वसंत में थाईशान पर्वत का चेरी बागान अत्यंत लुभावना है । यह चेरी बागान थाईशान पर्वत की औलाई चोटी के उत्तर में खड़ा हुआ है । कहा जाता है कि सौ साल से पहले लू नाम के बाप बेटे यहां रहते थे , उन्हों ने बड़े परिश्रम से चट्टानों को हटाकर खेतीयोग्य जमीन बनाकर चेरी पेड़ लगा दिये । तब से ही यहां पर अधिकाधिक चेरी पेड़ उगाये जाने से विशाल चेरी बागान का रूप दिया गया । आज यहां के पर्वत पर बेशुमार चेरी पेड़ उगे हुए दिखाई देते हैं । वसंत में पर्यटक पर्वत पर चढ़ने के दौरान चेरी बागान में विश्राम कर सकते हैं और ताजा मीठे चेरी भी चख सकते हैं , यह तो बड़े मजे की बात है ।
चेरी बागान के अतिरिक्त थाईशान पर्वत के बगल में स्थित फी छंग नामक क्षेत्र भी काफी चर्चित है । यह फी छंग क्षेत्र आड़ू की जन्मभूमि माना जाता है । यहां पर उत्पादित आड़ू को बुद्ध आड़ू कहा जाता है । हर वर्ष के अप्रैल व मई में फीछंग में आड़ू फूल देखने का सब से बढ़िया समय है । फीछंग में आड़ू उगाये जाने का इतिहास कोई एक हजार वर्ष से अधिक पुराना है , अब आठ हजार हैक्टर से अधिक भूमि पर आड़ू पेड़ उगे हुए हैं और वह गिनिस के सब से बड़े आड़ू बागान की नामसूची में शामिल कर लिया गया है । हर वर्ष के वसंत में सारा पर्वत हल्के लाल रंग वाले आड़ू फूलों से आच्छादित हो जाता है । सुश्री ली छिंग को यहां बसे हुए बीसेक सालों से अधिक समय हो गया है । उन्हों ने कहा कि जो पर्यटक यहां आते हैं , वे सब इस बागान की प्रशंसा में दुनिया से कटे आड़ू बागान और मानव जाति का स्वर्ग कहते हैं ।
उन्हों ने कहा कि हम इस क्षेत्र को थाईशान पर्वत का अलग विशेष स्थल कहकर पुकारते हैं । क्योंकि यहां के ढलांनों व घटियों समेत सभी क्षेत्रों पर आड़ू के पेड़ उगे हुए हैं । जब वसंत के मौसम में आड़ू के फूल खिले जाते हैं , तो दूर से देखा जाये , हल्के लाल रंगीन आड़ू फूल हरे भरे थाईशान पर्वत को चार चांद लगा देते हैं , इस अनौखे दृश्य ने थाईशान पर्वत की एकदम अलग पहचान बना देते है ।
चेरी बागान और फी छंग आड़ू बागान देखन के बाद थाईशान पर्वत की चोटी पर चढ़ने में बड़ा मजा आता है ।
थाईशान पर्वत पर चढ़ने के अनेक रास्ते हैं, पर अधिकतर पर्यटक वह रास्ता चुनते हैं जिसमें सब से पहले बस से वे पर्वत की तलहटी पर स्थापित चुंग थ्येन गेट तक पहुंचते हैं और फिर केबलकार पर सवार होकर पर्वत की चोटी के निकट खड़े नान थ्येन मन गेट पहुंचते हैं। केबलकार से उतरकर पर्यटकों को नान थ्येन मन गेट से निकल कर थाईशान पर्वत की चोटी पर पैदल चढ़ना पड़ता है। वे बस और केबलकार के सहारे काफी आसानी से थाईशान पर्वत पर चढ़ सकते हैं और साथ ही आसपास का दिलकश प्राकृतिक सौंदर्य भी आंख भर देख सकते हैं।
बेशक, यदि कोई चोटी तक पैदल चल कर जाना चाहे, तो ऐसा भी कर सकता है। कहते हैं कि थाईशान पर पैदल चढ़ाई करने का मजा उसकी असहनीय कठोरता में है। थाईशान पर्वत की तलहटी से सबसे ऊंची चोटी तक पहुंचने के लिए सात हजार से अधिक सीढ़ियों का रास्ता भी है। इस पथरीले रास्ते से पर्वत की चोटी पर पहुंचने में संवेदना तो नहीं के बराबर रहती है, और चोटी पर पहुंचने का काम खासा थकाने वाला होता है। नान थ्येन मन गेट के पास पहुंचने के साथ यह और कठिन हो जाता है। तब हरेक सीढी पर चढ़ने के लिए साहस की जरूरत पड़ती है।
हालांकि थाईशान पर्वत पर चढ़ना बहुत कठिन काम है, फिर भी बहुत से पर्यटक चोटी पर पैदल चढ़ने का विकल्प चुनते हैं। उन में बहुत से बुजुर्ग भी होते हैं। दरअसल बहुत से चीनी थाईशान पर्वत पर चढ़ने को जिन्दगी का एक करिश्मा मानते हैं और थाईशान पर्वत पर पैदल चढ़ कर एक विशेष आत्मसंतोष प्राप्त करते हैं। पर्वत की चोटी पर हमारी मुलाकात एक बुजुर्ग ऊ वई मिन से हुई। थाईशान पर्वत पर यह उनकी दूसरी चढ़ाई थी और वे बहुत प्रसन्न दिख रहे थे। हम उन से बातचीत की, तो उन्होंने बताया
बीस साल पहले मैं थाईशान पर्वत पहली बार आया। उस समय मैं बहुत जवान था इसलिए चुंगथ्येन मन गेट से चोटी तक पैदल पहुंचने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। उस समय यहां केबलकार का बंदोबस्त ही नहीं । सभी पर्यटकों को पर्वत की चोटी पर पहुंचने के लिए मुश्किल से पैदल ही चलना पड़ता था। तब यहां का रास्ता भी इतना चौड़ा नहीं था, बल्कि बहुत तंग और ऊबड़- खाबड़ था। ऐसे में ऊपर जाना बहुत कठिन था। हम श्री ऊ के साथ बातचीत करते आगे बढ़ रहे थे कि हमें सामने एक रौनकदार बाजार दिखा। यह बाजार काफी बड़ा था। यहां विविध उत्पादों, होटलों और अनेक प्रकार के मनोरंजन केंद्रों का बंदोबस्त भी था। स्थानीय लोग इसे त्येन चेय यानी स्वर्ग की सड़क कहते हैं। चीनी भाषा में इस का मतलब है आकाश पर स्थापित सड़क । इस सड़क पर प्राचीन चीनी वास्तुशैली में निर्मित जितनी भी दुकानें थीं, वे सब की सब खड़ी चट्टानों से सटी थीं और हमें देखने में बहुत सुंदर लगीं , श्री ऊ ने हमें बताया कि बीस साल से पहले जब वे प्रथम बार थाईशान पर्वत की चोटी पर पहुंचे , तो उस समय त्येनच्ये इतनी साफ सुथरी नहीं दिखी , सड़कों के दोनों ओर भीड़ भाड़ थी , पेड़ भी इतने बड़े व हरे नहीं थे ।
आम तौर पर पर्यटक थाईशान पर्वत की चोटी पर पहुंचने के बाद वहां एक रात ठहरते हैं, ताकि दूसरी सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय का अद्भुत दृश्य देख सकें। कुछ पर्यटक सड़क पर चलते हुए पूरी रात बिताते हैं। इसलिए थ्येन चेह सड़क पर खड़े छोटे-बड़े रेस्त्रांओं में रात को भी चहल-पहल नजर आती है।पर्यटकों की भीड़ वहां स्थानीय व्यंजन खाने में मस्त दिखती है।
थाईशान पर्वत रमणीय पर्यटन स्थल में थाईशान पर्वत की प्रमुख चोटी को केंद्र बनाकर चारों तरफ तीन सौ से अधिक चोटियां , 260 से अधिक नद नदियां और बीस हजार से अधिक प्राचीन पेड़ पाये जाते हैं । पर पिछले एक अर्से से थाईशान पर्वत पर्य़टन क्षेत्र में जरूरत से अधिक भवन निर्माण से यहां के हरेपन में बिगाड़ आयी । इसे ध्यान में रखकर स्थानीय सरकार ने थाईशान पर्वत के ऱखरखाव पर जोर दिया और प्राचीन भवनों की मरम्मत और चोटियों को हरा भरा बनाने की कोशिश की , जिस से थाईशान पर्वत पर्यटन क्षेत्र को चार चांद लगाया गया है । जापानी पर्यटक याजिमा हाईवाकी ने हमारे संवाददाता से कहा
थाईशान पर्वत चीन का प्रथम बड़ा पर्वत कहना लायक है , यहां आने पर हमें बहुत प्रसन्न हैं । थाईशान पर्वत का प्राकृतिक दृश्य बहुत लुभावना है , साथ ही वह चीनी राष्ट्र की विरासत भी है और इतिहास को जारी रहने का एक पुल भी है । प्रशंसनीय बात यह भी है कि थाईशान पर्वत का संरक्षण भी बड़े ढंग से हुआ है ।