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    आप की पसंद 151212
    2015-12-14 20:07:24 cri

    नमस्कार श्रोता मित्रों मैं पंकज श्रीवास्तव आपकी पसंद कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत करता हूं। हर सप्ताह की तरह हम आज भी आपको देंगे कुछ रोचक,ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारियां और साथ में सुनवाएँगे आपकी पसंद के कुछ फिल्मी गाने।

    अंजली:श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपको ढेर सारी दिलचस्प जानकारियां देते हैं साथ ही आपको सुनवाते हैं आपकी पसंद के फिल्मी गीत। आज हम जिस फिल्म का गाना आपको सुनवाने जा रहे हैं उसे हमने लिया है फिल्म ....कहो ना प्यार है से, इसे गाया है उदित नारायण और अलका यागनिक ने गीतकार हैं, सावन कुमार टाक, संगीतकार हैं राजेश रौशन और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. प्यार की कश्ती में ....

    पंकज:मित्रों आजकल बाज़ार में तरह तरह के स्मार्टफोन आ रहे हैं जिनमें तरह तरह के फीचर्स लगे हुए हैं, अब बाज़ार में एक ऐसा आने वाला है जो पहचानेगा त्वचा कैंसर के लक्षणों को। इस स्मार्टफोन की कीमत है करीब 24 हजार रुपए। यह उपकरण संभावित कैंसर की पहचान और उसका विश्लेषण करने में सक्षम होगा। मोबाइल ओसीटी एक ऐसा उपकरण है, जिसमें तस्वीरें लेने के लिए एक स्मार्टफोन, एक लेंस और प्लास्टिक हैंडल होता है।

    स्मार्टफोन से ली गईं तस्वीरें उपयोगकर्ता द्वारा जांची जाती हैं और इसके बाद एक पेशेवर द्वारा पुनरीक्षण के लिए इन्हें अपलोड किया जाता है। इस उपकरण से हरे रंग का प्रकाश निकलता है, जो कैंसर की कोशिकाओं को अलग रंग में दिखाता है। इसमें लगा बड़ा लेंस त्वचा पर संभावित कैंसर और रक्त आपूर्ति की जगहों की तस्वीर लेता है।

    पेशेवर विश्लेषणकर्ताओं द्वारा इन त्रिआयामी तस्वीरों का विश्लेषण किया जाता है। मोबाइल ओसीटी के सीईओ एरियल बेरी के अनुसार, 'हम चाहते हैं कि इस उपकरण से दुनिया के किसी भी कोने में स्थित कोई भी व्यक्ति इन तस्वीरों को ले सके और उनका विश्लेषण किया जा सके। हमारा मकसद है कि लोग अपनी जिंदगी को सुरक्षित रख सकें।'

    पंकज: इस जानकारी के बाद अब हम आपको एक दूसरी जानकारी देने जा रहे हैं, बाज़ार में उपलब्ध तरह तरह के माउथवॉश का हम निरंतर इस्तेमाल करते हैं, ऐसा टीवी में विज्ञापनों को देखकर भी हम करते हैं। जिससे इन्हें बनाने वाली कंपनियां करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाती हैं, लेकिन अब एक ऐसी शोध रिपोर्ट सामने आई है जिसे सुनने के बाद आप भी चौंक जाएंगे, इस रिपोर्ट के अनुसार, आप बिना डॉक्टर की सलाह के माउथवॉश का इस्तेमाल ना करें क्योंकि इससे आपको कैंसर हो सकता है। कुछ शोध में सामने आया है कि दिन में दो-तीन बार माउथवॉश का उपयोग करने से कैंसर हो सकता है। हमने इस मामले में जानी एक्सपर्ट की राय।

    ब्रिटेन की ग्लासगो यूनिवर्सिटी में हुए शोध के मुताबिक माउथवॉश का ज्यादा प्रयोग कैंसर की वजह बन सकता है। शोध को करने वाले डॉ. डेविड कॉनवे कहते हैं, अक्सर लोग सांस की दुर्गंध दूर करने के लिए बार-बार माउथवॉश प्रयोग करते हैं। लेकिन यह सही नहीं है।

    जब तक डॉक्टर इस बात की सलाह न दें, माउथवॉश का उपयोग नहीं करना चाहिए। अच्छी ओरल हेल्थ चाहिए तो फ्लुओराइट टूथपेस्ट से रेग्युलर ब्रश करें। साथ ही फ्लॉसिंग भी करते रहें और समय-समय पर अपने डेंटिस्ट से जांच करवाएं।

    अंजली: इस चर्चा को हम आगे भी जारी रखेंगे लेकिन पहले हम सुनवाते हैं अपने श्रोताओं को उनकी पसंद का एक फिल्मी गाना, इस गाने के लिये हमें फरमाईशी खत लिखा है मेहर रेडियो श्रोता संघ, सगोरिया, जिला मंदसौर, मध्यप्रदेश से श्याम मेहर, निकिता मेहर, आयुष, संगीता, ललिता, दुर्गाबाई, और पूरा मेहर परिवार, आप सभी ने सुनना चाहा है मिशन कश्मीर फिल्म का गाना जिसे गाया है उदित नारायण और अलका यागनिक ने गीतकार हैं एहसान नूरानी, संगीत दिया है शंकर एहसान लॉय ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. सोचो की झीलों का शहर हो ....

    पंकज: माउथवॉश के प्रकार

    इंडियन एसोसिएशन ऑफ डे सर्जरी (आईएडीएस) की ऑनरेरी सेक्रेटरी डॉ. निशा कुंदनानी कहती हैं कि माउथवॉश दो प्रकार के होते हैं: एक डेंटिस्ट सुझाते हैं और दूसरे ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) यानी काउंटर पर आसानी से मिलने वाले।

    डेंटिस्ट द्वारा सुझाए माउथवॉश में क्लोहेक्सीडाइन पाया जाता है और यह उन लोगों के लिए होता है, जिनकी डेंटल सर्जरी होती है। सर्जरी के कुछ समय तक ये ब्रश नहीं कर सकते, ऐसे में इन्हें ओरल हाईजीन के लिए माउथवॉश प्रिस्क्राइब किए जाते हैं। दूसरी तरह के माउथवॉश सामान्य तौर पर इस्तेमाल के लिए होते हैं।

    दिन में दो बार ब्रश और एक बार फ्लॉसिंग करना अनिवार्य है। दांत स्वस्थ रहें, इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं। ब्रश और फ्लॉसिंग से बचने के लिए शॉर्ट-कट की तरह माउथवॉश का इस्तेमाल गलत है। डॉ. कुंदनानी कहती हैं कि लोग माउथवॉश को ब्रश करने का विकल्प मानने लगे हैं, जो कि गलत है।

    इसके अलावा मांओं को ध्यान रखना चाहिए कि वे बच्चों की पहुंच से इसे दूर रखें। अकसर बच्चे जब ब्रश करने में आनाकानी करते हैं तो पैरेंट्स उन्हें माउथवॉश करवाते हैं। यह आदत बच्चों की ओरल हेल्थ के लिए अच्छी नहीं है।

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    मित्रों ये तो थी बातें आपके दांतों की लेकिन अब हम आपको बताने जा रहे हैं, खान-पान संबंधित बातें। हम आपको बताएंगे कि फैट से सिर्फ नुकसान नहीं फायदे भी हैं ,

    लंबे अरसे से डॉक्टर और विशेषज्ञ सुझाव देते रहे हैं कि हमें हर किस्म की फैट और कोलेस्ट्राल से बचना चाहिए। लेकिन, नई रिसर्च से पता लगा है कि फैट पूरी तरह नुकसानदेह नहीं है। 1980 में अमेरिका में एक व्यापक अध्ययन के बाद सलाह दी गई कि दिल के दौरे का खतरा कम करने के लिए फैट और कोलेस्ट्राल बढ़ाने वाली चीजें कम खाएं।

    अंजली:वैसे मेरे विचार में फैट यानी वसा को कम ही खाना चाहिए वैसे भी डॉक्टरों का कहना है कि मोटापे से कई तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं, इन बीमारियों से बचने के लिये हमें मोटापे को दूर रखना चाहिए। अब मैं उठा रहा हूं अपने पुराने श्रोता का पत्र जिसे हमें लिख भेजा है कापशी रोड अकोला महाराष्ट्र से संतोषराव बाकड़े, श्रीमती ज्योतिताई बाकड़े, कुमारी दिपाली बाकड़े, पवन कुमार बाकड़े और पूरा बाकड़े परिवार आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म दुल्हन हम ले जाएंगे का गाना जिसे गाया है अलका यागनिक, कुमार शानू, शंकर महादेवन और एहसान नूरानी ने संगीत दिया है हिमेश रेशमिया ने गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. दुल्हन हम ले जाएंगे.....

    पंकज: इसका असर जल्द दिखाई देने लगा। 1977 से 2012 के बीच कम फैट और कम कैलोरी के फूड का उपयोग बहुत अधिक बढ़ गया। लेकिन, 40 वर्ष बाद खान-पान में बदलाव का यह प्रयोग विफल साबित हुआ है। अमेरिकी पहले से अधिक बीमार हो गए हैं। 1980 से 2012 के बीच टाइप-2 डायबिटीज के मामलों में 166 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

    बोस्टन चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के डॉ. डेविड लुडविग का कहना है, अमेरिकियों को दिल की बीमारियों से बचने के लिए वजन घटाने और फैट के कम उपयोग की सलाह दी गई थी। लेकिन, इससे एकदम उल्टे रास्ते पर चलने के ठोस कारण मौजूद हैं। अधिक चर्बी वाले खाने से मोटापा बढ़ने और दिल की बीमारी होने के विचार को चुनौती देने वाली रिसर्च बढ़ रही है। जैतून के तेल और सालमन मछली में मौजूद फैट दिल की बीमारी से बचाता है। यह भी स्पष्ट हुआ है कि मांस और मक्खन में पाए जाने वाले सेचुरेटिड फैट का शरीर पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

    नई रिसर्च बताती है, कार्बोहाइड्रेट, शुगर और स्वीटनर का अधिक उपयोग मोटापा और टाइप- 2 डायबिटीज के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। गेहूं की ब्रेड, कम फैट के स्नैक्स, खाद्य पदार्थों में मिली शक्कर, पास्ता जैसे रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से खून की केमिस्ट्री में बदलाव होता है। इससे शरीर में फैट के रूप में कैलोरी जमा होती हैं। भूख बढ़ती है। लिहाजा, वजन घटाना मुश्किल हो जाता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के डॉ. रॉबर्ट लस्टिग कहते हैं, फैट के खिलाफ दिए गए तर्क पूरी तरह गलत हैं। हमने एक बीमारी के बदले दूसरी बीमारी को न्योता दिया है।

    हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ के डॉ वाल्टर विलेट ने 40000 से अधिक अधेड़ आयु के लोगों के आहार और दिल की सेहत की स्टडी की। उन्होंने पाया कि अगर वे लोग सेचुरेटिड फूड के बदले कार्बोहाइड्रेट लेते तब भी उनके दिल की बीमारी पर कोई फर्क नहीं पड़ता। 2010 की एक स्टडी इस नतीजे पर पहुंची है कि सेचुरेटिड फैट का दिल की बीमारियों से संबंध होने के कोई महत्वपूर्ण प्रमाण नहीं हैं।

    अंजली:इस बारे में हम चर्चा तो जारी रखेंगे लेकिन अभी वक्त हो चला है एक और फिल्मी गीत का, इस गाने की फरमाईश की है हमारे चिर परिचित श्रोता परमवीर हाऊस, आदर्श नगर बठिंडा, पंजाब से अशोक ग्रोवर, परवीन ग्रोवर, नीति ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर, विक्रमजीत ग्रोवर और पूरा ग्रोवर परिवार, आप सभी ने सुनना चाहा है पुकार फिल्म का गाना जिसे गाया है उदित नारायण और कविता कृष्णामूर्ति ने संगीत दिया है ए आर रहमान ने और गीतकार हैं जावेद अख्तर, गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. सुनता है मेरा खुदा ....

    पंकज: सेचुरेटिड फैट के बारे में सामने आए विचार आश्चर्यजनक हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सेचुरेटिड फैट से दिल की बीमारियों का खतरा पैदा करने वाला एलडीएल कोलेस्ट्राल बढ़ता है। लेकिन, यह फैट अच्छे एचडीएल कोलेस्ट्राल का स्तर भी बढ़ाता है।

    यह धमनियों में जमा एलडीएल कोलेस्ट्राल को हटाता है। फैट के संबंध में एक और स्टडी ने अच्छे संकेत दिए हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में 2013 में प्रकाशित स्टडी के अनुसार कम सेचुरेटिड फैट से भरपूर आहार दिल की गंभीर बीमारियों का खतरा कम करता है।

    पहली खोज

    सबसे पहले 1960 के दशक में अमेरिका के डॉ. अंसेल कीज ने बताया कि कोलेस्ट्राल बढ़ने से धमनियां ब्लॉक होती हैं। दिल का दौरा पड़ता है। अधिक फैट से दिल को नुकसान पहुंचाने वाला एलडीएल कोलेस्ट्राल बढ़ता है।

    सात देशों में रिसर्च

    डॉ. कीज ने सात देशों में सैकड़ों लोगों के अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला कि जिन लोगों के आहार में सेचुरेटिड फैट कम रहा, उनमें दिल की बीमारियां कम पाई गई हैं। यह रिसर्च फैट के खिलाफ मुख्य हथियार साबित हुई है।

    अंजली:मैं यहां पर फिर एकबार आपको रोकना चाहती हूं क्योंकि इस समय मेरे हाथ में एक और पत्र है जिसे हमें लिख भेजा है हमारे पुराने श्रोता ने लालूचक, भागलपुर बिहार से विष्णु कुमार चौधरी, श्रीमती गायत्री देवी, आरती कुमारी, सागर और बादल ने आप सभी ने सुनना चाहा है जोश फिल्म का गाना जिसे गाया है अभिजीत ने संगीत दिया है अन्नू मलिक ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. मेरे खयालों की मलिका ....

    पंकज: कुछ खामियां भी

    डॉ. कीज की रिसर्च के साथ समस्याएं भी थीं। उन्होंने फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों को छोड़ दिया। इन देशों के खान-पान में फैट की अधिकता है पर वहां दिल की बीमारियों की दर अमेरिका और कई पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत कम है।

    क्या फैट से अधिक हानिकारक हैं कार्बोहाइड्रेट?

    चूंकि फैट में प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट की तुलना में प्रति ग्राम अधिक कैलोरी होती हैं इसलिए मान लिया गया है कि खान-पान में फैट की मात्रा कम करने से कैलोरी अपने-आप कम हो जाएंगी।

    बाजार की दिशा

    फैट के खिलाफ चले अभियान ने कारोबार की दिशा बदल दी है। पैक फूड में फैट के बदले डाली गई आर्टिफिशियल चीजों का बाजार अमेरिका में हर वर्ष छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।

    बढ़ती कैलोरी

    येल यूनिवर्सिटी रिसर्च सेंटर के डॉ. डेविड केट्ज का कहना है, हमने फैट घटाने के लिए जंक फूड का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इससे कैलोरी की मात्रा बढ़ी है। 1971 से वर्ष 2000 के बीच कार्बोहाइड्रेट से अमेरिकियों का कैलोरी इनटेक 15 प्रतिशत बढ़ गया।

    मुहिम का असर

    1980 के दशक तक मेडिकल साइंस और न्यूट्रीशन के क्षेत्र में फैट विरोधी माहौल इतना प्रबल था कि फैट के पक्ष में अमेरिकन साइंस जर्नल ने डॉ. वाल्टर विलेट की स्टडी को प्रकाशित नहीं किया था।

    अंजली:ये अगला पत्र हमारे पास आया है मनकारा मंदिर, बीडीए कॉलोनी, कगरैला, बरेली उत्तर प्रदेश से जिसे लिखा है पन्नीलाल सागर, बेनी सिंह मासूम, धर्मवीर मनमौजी, ममता चौधरी, आशीष कुमार सागर, कुमारी रूबी भारती, अमर सिंह, कुमारी एकता भारती, दिव्या भारती, श्रीमती ओमवती भारती और रामकली बेबी ने आप सभी ने सुनना चाहा है बिच्छू फिल्म का गाना जिसे गाया है हंसराज हंस और श्वेता शेट्टी ने संगीत दिया है आनंद राज आनंद ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 6. दिल टोटे टोटे हो गया ....

    पंकज: तो मित्रों इस गाने के साथ ही हमें आपकी पसंद कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दें, अगले सप्ताह हम आज के दिन और आज ही के समय पर फिर आपके सामने आएंगे कुछ रोचक, ज्ञानवर्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के साथ और आपको सुनवाएंगे आपकी पसंद के कुछ मधुर फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली: नमस्कार।

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