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अनिल- टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां, आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 25 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। तो जल्दी से हो जाइए तैयार।
अनिलः दोस्तो, लीजिए प्रोग्राम शुरू करते हैं। दोस्तो, विज्ञान आज के दौर में कितनी तरक्की कर चुका है, यह हम सब जानते हैं। अब चीन के एक डॉक्टर का दावा सुनकर तो और भी हैरानी होती है। चीनी डॉक्टर फ्रेंकस्टीन का दावा है कि वो आने वाले कुछ साल में पूरे जिंदा शरीर को ट्रांसप्लांट कर लेंगे। उनका ये दावा इन दिनों लोगों को हैरान कर रहा है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने डॉक्टर फ्रेंकस्टीन की इस योजना की आलोचना की है। विशेषज्ञों ने इसे जल्दबाजी में उठाया जाने वाला कदम करार दिया है। वहीं, डॉक्टर फ्रेंकस्टीन के मुताबिक उनका फैसला मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुकिन नहीं है।
चीनी डॉक्टर के दावे इन दिनों लोगों को हैरान कर रहे हैं। उनका दावा है कि वो आने वाले कुछ साल में पूरे जिंदा शरीर को ट्रांसप्लांट कर लेंगे। उनकी योजना है कि वो दो शरीर से सिरों को अलग कर मृतक दाता के शरीर की रक्त धमनियों को प्राप्तकर्ता के सिर से जोड़ा जा सकेगा।
नए गर्दन को स्थिर करने के लिए धातु की एक प्लेट को शरीर में प्रविष्ट कराया जाएगा, ग्लू जैसे पदार्थ में समाप्त होने वाली स्पाइनल कॉर्ड नर्व को धुलाया जाएगा, जिससे फिर से ग्रोथ में मदद मिले और अंत में स्किन को सिल दिया जाएगा। डॉक्टर फ्रेंकस्टीन के मुताबिक उनका फैसला मुश्किल जरूर है लेकिन नामुकिन नहीं है।
नीलमः डॉक्टर फ्रेंकस्टीन ने कहा कि अगर आने वाले कुछ सालो में सबकुछ सही रहा तो, जल्द ही वो जिंदा शरीर का ट्रांसप्लांट कर देंगे। इसके लिए वो एक टीम को बनाने में जुटे हैं, जिसमें उनका लक्ष्य है कि वो दो शरीर से दो सिरों को अलग करके किसी का दान किए हुए शरीर में सिला जा सके। हालांकि चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस योजना की आलोचना की है।
विशेषज्ञों ने इसे जल्दबाजी में उठाया जाने वाला कदम करार दिया है। दूसरी ओर ये भी माना जा रहा है कि डॉ. फ्रेंकस्टीन जिस सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं और उसे करने में कामयाब हो जाते है, तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। इससे पहले इसी साल वैज्ञानिक डॉ. रेन नाम ने भी कुछ इसी प्रकार का करने की कोशिश की थी, लेकिन वो सफल नही हो पाए थे।
डॉ. रेन ने एक बंदर का ऐसा ऑपरेशन 1970 में किया गया था। उस समय सर्जन ने बंदर की स्पाइनल कार्ड को नहीं जोड़ा था, लिहाजा बंदर हिल नहीं सका और वो इसके बाद केवल 9 दिन तक ही जीवित रह सका।
अनिलः अब दूसरी जानकारी से रूबरू कराते हैं। दोस्तो, यह हम सभी के लिए चौकाने वाली खबर है। वर्ष 2007 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह बाल-बाल बचे थे। उनका विमान क्रैश होने वाला था। द फ्लाइट्स डाटा रिकॉर्डर (एफडीआर) से यह जानकारी सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 11 नवंबर 2007 को मनमोहन सिंह रूस के आधिकारिक दौरे पर गए थे। उस दिन विमान के पायलट ने विमान के लैंडिंग गियर को जरूरत के अनुसार नीचे नहीं किया था, इससे बड़ा हादसा हो सकता था। मॉस्को एटीसी की ओर से ध्यान दिलाए जाने के बाद ही विमान के पहियों को नीचे किया गया था।
फ्लाइट के डेटा रिकॉर्डर के मुताबिक, वीवीआईपी विमान इलेक्ट्रॉनिक ग्लाइड स्लोप के नीचे उड़ रहा था। बता दें, इलेक्ट्रॉनिक ग्लाइड स्लोप विमान का रास्ता होता है। इसी रास्ते को देखकर विमान रनवे पर उतरता है। एक सीनियर कमांडर ने बताया कि एफडीआर डेटा के मुताबिक विमान काफी कम उंचाई पर आ गया था ये काफी हैरानी वाली बात है।
इसके साथ ही, मॉस्को एटीसी ने बताया कि विमान के लैंडिंग गियर नीचे नहीं है। अगर लैंडिंग गियर किए बिना ही विमान की लैंडिंग करा दी जाती तो विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाता। इस मामले पर एयर इंडिया की ओर से अब तक कोई बयान नहीं आया है।
नीलमः अब कूड़े के इस्तेमाल से जुड़ी जानकारी। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के निर्माण में कचरे के इस्तेमाल की योजना है। यह बात सभी के लिए काफी हैरान करने वाली है कि कोई देश कूड़े से सड़क का निर्माण भी कर सकेगा। दरअसल, अभी तक दुनिया के किसी भी देश में इस प्रकार की शुरूआत नहीं हुई है।
नेशनल हाइवे आथॉरिटी ऑफ इंडिया के मुताबिक दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के 16 लेन के पहले चरण में सराय काले खां से यूपी गेट के बीच करीब साढ़े 8 किलोमीटर की दूरी में गाजीपुर के लैंडफिल साइट के म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट को सड़क बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा। यह बात सभी के लिए काफी हैरान करने वाली है कि कोई देश कूड़े से सड़क का निर्माण भी कर सकेगा। दरअसल, अभी तक दुनिया के किसी भी देश में इस प्रकार की शुरूआत नहीं हुई है। यानि ऐसी सड़क भारत में दुनिया में पहली बार बनेगी। सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से इस कार्य पर काफी समय से शोध किया जा रहा था। कूड़े से सड़क का निर्माण सर्वप्रथम दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे पर होगा जो कि अगस्त में प्रारम्भ हो जाएगा।
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक ने बताया कि फिलहाल गाजीपुर के लैंडफिल साइट में 12 मिलियन टन कचरा है और रोजाना यहां 3000 टन कचरा पहुंचता है। इसका इस्तेमाल सीधे सड़क में नहीं कर सकते। लिहाजा सेग्रिगेशन मेथड के जरिए शीशा, मेटल, कपड़ा, प्लास्टिक आदि को अलग करना होगा। तब यहां पड़े कचरे का करीब 60-65 प्रतिशत सड़क बनाने के काम में ला सकते हैं।
जितना कूड़ा यहां पड़ा है उससे 20 किलोमीटर लंबी सड़क बन सकती है। कचरे की कटाई और छटाई से जो भी कचरा बचेगा, उसको बिजली उत्पादन के कार्य में लगाया जायेगा। आपको बता दें कि यदि यह कार्य सफल हो जाता है तो 6000 शहरों में कचरे से होने वाली परेशानी समाप्त हो जाएगी।
अनिलः वाकई में बहुत अच्छी ख़बर है हमारे देश के लिए, क्योंकि हम लोग अक्सर कूड़े की समस्या से परेशान रहते हैं। कचरे के निस्तारण की इस विधि से देश को बहुत लाभ होगा।
अब अगली जानकारी की ओर बढ़ते हैं। दोस्तो, आपको भारत में सातवें वेतन के बारे में तो सुना होगा। जल्द ही केंद्र सरकार के सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ जाएगा। लेकिन सरकारी नौकरी में आरामतलबी बरतने वाले कर्मचारियों की खैर नहीं होगी। केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि जिन कर्मचारियों का कामकाज अच्छा नहीं रहेगा, उन्हें सालाना इन्क्रीमेंट नहीं मिलेगा। कर्मचारियों को निजी कंपनियों की तरह ही प्रदर्शन आधारित इन्क्रीमेंट देने की बात कही है।
सातवें वेतन आयोग के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा- पदोन्नति और इन्क्रीमेंट के लिए अब 'अच्छा' के बजाय 'बहुत अच्छा' मानक कर दिया गया है। जिनका प्रदर्शन 'बहुत अच्छा' होगा, उनको सालाना इन्क्रीमेंट मिलेगा। मॉडिफायड एस्योर्ड कॅरियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) स्कीम पहले की तरह ही जारी रहेगी। इसमें 10, 20 और 30 साल की नौकरी के पुराने पैटर्न को नहीं बदला गया है। आदेश में कहा गया है कि ऐसे कर्मचारी एमएसीपी या नौकरी के पहले 20 साल के दौरान नियमित पदोन्नति के तय मानक तक नहीं पहुंच पाएंगे, उनका सालाना इन्क्रीमेंट रोक दिया जाएगा।
नीलमः सातवें वेतन आयोग के लागू होते ही केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में करीब 7000 रुपए से लेकर 18,000 रुपए तक की वृद्धि होगी। इस वेतन आयोग के लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए होगा, वहीं क्लास-1 अधिकारियों का वेतन 56,100 रुपए होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कॉफ्रेंस में बताया कि इससे हर स्तर के कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 2.57 गुना बढ़ेगी। कर्मचारियों के सालाना वेतन में करीब तीन प्रतिशत तक की बढ़ोतरी होगी।
अनिलः वहीं आपको अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के बारे में तो जानकारी होगी। जी हां, अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन इतिहास रच चुकी हैं। वे डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी हासिल करने वाली देश की पहली महिला बन गईं हैं। फिलाडेल्फिया में चल रहे डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में पार्टी प्रतिनिधियों ने हिलेरी क्लिंटन को राष्ट्रपति पद के लिए अपना आधिकारिक उम्मीदवार घोषित कर दिया। सवाल ये उठ रहा है कि हिलेरी क्लिंटन ने आधिकारिक उम्मीदवारी पाकर एक इतिहास तो रच दिया है, क्या वे राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतकर एक और इतिहास रच देंगी।
डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए बर्नी सैंडर्स पहले क्लिंटन के प्रतिद्वंद्वी थे लेकिन बाद में वह भी उनके समर्थन में आ गए। सैंडर्स ने भी डेमोक्रेटिक सम्मेलन में कहा है कि उनकी प्रतिद्वंद्वी क्लिंटन को अमेरिका की अगली राष्ट्रपति बनना चाहिए।
सैंडर्स के क्लिंटन के समर्थन में होने की घोषणा करने के बाद वहां मौजूद लोग जश्न मनाने लगे। हालांकि सैंडर्स के कुछ समर्थकों ने कंवेशन कार्यालय के बाहर पार्टी के इस फैसले का विरोध किया।
हिलेरी क्लिंटन पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हैं तथा करीब 25 साल से लोगों के लिए काम करती रही हैं। इसी वर्ष आठ नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उनका मुकाबला रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से होगा।
नीलमः दोस्तों, अगर कोई व्यक्ति अपनी शादी की तस्वीरें पोस्ट करें तो क्या उसे जेल हो सकती है। आमतौर पर तो नहीं, लेकिन कुछ देशों के कानून के मुताबिक पहली पत्नी को तलाक दिए बिना अगर कोई व्यक्ति दूसरी शादी कर लेता है तो ज़रूर जेल हो सकती है। ब्रिटेन के रहने वाले एक पूर्व सैनिक साइमन क्रूगिंग्टन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
उसने अपनी शादी की तस्वीरें फेसबुक पर अपलोड की, जिसके बाद उसे जेल में भेज दिया गया। साइमन क्रूगिंग्टन ने पहली पत्नी एलिजाबेथ को तलाक दिए बिना दूसरी शादी कर ली थी। फेसबुक पर पोस्ट की गई उसकी शादी की तस्वीरों को पहली पत्नी एलिजाबेथ ने देख लिया और अपने पति पर बिना तलाक दिए दूसरी शादी का केस कर दिया। जब दूसरी पत्नी को पता चला कि उसका पति पहले से शादीशुदा है तो उसने भी उसे छोड़ दिया।
दोनों पत्नियों द्वारा छोड़े जाने के बाद जब दो बच्चों का पिता साइमन कोर्ट में पेश हुआ। वहां भी उसे झटका लगा और कोर्ट ने उसे छह महीने के लिए जेल भेज दिया। साइमन ने पहली बपत्नी एलिजाबेथ को तलाक दिए बिना प्राग की रहने वाली महिला से शादी कर ली थी। अभियोजक जोएनी बार्कर ने बताया कि साइमन ने एलिजाबेथ से अगस्त 2006 में शादी की थी।
अनिलः इसके बाद वे 2009 में स्टैफोर्डशायर में चले गए और 2012 में वैवाहिक जीवन टूटने पर साइमन ने घर छोड़ दिया। साल 2014 की शुरुआत में उसने एलिजाबेथ से संपर्क किया और उससे जल्द तलाक देने के लिए कहा। लेकिन, एलिजाबेथ ने ये कहते हुए इंकार कर दिया कि वो इसके लिए तैयार नहीं हैं। दरअसल, एलिजाबेथ को ये पता चल गया था कि साइमन किसी के साथ संबंध में हैं और जल्द ही उससे शादी करने वाले हैं। इसके बाद एलिजाबेथ ने 27 जून 2014 को फेसबुक की तस्वीरों में देखा कि साइमन ने प्राग में दूसरी शादी कर ली है। इसे देखकर वह सकते में आ गई कि अभी उनकी शादी खत्म नहीं हुई है और साइमन ने दूसरी शादी कर ली। इसके बाद उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
नीलमः अब वक्त हो गया है, श्रोताओं की टिप्पणी शामिल करने का।
पहला पत्र हमें आया है, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का। वह लिखते हैं,
टी टाइम के अन्तर्गत चीन में हिन्दी के बढ़ते क्रेज़ के बारे में जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई। इस परिप्रेक्ष्य में दक्षिण-पश्चिम चीन के युन्नान प्रान्त की राजधानी खुनमिंग स्थित युन्नान जातीय विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग अध्यक्ष छायछेन रोय (प्रिया) से ली गई भेंटवार्ता काफी महत्वपूर्ण लगी। शीआन विश्वविद्यालय और फिर दिल्ली आकर हिन्दी भाषा का अध्ययन करने वाली प्रियाजी ने जब यह बतलाया कि उनके विश्वविद्यालय में वर्तमान में कोई 120 चीनी छात्र-छात्राएं हिन्दी सीख रहे हैं तथा सन 2011 से यहाँ हिन्दी की स्नातक स्तर की पढ़ाई शुरू हो गई है, तो मन उत्साह से भर गया। चीन के नौ बड़े विश्वविद्यालयों में हिन्दी संकाय का होना भी यह साबित करता है कि चीन में हिन्दी को कितना बढ़ावा दिया जा रहा है। जानकारियों के क्रम में सोशल मीडिया में धूम मचाने वाले कनाडा के कानुक नामक कौवे की कहानी काफी दिलचस्प लगी। ब्रिटेन में ट्रांसजेण्डर बच्चों के लिये अब से 'ही' या 'शी' के बजाय 'जी' शब्द का इस्तेमाल किये जाने सम्बन्धी जानकारी भी सूचनाप्रद लगी। जब कि पेश किये गये तीन चुटकुलों में -गर्लफ्रैण्ड का मोबाइल उठा लाने का जोक काफी अच्छा लगा। धन्यवाद् फिर एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।
अनिलः अगला पत्र हमें आया है, दरभंगा बिहार से शंकर प्रसाद शंभू का।
उन्होंने लिखा है, टी-टाइम में दक्षिण पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी खुनमिंग में भी हिंदी पढ़ाई जाने के बारे में बताया गया । प्रिया नाम की एक चीनी अध्यापिका वर्ष 2010 से युन्नान जातीय विश्वविद्यालय से जुड़ी हैं, जबकि सितंबर 2011 में हिंदी विभाग शुरू होने पर हिंदी पढ़ाने का काम कर रही हैं । वर्तमान में वह हिंदी विभाग की अध्यक्ष हैं । खुनमिंग स्थित विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाने वाली चीनी शिक्षिका छाव छन रवेई के साथ बातचीत...अच्छी लगी ।
वहीं सोशल मीडिया में एक कौवे ने धूम मचा रखी है । कानुक नाम के इस कौवे के कारनामों के चलते ही इसके फॉलोवर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है । दरअसल इस कौवे की समझदारी से सभी लोग काफी प्रभावित हुए है । आपको बता दें कि इसी वजह से इस कौवे के फेसबुक में ही 22000 फॉलोवर बन गए हैं। प्रोग्राम में दी गई जानकारी बहुत अच्छी लगी। आज के तीनों जोक्स भी काफी मनोरंजक थे । शानदार प्रोग्राम पेश करने के लिए आपकी पूरी टीम को धन्यवाद !
वहीं पश्चिम बंगाल से देबाशीष गोप ने भी पत्र लिखकर प्रोग्राम के बारे में टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा है कि यह जानकर अच्छा लगा कि चीन में हिंदी के प्रति लोगों में रुझान बढ़ रहा है। एक शानदार प्रोग्राम पेश करने के लिए शुक्रिया।
नीलमः अब लीजिए पेश है, आज के प्रोग्राम का अंतिम पत्र। जिसे भेजा है, पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु ने। आज "टी टाइम" प्रोग्राम की शुरुआत में खुनमिंग स्थित युन्नान जातीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर छाव छन रवेई, जिनका भारतीय नाम प्रिया जी के साथ अनिल पाण्डेय जी की बातचीत के मुख्य अंश हमें सुनने को मिले। इस इंटरव्यू से पता चला कि इस समय में चीन के लोगों में हिंदी सीखने की चाहत बढ़ी है। मुझे यह जानकर ख़ुशी हुई कि युन्नान जातीय विश्वविद्यालय में इस साल 120 चीनी विद्यार्थी हिंदी का पाठ्यक्रम का अध्ययन कर रहे हैं जो चीनी लोगों का हिंदी प्रेम की प्रतीक है । इस विश्वविद्यालय में अध्यापकों की संख्या 3 है। अनिल जी ने हमें बताया कि वर्तमान समय में चीन में पीकिंग विश्वविद्यालय ,शीआन विश्वविद्यालय समेत लगभग 10 विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा पढ़ाई जा रही है। प्रो. प्रिया जी के साथ हुई बातचीत से जाहिर है कि चीनी लोगों की भारतीय संस्कृति के प्रति कितनी रुचि है और चीनी लोग भारत को जानने के लिए कितने उत्सुक हैं। भारत व चीन दोनों देशों के बीच आदान-प्रदान बढ़ने के साथ साथ चीन में हिंदी भाषा और लोकप्रिय हो रही है। मुझे विश्वास है कि भविष्य में चीन में और ज्यादा विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा कोर्स खुलेगा। अनिल जी को हार्दिक धन्यवाद प्रो. प्रिया जी का इंटरव्यू सुनवाने हेतु।
आज के कार्यक्रम में जानकारियों के क्रम में ब्रिटेन के आवासीय स्कूलों के टीचर्स को आदेश दिया गया है कि वे ट्रांसजेंडर बच्चों को 'ही' या 'शी' की बजाय 'जी' कहकर बुलाएं ताकि वे असहज महसूस न करें। मुझे लगा कि यह गाइडलाइंस ट्रांसजेंडर्स के लिए एक अच्छी खबर है।धन्यवाद ।
धन्यवाद, बसु जी, हमें पत्र भेजने के लिए।
अनिलः इसी के साथ आज के प्रोग्राम में श्रोताओं के पत्र का सिलसिला संपन्न होता है। आप सभी का एक बार फिर से शुक्रिया कि आपने हम तक अपनी टिप्पणी पहुंचाई। उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में भी आप यूं टी-टाइम प्रोग्राम के साथ जुड़े रहेंगे। धन्यवाद।
अब समय हो गया है, जोक्स यानी हंसगुल्लों का।
पहला जोक—
पत्नी : " सुनो जी, अगर मैं मर गई तो... तुस्सी कितने दिनों बाद दूजा ब्याह "?
पति : मंहगाई का जमाना है... कोशिश तो यही करुंगा की ... श्राद्ध के साथ ही रिसेप्शन एडजस्ट हो जाए !
दूसरा जोक—
टीचर: दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश कहां होती है?
राहुल : सर... जमीन पर
ससुराल में दामाद की इज्जत सबसे ज्यादा क्यों होती है ?
क्योंकि, वे जानते हैं कि यह वह महान आदमी है जिसने उनके घर के तूफान को संभाल के रखा है
तीसरा और अंतिम जोक.
टीचर - तुम्हारे पास 10 आम हैं, अगर 2 कोई ले ले, तो कितने बचेंगे? बच्चा - 10 आम...क्योंकि मैं दूंगा ही नहीं। टीचर - अगर कोई जबरदस्ती छीन ले तो? बच्चा - 10 आम...और 1 लाश
दोस्त आज के प्रोग्राम में जोक्स यही संपन्न होते हैं।
दोस्तो, आपको आज का प्रोग्राम कैसा लगा। हमें जरूर बताइएगा। हमें आपके सुझावों और टिप्पणी का इंतजार रहेगा। हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.......
अनिलः टी टाइम में आज के लिए इतना ही, अगले हफ्ते फिर मिलेंगे चाय के वक्त, तब तक के लिए नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर, चाय च्यान।