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    आप की पसंद 160402
    2016-04-02 19:22:09 cri

    2 अप्रैल आपकी पसंद

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईश पत्र लिख भेजा है ....पूज्य महात्मा गांधी श्रोता संघ के अध्यक्ष मुकुंद कुमार तिवारी और इनके सभी परिजनों ने आपने हमें पत्र लिखा है पिपरही, ज़िला शिवहर, बिहार से और आप सभी सुनना चाहते हैं भला मानुष फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 1. गुमसुम क्यों है सनम ....

    पंकज - पुणे में तेजी से बढ़ते स्तन इन्फेक्शन ने डॉक्टरों की नींद उड़ाई

    हाल ही में पुणे में 20 से 30 साल की महिलाओं में स्तन के इन्फेक्शन ने डॉक्टरों का ध्यान खींचा है। डॉक्टर इसका कारण नहीं जान पा रहे हैं। डॉक्टर महिलाओं में स्तन के इस इन्फेक्शन को कैंसर नहीं मान रहे हैं। पिछले 5 सालों में इस तरह के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। स्तन में गांठ हो जाना और उसमें दर्द होना है, ये लक्षण नजर आते हैं। ज्यादातर महिलाएं जो स्तनपान करा रही हैं उनकी संख्या ज्यादा है। लेकिन सिर्फ स्तनपान कराने वाली महिलाएं ही इस इन्फेक्शन से नहीं जूझ रही हैं बल्कि बाकी महिलाओं में भी इस तरह की शिकायत सामने आई है। डॉक्टरों का कहना है कि लगभग हर महीने 6 केस सामने आते हैं जोकि थोड़ी गंभीर स्थिति है। 5 साल पहले तक इस तरह के इन्फेक्शन के 1 या 2 ही केस सामने आते थे लेकिन अब इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है।

    ये इफेक्शन पहले 40 साल की महिलाओं में देखा गया जोकि अब 20 से 30 साल की महिलाओं में भी पाया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि ये इम्यूनिटी से जुड़ी समस्या है जिसका कारण क्या है ये अभी तक कोई जान नहीं पाया है। पहले भी महिलाओं में इस तरह की समस्याएं देखी गई है लेकिन संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। कुछ डॉक्टर इसे स्तन के टीबी की तरह देख रहे हैं लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। डॉक्टर इसे कमजोर इम्यूनिटी से जोड़ रहे हैं और इस पर पर्याप्त शोध को लेकर गंभीर हैं।

    अंजली – मित्रों सेहत से जुड़ी से जानकारी बहुत महत्वपूर्ण भी है इसे सुनने के बाद हमें अपने शरीर के प्रति सावधान हो जाना चाहिए .... कई बार हम कुछ छोटी मोटी बीमारियों या तकलीफों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं जिसका बाद में हमें खामियाज़ा चुकाना होता है। इसलिये अपनी सेहत को लेकर हमेशा चौकस रहने की ज़रूरत है और वैसे भी जब हम चालीस वर्ष की उम्र पार कर जाते हैं तो हमें डॉक्टर के पास जाकर नियमित अपना चेकअप करवाना चाहिए जिससे हम किसी भी बीमारी को उसके शुरुआती स्तर में ही पकड़ कर खत्म कर सकें। मित्रों इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है चंदा चौक अंधराठाढ़ी, जिला मधुबनी बिहार से भाई शोभीकांत झा सज्जन, मुखियाजी हेमलता सज्जन, इनके साथ ही मेन रोड मधेपुर जिला मधुबनी से ही प्रमोद कुमार सुमन और रेनू सुमन और इनके ढेर सारे मित्रों ने हमसे फरमाईश की है गूंज उठी शहनाई (1959) फिल्म का गाना सुनने की, जिसे गाया है लता मंगेशकर, पुष्पक और मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं भरत व्यास और संगीत दिया है वसंत देसाई ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 2. जीवन में पिया तेरा साथ रहे .....

    पंकज - शरीर के इन संकेतों को जरूर पहचान लें मर्द, होते हैं जानलेवा

    हष्ट पुष्ट मर्दों को ये गलतफहमी रहती है कि उन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं हो सकती। लेकिन ऐसा नहीं है, सेहत से जुड़े कुछ संकेत हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिेए। ये घातक बीमारियों का इशारा हो सकते हैं। डेलीमेल की खबर के मुताबिक नए शोध में सामने आया है कि माचो दिखने वाले मर्द अकसर डॉ़क्टर के पास जाने से कतराते हैं। सच्चाई ये है कि ऐसे मर्दों की महिलाओं के मुकाबले पांच साल पहले मरने की संभावना होती है।

    पहला इशारा है इरेक्टाइल डिस्फंक्शन होना। यानी सेक्स के वक्त लिंग में तनाव और कठोरता नहीं आना। ये दिल की बीमारी का संकेत हो सकता है। तनाव नहीं आने के लिए उस अंग तक खून का पहुंचना जरूरी है और अगर ऐसा नहीं हो पा रहा यानी आर्टरी में फैट जमा हो गया है जो खून का बहाव रोक रहा है। इसका मतलब आपका दिल स्वस्थ नहीं है।

    मर्दों के भी अगर स्तन निकलने लगें तो इसे गंभीरता से लेना जरूरी है। फैट के कारण वजन बढ़ता है और इसीलिए स्तन के पास भी फैट बढ़ता है। लेकिन कई बार ये ब्रेस्ट टिशू के बढ़ने से भी होता है। ये टिशू महिलाओं में ही पाया जाता है। लेकिन मर्दों में टेस्टॉसटेरॉन और ऑस्ट्रोजन हार्मोन के बीच का संतुलन बिगड़ जाने से भी ऐसा होता है। ये लीवर की बीमारी का इशारा है।

    रात में अगर बार बार टॉयलेट जाना पड़ता है तो ये प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है। प्रोस्टेट ग्लैंड अखरोट के आकार की होती है जिससे सीमन निकलता है। अगर इसके आकार में बदलाव आए तो ये मर्दों को बार बार टॉयलेट जाने पर मजबूर कर सकती है। ऐसा होता है तो डॉक्टर को दिखाएं।

    अंजली – तो मित्रों पंकज आपको ये रोचक और महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहे हैं और मैं बीच बीच में आप सभी को आपकी पसंद के फिल्मी गाने सुनवा रही हूं, इसी के साथ मैं कार्यक्रम का अगला पत्र उठा रही हूं जिसे हमें लिखा है मालवा रेडियो श्रोता संघ प्रमिलागंज आलोट, रतलाम. मध्यप्रदेश से बलवंत कुमार वर्मा और इनके साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है हम किसी से कम नहीं (1977) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 3. बचना ऐ हसीनों .....

    पंकज - कामेच्छा घटना या किसी भी तरह की गंध सूंघ न पाना इस बात का इशारा है कि फर्टीलिटी पर असर पड़ रहा है। ये ऐसी बीमारी के कारण हो सकता है जिससे मर्दों में टेस्टीकल्स यानी अंडकोष के जरिए ज्यादा हार्मोन नहीं बन पाते और कामेच्छा घटती है। इसी तरह अगर नाक काम नहीं कर रही और गंध सूंघ नहीं पा रहे तो ये भी टेस्टीकल्स के काम न करने के कारण है।

    मर्दों को अंडकोषों में अगर सूजन या गांठें महसूस हों तो इसे दिखा जरूर लें। हो सकता है टेस्टीकुलर कैंसर का इशारा हों।

    पेशाब में खून निकलना भी ब्लैडर कैंसर का संकेत हो सकता है। ज्यादातर ये सिगेरट पीने के कराण बढ़ता है।

    पंकज - दिमाग से जुड़े रोचक तथ्य, कभी सुना भी नहीं होगा

    दिमाग को दर्द नहीं होता। जी हां, असल में दर्द को महसूस करने के लिए दिमाग में कोई नर्व रिसेप्टर नहीं होते। इस वजह से सर्जन पेशेंट के दिमाग का ऑपरेशन तब भी कर लेते हैं जब वो होश में होता है। हम दर्द महसूस करते हैं नोसिसेप्टर नाम के एक नस के कारण जो रीढ़ की हड्डी से दिमाग तक किसी तरह के खतरे का सिग्नल भेजते हैं।

    अब जानिए दिमाग के बारे में और। हमारे दिमाग में लाख से ज्यादा रक्त वाहिकाएं होती हैं। शरीर की 17 प्रतिशत ऊर्जा का इस्तेमाल करके और बीस प्रतिशत ऑक्सिजन को इस्तेमाल करके, दिमाग दस से 23 प्रतिशत पॉवर बनाती हैं। इतनी कि बल्ब जल सके। हमारे दिमाग में इतनी क्षमता है कि हम पूरे एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका को पांच गुना बढ़ जाने के बाद भी रट्ट सकते हैं।

    अंजली – श्रोता मित्रों आप हमें रोज़ पत्र लिखकर अपने फरमाईशी गाने सुन सकते हैं, और जो श्रोता पत्र नहीं लिख सकते वो हमें हमारी वेबसाइट पर जाकर अपना संदेश और अपने पसंदीदा फिल्मी गानों की फरमाईश लिख सकते हैं इससे आपकी पसंद के गाने हम आपको जल्दी से जल्दी सुनवाएंगे, तो इसी के साथ मैं उठाने जा रही हूं कार्यक्रम का अगला गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है कापशी रोड अकोला महाराष्ट्र से संतोषराव बाकड़े, श्रीमती ज्योतिताई बाकड़े, कुमारी दिपाली बाकड़े पवन कुमार बाकड़े और समस्त बाकड़े परिवार ने आप सभी ने सुनना चाहा है परख (1960) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं शैलेन्द्र और संगीत दिया है शलिल चौधरी ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 4. ओ सजना बरखा बहार आई ......

    पंकज - जब एल्बर्ट आइनस्टाइन की मृत्यु 1955 हुई, तो डॉ थॉमस हार्वे ने उनकी मृत्‍यु के साढ़े सात घंटे बाद ब्रेनेक्टोमी की और उनके दिमाग को संरक्षित कर लिया। साल 1978 में एक जर्नलिस्ट स्टेसी लेवी ने जांच कर बताया कि इतने सालों बाद भी उनके संरक्षित दिमाग का कुछ हिस्सा जिंदा था और एकदम ठीक भी।

    दिमाग के दांए और बांए हिस्से के बीच के अंतर को जानते हैं? दिमाग का बांया हिस्सा हमें हर चीज को प्रैक्टिकल रूप से लेने के लिए बाध्य करता है वहीं दांया हिस्सा हमारी रचनात्मकता को पैदा करता है। ये दोनों एक साथ काम करते हैं। और इससे भी बड़ी बात ये कि अगर आप अपने दिमाग का एक-चौथाई हिस्सा भी खो दें, फिर भी जी सकते हैं।

    क्या आपको पता है कि औरतों के दिमाग की तुलना में मर्दों का दिमाग दस प्रतिशत बड़ा होता है। फिर भी महिलाओं के ‌दिमाग में रक्त कोशिकाएं और कनेक्टर्स ज्यादा होते हैं, इस वजह से वो और बेहतरी से काम कर पाती हैं। औरतों के दिमाग में भावनात्मक पहलू भी ज्यादा काम करता है वहीं पुरुषों का लॉजिकल हिस्सा ज्यादा काम करता है।

    क्या आपको पता है कि हमारा दिमाग सोने के दौरान सबसे ज्यादा एक्टिव रहता है? जी हां, इसलिए हम सपने देखते हैं। एक स्टडी के मुताबिक सपने देखने से हम खुद को किसी बड़े सदमे से बचाते हैं और ये भी पाया गया है कि जिन लोगों का आईक्यू ज्यादा होता है वो सपने ज्यादा देखते हैं।

    अंजली – वैसे दिमाग के बारे में मैंने भी कहीं पढ़ा था कि दिमाग शरीर का एक ऐसा भाग होता है जो कभी नहीं सोता और हमेशा सचेत रहता है, हमारा अवचेतन मन भी दिमाग से जुड़ा रहता है। हम सोते समय अपने सपनों में जो चेहरे देखते हैं वो चेहरे हमने अपने जीवन में कहीं न कहीं देखे होते हैं चाहे वास्तविकता में या फिर फिल्मों और पत्र पत्रिकाओं में, क्योंकि वैज्ञानिकों का कहना है कि दिमाग हवा में चेहरे नहीं बनाता, यानी वो चेहरे जो हम अपने सपनों में देखते हैं उन्हें हमने अपने जीवन में कभी न कभी देखा ज़रूर होता है। लेकिन ये एक बड़ी पहेली है कि कभी कभी हम सुनते हैं कि कोई चार या पांच साल का बच्चा अचानक अपने पिछले जन्म में की यादों में चला जाता है और जब उसके परिजन उन जगहों की यात्रा करते हैं तो उस बच्चे की बातों को सच पाते हैं, आधुनिक विज्ञान भी अब पुनर्जन्म को सच मानने लगा है लेकिन अभी तक इसका वैज्ञानिक आधार देने में सफल नहीं हो सका है, खैर इतनी लंबी बातों के बीच में मैं आपको गाना सुनवाना ही भूल गई। मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं अखिल भारतीय रेडियो श्रोता संघ महात्वाना, महोबा, उत्तर प्रदेश से पंडित मेवालाल परदेसी और इनके ढेर सारे मित्र आप सभी ने सुनना चाहा है दूर का राही (1971) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और सुलक्ष्णा पंडित ने संगीत दिया है किशोर कुमार ने और गीत के बोल हैं -------

    सांग नंबर 5. बेकरार दिल तू गाए जा .....

    पंकज - हम सपने को वो मोड़ भी दे सकते हैं, जो हम चाहते हैं। ल्‍यूसिड ड्रीमिंग के बारे में जानते हैं? ये सपने देखने का वो तरीका होता है जिसमें इंसान पूरी तरह से नींद में नहीं रहता। वो ऐसे सपना देख रहा होता है जिसमें उसे पता रहता है कि वो सपने में है। फिर वो जो चाहे , उसे मोड़ दे सकता है। क्या आप जानते हैं हम हंसते क्यों हैं? केवल इंसानों को ही क्षमता प्राप्त है। पर हम ऐसा क्यों करते हैं, इसके बारे में कई कारण बताए जाते हैं, कोई एक वजह नही है। क्या सिर के आकार का दिमाग से कोई संबंध है ? ऐसा भी सोचा गया है कि क्या ऐसा वाकई है कि जिसका सिर जितना बड़ा उतना ही दिमाग भी और सिर जितना छोटा उतना ही दिमाग भी छोटा? लेकिन अब तक इन दोनों के बीच कोई ठोस संबंध नहीं निकाला जा सका है। ऐल्बर्ट आइनस्टाइन को ज्यादा आईक्यू के लिए दुनिया जानती है। पर किम उंगयॉन्ग को भी सबसे ज्यादा आईक्यू होने वाले लोगों में गिना जाता है। जब वो आठ महीने के थे, तभी उन्होंने एलजेब्रा पर महारथ हासिल कर ली। दो साल की उम्र तक वो चार भाषाओं में पांरगत थे। उन्होंने युनिवर्सिटी में एंट्री ही चार साल की उम्र में ले ली और पंद्रह बरस तक ग्रैजुएट हो चुके थे। साथ ही किम एक बेहतरीन पेंटर और कवि हैं। वो साउथ कोरिया में रहते हैं।

    ...अंजली – मित्रों हमारे कार्यक्रम में अगला पत्र लिख भेजा है दिनेश कुमार साहू और इनके सभी परिजनों ने आपने हमें पत्र लिखा है ग्राम अशरफ़गंज, ज़िला सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश से और आपसभी ने सुनना चाहा है लोक परलोक (1979) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 6. बादल कब बरसोगे ......

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली – नमस्कार।

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