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पंकज – श्रोता मित्रों आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की करते हैं शुरुआत और आपका मित्र पंकज श्रीवास्तव करता है आप सभी को नमस्कार, तो मित्रों आपके इस सबसे चहेते आपकी पसंद कार्यक्रम में हम आपको हैरतअंगेज़ और ज्ञानवर्धक जानकारियां देने का सिलसिला शुरु करते हैं और साथ ही आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत।
अंजली– श्रोता मित्रों को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं आपके प्यार के कारण ही दिनों दिन हमारे श्रोताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और हम चाहते हैं कि आप हमारे कार्यक्रम में अपने कुछ सुझाव भी भेजें जिससे हम अपने इस कार्यक्रम को नए रूप में ढालें तो वो आपके अनुरूप हो, जिससे आप अपने इस चहेते और प्यारे कार्यक्रम को सुनने के लिये और भी अधिक उत्सुकता दिखाएं, हमारा उद्देश्य है आपको ढेर सारी जानकारी देना साथ ही हम आपको आपकी पसंद के फिल्मी गाने भी सुनवाते हैं तो चलिये करते हैं आज के कार्यक्रम की शुरुआत। मित्रों हमारे पहले श्रोता हैं ... धनौरी तेलीवाला, हरिद्वार, उत्तराखंड से निसार सलमानी, समीना नाज़, सुहैल बाबू और इनके सभी साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है मधुमति (1958) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर और मन्ना डे ने गीतकार हैं शैलेन्द्र और संगीत दिया है शलिल चौधरी ने और गीत के बोल हैं ------
सांग नंबर 1. चढ़ गयो पापी बिछुआ ......
पंकज - नौकरी छोड़ते गए, कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए..
अक्सर आप लोगों को कहते सुनते हैं कि नौकरी से परेशान हैं. मन नहीं लग रहा. उनकी क़ाबिलियत के हिसाब से काम नहीं मिल रहा. तरक़्क़ी नहीं हो रही.
इनमें से कई लोग, नौकरी छोड़कर ख़ुद का कारोबार शुरू करने का इरादा रखते हैं. कई ये काम कर भी डालते हैं.
आज सरकार भी ऐसे लोगों का हौसला बढ़ा रही है. भारत में भी सरकार ने जोखिम उठाने वालों के लिए स्टार्ट-अप इंडिया के नाम से योजना शुरू की है.
दुनिया ऐसे लोगों से भरी पड़ी है, जो स्थायी नौकरी, बंधी-बंधाई तनख़्वाह, सुरक्षित ज़िंदगी का मोह छोड़कर, बड़े जोखिम लेते हैं. बल्कि आज की तारीख़ में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने शानदार करियर को ठोकर मारी और ख़ुद का काम शुरू करके कामयाबी हासिल की.
ऐसे जोखिम लेने वाले बहुत से लोगों की ज़िंदगी एकदम बदल गई. कामयाबी के साथ उन्होंने शोहरत और बेशुमार दौलत भी कमाई।
अंजली – लेकिन हम सिर्फ सफल लोगों को देखकर ही किसी भी बात का मूल्यांकन न करें क्योंकि ऐसा कदम उठाने वाले कई लोग असफल भी होते हैं, लेकिन उनके बारे में कोई भी बात नहीं करता है। हमें कोई भी कदम उठाने से पहले उसके अच्छे और बुरे पक्ष के बारे में भी बात कर लेना चाहिए। मुझे भी अच्छा लगता है ये सुनकर कि किसी व्यक्ति ने अपना खुद का काम शुरु करने के लिये नौकरी छोड़ी और कड़ी मेहनत के बाद उसकी मेहनत रंग लाई, मेरा भी उत्साह इन खबरों को सुनकर दोगुना हो जाता है। खैर इसी के साथ हम उठाते हैं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है मालवा रेडियो श्रोता संघ, प्रमिलागंज, आलोट, ज़िला रतलाम मध्यप्रदेश से बलवंतकुमार वर्मा और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है अनुरोध (1977) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं -------
सांग नंबर 2. मेरे दिल ने तड़प के जब नाम तेरा पुकारा .....
पंकज - ऐसे ही एक शख़्स हैं, अमेरिका के एरिक ग्रॉस. हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल से एमबीए करने के बाद, ग्रॉस ने इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर करियर शुरू किया था. 1990 के दशक में वो डॉयचे बैंक के डीएमटी टेक्नोलॉजी ग्रुप के साथ जुड़ गए और इंटरनेट स्टार्ट-अप कंपनियों के एक्सपर्ट हो गए.
उन्हें अपनी नौकरी पसंद थी. तेज़ी से तरक़्क़ी भी हो रही थी. तनख़्वाह भी अच्छी ख़ासी थी. कुल मिलाकर, ग्रॉस को अपना मुस्तकबिल बेहद शानदार नज़र आता था.
मगर, साल 2000 में अचानक उन्हें अच्छी ख़ासी नौकरी छोड़कर अपना धंधा करने का ख़याल आया. उन्होंने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर, ऑनलाइन ट्रैवेल कंपनी हॉटवायर शुरू की.
ग्रॉस इस तजुर्बे के बारे में कहते हैं कि इस तरह के जोखिम में एक बात तो तय है कि आपके पास पैसे कम होंगे, संसाधन कम होंगे. जो काम आप दूसरों से लेने के आदी हैं, ऐसे कई काम ख़ुद करने होंगे.
हॉटवायर कंपनी के सहायक संस्थापक और अध्यक्ष के तौर पर ग्रॉस ने इतनी मेहनत की कि तीन साल के भीतर ही वो इंटरनेट की सबसे बड़ी ट्रैवेल वेबसाइट बन गई. बाद में उसे और बड़ी कंपनी एक्सपेडिया ने ख़रीद लिया.
कंपनी बेचकर, ग्रॉस एक्सपेडिया के प्रेसीडेंट बन गए. एक बार फिर वो एक बड़ी कंपनी का हिस्सा बन गए थे. एक बार फिर उनके अंदर जोखिम लेकर, किसी छोटे कारोबार को बड़ा बनाने का कीड़ा कुलबुलाने लगा.
2010 में एरिक ग्रॉस ने एक बार फिर मोटी तनख़्वाह वाली नौकरी छोड़ दी. अब उन्होंने पुराने मगर स्टाइलिश फर्नीचर बेचने वाली ऑनलाइन कंपनी, 'चेयरिश' शुरू की है. वो इस कंपनी के संस्थापक भी हैं और सीईओ भी.
ग्रॉस कहते हैं कि जोखिम भरे काम करना उनकी पर्सनैलिटी का हिस्सा है. नई छोटी या स्टार्ट अप कंपनियों की सबसे बड़ी ख़ूबी है कि उनमें कई काम बड़ी तेज़ी से हो जाते हैं.
फ़ैसलों पर फ़ौरन अमल हो जाता है. और अगर कुछ ग़लत हो रहा है तो आप तुरंत उसमें बदलाव कर सकते हैं. ग्रॉस के मुताबिक़, यही वजह है कि हाथी को चींटी हरा देती है.
हालांकि नौकरी छोड़कर ख़ुद का कारोबार शुरू करना कोई आसान काम नहीं. ख़ास तौर से उन लोगों के लिए जिनके पास मकान की किस्त का बोझ हो, बच्चों की पढ़ाई का ख़र्च हो. ऐसे लोग एक खास तरह की लाइफ़-स्टाइल के आदी हो चुके होते हैं।
अंजली – मित्रों पंकज का काम है आपको नित नई जानकारी देना वहीं मेरा काम है आपको आपकी पसंद की फिल्मों के गाने सुनवाना, आप हमें पत्र लिखकर हमारा उत्साह बढ़ाते हैं और हम आपका पत्र पढ़कर ऐसा महसूस करते हैं जैसे हम आपसे बातें कर रहे हैं। हमें आपका पत्र पढ़ने और आपकी पसंद के गाने सुनवाने में बहुत आनंद आता है। मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं कलेर बिहार से आसिफ़ ख़ान, बेगम निकहत परवीन, सदफ़ आरज़ू, बाबू अरमान आसिफ, इनके साथ ही मदरसा रोड कोआथ से हाशिम आज़ाद, दुर्गेश दीवाना, डॉक्टर हेमन्त कुमार, पिंटू यादव और बाबू साजिद, आप सभी ने सुनना चाहा है भला मानुस फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -----
सांग नंबर 3. गुमसुम क्यों है सनम .....
पंकज - इसे छोड़कर, नया काम शुरू करने का जोखिम लेना सबके बस की बात नहीं. मगर सच तो ये है कि आज के बहुत से कामयाब कारोबारियों ने बंधी-बंधायी तनख़्वाह का मोह छोड़ा और ज़िंदगी में कामयाबी के नए मुकाम तक पहुंचे.
इस बारे में अमेरिकी हेज फंड मैनेजर जेफ ग्रैम ने एक क़िताब लिखी है, 'डियर चेयरमैन'. जिसमें ऐसे कामयाब लोगों के क़िस्से हैं जिन्होंने बढ़िया नौकरी छोड़ने का रिस्क लिया और कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचे.
ग्रैम कहते हैं कि ऐसे जोखिम लेने वाले लोग वो हैं जो अपनी नौकरी से ख़ुश नहीं. ग्रैम के मुताबिक़ ऐसे लोगों में कामयाब होने की ऐसी बेक़रारी है कि बढ़िया नौकरी, शानदार सैलरी उन्हें रास नहीं आते.
ऐसे लोगों की दुनिया में कमी नहीं जिन्होंने नौकरी छोड़कर कामयाबी के नए क़िस्से गढ़े. वालमार्ट के सैम वाल्टन हों या फिर मैक्डोनाल्ड्स के रे क्रॉक, सबने ऐसा ही जोखिम उठाया और आज दुनिया उनका लोहा मानती है.
मगर ग्रैम की नज़र में इस जोखिम भरी कामयाबी का सबसे बड़ा नाम हैं अमेरिकी कारोबारी रॉस पेरो, जिन्होंने 1992 औऱ 1996 में अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा था.
ग्रैम बताते हैं कि पेरो, 1962 में आईबीएम के दुनिया के सबसे बड़े सेल्समैन थे. उनकी कामयाबी का आलम ये था कि 1962 में पूरे साल के लिए जो टारगेट दिया गया था, उसे उन्होंने उसी साल 19 जनवरी को पूरा कर डाला था.
इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर इलेक्ट्रॉनिक डेटा सिस्टम कंपनी की शुरुआत की, जिसकी कामयाबी से वो अरबपति बन गए.
हालांकि, ऐसी कामयाबी सबको मिले ये ज़रूरी नहीं. लंदन में रिथिंक ग्रुप नाम से रोज़गार कंपनी चलाने वाले माइकल बेनेट कहते हैं कि ऐसे कामयाब अरबपतियों को मिसाल मानना तो ठीक, मगर बिना सोचे-समझे नौकरी छोड़कर कारोबार की दुनिया में कूद जाना समझदारी नहीं.
अंजली – मित्रों हम जैसे नियमित तौर पर आपको जानकारियां देने का सिलसिला जारी रखते हैं और आपके पत्रों को पढ़कर आपको सुरीले और मधुर फिल्मी गीत सुनवाते हैं उससे हमारे और आपके बीच का जो संबंध है वो और मज़बूत होता है। मुझे लगता है कि जैसे मैं आपके सामने बैठकर आपसे बातें कर रही हूं और आप मुझसे अपनी पसंद के फिल्मी गाने सुनाने का अनुरोध कर रहे हैं। ऐसा अनुभव मुझे बहुत अच्छा लगता है। चलिये इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिखा है कुरसेला तिनधरिया से ललन कुमार सिंह, श्रीमती प्रभा देवी, कुमार केतु, मनीष कुमार मोनू, गौतम कुमार, स्नेहतला कुमारी, मीरा कुमारी और एल के सिंह ने आप सभी ने सुनना चाहा है प्रियतमा (1977) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं------
सांग नंबर 4. कोई रोको ना -----
पंकज - बेनेट कहते हैं कि ऐसे लोग अलग ही मिट्टी के बने होते हैं. उनके अंदर कामयाब होने की ललक हमसे ज़्यादा होती है.
वो सलाह देते हैं कि नौकरी छोड़कर कारोबार शुरू करने का फ़ैसला बहुत सोच-विचारकर लेना चाहिए. पहला सवाल तो ख़ुद से होना चाहिए कि क्या आपके अंदर कारोबार करने वाला दिमाग़ है? क्या आप इससे जुड़े ख़तरों से जूझने को तैयार हैं? पैसे की तंगी से जूझने की आपके अंदर ताक़त है?
अगर इन सवालों के जवाब हां में मिलते हैं तो अगला क़दम होगा कि अपने दोस्तों, जानने वालों से सलाह मशविरा करना. जो आपके शुभचिंतक हैं, उनसे पूछिए कि ऐसा क़दम उठाना कहां तक सही होगा?
अगर उनके जवाब भी आपके इरादों को मज़बूत करते हैं, तो आप ये जोखिम उठाने को तैयार हैं. फिर भी आगे बढ़ने से पहले अपने सारे विकल्प तलाश लीजिए. जिस कारोबार को शुरू करना चाहते हैं, उससे जुड़ी सारी जानकारी जुटा लीजिए.
अच्छे से रिसर्च कर लीजिए कि आपके काम के लिए बाज़ार है कि नहीं. आगे बढ़ने के कितने रास्ते खुले हैं? अच्छी कमाई होगी कि नहीं.
ख़ुद माइकल बेनेट ने अपनी कंपनी रीथिंक ग्रुप शुरू करने से पहले इस बारे में काफ़ी सोच-विचार किया था. ग्यारह साल पहले उन्होंने शानदार नौकरी छोड़कर अपनी कंपनी शुरू की थी. आज उनके आठ शहरों में दफ़्तर हैं, 220 मुलाज़िम हैं और सालाना क़रीब 12 करोड़ पाउंड या क़रीब एक हज़ार करोड़ का कारोबार है.
अंजली – मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं शनिवार पेठ बीड शहर महाराष्ट्र से पोपट कुलथे, हनुमंत कुलथे, समर्थ कुलथे, पी बी कुलथे और पूरा कुलथे परिवार .... इनके साथ ही नारेगांव औरंगाबाद से दीपक आडाणे, श्याम आडाणे और इनके परिजन आप सभी ने सुनना चाहा है चलते चलते (1976) फिल्म का गाना जिसे गाया है बप्पी लाहिरी और सुलक्ष्णा पंडित ने गीतकार हैं अमित खन्ना और संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने और गीत के बोल हैं --------
सांग नंबर 5. जाना कहां है ......
पंकज - बेनेट कहते हैं कि नौकरी छोड़कर धंधा शुरू करने में काफ़ी जोखिम हैं. आपके अंदर ये हुनर होना चाहिए कि आप इसके डर को जीत सकें और कामयाबी की डगर पर चल सकें.
मशहूर इंटरनेट कंपनी शॉपज़िला के संस्थापक रहे चक डेविस ऐसा दो बार कर चुके हैं. 1995 में उन्होंने एक पब्लिशिंग हाउस की बढ़िया नौकरी को ठोकर मार दी, जिसमें 900 लोगों की टीम उनके अंदर काम करती थी.
उसके बाद उन्होंने डिज़्नी कंपनी को अपनी ऑनलाइन रिटेल और ट्रैवल कंपनी शुरू करने में मदद की. तीन साल बाद उन्होंने ये काम छोड़कर, बिज़रेट डॉट कॉम नाम की कंपनी शुरू की.
इसी का नाम बाद में बदलकर शॉपज़िला रखा गया. 2005 में ये ऑनलाइन शॉपिंग की तुलना करने वाली सबसे बड़ी वेबसाइट थी. उस साल इसे करोड़ों डालर में बेच दिया गया.
चक डेविस कहते हैं कि ऐसे जोखिम लेने में सबसे बड़ा सवाल होता है कि आख़िर कब ऐसा किया जाए? कुछ लोग अपने करियर की शुरुआत में ये रिस्क लेते हैं तो कुछ, ज़िंदगी में तजुर्बे हासिल करने के बाद.
डेविस कहते हैं कि उन्होंने पहला जोखिम 36 साल की उम्र में लिया और दूसरी बार ऐसा 39 की उम्र में किया.
कम उम्र में ऐसा करने का फ़ायदा ये है कि ऐसे लोगों के पास गंवाने के लिए ज़्यादा कुछ नहीं रहता. मगर, इसका दूसरा पहलू ये है कि ज़्यादा उम्र में जोखिम लेने वालों के पास तजुर्बे की पूंजी होती है. इससे उनके कामयाब होने की उम्मीद ज़्यादा रहती है.
चक डेविस भी कहते हैं कि नौकरी छोड़कर स्टार्ट-अप कंपनी खोलने से पहले किसी बड़ी कंपनी में काम करके अपने फ़ील्ड का तजुर्बा हासिल करना बेहतर रहता है.
ख़ुद चक डेविस ने 2005 में शॉपज़िला को बेचने के बाद मूवी टिकट बेचने वाली ऑनलाइन कंपनी फनडांगो में नौकरी कर ली थी. क़रीब 6 साल कंपनी के सीईओ रहने के बाद उन्होंने स्वैगबक्स नाम की ऑनलाइन कंपनी खोल ली.
अब इस कंपनी का नाम आपने शायद ही सुना हो. मगर यही डेविस को पसंद है. किसी अनजान, छोटी कंपनी को एक बड़े नाम में तब्दील करने का चैलेंज उन्हें अच्छा लगता है.
डेविस कहते हैं नौकरी छोड़कर स्टार्ट-अप की शुरुआत करना सबके बस की बात नहीं. आपको नियमित तनख़्वाह, बंधे-बंधाए काम के घंटों, बीमा की सिक्योरिटी जैसी कई सुविधाओं का मोह छोड़ना होता है.
लेकिन, जिन्हें लगता है कि नौकरी की बंदिश उनके सपनों को परवान चढ़ने से रोक रही है, उनके लिए तो कामयाबी की पूरी दुनिया का मैदान सामने खुला हुआ है.
तो देर किस बात की है. सोचिए विचारिए और उठा लीजिए कामयाबी का स्टार्ट अप क़दम.
अंजली – मित्रों ये जानकारी ऐसी है कि बस हम आज ही अपनी नौकरी छोड़कर अपना खुद का व्यवसाय शुरु कर दें। लेकिन मित्रों कुछ भी करने से पहले उसपर शोध और अच्छी तरह से सोचना समझना बहुत ज़रूरी है नहीं तो कहीं ऐसा ना हो कि आप काम तो कुछ और शुरु करना चाहें लेकिन आपको लेने के देने ना पड़ जाएं। इसलिये अच्छी तरह सोच विचारने के बाद और आप जो भी काम शुरु करना चाहते हैं उसके विशेषज्ञों से बात करने के बाद ही आप कोई नया काम शुरु करें। और इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है बिधानचंद्र सान्याल, रीता चक्रवर्ती, रीता सान्याल और हाब्रू ने, हम आपसे एकबार फिर आग्रह करते हैं कि आप हमें अपना पूरा पता साफ साफ लिखकर भेजें, अब हम सुनवाने जा रहे हैं आपकी पसंद फिल्म का गाना , आपने सुनना चाहा है दो अंजाने (1977) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और शिवांगी कोल्हापुरे ने गीतकार हैं अंजान संगीतकार हैं कल्याणजी आनंदजी और गीत के बोल हैं -----
सांग नंबर 6. लुकछिप लुकछिप जाओ ना .....
पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।
अंजली – नमस्कार।