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    आप की पसंद 151226
    2015-12-24 17:17:25 cri

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    चंद्रिमा – श्रोताओं को चंद्रिमा का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं, मित्रों कार्यक्रम का पहला पत्र हमारे पास आया है जिसे लिखा है हमारे पुराने श्रोता ने मनकारा मंदिर, बीडीए कॉलोनी, करगैना, बरेली उत्तर प्रदेश से पन्नी लाल सागर, बेनी सिंह मासूम, धर्मवीर मनमौजी, ममता चौधरी, आशीष कुमार सागर, कुमारी रूपी भारती, अमर सिंह, कुमारी एकता भारती, कुमारी दिव्या भारती, श्रीमती ओमवती भारती, बहिन रामकली बेबी और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है पलकों की छांव में (1977) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं गुलज़ार और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 1. डाकिया डाक लाया .....

    पंकज – मित्रों आज हम आपको याददाश्त से जुड़ी एक अजीबोगरीब बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं.... एक ऐसी बीमारी कि जब मरीज़ सुबह सोकर उठा तो उसकी पिछले 17 वर्षों की याददाश्त गायब हो गई .... मित्रों ये मरीज़ कोई पुरुष नहीं बल्कि महिला हैं जिसके साथ ऐसा हुआ आईए जानते हैं क्या है पूरा माजरा .....

    2008 की एक सुबह, 32 साल की नाओमी जेकब जब सोकर उठीं तो अपने पिछले 17 साल के जीवन के बारे में सब कुछ भूल चुकी थीं...

    नाओमी भूल चुकी थीं कि वे ड्रग्स का सेवन करती थीं, कंगाल हो चुकी थीं और बेघर भी. उन्हें जो आखिरी बात याद थी, वो टीनएजर के तौर पर अपनी बहन के साथ बंक-बेड पर सोने की तैयारी और अगले दिन फ्रेंच की अपनी परीक्षा के बारे में सोचने की थी.

    आठ सप्ताह के बाद उनकी याददाश्त लौटी, लेकिन इस दौरान वो खुद को 15 साल की ही समझती रहीं.

    लेकिन इस दौरान उन्हें 21वीं सदी के उन सालों में तेज़ी से बदलती दुनिया की कई बातें समझनी-सीखनी पडीं जिनमें स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल तो एक छोटा सा मसला था. ऐसा इसलिए, क्योंकि नाओमी 10 साल के बच्चे की मां भी थीं.

    चंद्रिमा – ऐसी बीमारी के बारे में बहुत कम सुनने को मिलता है, लेकिन सुनने के बाद ऐसा लगता है कि इस दुनिया में कितने तरह की बीमारियां मौजूद हैं और क्या इन बीमारियों का इलाज संभव है ? बात तब और गंभीर हो जाती है जब किसी व्यक्ति को ये याद ही नहीं रहे कि उसका अपना नाम क्या है साथ ही वो नई बातें याद नहीं रख सकता, खैर मैं कार्यक्रम का अगला पत्र उठाती हूं अगला पत्र हमारे पास आया है जिला मुरादाबाद, ग्राम महेशपुर खेम उत्तर प्रदेश से तौफीक अहमद सिद्दीकी, अतीक अहमद सिद्दीकी, मोहम्मद दानिश सिद्दीकी और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है एक से बढ़कर एक (1976) फिल्म का गाना -----

    सांग नंबर 2. आंखों ही आंखों में ....

    पंकज - नाओमी जेकब ने अपने उन 8 सप्ताह के बारे में 'फॉरगॉटन गर्ल' नाम से किताब लिखी है जो जल्द बाज़ार में आने वाली है.

    मेडिकल साइंस के नजरिए से देखें तो जेकब का याददाश्त खोना डिसोसिएटिव एमनीज़िया है. शरीरिक रचना से जुड़े विज्ञान में इसका कोई कारण नहीं मिलता है.

    हालांकि अनुमान ये जरूर लगाया जाता है कि तनाव और अवसाद की वजह से ऐसा हो सकता है.

    जिन 15 साल को जेकब भूल गईं, उस दौरान उनका कारोबार चौपट हो गया था और वो बड़े पैमाने पर ड्रग्स का सेवन करती थीं.

    यही नहीं, नाओमी का 6 साल की उम्र में बलात्कार हुआ था और और जब वे 20 साल की थीं, तब उनके ब्वॉय फ्रेंड ने उनका गला घोंटने की कोशिश की थी.

    डिसोसिएटिव एमनीज़िया को लेकर विशेषज्ञों में एक राय नहीं है. कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा होता ही नहीं है.

    हारवर्ड के मनोचिकित्सिक हैरिसन पोप की राय भी कुछ इसी तरह की है. इन लोगों के मुताबिक इस तरह के याददाश्त खोने के मामले 1800 से पहले कभी नहीं मिलते.

    कुछ विशेषज्ञ ये भी शंका जताते हैं कि इस तरह से भूलने की बीमारी केवल अवसाद के कारण नहीं बल्कि इस दबाव से भी होती है कि हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए?

    यही वजह है कि डिसोसिएटिव डिसआर्डर के इलाज़ के साथ साथ पर्सनल डिसआर्डर और भावनात्मक अस्थिरता का भी इलाज़ किया जाता है. ऐसे लोग काफ़ी कल्पनाशील होते हैं.

    चंद्रिमा – वैसे इतनी गंभीर बीमारी के बारे में मैंने पहले कभी नहीं सुना था, हां ये बात ज़रूर है कि कुछ फिल्मों में याददाश्त जाने की घटनाओं को देखा था जिसे मनोरंजक तरीके से पेश किया गया था। हालांकि अब मैं अपने श्रोताओं को उनकी पसंद का गाना सुनवाकर उनके दिमाग का बोझ थोड़ा हल्का करूंगी, ये अगला पत्र हमारे पास आया है जुगसलाई, टाटानगर से इंद्रपाल सिंह भाटिया, इंद्रजीतकौर भाटिया, साबो भाटिया, सिमरन भाटिया, सोनक भाटिया, मनजीत भाटिया, बंटी, जॉनी, लाडो, मोनी, रश्मी और पाले भाटिया ने आप सभी ने सुनना चाहा है मैं प्रेम की दीवानी हूं (2003) फिल्म का गाना जिसे गाया है के एस चित्रा और और के के ने संगीतकार हैं अन्नू मलिक और गीत के बोल हैं -------

    सांग नंबर 3. चली आई चली आई .....

    पंकज - याददाश्त खोने के वक्त, नाओमी जेकब मनोविज्ञान पढ़ रही थीं जिससे संभवत: ट्रॉमा और याददाश्त के काम करने में कुछ गड़बड़ी पैदा हुई होगी. संडे टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मैं दिमाग की क्षमता को बहुत अहमियत देती हूँ. मैं ये जानती हूँ कि मैं जब ट्रॉमा या मानसिक आघात का सामना करती हूँ तो मेरा दिमाग दो अलग भागों में बंट जाता है."

    वैसे आपको 2004 में प्रदर्शित फिल्म '50 फर्स्ट डेट्स' शायद याद हो. इसमें ड्रीउ बैरीमोर ने उस किरदार का अभिनय किया था जिसकी याददाश्त एक कार क्रैश के बाद, हर रात गायब हो जाती थी. इस तरह भूलने की बीमारी को साइकोजेनिक एमनीज़िया कहते हैं.

    वैसे साइकोजेनिक और डिसोसिएटिव एमनीज़िया के मामले बेहद दुर्लभ होते हैं. हालांकि भूलने की बीमारी संबंधी जो ज्यादातर मामले होते हैं वो आर्गेनिक एमनीज़िया के उदाहरण होते हैं जिसमें दिमाग का कोई हिस्सा स्ट्रोक से क्षतिग्रस्त हो जाता है.

    ये तंत्रिकातंत्र की बीमारी भी हो सकती है. ऐसे मरीजों की समस्या ये नहीं होती है कि वे अपना अतीत या पहचान भूल चुके होते हैं. इनकी मुश्किल ये होती है कि ये नई बातों को याद नहीं रख पाते.

    इसे एंट्रोग्रेड एमनीज़िया कहते हैं. जो कान के नजदीक पाए जाने वाले हिप्पोकैंपस तंत्रिका के क्षतिग्रस्त होने सो होता है. ऐसे जिस मामले का सबसे ज्यादा अध्ययन हुआ वो था हेनरी मोलाएसन का मामला है।

    चंद्रिमा – चलिये आप हमारे श्रोताओं को ये जानकारी दीजिये और मैं उनके पत्र पढ़कर उनकी पसंद के गीत सुनवाती हूं... ये अगला पत्र हमारे पास आया है विश्व रेडियो श्रोता संघ चौक रोड कोआथ रोहतास बिहार से जिसे लिखा है सुनील केशरी और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है .... खूबसूरत (1999) फिल्म का गाना जिसे गाया है कुमार शानू और कविता कृष्णामूर्ति ने संगीत दिया है जतिन ललित ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. मेरा एक सपना है ....

    पंकज - सर्जन ने उनकी मिरगी को दूर करने के लिए दिमाग के हिप्पोकैंपाई के बड़े हिस्से को हटा दिया. 1953 में हुए इस ऑपरेशन के बाद उन्हें मिरगी के दौरे पड़ने तो बंद हो गए लेकिन वो कुछ भी याद ही नहीं रख पाते थे. वो स्थायी तौर पर वर्तमान में फंस गए थे.

    हालांकि उन्हें अपनी पहचान के बारे में पता था और पुरानी यादें भी थी, लेकिन उनकी कोई भी नई याद कुछ सेकेंड से ज्यादा देर तक नहीं रहती थी.

    ब्रेंडा मिलनर ने मोलाएसन के मामले का सालों तक अध्ययन किया. वो बताती हैं कि वे किस तरह से उससे हर दिन नए शख्स के तौर पर मिलते थे. मिलनर के मुताबिक वे खाना खाने के आधा घंटा बाद फिर से खाने के लिए बैठ जाते थे. लेकिन अगले ही मिनट अपनी कोई योजना भूल जाते थे.

    इसके अलावा ड्रग्स और शराब के अत्यधिक सेवन से भी भूलने की बीमारी हो सकती है।

    शराब के लंबे समय तक सेवन से पुरानी और नई दोनों याददाश्त को खतरा हो सकता है. इसे कोरासकॉफ़ सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है।

    चंद्रिमा – मित्रों बीमारी की बातें सुनकर मन थोड़ा बोझिल ज़रूर हो जाता है लेकिन ये जानकारी वाकई बहुत काम की है, वैसे इस तरह के रोग प्राय:देखने को नहीं मिलते हैं, लेकिन जो इन रोगों से जूझ रहे हैं उनके लिये जीवन बहुत मुश्किलों भरा होगा, खैर मैं आप सभी को कार्यक्रम का अगला गाना सुनवाने जा रही हूं इसके लिये हमारे पास फरमाईशी पत्र आया है धर्मेन्द्र सिंह और इनके परिजनों का आप सभी ने हमें पत्र लिखा है मलथोने, ज़िला सागर, मध्यप्रदेश से और आपने सुनना चाहा है राम बलराम (1980) फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी, दिलराज कौर और आशा भोंसले ने संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 5. बलराम ने बहुत समझाया.....

    पंकज - इससे प्रभावित लोग अतीत को लेकर कई काल्पनिक कहानियां बना लते हैं, लेकिन उन्हें यकीन होता है कि ये हकीकत है.

    ट्रांसिएंट ग्लोबल एमनीज़िया कहीं ज्यादा दुर्लभ किस्म के भूलने की बीमारी है. ये मस्तिष्क में याददाश्त को प्रभावित करने वाले हिस्से में रक्त प्रवाह थम जाने से होता है.

    2011 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा कई वजहों से हो सकता है और इसमें एक वजह यौन संबंधों के दौरान अति उत्साह और ऊर्जा का दिखाना भी है.

    इस मामले में 54 साल की एक महिला ने दावा किया था कि 'माइंड ब्लोइंग सेक्स' के कारण उनकी पिछले 24 घंटे की याददाश्त ही चली गई थी. लेकिन ये दावा था किसी अध्ययन का नतीजा नहीं.

    वैसे एक हकीकत ये भी है कि हम सबमें भूलने की बीमारी होती है. अधिकांश लोगों को अपने जीवन के शुरुआती तीन-चार सालों के बारे में याद नहीं रहता है. जैसे जैसे हम बड़े होते हैं, वैसे बचपन की बातों को भूलते जाते हैं।

    चंद्रिमा – मित्रों अब हम आपको सुनवाने जा रहे हैं कार्यक्रम का अगला गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है परमवीर हाऊस, आदर्श नगर, बठिंडा, पंजाब से अशोक ग्रोवर, परवीन ग्रोवर, नीति ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर, विक्रमजीत ग्रोवर और इनके मित्रजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है गुलाम (1998) फिल्म का गाना जिसे गाया है कुमार शानू और अलका याग्निक ने संगीतकार हैं जतिन ललित और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 6. आंखों से तूने ये क्या कर दिया ....

    पंकज - हाल के एक अध्ययन के मुताबिक इस तरह से भूलने का सिलसिला सात साल की उम्र से ज़्यादा होता है, जब हमारी याददाश्त पूरी तरह से काम करना शुरू कर देती है.

    कई बार ये स्थानीय संस्कृति से भी प्रभावित होती है. उदाहरण के लिए न्यूज़ीलैंड के माओरी समुदाय के लोगों में बचपन की कहानियां सुनाने की संस्कृति होती है, तो उन्हें बचपन की यादें लंबे समय तक बनी रहती हैं.

    बहरहाल, ये हमारी याददाश्त ही है जो हमें बनाती है. हमारी पहचान को कायम करती है. रिश्ते, उम्मीद और सपने सबकुछ याददाश्त से ही बनते हैं. जब हम याददाश्त खोते हैं तो हम खुद को खो देते हैं.

    चंद्रिमा – श्रोता मित्रों अब हम आपको कार्यक्रम का अगला गीत सुनवाने जा रहे हैं जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है हमारे पुराने और चिर परिचित श्रोता पंडित मेवालाल परदेशी जी ने और इनके साथ इनके सभी परिजनों ने भी हमें पत्र लिखा है अखिल भारतीय श्रोता संघ, महात्वाना, माहोबा, उत्तर प्रदेश से आपने सुनना चाहा है ..... चालबाज़ (1989) फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद अज़ीज़ और कविता कृष्णामूर्ति ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 7. तेरा बीमार मेरा दिल ....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    चंद्रिमा – नमस्कार।

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