिंग, नॉजिया और उल्टी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।वैज्ञानिकों ने पाया कि ज्यादातर बोतल जो दोबारा इस्तेमाल की जाती है ठीक से साफ नहीं की जाती। इसके अलावा उसका इस्तेमाल सीधे मुंह लगाकर किया जाता है। हमारे लार से खुली हवा में मौजूद विषाणुओं से सीधी प्रतिक्रिया होती है और कई गुना कीटाणु वहां कालोनी बनाकर रहने लगते हैं।
पहले तो ये देखना जरूरी है कि किस तरह के प्लास्टिक की बोतल में आप रोज पानी पीना चाहते हैं। कई पॉलीमर ऐसे होते हैं जो पानी के तापमान के आधार पर प्रतिक्रिया भी करते हैं। ऐसे में वह पीने के पानी को खतरनाक भी बना सकते हैं। इसलिए बोतल अच्छी प्लास्टिक का होना चाहिए। इसके अलावा उसको गरम पानी में एक बार जरूर हर दिन उबालना चाहिए।
अनिलः वहीं पंजाब के अमृतसर जिले में तैनात एक पुलिस हेड कॉन्स्टेबल के साथ अजीब वाकया हुआ। हेड कॉन्स्टेबल के पेट से पांच घंटे चले ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने 40 चाकुओं को बाहर निकाला है। गुरदासपुर वासी हेड कॉन्स्टेबल 42 वर्षीय सतनाम सिंह पिछले कुछ दिनों से मानसिक रूप से परेशान था, जिसके चलते उसने यह काम किया।
बताते हैं कि चार महीने पहले उसने अमृतसर के रामबाग क्षेत्र से फोल्डिंग चाकू खरीदे। घर पहुंचकर पानी के साथ पांच चाकू निगल लिए। इसके बाद रोज पांच-पांच चाकू निगलने लगा। आठ अगस्त को उसे पेट दर्द हुआ।
परिवार वाले उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। अल्ट्रासाउंड करवाया गया। पेट में काले रंग का गुच्छा दिखा। प्रारंभिक अवस्था में पेट का कैंसर लगा। पेट में दूरबीन डाली गई तो पता चला कि लोहे की चीज है। इसके बाद सीटी स्कैन करवाया गया तो पेट में चाकू दिखाई दिए। सुरजीत से पूछा तो उसने बताया कि वह पागलपन में चाकू निगल गया था।
सर्जरी करने वाले डॉ. जतिंदर ने बताया कि चाकुओं को एंडोस्कोपी से निकालना संभव नहीं था। पांच सर्जनों की टीम तैयार की गई। पांच घंटे चले ऑपरेशन के बाद सुरजीत के पेट से 40 फोल्डिंग चाकू निकाले गए। दर्जन भर चाकू पेट के अंदर खुल गए थे। कुछ चाकू किडनी व लिवर के आसपास आड़े-तिरछे फंसे थे।
खुले चाकुओं ने किडनी, लिवर, आंत में कट लगा दिए थे। 5 इंच आकार के चाकू चार माह तक शरीर में रहने के बाद जंग खा चुके थे। सुरजीत को रीयल साइक्रेट्रिक डिजीज है। उसकी कहानी को इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशित करवाया जाएगा।
नीलमः दोस्तो, आमतौर पर शॉपिंग करना महिलाओं का शौक होता है। अधिकतर महिलाओं को कपड़े, जूते खरीदना ज्यादा पसंद होता है, लेकिन डार्लिनी फ्लिन नाम की एक महिला की इस दीवानगी ने उसे दुनियाभर में फेमस बना दिया।
डार्लिन अपने हर कमरे में जूते, चप्पलों, सैंडिल के ढ़ेर लगा कर रखती थी। उनके इस शौक के कारण ही उन्हें 'क्वीन ऑफ सोल' भी कहा जाता था।उनका कलेक्शन इतना शानदार था कि उन्हें 2006 में आधिकारिक रूप से गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मनित किया गया था।
उनके प्रेमी ने उनके इस शौक से परेशान होकर उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। उनका शव स्वीमिंग पूल में तैरता हुआ मिला। दरअसल, खबरों की मानें तो डार्लिन के इस शू कलेक्शन की कीमत करीब तीन करोड़ 80 लाख रुपए होगी।
मगर, महज 3,000 रुपए के लिए उनकी मौत हो गई। कहा जा रहा है कि एक जोड़ी जूते डार्लिन की मौत का कारण बने। 58 वर्षीय डार्लिन एक बच्चे की मां भी थी। उनके पास करीब 15 हजार जोड़ी जूते थे।
अनिलः दोस्तो, प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला यही संपन्न होता है।
अब लीजिए पेश है, श्रोताओं की टिप्पणी। आज के प्रोग्राम में पहला पत्र हमें आया है।
पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु का। उन्होंने लिखा है कि आपके प्रोग्राम में सुना कि लेटिन अमेरिका में लॉरी से टक्कर में घायल हुए एक व्यक्ति की मदद करने के बजाय एक टीवी पत्रकार उसका इंटरव्यू ले रही थी। यह सुनकर मुझे काफी दुःख हुआ । वाकई पत्रकार की यह संवेदनहीनता बेहद शर्मनाक थी। इसके साथ ही दुनिया की पहली वेबसाइट को लेकर आप द्वारा दी गई जानकारी बहुत सूचनाप्रद लगी । वहीं केरल में बारिश के इस मौसम में खिलने वाले विश्व के सबसे बड़े फूल के बारे में सुनने के बाद उसे अपनी आंखों से देखना चाहता हूं। भारत के विशाखापट्टनम में दो हजार रुपए में बिक रहे गधी के एक लीटर दूध के बारे में सुनकर चकित रह गया।
वहीं ब्राजील के रियो में हुए ओलंपिक में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर अनिल जी ने जो विश्लेषण किया, वह सटीक और प्रासंगिक लगा। भारत की एकमात्र महिला जिम्नास्ट दीपा करमाकर ने वाल्ट फाइनल्स (vault finals) में मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गईं। लेकिन चौथे स्थान पर रहकर उन्होंने इतिहास रचा। दीपा कर्मकार को बधाई!
मनोरंजन सेगमेंट में अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म 'रुस्तम' और रितिक रोशन अभिनीत 'मोहनजो दारो' की बॉक्स ऑफिस पर कमाई को लेकर चर्चा भी काफी अच्छी लगी। धन्यवाद।
अगला पत्र हमें आया है, दक्षिण दिनाजपुर पश्चिम बंगाल से देबाशीष गोप का। उन्होंने लिखा है, आजकल टी-टाइम प्रोग्राम में सवाल जवाब का सेक्शन बंद कर दिया गया है। मुझे बहुत अच्छा लगता था। वहीं आगे लिखते हैं कि 18 अगस्त को रियो में हुए ओलंपिक खेलों में भारत के खराब प्रदर्शन पर पेश रिपोर्ट बहुत अच्छी लगी। इसके साथ ही प्रोग्राम में पेश हंसगुल्ले भी गुदगुदाने में कामयाब रहे।
नीलमः वहीं केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने ई-मेल भेजकर लिखा है कि आपके प्रोग्राम में सुनी जानकारी के बाद मुझे लगता है कि प्रतिस्पर्धा और जल्दी खबर हासिल करने की दौड़ में मीडियाकर्मी कई बार कितना असंवेदनशील व्यवहार करते हैं, इसकी मिसाल अकसर भारत में तो देखने-सुनने को मिलती है, पर दुनिया के दूसरे देशों में भी मीडिया द्वारा ऐसा किया जाता है, यह जान कर हैरानी हुई।
तकनीक से जुड़ी इस खबर के बारे में हमने पहली बार जाना कि -जब पहली वेबसाइट बनी थी, तो उसमें केवल टैक्स्ट था और कोर्इ फोटो या इमेज मौजूद नहीं थी। जबकि आजकल वेबसाइट खोलने पर फोटो, टैक्स्ट और वीडियो सभी कुछ होता है।
जानकारियों के क्रम में 'एमोर्फोफैलस टाइटेनम' नामक फूल पर दी गई जानकारी बेमिसाल़ लगी। हर नौ साल बाद खिलने वाला यह फूल अब केरल में लोगों को देखने को मिल रहा है। 9 साल में एक बार ही खिलने वाले इस फूल की सबसे बड़ी खासियत है कि ये रात ही में खिलता है और खिलने के 48 घंटे तक ही जीवित रह सकता है। वैसे भी केरल की प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए दूर देश के लोग भी खींचे चले आते हैं, क्यों कि यहां पर पुराने मंदिर, पुराने किले, और तेज बहाव के साथ बहते झरने तथा सर्वोपरि केरल की खूबसूरती को चार-चांद लगाने वाला "आर्किड का बगीचा" भी है, जो केरल की सुंदरता को दोगुना कर देता है। वैसे सबसे सुंदर और सबसे दुर्लभ मिलने वाला यह फूल सिर्फ इंडोनेशिया के जंगलों में ही पाया जाता है।
अनिलः आगे लिखते हैं कि हमने ऊंटनी के दूध की पौष्टिकता के बारे तो सुना था, परन्तु गधी के दूध की पौष्टिकता के बारे में आज पहली बार जाना। आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में लोग गधी के एक लीटर दूध के लिए दो हजार रुपए भी चुकाने को तैयार हैं और ख़बरों के मुताबिक लोग एक कप गधी के दूध के लिए दो सौ रुपए दे रहे हैं। दूसरी ओर चेन्नई और बेंगलुरु में भी लोग इस दूध के लिए घंटों इंतजार करते दिखते हैं, निश्चित तौर पर यह समाचार चौंकाने वाला है। प्रश्न उठता है कि आखिर गधी के दूध में ऐसा क्या है कि लोग गाय, भैंस का दूध छोड़ इतनी कीमत चुका कर इसे खरीद रहे हैं वो भी इतने ज्यादा दाम में। दरअसल, इसका कारण यह है कि गधी का दूध बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। सबसे ज्यादा इस दूध को खरीदने के लिए नवजात शिशुओं कि मांए इस कतार में नजर आती हैं। माना जाता है कि गधी का दूध मां के दूध के समान पौष्टिक होता है और इसमें लाइसोजाइम जैसे तत्व पाए जाते हैं जो प्रतिरोधी क्षमता के लिए फायदेमंद है। वहीं ओलंपिक खेलों पर दी गई जानकारी के लिये शुक्रिया, परन्तु आप द्वारा दी गई यह जानकारी दुरुस्त नहीं है कि -अब तक भारत की झोली खाली है। वास्तव में, भारत को पहला कांस्य पदक साक्षी मलिक दिला चुकी हैं। हाँ, भारत के खेल मंत्री विजय गोयल के साथ रियो ओलंपिक गये प्रतिनिधियों की हरक़तों के बारे में जान कर हमें भी शर्म महसूस हुई।
बिजनेस से जुड़ी यह जानकारी भी अत्यन्त महत्वपूर्ण लगी कि -ऑनलाइन एटीएम की धोखाधड़ी से उपभोक्ताओं को होने वाले नुकसान से राहत देते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अब इसकी जिम्मेदारी संबंधित बैंकों की तय कर दी है।
सिने-ख़बरों में गत शुक्रवार को रिलीज हुई फ़िल्म, 'रुस्तम' और 'मोहन जो दाड़ो' के बीच आय को लेकर चल रही प्रतिस्पर्धा पर महती जानकारी दी गई । आज के कार्यक्रम में पेश जोक्स में -संता :यार उठ भूकंप आ रहा है, सारा घर हिल रहा है बंता : सोजा -सोजा घर गिरेगा तो मकान मालिका का, हम तो किराएदार हैं, काफी उम्दा लगा। धन्यवाद् फिर एक लाज़वाब प्रस्तुति हेतु।
धन्यवाद टिप्पणी भेजने के लिए। जहां तक आपने बोला कि भारत की झोली खाली है वाला समाचार दुरस्त नहीं है, तो मैं बता दूं कि प्रोग्राम तैयार होने के बाद भारत ने मेडल हासिल कर लिया था। फिर भी इस ओर हमारा ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया।
.....श्रोताओं की टिप्पणी यहीं संपन्न होती है।
अब हम पेश करने जा रहे हैं, जोक्स।
पहला जोक-
संता : तुम मेरी शादी में आओगे बंता : मैं उन लोगो में से नहीं हूं जो, मुसीबत के वक्त दोस्त को अकेल छोड़ दूं मैं जरूर आउंगा
दूसरा जोक---
पठान के सर में चोट लग गई तो वह हॉस्पिटल गया। नर्स: इसमें 7 टांके लगेंगे। पठान: कितना पैसा लगेगा? नर्स: 700 रुपये लगेंगे। पठान: यारा हमने टांके लगवाने हैं, कढ़ाई नहीं करानी।
तीसरा जोक....
संता : सोच रहा हूं कि यूएसए घूम आऊ कितने पैसे लगेंगे? बंता : कुछ भी नहीं संता : कैसे? बंता : सोचने के लिए पैसे नहीं लगते यार
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जोक्स यहीं संपन्न होते हैं।
दोस्तो, आपको आज का प्रोग्राम कैसा लगा। हमें जरूर बताइएगा। हमें आपके सुझावों और टिप्पणी का इंतजार रहेगा। हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.......
अनिलः टी टाइम में आज के लिए इतना ही, अगले हफ्ते फिर मिलेंगे चाय के वक्त, तब तक के लिए नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर, चाय च्यान।