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    संडे की मस्ती 2015-10-18
    2015-10-22 16:46:38 cri

    हैलो दोस्तों...नमस्कार...नीहाओ...। आपका स्वागत है हमारे इस चटपटे और laughter से भरे कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में। मैं हूं आपका दोस्त और होस्ट अखिल पाराशर।

    दोस्तों, हर बार की तरह आज के इस कार्यक्रम में होंगे दुनिया के कुछ अजब-गजब किस्से और करेंगे बातें हैरतंगेज़ कारनामों की.... इसी के साथ ही हम लेकर आये हैं मनोरंजन और मस्ती की सुपर डबल डोज, जिसमें होंगे चटपटे चुटकुले, ढेर सारी मस्ती, कहानी और खूब सारा फन और चलता रहेगा सिलसिला बॉलीवुड और चाइनिज गानों का भी।

    दोस्तों, आज कार्यक्रम को पेश करने में मेरा साथ दे रही है मेरी सहयोगी लिली जी...।

    लिली- हैलो... दोस्तों, आप सभी को लिली का प्यार भरा नमस्कार।

    अखिल- दोस्तों, इससे पहले हम अपना प्रोग्राम शुरू करें, चलिए हम सुनते हैं यह चीनी गीत।

    लिली- इस चीनी गीत का नाम है

    अखिल- वैल्कम बैक दोस्तों, आप सुन रहे हैं संडे के दिन, मस्ती भरा कार्यक्रम संडे की मस्ती Only on China Radio International

    लिली- चलिए दोस्तों... आज हम आपको ले चलते हैं हमारे संडे स्पेशल की तरफ, जहां आज आपको बताएंगे कि तकनीक का शिकार हो रहे हर उम्र के बच्चे

    अखिल- दोस्तों, तकनीक हर उम्र के बच्चों को अपना शिकार बना रही है इसमें अकेले बच्चे ही नहीं उनके मां-बाप भी जिमेदार हैं. बच्चों को क्वालिटी टाइम देने की बजाय पेरेन्ट्स उन्हें व्यस्त रखने और खुश करने के लिए मोबाइल, आइपोड, टैबलेट, कम्प्यूटर आदि लाकर देते हैं. हालत यह है कि कई बच्चे तो वाईफाई कनेक्शन ना मिले या इंटरनेट धीरे चले, तो पागलों जैसी हरकतें करने लगते हैं और उग्र हो जाते हैं. इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स इस हद तक लोगों पर हावी हो चुका है कि लोग बिना अपने स्मार्टफोन के एक मिनट तक नही रह सकते. लोग अपनी परेशानियों से दूर भागने और उस से अपना ध्यान भटकाने के लिए दिन रात खुद को गैजेट्स में व्यस्त रखते हैं. इंटरनेट के नशे और मनोवैज्ञानिक अवसाद या तनाव के बीच सीधा-सीधा संबंध है. सहपाठियों से महसूस होने वाला दबाव, पढ़ाई की चिंता, अकेलापन, बोरियत और रिश्तों की ऊब इंटरनेट से 'चिपकने' के मुख्य कारणों में शुमार है.

    कई बच्चे तो वाईफाई कनेक्शन ना मिले या इंटरनेट धीरे चले, तो पागलों जैसी हरकतें करने लगते हैं और उग्र हो जाते हैं. बच्चों को क्वालिटी टाइम देने की बजाय पेरेन्ट्स उन्हें व्यस्त रखने और खुश करने के लिए मोबाइल, आइपोड, टैबलेट, कम्प्यूटर आदि लाकर देते हैं.

    एक सर्वे में पाया कि 8-13 आयु वर्ग के 73 फीसदी बच्चे फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट से जुड़े हुए हैं, जबकि 13 वर्ष से कम के बच्चों को इसकी इजाजत नहीं हैं. बच्चे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के इतने ज्यादा अभ्यस्त हो चुके हैं कि इनके बिना 15 मिनट भी सुकून से नहीं बैठ सकते. लोग अपनी परेशानियों से दूर भागने और उस से अपना ध्यान भटकाने के लिए दिन रात खुद को गैजेट्स में व्यस्त रखते हैं.

    लिली- दोस्तों, यह था हमारा संडे स्पेशल। चलिए... दोस्तों, अभी हम चलते हैं अजीबोगरीब और चटपटी बातों की तरफ।

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