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    आप की पसंद 160130
    2016-01-30 19:12:51 cri

    30 जनवरी 2016, आपकी पसंद

    पंकज – श्रोता मित्रों आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की करते हैं शुरुआत और आपका मित्र पंकज श्रीवास्तव करता है आप सभी को नमस्कार, तो मित्रों आपके इस सबसे चहेते आपकी पसंद कार्यक्रम में हम आपको हैरतअंगेज़ और ज्ञानवर्धक जानकारियां देने का सिलसिला शुरु करते हैं और साथ ही आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत।

    अंजली – श्रोता मित्रों को चंद्रिमा का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं आपके प्यार के कारण ही दिनों दिन हमारे श्रोताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और हम चाहते हैं कि आप हमारे कार्यक्रम में अपने कुछ सुझाव भी भेजें जिससे हम अपने इस कार्यक्रम को नए रूप में ढालें तो वो आपके अनुरूप हो, जिससे आप अपने इस चहेते और प्यारे कार्यक्रम को सुनने के लिये और भी अधिक उत्सुकता दिखाएं, हमारा उद्देश्य है आपको ढेर सारी जानकारी देना साथ ही हम आपको आपकी पसंद के फिल्मी गाने भी सुनवाते हैं तो चलिये करते हैं आज के कार्यक्रम की शुरुआत। मित्रों हमारे पहले श्रोता हैं ... हरिपुरा झज्जर, हरियाणा से प्रदीप वधवा, आशा वधवा, गीतेश वधवा, मोक्ष वधवा, निखिल वधवा, यश वधवा और खनन वधवा, आप सभी हमारे पुराने श्रोता हैं और आपने हमें एक अरसे के बाद पत्र लिखा है, आप सभी ने सुनना चाहा है अधिकार (1970) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 1. कोई माने या ना माने ........

    अब हम आपको राष्ट्रपति भवन के बारे में कुछ जानकारियां देने जा रहे हैं।

    पंकज - डेढ़ करोड़ रुपए में बने थे 340 कमरे, अंदर से ऐसा दिखता है प्रेसिडेंट हाउस

    नई दिल्ली.

    67 वें रिपब्लिक डे सेलिब्रेशन के लिए प्रेसिडेंट हाउस में तैयारियां अंतिम चरण में हैं। लाइटिंग से सजे नॉर्थ और साउथ ब्लॉक की फोटोज प्रेसिडेंट ऑफ़ इंडिया के ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की गई हैं। प्रेसिडेंट हाउस बाहर से जितना भव्य दिखता है, उतना अंदर से भी खूबसूरत है।

    कब बना था प्रेसिडेंट हाउस...

    - प्रेसिडेंट हाउस कभी वायसराय हाउस के नाम से जाना जाता था।

    - करीब दो लाख स्क्वेयर फीट में ये भवन आजादी से पहले तक ब्रिटिश वायसराय का गवर्नमेंट रेसिडेंस था।

    - इसका कंस्ट्रक्शन 1912 में शुरू हुआ और 1929 में कम्पलीट हुआ।

    - यह बिल्डिंग चार मंजिला है, जिसमें 340 कमरे हैं।

    - इस बिल्डिंग के चीफ आर्किटेक्ट थे एडविन लैंडसोर लुटियंस।

    - बताया जाता है कि उस वक्त प्रेसिडेंट हाउस का काम केवल डेढ़ करोड़ रुपए की कम लागत से 17 वर्षों में पूरा किया गया।

    - बिल्डिंग में करीब 70 करोड़ ईंटें और 30 लाख क्यूबिक फीट पत्थर यूज किया गया हैं।

    अंजली - ये तो बहुत अच्छी जानकारी है राष्ट्रपति भवन के बारे में वैसे इस तरह की बहुत सी जानकारियां हमारे आस पास मौजूद हैं जिनके बारे में हम नहीं जानते वैसे इस तरह की जानकारियां हमारी दिमागी क्षमता को बढ़ाने में भी कारगर होती हैं, चलिये इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है लालूचक भागलपुर बिहार से विष्णु कुमार चौधरी, श्रीमती गायत्री देवी, आरती कुमारी, सागर और बादल ने इनके साथ इनके ढेर सारे मित्रों ने भी हमें पत्र लिखा है और आप सभी ने सुनना चाहा है अपराध (1972) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है कल्याण जी आनंद जी ने और गीत के बोल हैं--------

    सांग नंबर 2. तुम मिले प्यार से मुझे जीना गवारा हुआ .....

    पंकज - कैसा है इंटीरियर

    - प्रेसिडेंट हाउस के पिलर्स पर उकेरी गई घंटियां, जैन और बौद्ध मंदिरों की घंटियों की तरह हैं।

    - पिलर्स के निर्माण की प्रेरणा कर्नाटक में मूडाबिर्दी स्थित जैन मंदिर से ली गई है।

    कैसे बना गवर्नमेंट रेसिडेंस

    1911 में दिल्ली दरबार में फैसला किया गया कि भारत की तत्कालीन राजधानी कलकता से दिल्ली बदली जाएगी। उसके बाद यह फैसला भी लिया गया कि दिल्ली में ब्रिटिश वायसराय के रहने के लिए एक शानदार इमारत का निर्माण कराया जाएगा। भारत के गर्वनर जनरल के तौर पर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी प्रेसिडेंट में रहे थे। 26 जनवरी 1950 को पहले प्रेसिडेंट के रूप में यह भवन डॉ. राजेन्द्र पसाद का आवास बना, तभी से यह देश के राष्ट्रपतियों का सरकारी आवास है।

    मुग़ल गार्डन

    प्रेसिडेंट हाउस का मुगल गार्डन बेहद मशहूर है। मुगल गार्डन के साथ हाउस के बगीचे की देखरेख के लिए सवा दो सौ से अधिक माली लगे हैं। मुगल गार्डन में 110 विभिन्न प्रजातियों के औषधीय पौधे, 200 गुलाब की प्रजातियां और कई तरह के रंग-बिरंगे फूल हैं।

    अंजली– श्रोता मित्रों पंकज आपको कुछ और बातें बताएं उससे पहले मैं आपको आपकी ही पसंद का एक फिल्मी गीत सुनवा देती हूं इस गीत को सुनने के लिये हमारे पास पत्र आया है चंदा चौक अंधराठाढ़ी जिला मधुबनी बिहार से भाई शोभीकांत झा सज्जन, मुखियाजी हेमलता सज्जन और इनके परिजनों का इनके साथ ही हमें पत्र लिखा है मेन रोड मधेपुरा जिला मधुबनी बिहार से प्रमोद कुमार सुमन, रेनू सुमन और इनके साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है प्रोफेसर प्यारेलाल (1981) फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले ने, गीतकार हैं राजेन्द्र कृष्ण और संगीत दिया है कल्याणजी आनंदजी और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 3. आगे आगे एक हसीना पीछे कई दीवाने .......

    पंकज - ... भारतीय सभ्यता और इतिहास की झलक है इन 4 गुफाओं में

    गुफाएं मनुष्य के लिए पनाहगाह रहीं हैं। कई गुफाएं कुदरत ने उसे दी, तो कई उसने सभ्यता के विकास, दर्शन, कला साधना और एकांत के लिए भी बनाईं। ये गुफाएं इतनी बेहतरीन थीं कि वे आज की आधुनिक इंजीनियरिंग के लिए चुनौती बनी हुई हैं। भारत में भी गुफाओं का इतिहास लाखों और हजारों साल पुराना है।

    वराह गुफाएं (महाबलीपुरम, तमिलनाडु)

    तमिलनाडु में महाबलीपुरम में स्थित वराह गुफाएं बहुत फेमस हैं। यहां भगवान विष्णु का मंदिर है। इन गुफाओं की कलाकारी इतनी सुंदर है कि इसे यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज बनाया है। इस गुफा के अलावा सित्तनवसल और नार्थमलाई गुफा भी मशहूर है। महाबलीपुरम तक एयर, ट्रेन और बस से आसानी से जाया जा सकता है।

    अन्य गुफाएं- बोर्रा और बेलम की गुफाएं (विशाखापट्टनम)

    बादामी गुफा (कर्नाटक)

    अजंता की गुफाएं (महाराष्ट्र)

    बोर्रा गुफाओं की खोज 1807 में ब्रिटिश भूविज्ञानी विलियम जॉर्ज ने की थी। आंध्र प्रदेश में विशाखापट्नम जिले में स्थित बोर्रा गुफाएं अनंतगिरि पहाड़ियों में स्थित है। आंध्र में ही कुरनूल से 106 किमी दूर बेलम गुफाएं स्थित हैं। दोनों ही गुफाएं 10 लाख साल पुरानी हैं। विशाखापट्नम के लिए प्रमुख शहरों से विमान, ट्रेन और बस की सेवा उपलब्ध है।कर्नाटक के बादामी में सुंदर और नक्काशीदार गुफाएं हैं। बादामी की चार गुफाओं में से दो गुफाएं भगवान विष्णु, एक शिव जी और एक जैन धर्म से संबंधित बताई जाती हैं। लाल पत्थर से बनाई गई ये गुफाएं सुंदरता के लिए जानी जाती हैं।

    अंजली – इससे मित्रों ये बात पता चलती है कि पुराने समय में शिल्प कला और वास्तु कला ने बहुत तरक्की की थी, क्योंकि उस समय इतनी बड़ी बड़ी गुफाएं और भवन बनाने के लिये उन लोगों के पास कम और सीमित साधन थे, बावजूद इसके उन लोगों ने कड़ी मेहनत से इतने बड़े अभूत्पूर्व काम किये इसमें जाहिर सी बात है कि कई दशकों तक काम लगातार चला होगा, बहुत सी पेचीदगियों का सामना भी करना पड़ा होगा लेकिन उन शिल्पकारों के अदम्य साहस और कर्मठता की वजह से ही ये संभव हो पाया कि आज हमारे सामने इतने विशाल भवन और गुफाएं मौजूद हैं। ये सभी विश्व धरोहरों की श्रेणी में शामिल हो चुकी हैं..... इसके साथ ही अब हम आपको सुनवाते हैं कार्यक्रम का अगला गीत जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है हमारे पुराने श्रोता ने जो हमें निरंतर पत्र लिखते रहते हैं, शिवाजी चौक कटनी मध्यप्रदेश से अनिल ताम्रकार, अमर ताम्रकार, संतोष शर्मा, रज्जन रजक, राजू ताम्रकार, दिलीप वर्मा, रविकांत नामदेव इनके साथ पप्पू यादव, सत्तू सोनी, अरुण कनौजिया, संजय सोनी, लालू, मोनू, मोना, हनी, यश, सौम्या और इनके मम्मी पापा ने आप सभी ने सुनना चाहा है मधुमति (1958) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर और मन्ना डे ने गीतकार हैं शैलेन्द्र और संगीत दिया है शलिल चौधरी ने और गीत के बोल हैं --------

    सांग नंबर 4. चढ़ गयो पापी बिछुआ ......

    पंकज - कर्नाटक में एहिलो गुफा भी आकर्षण का केंद्र है। बादामी तक हवाई, सड़क या रेलमार्ग से पहुंचा जा सकता है।दुनियाभर में मशहूर अंजता-एलोरा की गुफाएं हमेशा से ही जिज्ञासा और सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रही हैं। यहां की सुंदर चित्रकारी व मूर्तियां कलाप्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं हैं।

    हरियाली की चादर ओढ़ी यहां की चट्टानें अपने भीतर छुपे हुए इतिहास की ये धरोहर अपने उस काल की कहानी खामोशी से कहती नजर आती हैं। वाघोरा नदी यहां की खूबसूरती में और चार चांद लगा देती है। कहा जाता है कि गुफाओं की खोज आर्मी ऑफिसर जॉन स्मिथ व उनके दल ने सन् 1819 में की थी। वे यहां शिकार करने आए थे। तभी उन्हें कतारबद्ध 29 गुफाएं नजर आई। इसके बाद ही ये गुफाएं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गईं।

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    पंकज - सिर पर बिना गोंद के चिपक जाते हैं कोल्ड ड्रिंक केन और आईफोन

    वॉशिंगटन. हमारे-आपके सिर पर यदि कोई चीज रख दी जाए तो वह गिर जाएगी, लेकिन अमेरिका के इलिनॉय प्रांत में जैमी किटन इसके उलट हैं। उनके सिर पर कोई भी चीज चिपक जाती है। अपनी इस अलग खूबी के कारण किटन लोगों के बीच चर्चित हो चुके हैं।

    अंजली – इसके आगे की बात हम अगले गाने के बाद करेंगे सबसे पहले हम एक गाना सुन लेते हैं इससे मुझे भी अच्छा लगेगा और हमारे श्रोताओं को भी अच्छा लगेगा। चलिये इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है हमारे बहुत पुराने श्रोता आदर्श श्रीवास रेडियो श्रोता संघ के श्री पारस राम श्रीवास और इनके ढेर सारे साथियों ने आपने हमें पत्र लिखा है ग्राम लहंगाबाथा, पोस्ट बेलगहना, ज़िला बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से आप सभी ने सुनना चाहा है तोहफ़ा (1984) फिल्म का गाना जिसे गाय है किशोर कुमार, लता मंगेशकर ने गीतकार हैं इंदेवर और संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 5. अलबेला मौसम कहता है स्वागतम .......

    पंकज - क्या इसके पीछे वजह... ?

    डॉक्टर्स के मुताबिक, जैमी ऐसा इसलिए कर लेते हैं क्योंकि उनके शरीर का तामपान सामान्य से अधिक रहता है। उनके सिर का टेम्परेचर करीब 100 डिग्री फारेनहाइट रहता है। जैमी अपने सिर पर कोल्ड ड्रिंक की केन, आईफोन जैसी चीजें रख लेते हैं, तो वह गोंद के बिना अपने आप ही चिपक जाती हैं। जैमी ने एक न्यूज चैनल को बताया कि तीस साल पहले जब मैंने पहली बार मुंडन करवाया था, तब मुझे अपने शरीर की इस खासियत का पता चला। हम लोग कुछ खेल रहे थे, अचानक मुझे मेरी कोल्ड ड्रिंक की केन नहीं दिखाई दी, तो सब लोगों से पूछा तो हंस रहे थे, क्योंकि केन मेरे सिर पर चिपकी हुई थी।

    खूबी के कारण होती है कमाई भी

    जैमी इस खासियत से पैसा भी कमा रहे हैं। वह अपने सिर की इस खूबी के माध्यम से कंपनियों का विज्ञापन करते हैं। वह एक दिन में लगभग 67 हजार और सप्ताह में लगभग साढ़े 5 लाख रुपए कमा लेते हैं। उन्होंने कुछ दिनों पहले चीन जाकर 8 केन को एक साथ अपने सिर पर चिपकाकर रखने का विश्व रिकॉर्ड कायम किया है। जैमी कहते हैं कि वे आगे भी इसे कायम करेंगे, क्योंकि इसके कारण वह काफी मशहूर हुए हैं और लोगों को ये पसंद भी आता है।

    अंजली – मित्रों हमारे कार्यक्रम के अगले श्रोता हैं मनकारा मंदिर, बीडीए कॉलोनी, करगैना बरेली से पन्नी लाल सागर, बेनी सिंह मासूम, धर्मवीर मनमौजी, ममता चौधरी, आशीष कुमार सागर, कुमारी रूबी भारती, अमर सिंह, कुमारी एकता भारती, कुमारी दिव्या भारती, श्रीमती ओमवती भारती, बहिन रामकली बेबी ने आप सभी ने सुनना चाहा है जाग उठा इंसान (1984) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं इंदेवर और संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 6. आई पर्वतों से झूमती घटा ... मैं नाचूं तू बंसी बजा....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली – नमस्कार।

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