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    आप की पसंद 151031
    2015-11-03 15:35:19 cri

     पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    दिनेश – श्रोताओं को दिनेश का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है ... मेहर रेडियो श्रोता संघ सगोरिया, ज़िला मंदसौर, मध्यप्रदेश से श्याम मेहर निकिता मेहर, आयुष, संगीता, ललिता, दुर्गाबाई और समस्त मेहर परिवार ने आप सभी ने सुनना चाहा है बीवी ओ बीवी (1981) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं निदा फ़ज़ली और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने, गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. मेरी बुलबुल यूं न हो गुल .....

    पंकज - गत्ते की कार फर्राटा भरने को तैयार

    दुनिया भर के कार निर्माताओं में लेक्सस की पहचान अनुभवी और अलग अलग तरह की कारें बनाने वाली कंपनी के तौर पर है.

    लेक्सस ने अब एक ख़ास तरह के कार्डबोर्ड वाली इलेक्ट्रिक कार बनाई है. लेक्सस ने इसके लिए ब्रिटेन स्थित लेज़रकट वर्क्स और स्केल्स एंड मॉडल्स के पांच डिज़ाइनरों की टीम को कार्डबोर्ड वाली कार बनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी.

    इस टीम की मदद पैकेजिंग मैटेरियल बनाने के विशेषज्ञ डीएस स्मिथ ने की. उनकी सलाह के बाद टीम ने ये ख़ास कार तैयार कर दी है.

    कार्डबोर्ड से बनी ये कार फ़ुल साइज़ की सेडान की रेप्लिका दिखती है, लेकिन पूरी तरह से काम में आ सकती है.

    इस कार को बनाने में स्टील और एल्यूमिनियम के फ्रेम का इस्तेमाल किया गया है. इसके अलावा लेज़र से कटे हुए 1700 कंप्रेसेड (बाहरी दबाव डालकर ठोस बनाने की प्रक्रिया) गत्ते वाले कार्डबोर्ड का इस्तेमाल किया गया है, जिसे पूरी तरह से रिसाइकल किया जा सकता है.

    दिनेश – श्रोता मित्रों अगला पत्र हमारे पास आया है मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश से मोहम्मद इरशाद, शमशाद अहमद, गुफ़रान अहमद, नेयाज़ अहमद, इरशाद अहमद अंसारी, अब्दुल वासे अंसारी, रईस अहमद, शादाब अहमद, शारिक अनवर और दिलकशां अनवर का आप सभी ने सुनना चाहा है ससुराल (1961) फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने और संगीत दिया है शंकर जयकिशन ने गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. तेरी प्यारी प्यारी सूरत को ....

    पंकज - इस कार का अपना शानदार इंटीरियर है, काम में आने लायक दरवाज़े हैं. एकदम चलने, बुझने वाली हेडलाइट है और तेज़ी से भागने वाले चक्के भी हैं.

    इतना ही नहीं कार में इलेक्ट्रिक मोटर भी लगी हुई है. वैसे ये कार्ड बोर्ड का बना बक्सा भर नहीं है, बल्कि पूरी तरह चलाने लायक इलेक्ट्रिक कार है.

    डिजिटल 3डी तकनीक के जरिए मूल रूप से टीम ने कार बनाने की प्रक्रिया को कई भागों में विभक्त किया है- मुख्य बॉडी, डैशबोर्ड, सीट्स, व्हील्स और काफ़ी कुछ और...

    इसके बाद कार के सभी हिस्सों को डिजटली 10 मिलीमीटर मोटे फांकों में विभक्त किया गया. इन आंकड़ों को लेज़र कटर में फीड किया गया. इसके बाद कार को बनाने में इस्तेमाल किए गए 1700 कार्ड बोर्ड को काटा गया. इन सबको ख़ास अलग अलग नंबर दिए गए.

    इन कार्ड बोर्ड को एक ख़ास तरह के वुड ग्लू से जोड़ा जाता है. इस तरह से कार को तैयार करने में छह महीने का वक्त लगता है.

    दिनेश – मित्रों कार्यक्रम में अगला पत्र आया है धनौली तेलीवाला, हरिद्वार, उत्तराखंड से निसार सलमानी, समीना नाज़, सुहैल बाबू और इनके सभी मित्रों का आप सभी ने सुनना चाहा है संघर्ष (1999) फिल्म का गाना जिसे गाया है सोनू निगम ने संगीत दिया है जतिन ललित ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. मुझे रात दिन .....

    हालांकि इस तरह से कार को बनाने में कुछ मुश्किलें भी आईं. स्केल्स एंड मॉडल्स कंपनी के संस्थापक और निदेशक रुबेन मार्कोस ने कहा, "सीट्स को बनाने में कई बार कोशिश करनी पड़ी और चक्के को बनाने में कई बार चीज़ों को फ़ाइन ट्यून करना पड़ा."

    मार्कोस ने कहा, "अब जब कार ने आकार ले लिया है तो हम इसमें आगे भी सुधार कर सकते हैं. हर उत्पाद की तरह इसमें भी ट्रायल और एरर की जगह होगी. लेकिन हमने इसे इन हाउस संसाधनों से ही तैयार किया है. इसमें आसानी से बदलाव और सुधार संभव हैं."

    लेक्सस ने अपने इस कार को बर्मिंघम के ग्रैंड डिज़ाइन लाइव में आधिकारिक तौर पर पेश किया है.

    दिनेश – मित्रों हम बातों बातों में अगर बीच में गाने भी सुनते रहें तो मज़ा दोगुना हो जाएगा, मैं आपके गानों की पसंद का बहुत स्वागत करता हूं आपकी पसंद के कई गाने तो मुझे भी इतने पसंद आने लगे हैं कि उनमें से कई गानों को मैंने अपने मोबाइल फोन में भी डाउनलोड कर लिया है और उन्हें सुनता रहता हूं, इन गानों को सुनने से मेरा मन ताज़गी से भर जाता है। इसी के साथ आपका अगला पत्र उठाता हूं जिसे हमें लिख भेजा है बिधानचंद्र सान्याल, रीता चक्रवर्ती, रीता सान्याल, हाब्रु और आपके सभी मित्र जनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है मैं तेरा हीरो फिल्म का गाना इसे गाया है अरिजीत सिंह ने गीतकार हैं कौसर मुनीर और दानिश साबरी और संगीत दिया है साजिद वाजिद ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 4. पलट तेरा हीरो इधर है .....

    पंकज - जो सूंघकर पहचान सकती हैं पार्किसंस का मरीज़

    पर्थ की एक महिला सूंघकर ही इस बात का पता लगा लेती है कि किसे पार्किंसंस बीमारी है या होने वाली है।

    इससे डॉक्टरों को इस लाइलाज बीमारी का ठीक-ठीक पता लगा पाने की उम्मीद जगी है।

    पर्थ में रहने वाली जॉय मिलने के पति लेस की पार्किसंस बीमारी से 65 की उम्र में मौत हुई थी. उन्हें 45 साल की उम्र में यह बीमारी हुई थी.

    ब्रिटेन में हर पांच सौ लोगों में से एक व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है. पूरे ब्रिटेन में पार्किसंस के एक लाख 27 हज़ार मरीज़ हैं.

    इस बीमारी में रोगी को चलने, बोलने और सोने में खासी दिक्कत होती है. इसके इलाज और जांच की कोई निश्चित विधि नहीं तलाशी जा सकी है.

    हालांकि लेस की बीमारी का ठीक-ठीक पता चलने के छह साल पहले ही जॉय ने कुछ बदलाव महसूस किए थे.

    वो बताती हैं, "उनकी गंध बदल गई थी और ये ऐसी थी जिसे बता पाना मुश्किल है. यह अचानक नहीं बल्कि धीरे धीरे हुआ. कस्तूरी जैसी गंध आने लगी."

    जॉय इस गंध को तब समझ पाईं जब वे एक चैरिटी संस्था पार्किसंस यूके में काम कर रही थीं.

    इसकी संभावना को देखते हुए उन्होंने बातचीत के दौरान एक वैज्ञानिक को इस बारे में बताया जिससे वो चकित रह गए थे.

    एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी ने जॉय का परीक्षण करने का फैसला किया और पाया कि वो बहुत सही थीं.

    यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ बायोलॉजिकल साइंसेज़ में पार्किंसंस यूके के साथ जुड़कर काम करने वाले डॉक्टर टिलो कुनाथ को जॉय ने इस बारे में पहली बार बताया था.

    वो कहते हैं, "पहली बार हमने पार्किसंस के छह रोगियों और छह स्वस्थ लोगों को लेकर जॉय का परीक्षण किया."

    दिनेश – मित्रों मैं आपको यहां बीच में रोक कर अगला गाना सुनवा दूं क्योंकि अभी वक्त हो चला है एक गाना ब्रेक का .... कहारवाड़ी, राजपुर, मध्यप्रदेश से धीसू दिलवारे, लक्ष्मी दिलवारे, माधुरी दिलवारे, कुणाल दिलवारे, सोनाली दिलवारे और समस्त परिजनों का आप सभी ने सुनना चाहा है एजेंट विनोद फिल्म का गाना जिसे गाया है मिका सिंह, अमिताभ भट्टाचार्य, नकाश अज़ीज़, प्रीतम चक्रवर्ती और जावेद जाफ़री ने, संगीत दिया है प्रीतम चक्रवर्ती ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 5. पुंगी .....

    उनके मुताबिक़, "इन लोगों को हमने एक पूरा दिन पहनने के लिए टी-शर्ट दिए और फिर वापस लेकर उन्हें कूट भाषा में निशान लगाकर पैक कर दिया."

    वो बताते हैं, "जॉय का काम था ये बताना कि किसे पार्किंसंस है, किसे नहीं है. उनका आंकलन 12 मामलों में से 11 में सही था."

    कुनाथ कहते हैं, "वो सभी छह रोगियों को पहचान गई थीं लेकिन स्वस्थ लोगों में से एक के बारे में उन्हें पूरा भरोसा था कि वो भी रोगी है."

    वो बताते हैं, "हालांकि उस इंसान को रोग नहीं था. लेकिन इस परीक्षण के आठ महीने बाद उसे इस बीमारी से पीड़ित होने की बात पता चली."

    वैज्ञानिकों का मानना है कि पार्किसंस की शुरुआत में त्वचा में कुछ बदलाव आता है जिसका संबंध एक खास किस्म की गंध से होता है.

    उन्हें उन अणुओं का पता लगा लेने की उम्मीद है, जो खास गंध के लिए ज़िम्मेदार हैं और इस तरह वे माथे के पसीने से ही जांच की एक आसान विधि ईजाद कर लेंगे.

    पार्किसन्स यूके संस्था अब मेनचैस्टर, एडिनबर्ग और लंदन में क़रीब 200 लोगों पर अध्ययन के लिए आर्थिक मदद दे रही है.

    संस्था के स्कॉटलैंड डायरेक्टर कैथरीन क्रॉफ़ोर्ड के मुताबिक, "अगर एक आसान सी जांच प्रणाली विकसित कर ली जाती है तो यह बहुत बड़ा बदलाव होगा."

    उनके अनुसार, पार्किसंस का पता लगाना एक बहुत ही मुश्किल काम होता है.

    वे कहते हैं, "हम आज भी इस बीमारी की उसी तरह जांच करते हैं जैसे वर्ष 1817 में डॉ जेम्स पार्किसंस किया करते थे और ये विधि है लोगों की निगरानी करना और लक्षणों को पहचानना."

    हो सकता है कि यह अचानक ही हाथ आने वाली खोज हो लेकिन जॉय को उम्मीद है कि यह उन लोगों के लिए बहुत अहम साबित होगी जिन्हें पार्किंसंस का ख़तरा है.

    दिनेश – श्रोता मित्रों आपकी पसंद के गाने सुनवाने में मुझे बहुत आनंद आता है क्योंकि आपकी पसंद का दायरा बहुत बड़ा है मुझे अक्सर आपकी पसंद के गानों से भारतीय संगीत के बारे में भी कुछ जानने को मिलता है जहां पर कई मधुर गाने, लोक गीत होते हैं तो कहीं पर फड़कते हुए गीतों का भी आनंद लिया जा सकता है। मित्रों ये अगला पत्र हमारे पास आया है श्रीवास रेडियो श्रोता संघ के श्रीमती दुखनीबाई श्रीवास और इनके सभी परिजनों की तरफ़ से आपने हमें पत्र लिखा है ग्राम लहंगाबाथा, पोस्ट बेलगहना, ज़िला बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से और आपने सुनना चाहा है देश प्रेमी (1982) फिल्म का गाना जिसे गाया है लक्ष्मीकांत कुदलकर और लता मंगेशकर ने संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 6. गोरे नहीं हम काले सही ....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    दिनेश – नमस्कार।

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