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    संडे की मस्ती 2016-02-21
    2016-02-21 18:57:40 cri

    अखिल- हैलो दोस्तों...नमस्कार...नीहाओ...। आपका स्वागत है हमारे इस चटपटे और laughter से भरे कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में। मैं हूं आपका दोस्त और होस्ट अखिल पाराशर और मेरे साथ है मेरी सहयोग सपना जी

    दोस्तों, हर बार की तरह आज के इस कार्यक्रम में होंगे दुनिया के कुछ अजब-गजब किस्से और करेंगे बातें हैरतंगेज़ कारनामों की.... इसी के साथ ही हम लेकर आये हैं मनोरंजन और मस्ती की सुपर डबल डोज, जिसमें होंगे चटपटे चुटकुले, ढेर सारी मस्ती, कहानी और खूब सारा फन और चलता रहेगा सिलसिला बॉलीवुड और चाइनिज गानों का भी।

    अखिल- चलिए दोस्तों, प्रोग्राम शुरू करने से पहले, हम सुनते हैं यह चीनी गीत।

    सपना- इस चीनी गीत का नाम है....

    अखिल- वैल्कम बैक दोस्तों, आप सुन रहे हैं संडे के दिन, मस्ती भरा कार्यक्रम संडे की मस्ती Only on China Radio International

    अखिल- चलिए दोस्तों... आज हम आपको ले चलते हैं हमारे संडे स्पेशल की तरफ, जहां आज सपना जी प्रस्तुत करेंगी एक विशेष रिपोर्ट।

    अखिल- दोस्तों, यह था हमारा संडे स्पेशल। चलिए... दोस्तों, अभी हम चलते हैं अजीबोगरीब और चटपटी बातों की तरफ।

    अखिल- दोस्तों, आज मैं आपको अजीबोगरीब और चटपटी बातों के सेगमेंट में सबसे पहली खबर बताने जा रहा हूं कि बिहार में एक वेल्डर के बेटा का कहना है कि पापा को यकीन नहीं हुआ कि मेरी 1 करोड़ रु. की नौकरी लगी है

    दोस्तों, 21 साल के वात्सल्य सिंह चौहान की नौकरी जब सालाना 1.02 करोड़ रुपए पर अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में लगी तो उनके परिवार वालों को पहले तो यकीन ही नहीं हुआ। चौहान के पिता बिहार के खगड़िया में वेल्डिंग का काम करते हैं और अपने बेटे को आईआईटी खड़गपुर भेजने के लिए उन्होंने लोन लिया था। वात्सल्य अपने पिता चंद्रकांत सिंह के बारे में बात करते हुए कहते हैं पहले तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। फिर जब उन्हें पता चला कि खबर पक्की है तो कुछ समय तक तो वह कुछ बोल ही नहीं पाए।

    अपनी पढ़ाई की बात करते हुए वात्‍सल्य कहते हैं कि उनकी ज्यादातर शिक्षा स्कॉलरशिप के ज़रिए ही हुई है लेकिन उनके पिता ने कभी पढ़ाई के बीच उनकी आर्थिक तंगी को नहीं आने दिया। एनडीटीवी से बातचीत के दौरान चौहान ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी पाने के लिए पांच राउंड हुए थे जो उन्हें 'मुश्किल' नहीं लगे लेकिन उन्हें ज्यादा उम्मीदें भी नहीं थी। कोड राइटिंग टेस्ट, लिखित परीक्षा और फिर इंटरव्यू के तीन राउंड पूरा करने वाले वातसल्य ने कहा कंपनी उनके इंटरव्यू से काफी प्रभावित थी।

    वात्‍सल्य ने बताया कि उन्होंने दसवीं की पढ़ाई खगड़िया से ही पूरी की थी और उन्हें पता भी नहीं था कि यह आईआईटी आखिर कहां हैं। 2009 में आईआईटी में प्रवेश नहीं पाने के बाद उन्होंने कोटा, राजस्थान में कोचिंग क्लास लेनी शुरू की थी। वात्‍सल्य के पिता की मानें तो वहां के शिक्षकों ने आश्वासन दिया था कि उनके बेटे के खर्चे का वह ख्याल रखेंगे। उन्होंने बताया 'तीन शिक्षकों ने इसके टैलेंट को समझा और इसका सारा खर्चा उठाया। मुझे सिर्फ ट्रेन की टिकट का खर्चा उठाना पड़ता था। कोटा में जब मैं बेटे से मिलने जाता था तो हमें ऐसा खाना मिलता था जो हम घर में खाने के बारे में नहीं सोच सकता था।'

    वात्‍सल्य के पिता चंद्रकांत सिंह के पांच बच्चे और हैं और अब उन्होंने अपनी एक बेटी को कोटा में मेडिकल परीक्षा की तैयारी के लिए भेजा है।

    सपना- आइए... मैं आपको बताती हूं कि एक मशीन के बारे में जो कुछ महीनों या सालों में नहीं ब्लकि कुछ घंटों में ही ब्रिज तैयार कर देती है

    दोस्तों, हमारे प्रोग्राम में आप अकसर चीन की अपनी टेक्नोलॉजी के बारे में सुनते रहते हैं। इस बार भी ऐसा कुछ है। चीन में 'द आयरन मॉन्स्टर' (The Iron Monster) नाम की ये मशीन हजारों किमी लंबे ब्रिज को तैयार करने में कुछ साल या कुछ महीने नहीं ब्लकि कुछ घंटों में ही ब्रिज तैयार कर देती है।

    जानकारी के मुताबिक, चीन में इस मशीन की सहायता से कुछ घंटों में ब्रिज बनकर तैयार किए जा रहे हैं। ये मशीन छंगतु से क्वेइचो तक रेलवे ब्रिज तैयार कर रही है। इस मशीन का टेक्निकल नाम SL900/32 है और 580 टन वजनी मशीन की लंबाई 300 फीट और चौड़ाई 24 फीट बताई जा रही हैं जिसे शी च्याच्वांग रेलवे डिजाइन इंस्टीट्यूट ने बनाया है।

    अखिल- चलिए मैं आपको बताता हूं चीन में हवा में टिका हुआ है एक मंदिर

    दोस्तों, इस धरती पर करोडों मंदिर है। हर मंदिर की अलग ही मान्यता है। लेकिन इस मंदिरों में एक मंदिर भी ऐसा है जो हवा में खडा है। जी हां, आप शायद इस बात पर यकीन ना करें लेकिन यह सच है। उत्तरी चीन के शानशी प्रांत में हंग पहाड़ी पर एक ऐसा मंदिर है जो हवा में टिका हुआ है। यह मंदिर जमीन के तल से 75 मीटर या 246 फुट ऊपर बनाया गया है।

    यह चीन में अब तक सुरक्षित एकमात्र बौद्ध, ताओ और कन्फ्युशियस धर्मों की मिश्रित शैली से बना अदभुत मंदिर है। इस मंदिर से निकटतम नगरताथोंगा है, जो इसके उत्तर-पश्चिम में 64.23 किमी दूर है। यह हवा में खडा मंदिर ऐतिहासिक स्थलों और मुख्य पर्यटक आकर्षणों में से एक है। बता दें, इस जगह को दुनिया की दस सबसे अजीब खतरनाक इमारतों में शामिल किया। हंग पहाड़ी के इतिहास के अनुसार मूल मन्दिर का निर्माण लियाओ नामक एक भिक्षु ने अकेले शुरू किया था। यह मंदिर 1600 वर्ष से भी अधिक पुराना है जिसका कई बार विस्तार और मरम्मत हो चुकी है।

    मंदिर के ऊपर पहाड़ी चट्टान का एक विशाल टुकड़ा बाहर की ओर आगे बढ़ा हुआ है, जिसे देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे वह अभी मंदिर पर गिर जाएगा।

    सपना- चलिए... मैं बताती हूं कि मच्छरों से लड़ने में इस गांव ने मिसाल कायम की, 'जादुई गड्ढे' ने बनाया इसे 'मच्छर फ्री गांव'

    दोस्तों, महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले की हिमायत नगर तालुका के एक गांव 'तेंभूरनी' में एक दशक पहले शुरू की गई कोशिश ने आज पूरे नांदेड़ को मच्छर मुक्त बना दिया है. इस वक़्त जब पूरी दुनिया जीका वायरस (मच्छर के काटने से ट्रांसफर होने वाला वायरस) से बचने की कोशिश कर रही है, इस गांव और जिले ने दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है.

    नांदेड़ के कई गांवों ने घर के सामने पानी सोखने वाले गड्ढे बनाकर अपने घरों के आस-पास पानी को एकत्र होने से रोकने का अपना तरीका खोज लिया है. इसमें एक चार फीट गहरे गड्ढे को सीमेंट की पाइप से ढककर बनाया जाता है, जो अतिरिक्त पानी को सोख लेता है. पैसे की कमी इस प्रोजेक्ट को रोक न सके इसलिए सरपंच प्रह्लाद पाटिल ने गांधी जी के सिद्धान्त को अपनाते हुए लोगों को श्रमदान के लिए प्रोत्साहित किया और धीरे-धीरे पूरे गांव में यही तरीका अपनाया गया. सरकारी पैसा न होते हुए भी घर-घर में मच्छरों से बचने का यह तरीका कारगर साबित हुआ.

    धीरे-धीरे अन्य गांवों में भी यह तकनीक अपनाई गई और इसका एक और फायदा यह हुआ कि इन गांवों में पीने के पानी के हैंडपंप लगने शुरू हुए और अब ये गांव पूरी तरह से धरती के पानी पर निर्भर हैं, जो कि पहले टैंकर के पानी पर निर्भर थे. क्योंकि अब भूजल का स्तर काफी सुधर चुका है.

    अखिल- दोस्तों, नांदेड़ जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिमन्यु काले ने तेंभूरनी गांव से निकले इस आइडिया को पूरे जिले में लागू करने का निर्णय लिया. 'महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना' से मिलने वाला पैसा इन गड्ढों को बनाने में खर्च किया जा रहा है. यहां के स्थानीय निवासी इस गड्ढे को 'जादुई गड्ढा' कहते हैं.

    नांदेड़ जिला स्वास्थ्य अधिकारी बालाजी शिंदे कहते हैं कि मच्छरों से फैलने वाली और पानी रुकने से होने वाली बीमारियों में 75 फीसदी की कमी देखी गई है. वह बताते हैं कि यहां कई बार सर्वे करने के बावजूद भी मच्छर उत्पन्न करने वाली कोई जगह नहीं पाई गई है.

    नांदेड़ जिले से शुरू हुई इस मुहिम को सीखने के लिए हरियाणा, आंध्रा प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा आदि प्रदेशों की सरकारी टीमें लगातार यहां आ रही हैं. महाराष्ट्र ग्रामीण विकास विभाग ने भी इस मुहिम को पूरे प्रदेश में चलाने को कहा है.

    दोस्तों, सोचिए कि अगर इस प्रोजेक्ट को देश भर में लागू करने में सफलता मिल जाए तो हमें जीका वायरस या मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों से डरने की क्या जरूरत होगी?

    सपना- चलिए दोस्तों, अभी हम सुनते हैं यह हिन्दी गाना जो पिछले साल 2015 के बेस्ट गानों का काउंटडाउन है... उसके बाद आपके ले चलेंगे हमारे मनोरंजन के दूसरे सेगमेंट की तरफ...

    अखिल- दोस्तों, आपका एक बार फिर स्वागत है हमारे इस मजेदार कार्यक्रम संडे की मस्ती में... मैं हूं आपका दोस्त एन होस्ट अखिल।

    अखिल- दोस्तों, आज हम आपको सामान्य ज्ञान के सेगमेंट में बताने जा रहे है जीका वायरस के बारे में।

    दोस्तों, ये हम सभी जानते हैं कि लैटिन अमेरिका के कई देशों को अपनी चपेट में ले चुका 'जीका वायरस' एक वैश्विक खतरा बनता जा रहा है. यह वायरस मच्छरों के काटने से फैलता है, जो प्रशांत क्षेत्र में पहली बार साल 2007, साल 2013 और साल 2015 में अमेरिकी महाद्वीप (ब्राजील और कोलंबिया) और अफ्रीका (केप वरदी) में सामने आया था. वर्तमान में अमेरिका के 22 देश जीका वायरस के संक्रमण से प्रभावित हैं. यह इसके तेजी से बढ़ते भौगोलिक क्षेत्र का संकेत है.

    सपना- आपको बताते हैं कि जीका वायरस के क्या लक्षण होते हैं.... दोस्तों, जीका वायरस से संक्रमित होने पर बुखार, त्वचा पर चकत्ते और आंखों में जलन, मांसपेशी और जोड़ों में दर्द की परेशानी होती है. यह लक्षण आमतौर पर 2 से 7 दिनों तक रहते हैं.

    अखिल- अब बात करते हैं संक्रमण की.... दोस्तों, जीका वायरस एडीस मच्छर के काटने से फैलता है. उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में यह मुख्य रूप से एडीस एजिप्टी से फैलता है. यही मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया और पीत ज्वर के लिए जिम्मेदार होता है और जीका वायरस का पता लगाने के लिए पॉलिमीरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) और रक्त के नमूनों से वायरस की जांच की जाती है.

    सपना- चलिए जानते हैं ज़ीका वायरस से बचने के 5 उपाए....

    1. मच्छर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, ज़ीका वायरस के संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरों की रोकथाम.

    2. ज़ीका वायरस की रोकथाम डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढककर रखें और हल्के रंग के कपड़े पहनें.

    3. कपड़े मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए अपने घर के आसपास गमले, बाल्टी, कूलर आदि में भरा पानी निकाल दें.

    4. ज़ीका वायरस की रोकथाम बुख़ार, गले में ख़राश, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होने जैसे लक्षण नज़र आने पर अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन और भरपूर आराम करें.

    5. ज़ीका वायरस की रोकथाम ज़ीका वायरस का फ़िलहाल कोई टीका उपलब्ध नहीं है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि स्थिति में सुधार नहीं होने पर फ़ौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

    सपना- दोस्तों, हर बार की तरह इस बार भी हम आपको नई रिलिज हिन्दी फिल्मों के बारे मे बताएंगे और फिल्म का प्रोमो भी सुनवाएंगे। हम आपको बताते हैं कि इस शुक्रवार रिलिज हुई है फिल्म नीरजा'

    अखिल- दोस्तों, इस शुक्रवार यानि 19 फरवरी को सच्ची घटना पर आधारित फिल्म नीरजा रिलिज हुई है। डायरेक्टर राम माधवानी द्वारा डायरेक्टिड नीरजा फिल्म में सोनम कपूर मुख्य भूमिका में हैं, जो नीरजा भनोट का किरदार निभा रही हैं, जिन्होंने 1986 में कराची से अगवा पैन एएम की उड़ान संख्या 73 में सवार यात्रियों की जान बचाने के दौरान अपनी जान दे दी।

    आपको बता दें कि नीरजा भनोट ने 1986 में अपनी जान देकर सैंकड़ो यात्रियों की जान बचाई थी। कुछ हथियार आतंकियों ने 'पैन एम 73 प्लेन' को करांची से अगुवा कर लिया था। फ्लाइट के क्रू और पायलेट प्लेन छोड़कर भाग गए थे। ऐसे में नीरजा ने ही अपनी सूझबूझ और साहस से लोगों की जान बचाई थी। इस फिल्म में दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी नीरजा भनोट की मां का किरदार निभा रही हैं। यह फिल्म 19 फरवरी को सभी सिनेमाघरों में लग चुकी है। आइए... हम आपको सुनवाते हैं नीरजा फिल्म का ट्रेलर

    सपना- दोस्तों, ये था 'नीरजा'फिल्म का ट्रेलर, चलिए हंसी की डबल डोज देने के लिए हम हर बार की तरह इस बार भी आपके लिए लेकर आए कुछ मजेदार जोक्स, जिन्हें सुनकर आप लोट-पोट हो जाएंगे... आइए.. सुनते हैं कुछ मजेदार जोक्स

    अखिल- 1. एक पिता ने अपने बेटे को दो-तीन झापड़ रसीद कर दिए, थोड़ी देर बाद प्यार से सॉरी बोल दिया। बेटा - डैड, एक कागज लो, उसे मोड़ो, रोल बनाओ। वापस उस कागज को खोलो और देखो क्या वह पहले जैसा ही कड़क है.

    पिता - नहीं

    बेटा - सही कहा, रिश्ते भी ऐसे ही होते हैं। सॉरी से काम नहीं चलता।

    पिता - बेटा बाहर मेरा स्कूटर खड़ा है। जाओ और उस पर एक किक मारो। बताओ क्या वह स्टार्ट हुआ।

    बेटा - नहीं हुआ।

    पिता - अब तीन-चार किक मारो।

    बेटा - स्टार्ट हो गया।

    पिता - तू भी वही स्कूटर है, कागज नहीं। ज्ञान मत दे मुझे!

    2. एक मुर्गी ने बाज से शादी कर ली। शादी के बाद एक मुर्गे ने मुर्गी से कहा- हम क्या मर गए थे जो तूने इस बाज से शादी कर ली? मुर्गी बोली- शादी तो मैं तुमसे ही करना चाहती थी पर पिताजी की जिद थी कि लड़का एयरफोर्स में हो..!

    3. प्रतियोगिता में शर्त लगी थी की ख़ुशी को 3 शब्दों में लिखो- सब पुस्तकें पलटने लगे... मैंने लिखा "पत्नी मायके गई"….. भाई साहब... आयोजक मुझे स्टेज तक उठा के ले गए! जा के खूब सम्मान किया और बैंड बाजे से घर तक छोड़ गए! अब घर के बाहर बैठा हूँ...पत्नी दरवाजा नहीं खोल रही!

    4. संता के घर उसका विदेशी दोस्त आया और दरवाजे पर नीबू मिर्ची लटके देख चकराया और पूछा- ये क्या है ? संता- ये एंटी वायरस है। "मेड इन इंडिया"

    अखिल- दोस्तों, आप भी हमारे साथ जोक और हंसी मजाक की बातें शेयर कर सकते हैं। चलिए... अब हम आपसे विदा लेते हैं। अब हमारा जाने का वक्त हो चला है... अगले हफ्ते हम फिर लौटेंगे, इसी समय, इसी दिन अपनी मस्ती की पाठशाला लेकर। आप हमें लेटर लिखकर या ई-मेल के जरिए अपनी प्रतिक्रिया, चुटकुले, हंसी-मजाक, मजेदार शायरी, अजीबोगरीब किस्से या बातें भेज सकते हैं। हमारा पता है hindi@cri.com.cn। अभी के लिए मुझे और सपना जी को दीजिए इजाजत। गुड बॉय, नमस्ते।

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