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    आप की पसंद 151121
    2015-11-24 17:25:45 cri

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    चंद्रिमा – श्रोताओं को चंद्रिमा का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं, मित्रों कार्यक्रम का पहला पत्र हमारे पास आया है हमारे श्रोता प्रकाश चंद्र वर्मा और इनके परिजनों का आप सभी ने हमें पत्र लिखा है अम्बेडकर रेडियो श्रोता संघ, ग्राम कोटकासिम, ज़िला अलवर, राजस्थान से आप सभी ने सुनना चाहा है यहूदी (1958) फिल्म का गाना जिसे गाया है मुकेश ने गीतकार हैं शैलेन्द्र, संगीत दिया है शंकर जयकिशन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नबंर 1. ये मेरा दीवानापन है.....

    पंकज - लहसुन खाने वाले पुरुष औरतों को क्यों भाते हैं

    एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि जो पुरुष लहसुन खाते हैं महिलाएं उनकी तरफ़ अधिक आकर्षित होती हैं.

    अध्ययन के अनुसार महिलाओं को उनके पसीने की गंध अच्छी लगती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि महिलाएं कुछ इस तरह से विकसित हो गई हैं कि अब उन्हें लहसुन खाने वाले अच्छे लगते हैं.

    लहसुन में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं.

    ऐसे में पुरुषों के पसीने से आने वाली लहसुन की गंध महिलाओं को उनके स्वस्थ होने का संकेत देती है.

    गार्लिक फ़र्म की प्रबंध निदेशक नताशा एडवर्ड्स कहती हैं कि लहसुन के चाहने वालों के लिए यह अच्छी ख़बर है.

    नताशा ने बीबीसी रेडियो 5 लाइव को बताया, "लोग हमसे अक्सर पूछते हैं कि अगर हम ज़्यादा लहसुन खाएंगे तो क्या लोग हमारे पास बैठना पसंद करेंगे? क्या हमारे मुंह से तेज़ दुर्गंध आएगी?"

    चंद्रिमा – मित्रों लहसुन की बात चल निकली है तो मैं आप सभी को बताना चाहूंगी कि विश्व का 80 फीसदी लहसुन चीन में पैदा किया जाता है और ये लहसुन अमेरिका और यूरोप की तुलना में इतना सस्ता होता है कि कुछ तस्कर इसे यूरोप और अमेरिका की मंडियों में पहुंचाने के लिये कोशिश भी करते हैं। मित्रों भारत की तुलना में चीन में लहसुन का आकार बहुत बड़ा होता है, यहां के लगभग हर व्यंजन में लहसुन का इस्तेमाल प्रचुरता के साथ किया जाता है, वैसे मैं ये भी जानती हूं कि भारत में लहसुन का सिर्फ खाने में ही इस्तेमाल नहीं होता बल्कि लहसुन में औषधीय गुण भी होते हैं जैसे लहसुन हृदय संबंधी विकार में बहुत मददगार होता है साथ ही ये वायु जनित रोगों में भी बहुत लाभकर होता है। खैर अब मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है हमारे पुराने और नियमित श्रोता पंडित मेवालाल परदेशी जी और इनके ढेर सारे मित्रों ने आपने हमें पत्र लिखा है महात्वाना, महोबा, उत्तर प्रदेश से इसके साथ ही आप अखिल भारतीय रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष भी हैं आप सभी श्रोता मित्रों ने सुनना चाहा है कर्ज़ (1980) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 2. इक हसीना थी ......

    पंकज - उन्होंने आगे बताया, "उन लोगों को हम यही कहना चाहते हैं कि आप जितना लहसुन खाएंगे आपका शरीर रोग से लड़ने में उतना सक्षम होगा."

    वो कहती हैं, "हम हमेशा से यह मानते आए हैं की लहसुन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है. लेकिन अब इस अध्ययन के बाद से यह बात और भी प्रमाणित हो जाती है."

    पंकज - गुब्बारे से हर जगह कैसे मिलेगा इंटरनेट..

    दुनिया की दो तिहाई आबादी अब भी इंटरनेट के दायरे से बाहर है. लेकिन अब दुनिया की सबसे बड़ी सर्च इंजन कंपनी गूगल की एक प्रॉजेक्ट के तहत इन इलाक़ों तक इंटरनेट पहुँचाना संभव होगा.

    गूगल का दावा है कि ये सब कुछ मुमकिन होगा आसमान में 20 किलोमीटर ऊपर उड़ने वाले गुब्बारों के ज़रिए.

    लेकिन ये गुब्बारे कैसे काम करेंगे? और, क्या ये स्थाई इंटरनेट कनेक्शन दे भी पाएंगे?

    गूगल की लून परियोजना के रिच डिवॉल ने विस्तार से बताया कि ये योजना आख़िर है क्या?

    चंद्रिमा – यानी आने वाले दिनों में हमें ढेर सारी सुविधाएं मिलेंगी वेबसाइट खोलने के लिये, कनेक्टिविटी में कोई परेशानी नहीं होगी, इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है चंदा चौक अंधराठाढ़ी ज़िला मधुबनी, बिहार से भाई शोभीकंत झा सज्जन, मुखियाजी हेमलता सज्जन और इनके ढेर सारे परिजनों ने इनके साथ ही हमें पत्र लिखा है मेन रोड मधेपुरा, ज़िला मधुबनी, बिहार से प्रमोद कुमार सुमन, रेनू सुमन और इनके मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है हम (1991) फिल्म का गाना जिसे गाया है सुदेश भोंसले और कविता कृष्णामूर्ति ने और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 3. जुम्मा चुम्मा दे दे ......

    पंकज - लून बलून प्रॉजेक्ट पर रिच डिवॉल:

    शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि सबके लिए, सिर्फ़ कुछ लोगों के लिए नहीं, इंटरनेट उपलब्ध करवाना आसान और तुलनात्क रूप से सस्ता होगा.

    इंटरनेट के साथ शिक्षा, आर्थिक अवसर और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच मिलती है.

    यही नहीं, इससे दुनिया के कई बुद्धिमान लोगों के संपर्क में वो दो तिहाई लोग भी आ जाएंगे जो अभी ऐसा करने से वंचित हैं.

    लून परियोजना आसमान में (स्ट्रेटोस्फ़ीयर या समतापमंडल में) उड़ने वाले गुब्बारों का एक नेटवर्क होगा. यह 15 मीटर व्यास के बड़े गुब्बारे होंगे जो धरती से 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ेंगे.

    चंद्रिमा – जिस तरह आप हमारे श्रोताओं को जानकारियां देते जा रहे हैं वैसे ही मैं इन्हें गाना सुनवाना चाहती हूं, जानकारी और गाने के संगम से हमारे श्रोताओं का मन जानकारियों में लगेगा, और गाना सुनकर उनका मूड भी फ्रेश होगा, इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है हमारे पुराने और चिर परिचित श्रोता अशोक ग्रोवर, परवीन ग्रोवर, नीती ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर और विक्रमजीत ग्रोवर ने आप सभी ने हमें पत्र लिखा है परमवीर हाउस, आदर्श नगर, बठिंडा, पंजाब से और आपने सुनना चाहा है धर्मात्मा फिल्म का गाना जिसे गाया है मुकेश और आशा भोंसले ने गीतकार हैं इंदेवर और संगीत दिया है कल्याणजी आनंदजी ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. तुमने किसी से कभी प्यार किया है ......

    पंकज - इन्हें हम थोड़ा ऊपर-नीचे, एक-डेढ़ किलोमीटर तक ले जा सकते हैं. हवा की दिशा को चुनने के बाद आप गुब्बारों की उड़ान तय कर सकते हैं.

    लून गुब्बारे एक समूह में उड़ते हैं. हर गुब्बारे के ऊपर एक एंटीना होता है जो सिग्नल पकड़ते भी हैं और फिर उसे ज़मीन पर फेंकते भी हैं. एक लून गुब्बारे का दायरा 40 किलोमीटर होता है.

    अगर आपके पास इंटरनेट एंटीना है तो आप इस सिग्नल को पकड़ सकते हो. जैसे ही एक बैलून उड़ता हुआ इसके दायरे से बाहर जाता है, दूसरा आ जाता है.

    आपको कभी पता भी नहीं चलता कि एक गुब्बारा चला गया है और उसकी जगह दूसरा आ गया है. यह आसमान में 20 किलोमीटर ऊपर उड़ते रिबन की तरह है- जिससे आपको इंटरनेट मिलता है.

    हो सकता है कुछ सालों में आसमान में तारों की तरह लून गुब्बारों के कई समूह हों, जो पृथ्वी के आकाश में विचर रहे हों. बहुत से दूरदराज़ के इलाकों में घरों, खेतों, इंटरनेट कैफे में आपको ऐसे एंटीना दिखेंगे.

    चंद्रिमा – मित्रों इस जानकारी से इतना तो तय है कि आने वाले दिनों में आपको इंटरनेट की उपलब्धता बहुत ज्यादा मिलेगी, इसके लिये गूगल के साथ ही और भी कई निजी कंपनियां शुरुआत करेंगी, खैर अब मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है कापशी रोड, अकोला महाराष्ट्र से संतोषराव बाकड़े, श्रीमती ज्योतिताई बाकड़े, कुमारी दिपाली बाकड़े, पवन कुमार बाकड़े और बाकड़े परिवार के सभी सदस्यों ने आप सभी ने सुनना चाहा है लावारिस (1981) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और आशा भोंसले ने गीतकार हैं अंजान और संगीत दिया है कल्याणजी आनंदजी ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 5. कब के बिछड़े हुए हम आज ....

    पंकज - इससे ऐसे बहुत से लोग इंटरनेट से जुड़ेंगे जिन्हें यह पहले कभी उपलब्ध नहीं था.

    सिर्फ़ यही नहीं, ऐसा भी हो सकता है कि हम इमरजेंसी परिस्थितियों में आम तौर पर पैदा होने वाली बाधाओं से मुक्ति पा सकें.

    मान लें कि धरती पर भूकंप या बाढ़ की वजह से तबाही हो जाती है (जैसा नेपाल के भूकंप के बाद हुआ). यदि मोबाइल टावर गिर जाते हैं, या फिर अन्य कारणों से नेटवर्क कनेक्शन टूट जाता है, तो हम लून गुब्बारों को ज़्यादा संख्या में वहां छोड़ सकते है और इंटरनेट संपर्क आसानी से दोबारा स्थापित कर सकते हैं.

    इन गुब्बारों को तुलनात्मक रूप से जल्दी जारी कर हम संपर्क की बाधाओं को ज़्यादा जल्दी और आसानी से दूर कर सकते हैं.

    हो सकता है कि 10 साल में यह जीवन में इतना ज़्यादा शामिल हो जाए कि लोग कहने लगें - ''हां, ठीक है हमारे ऊपर लून गुब्बारे हैं जो इंटरनेट दे रहे हैं."

    ठीक वैसे ही जैसे आज हम सैटेलाइट से इंटरनेट सिग्नल पाने के बारे में बोलते हैं.

    गूगल की एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत 30 ऐसे गुब्बारों को न्यूज़ीलैंड के साऊथ आइलैंड के ऊपर पोज़िशन किया गया है।

    चंद्रिमा – मित्रों इस जानकारी के साथ ही मैं आपको सुनवाने जा रहा हूं कार्यक्रम का अगला गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है हमारे पुराने श्रोता प्रियदर्शनी आकाशवाणी श्रोता संघ के संतोषकुमार सोना, नरेन्द्र दंडगहव्हाल, रविन्द्र सोनार, सन्नी, मुन्ना, बंडूदादा और इनके सभी मित्रों ने आपने हमें पत्र लिखा है बहादुरपुर, रथ चौक, ज़िला जलगांव महाराष्ट्र से और आपने सुनना चाहा है लूटमार (1980) फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले ने गीतकार हैं अमित खन्ना और संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 6. जब छाये मेरा जादू .....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    चंद्रिमा – नमस्कार।

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