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    आप की पसंद 151114
    2015-11-12 14:45:51 cri

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    दिनेश – श्रोताओं को दिनेश का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं, मित्रों मुझे ये कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि नित नए श्रोता हमारे साथ जुड़ते जा रहे हैं आए दिन आपके पत्र हमारे पास आते हैं जिनका हम हमेशा स्वागत करते हैं ऐसे ही हमारे एक श्रोता हैं आजाद नगर, लक्सर, हरिद्वार, उत्तराखंड से ताज मोहम्मद अंसारी साहब और इनके मित्र जिनमें गुलाम साबिर राही, मेहराज जहां और ढेर सारे साथी हैं जिन्होंने हमसे ये गीत सुनवाने की फरमाईश की है तो ताज साहब हम आपके और आपके ढेर सारे मित्रों के लिये सुनवाने जा रहे हैं आपकी पसंद का ये गीत जिसे गाया है राहुल देव बर्मन ने गीतकार हैं गुलशन बावरा, संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने फिल्म का नाम है पुकार (1983), गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. जाने जिगर ....

    पंकज - जेनेटिक थैरेपी का कमाल, कैंसर ठीक हुआ

    जेनेटिक इंजीनियरिंग से कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी के इलाज में डॉक्टरों को बड़ी सफलता हासिल हुई है.

    ग्रेट आर्मंड स्ट्रीट के डॉक्टरों का कहना है कि जेनेटिक थैरेपी पाने वाली दुनिया की पहली मरीज का कैंसर लगभग पूरी तरह ठीक हो गया है.

    लंदन की एक वर्षीय बच्ची लायला रिचर्ड को पांच महीने पहले ही लाइलाज और ख़तरनाक़ ल्यूकीमिया रोग का पता चला था.

    कैंसर से लड़ने के लिए डॉक्टरों ने डिज़ाइनर प्रतिरोधी कोशिकाओं का इस्तेमाल किया. उनका कहना है कि बच्ची की स्थिति में 'चमत्कारिक रूप से' सुधार आया है.

    लायला पूरी तरह ठीक हो गई हैं, ये कहना तो जल्दबाजी होगी लेकिन उनकी स्थिति में जो सुधार हुआ है वो मेडिकल साइंस के लिए काफी महत्वपूर्ण है.

    लायला जब तीन महीने की थीं तभी ये बीमारी पकड़ में आई.

    जैसा कि शिशुओं में होता है, कीमोथेरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी रोग को ठीक नहीं कर पाया।

    दिनेश – कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी को ठीक करने में जेनेटिक इंजीनियरिंग ने कमाल दिखाया है, अभी तो लगता है कि ये एक शुरुआत है जो बहुत महत्वपूर्ण है, आने वाले दिनों में वैज्ञानिकों का पूरा ध्यान इस पद्धति के इलाज पर ही रहने वाला है जिससे बेहतर परिणाम मिलने की आशा जताई जा रही है। इसी के साथ मैं उठा रहा हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है हमारे श्रोता मल्थोने, ज़िला सागर, मध्यप्रदेश से धर्मेन्द्र सिंह और इनके सभी परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है जनता हवलदार (1979) फिल्म का गाना जिसे गाया है अनवर ने और संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 2. हमसे क्या भूल हुई .....

    पंकज - डॉक्टरों ने उन्हें जवाब दे दिया था लेकिन उनके पहले जन्मदिन के एक दिन पहले ही उनके परिवार को 'पैलेटिव केयर' जाने की सलाह दी गई.

    उनके पिता ऐशले ने बताया, "मैं वापस नहीं लौटना चाहता था. इसकी बजाय मैं कुछ नया आजमाना चाहता था और मैंने एक जुआ खेला."

    वो बताते हैं, "इसका नतीजा ये हुआ कि वो आज खड़ी मुस्करा रही है, वो इस इलाज़ के पहले इतनी कमजोर हो गई थी कि उसे देखना डरावना लगता था लेकिन जो मौका दिया गया उसके लिए शुक्रगुजार हूँ."

    एक बायोटेक कंपनी सेलेक्टिस के सहयोग से अस्पताल के डॉक्टर एक ऐसी थैरेपी के इस्तेमाल की तेजी से मंजूरी ले आए जिसे पहले केवल चूहों पर इस्तेमाल किया गया था.

    'डिज़ाइनर प्रतिरोधी कोशिकाएं' जेनेटिक इंजीनियरिंग की देन हैं। इन कोशिकाओं को इस तरह डिज़ाइन किया गया कि वो केवल ल्यूकीमिया की कोशिकाओं को मारती हैं और उन्हें मरीज को दी जाने वाली तगड़ी दवाओं के सामने अदृश्य-सा बना देती हैं।

    दिनेश – मित्रों वैसे तो कैंसर के इस तरह किये गए इलाज से वैज्ञनिकों के सामने जो संभावनाएं खुल गई हैं वो काबिले तारीफ़ हैं लेकिन इसके साथ ही इलाज का एक नया रास्ता भी खुल गया है जो आने वाले दिनों में इलाज के तरीकों में वैज्ञानिक क्रांति ला सकता है। फिलहाल मैं उठा रहा हूं अपने अगले श्रोता का पत्र जो हमारे पास आया है ग्राम महेशपुर खेम, ग्राम मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश से तौफ़ीक अहमद सिद्दीकी, अतीक अहमद सिद्दीकी, मोहम्मद दानिश और इनके ढेर सारे मित्रों का आप सभी ने सुनना चाहा है नैया (1979) फिल्म का गाना जिसे गाया है यसुदास ने और संगीत दिया है रविन्द्र जैन ने और गीत के बोल हैं -------

    सांग नंबर 3. ओ गोरिया रे ......

    पंकज - लायला की नसों में इन डिज़ाइन कोशिकाओं को पहुंचाया गया और प्रतिरोधी तंत्र को बहाल करने के लिए उनका एक बार फिर बोन मैरो ट्रांस्प्लांट किया गया।

    कुछ महीने पहले लायला के परिवार को इस लाइलाज बीमारी के बारे में बताया गया। उसके कुछ महीने बाद आज वो ना केवल जीवित हैं बल्कि उनके शरीर में ल्यूकीमिया की कोई कोशिका नहीं है।

    ग्रेड आर्मंड स्ट्रीट के डॉक्टर पॉल वेज़ कहते हैं कि इस बीमारी के इलाज में जो सुधार हुआ है, ऐसा उन्होंने 20 वर्षों में नहीं देखा।

    वो कहते हैं, "पांच महीने पहले जैसी स्थिति थी, उससे हम चमत्कारिक रूप से बहुत आगे हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि बीमारी पूरी तरह ठीक हो गई है."

    उनके मुताबिक़, "किसी भी नतीजे तक पहुंचने में अभी हमें एक या दो साल का इंतज़ार करना होगा, लेकिन जो कुछ हासिल हुआ है वो बहुत बहुत बड़ी उपलब्धि है."

    दिनेश – मित्रों विज्ञान के इस सफल प्रयोग से मन में बहुत उत्साह जगा है जिससे लगता है कि आने वाले दिनों में हम कैंसर के साथ ही और भी जानलेवा बीमारियों पर विजय पा सकेंगे, इसके अलावा कॉस्मेटिक सर्जरी के क्षेत्र में भी इस माध्यम से इलाज ढूंढा जाएगा। यानी कि अब बीमारी का जड़ से इलाज किया जाएगा, जो कि एक उत्साहजनक बात है इसी के साथ मैं अपने अगले श्रोता का पत्र उठा रहा हूं जो हमारे पास आया है सुनिधि पारीख और इनके सभी परिजनों का सुनिधि जी ने हमें पत्र लिखा है सिलिल लाईन्स जयपुर राजस्थान से आप सभी ने सुनना चाहा है दीवाने (2000) फिल्म का गाना जिसे गाया है जसपिंदर नरूला ने संगीत दिया है संजीव दर्शन ने और गीत के बोल हैं -------

    सांग नंबर 4. ऐ दिल इतना बता दे .....

    पंकज - उन्होंने इस उपचार को 'किसी चमत्कार से कम' नहीं माना.

    लायला की केस स्टडी को अमेरिकन सोसायटी ऑफ़ हीमैटोलॉजी में प्रस्तुत किया गया, लेकिन यह अपनी तरह का पहला मामला है और अभी तक इसका क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ है.

    इसी अस्पताल के प्रोफ़ेसर वसीम क़ासिम कहते हैं, "ऐसा पहली बार हुआ है कि इंसानी कोशिकाओं को एक खास तरह से डिज़ाइन कर दोबारा उस मरीज को दिया गया और यह अपने आप में एक बड़ी बात है."

    वो बताते हैं, "टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है, गुणसूत्र के किसी खास हिस्से में फेरबदल करना आज पहले से भी आसान हो चुका है और मुझे लगता है कि यह टेक्नोलॉजी इलाज़ का नया दरवाजा खोलेगी."

    प्रो क़ासिम का कहना है कि यह टेक्नोलॉजी ऐसी कई बीमारियों में बहुत कारगर हो सकती है, जिसमें मरीज की कोशिकाओं की मनचाही जेनेटिक इंजीनियरिंग कर उसे वापस दिया जाय और उन्हें वैसा बर्ताव करने दिया जाए, जैसा अभी हम केवल सोच सकते हैं।

    दिनेश – मित्रों आपको जानकारियां देने में पंकज हमेशा आगे रहते हैं और मैं आपको आपकी पसंद के गीत सुनवाने में कभी पीछे नहीं रहता, आपकी पसंद के चुने हुए गीत आप सभी को सुनवाता हूं जिससे आपका मनोरंजन होता है और मैं आप सभी के पत्रों को पढ़कर आपके बारे में जानने की कोशिश भी करता हूं। मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं नारनौल हरियाणा से उमेश कुमार शर्मा, प्रेमलता शर्मा, सुजाता, हिमांशु और नवनीत आप सभी ने सुनना चाहा है इस रात की सुबह नहीं (1996) फिल्म का गाना जिसे गाया है एम एम क्रिम और चित्रा ने गीतकार हैं निदा फ़ज़ली और संगीतकार है एम एम क्रिम गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 5. चुप तुम रहो .....

    पंकज - हैंगओवर से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं ये आसान घरेलू तरीके

    जैसे-जैसे आधुनिकता का दौर आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे नशा करने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। कुछ लोग जाने-अनजाने बहुत अधिक नशा कर लेते हैं और कई परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसे में जब हद से ज्यादा नशा हो जाए तो उसका असर खत्म करने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे अपनाएं जा सकते हैं, जिनसे इसका नशा काफी हद तक उतर जाता है।

    शराब का नशा कम करने के नुस्खे-

    1. ब्लैक काफी शराब के नशे को उतारने में मदद करती है।

    2. लेमन जूस से भी शराब का नशा उतरता है।

    3. एक नींबू एक कप पानी में निचोड़कर पिलाने से लाभ होता है।

    4. शराबी के सिर पर ठंडा पानी डालने और पिसा हुआ धनिया-शक्कर मिलाकर देने से भी नशा उतरता है।

    5. धतूरे का विष या नशा उतारने में भी इमली का पन्ना कारगर है।

    6. नींबू चूसने और अचार खाने से भी नशा हल्का पड़ जाता है।

    7. संतरा खाने से भी नशा उतर जाता है।

    8. दही और छाछ से नशा उतर जाता है।

    9. अदरक के दो तीन टूकड़े चबाकर खा लें। तुरंत आराम मिलेगा।

    10. एक कप पानी उबालकर उसमें शहद और नींबू का रस मिलाकर पीने से भी हैंगओवर में आराम मिलता है।

    11. टमाटर का जूस निकालकर या इसका सूप बनाकर इसमें नींबू मिलाकर पी लें। यह आपको हैंगओवर की समस्‍या में राहत देगा।

    12. हैंगओवर में सेब और केले सबसे ज्‍यादा फायदेमंद है।

    13. दूध पीने से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

    दिनेश – श्रोता मित्रों हमारे कार्यक्रम में अगला पत्र आया है कहारवाड़ी, राजपुर, मध्यप्रदेश से धीसू दिलवारे, लक्ष्मी दिलवारे, कुणाल दिलवारे, सोनाली दिलवारे और इनके सभी परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है जब वी मेट फिल्म (2007) का गाना जिसे गाया है श्रेया घोषाल ने संगीत दिया है प्रीतम चक्रवर्ती ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 6. ये इश्क हाय ....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    दिनेश – नमस्कार।

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