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19 सितंबर आपकी पसंद
पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, मित्रों हम हर सप्ताह आपको जैसी रोचक और आश्चर्यजनक जानकारियां देते हैं आप भी हमें कुछ ऐसी ही जानकारियां भेज सकते हैं, या फिर अपने शहर की विरासत के बारे में भी हमें लिखकर भेज सकते हैं जिसका कोई ऐतिहासिक महत्व हो। अगर आपके शहर में कोई भी अनोखी बात है या फिर कोई अनोखी घटना घटी है जिसे आप हमारे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें पत्र या फिर हमारी वेबसाईट पर लिखकर हमें भेज सकते हैं, और अब मित्रों हम आज के कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।
दिनेश – श्रोताओं को दिनेश का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोता मित्रों जो जानकारियां आप हमें भेजना चाहते हैं वो आप पत्र के माध्यम से हमें भेज सकते हैं लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपकी भेजी हुई जानकारी हमतक जल्दी पहुंचे तो इसके लिये आप हमारी वेबसाईट www.hindi.cri.cn पर भेज सकते हैं जिससे आपके द्वारा भेजी गई जानकारी हमतक बहुत जल्दी पहुंच जाएगी। हर सप्ताह हमारे पास आपके ढेरों पत्र आते हैं, जिसमें आप हमसे अपने पसंद के गाने सुनाने का अनुरोध करते हैं। हम चाहते हैं कि आप हमसे और सक्रियता के साथ जुड़ें इसके लिये आप हमें अपना नाम, अपने परिजनों और मित्रों का नाम, शहर का नाम और पूरा पता साफ साफ अक्षरों में लिख भेजें। तो मित्रों इसी के साथ मैं उठा रहा हूं कार्यक्रम का पहला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है..... सियोन रेडियो श्रोता संघ ग्राम पोस्ट कृतपुर, मठिया, भाया अरेराज, पूर्वी चम्पारन, बिहार से हमारे नियमित श्रोता राम बिलास प्रसाद, बंशी प्रसाद, नगीना प्रसाद, धनिलाल प्रसाद राजा बाबू उर्फ विकास, अभय कुमार और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है क्रोधी (1981) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर और सुरेश वाडकर ने संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ------
सांग नंबर 1. चल चमेली बाग में .....
पंकज - भारत की ये हैं रहस्यमय घटनाएं और जगह, साइंस के पास भी नहीं है जवाब
यूएफओ या एलियन से जुड़ी खबरें तो आपने कई बार पढ़ी होंगी। लेकिन यूएफओ या एलियन के अलावा भी कई ऐसी घटनाएं दुनियाभर में हुई हैं जिनको लेकर काफी रहस्य बना। कुछ ऐसी रहस्यमय जगहें भी दुनिया में हैं जिनके बारे में साइंस भी जवाब नहीं तलाश पाया है। आज हम आपको सिर्फ भारत की ऐसी ही कुछ रहस्यमय जगहें और घटनाओं के बारे में बता रहे हैं... इनको लेकर अब तक सवाल बना हुआ है...
कोडिन्ही गांव, केरल
केरल का कोडिन्ही एक रहस्यमय गांव है। यहां जुड़वां बच्चों का जन्म होना आम बात है। इस गांव में लगभग 2,000 परिवार रहते हैं। कुछ साल पहले के सरकारी आंकड़ों के अनुसार यहां 250 जुड़वां बच्चे हैं। जबकि स्थानीय डॉक्टरों के मुताबिक यह संख्या असल में 350 तक हो सकती है। प्रति वर्ष जुड़वां बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इसके पीछे क्या कारण हैं, अभी तक कोई नहीं जान सका है। एक अनुमान के अनुसार, आमतौर पर भारत में प्रति 1000 बच्चों में 4 जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं। लेकिन कोडिन्ही में 1000 पर यह आंकड़ा काफी अधिक हो जाता है। द टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 2004 से 2009 के बीच यहां 120 जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ।सम्राट अशोक की 9 रहस्यमय
दिनेश – मित्रों वैसे तो हम कभी कभी जुड़वां लोगों को देख पाते हैं लेकिन ये तो एकदम हैरान कर देने वाली जानकारी है जहां पर ढाई सौ जुड़वां बच्चे रहते हैं। हमारे अगले श्रोता हैं बहादुरगंज, गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश से आज़ाद अली अनवर, रिज़वाना परवीन, अब्दुल्लाह आज़ाद, इसके साथ ही अस्तुपुरा मऊनाथ भंजन, से मज़हर अली अंसारी, रज़िया बेगम अंसारी, सादिक, साजिद, सारिम और शारिक आप सभी ने सुनना चाहा है मेरे हमदम मेरे दोस्त फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफी ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ------
सांग नंबर 2. न जा कहीं अब न जा ....
पंकज - लोगों की सोसाइटी
इतिहास की रहस्यमय चीजों में सम्राट अशोक की 9 लोगों की एक सोसायटी का जिक्र सामने आता है। इसे The nine unknown के नाम से भी जाना जाता है। सम्राट अशोक ने 273 ई.पू. में इस कथित शक्तिशाली लोगों की सोसाइटी की नींव रखी थी। इस सोसाइटी का निर्माण कलिंग के युद्ध में 1 लाख से अधिक लोगों की मौत के बाद हुआ था।
कहा जाता है कि इन 9 लोगों के पास ऐसी सूचनाएं थीं, जो गलत हाथों में जाने पर खतरनाक हो सकती थी। इनमें प्रोपेगंडा सहित माइक्रोबायोलॉजी से संबंधित किताबें थी। कुछ किताबों के बारे में कहा जाता है कि इनमें एंटी ग्रेविटी और टाइम ट्रैवल के गुप्त सिद्धांत दर्ज थे। ये 9 लोग विश्व के कई स्थानों में फैले थे। सबसे आश्चर्य की बात है कि इनमें से कई विदेशी भी थे।
मैग्नेटिक हिल
हिमालय के लद्दाख में आश्चर्यचकित करने वाली एक पहाड़ी है। कहा जाता है कि इस पहाड़ी में चुंबकीय गुण है। अगर आप अपनी कार को न्यूट्रल करके इस सड़क पर खड़ा कर दें तो यह पहाड़ी पर 20 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से नीचे की ओर चलने लगती है। गाइड के अनुसार यह एक सुपरनेचुरल घटना है और इसे स्थानीय लोग हिमालयन वंडर कहते हैं।
दिनेश – श्रोता मित्रों ये सभी हैरतअंगेज़ जानकारी हमें अचरज में डाल रही हैं। वैसे अगर हम रहस्य की पर्तें खोलें तो पाएंगे कि दुनिया भर में ऐसी हैरान कर देने वाली जानकारियों की भरमार है, वैसे हम आप से भी आशा करते हैं कि आप हमें कुछ ऐसी ही जानकारियां भेजें जो आपके आसपास की घटनाओं पर आधारित हों इन जानकारियों को हम अपने बाकी श्रोताओं से साझा करेंगे। इसी के साथ मैं उठा रहा हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिखा है रामलीला मैदान, सचेंडी से बाबा शिवानंद तिवारी, शशि त्रिपाठी, मनू, तनू, सोनू, आलोक, शिवांश और इनके परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है साहब बीवी और गुलाम (1962) फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले ने गीतकार हैं शकील बंदायुनी और संगीत दिया है हेमंत कुमार ने और गीत के बोल हैं ------
सांग नंबर – 3. भंवरा बड़ा नादान है .....
पंकज - लद्दाख का द कोंग्का ला दर्रा
लद्दाख का द कोंग्का ला दर्रा दुनिया के उन इलाकों में है, जिसके बारे में बहुत कम जानकारी मिल पाई है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है- हिमालय का यह क्षेत्र बर्फीला और दुर्गम है। स्थानीय लोगों और यात्रियों का दावा है कि यहां यूएफओ का दिखाई देना आम बात है। इन बातों को पहले अधिक महत्व नहीं दिया गया लेकिन जून 2006 में गूगल के सेटेलाइट से ली गई फोटो भी सामने आई जिसने लोगों को चौंका दिया।
यह भारत और चीन की सीमा पर पड़ता है। यह दोनों देशों के बीच सैन्य-विवाद का विषय बन चुका है। यह नो-मैन्स लैंड घोषित है। दोनों देश इस पर नजर रखते हैं लेकिन कोई भी देश इस क्षेत्र में पेट्रॉलिंग नहीं करता है।
जोधपुर के आकाश में तेज धमाका
18 दिसंबर, 2012 को जोधपुर के आकाश में एक अनोखी घटना घटी। जोधपुर के आकाश में एयरप्लेन क्रैश करने जैसी आवाज सुनाई दी। ऐसे लग रहा था जैसे कि कोई भयानक विस्फोट हुआ हो। लोग इस तेज आवाज से काफी परेशान हो गए थे। बाद में यह साफ हो गया कि जोधपुर के आकाश में कोई प्लेन उड़ नहीं रहा था और न ही कोई विस्फोट हुआ था। जोधपुर में हुई घटना की चर्चा दुनिया के कई देशों में हुई थी।
दिनेश – श्रोता मित्रों वैसे हैरतअंगेज़ घटनाओं पर कई फिल्में भी बनी हैं इनमें डरावनी फिल्मों की संख्या अच्छी खासी है जिसे देखने के बाद रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कई वर्ष पहले 1992 में मैंने ऐसी ही एक फिल्म देखी थी जिसका नाम था रात, इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई थी दक्षिण भारत की मशहूर अदाकारा रेवती ने और फिल्म का निर्देशन किया था राम गोपाल वर्मा ने, मित्रों मैंने डरावनी फिल्मों में इतनी बेहतरीन फिल्म पहले कभी नहीं देखी थी, इस फिल्म की कहानी जितनी दमदार थी उतना ही दमदार था रामगोपाल वर्मा का निर्देशन, फिल्म देखने के बाद मुझे लगने लगा था कि जीवित लोगों से परे भी एक दुनिया होती है और वो है आत्माओं की। खैर मित्रों ये तो थी फिल्मों की बातें अब हम अपने श्रोताओं के पत्र उठाते हैं जिसे हमें लिख भेजा है मालवा रेडियो श्रोता संघ प्रमिलागंज, आलोट से बलवंत कुमार वर्मा, राजुबाई, माया वर्मा, शोभा वर्मा, राहुल, ज्योति, अतुल और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है मेरी जंग (1985) का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर और शब्बीर कुमार ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने गीत के बोल हैं ------
सांग नंबर 4. ज़िंदगी हर कदम इक नई जंग है .....
पंकज - महिला का पुनर्जन्म
शांति देवी का जन्म 1930 में एक खुशहाल परिवार में दिल्ली में हुआ था। हालांकि, वह ज्यादा समय तक खुश नहीं रह सकी। जब वह चार साल की थी, तब से जिद्द करने लगी कि उसके माता-पिता कोई और हैं। शांति देवी ने दावा किया कि एक बच्चे को जन्म देते समय उसकी मौत हो गई थी और अपने पति तथा परिवारजनों के बारे में काफी जानकारियां दी थी। शांति देवी के पिता ने उसके दावों के बारे में जब पता किया तो वे सारे सच निकले। एक महिला का नाम लुडगी देवी था और बच्चे को जन्म देते समय उसकी मौत हो गई थी। परिवार के लोगों को सबसे अधिक आश्चर्य तब हुआ जब शांति देवी ने समय और शहर का नाम एकदम सटीक बताया। जब वह अपने पूर्वजन्म के पति से मिली तो उसने उसे पहचान लिया और अपने बच्चे को मां की तरह प्यार करने लगी।
'श्रापित गांव' कुलधारा
राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है कुलधारा गांव। 500 वर्ष पहले कुलधारा गांव में 1,500 परिवार रहा करते थे। एक रात वे सभी गायब हो गए। लेकिन न तो इनके मारे जाने और न ही अपहरण होने की कोई जानकारी सामने आई। इस घटना के पीछे क्या कारण था, इसका पता आज तक नहीं लग सका। लोग इस बारे में कई तरह के किस्से-कहानियां सुनाते हैं। पुरानी किवदंती के अनुसार कुछ लोगों ने इस गांव पर अपना अधिकार जमाने की कोशिश की थी। यह गांव आज भी वीरान पड़ा है।
दिनेश – मित्रों कार्यक्रम का सिलसिला आगे बढ़ाने से पहले हम आपको सुनाते हैं अगला गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी खत लिखा है मऊनाथ भंजन, उत्तर प्रदेश से मोहम्मद इरशाद, शमशाद अहमद, गुफ़रान अहमद, नियाज़ अहमद, इरशाद अहमद अंसारी, अब्दुल वासे अंसारी, रईस अहमद, शादाब अहमद, शारिक अनवर और दिलकशां अनवर ने आप सभी ने सुनना चाहा है चालबाज़ (1989) फिल्म का गाना जिसे गाया है अमित कुमार और कविता कृष्णामूर्ति ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने गीत के बोल हैं -----
सांग नंबर 5. ना जाने कहां से आई है ......
पंकज - आखिर ऐसा क्या है कि यहां सामूहिक आत्महत्या करने आते हैं पक्षी
जिंदगी और मौत का रहस्य जितना ही सुलझाया गया है वह उतना ही उलझता गया है। इसमें भी हैरान करने वाली बात तो यह है कि जिंदगी और मौत के रहस्य में सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि जीव-जंतु और पक्षी भी उलझ जाते हैं। यह बात हम यूं ही नहीं कह रहे हैं इसका पुख्ता सबूत भी मौजूद है हमारे पास। हम आपको ले चलते हैं एक ऐसी जगह जहां मौत के रहस्य में उलझकर आसमान को छूने वाले पक्षी खुद मौत को गले लगा लेते हैं यानी आत्म हत्या कर लेते हैं।आपको थोड़ी हैरानी हो रही होगी कि भला पक्षी आत्म हत्या कैसे कर सकते हैं। लेकिन यह बातें सिर्फ आपको ही हैरान नहीं करती हैं बल्कि उन्हें भी हैरात डाले हुए है जहां वर्षों से यह सिलसिला चला आ रहा है। यह खूबसूरत नजारा उसी रहस्यमयी जगह की है।
अगर आप सोच रहे हैं कि यह विदेश की घटना होगी तो ऐसा नहीं है। यह सब कुछ भारत में होता है। भारत के उत्तर पूर्वी राज्य असम में एक घाटी है जिसे जटिंगा वैली कहते हैं। यहां जाने पर आपको पक्षियों के आत्म हत्या करने का नजारा खुद दिख जाएगा।
मानसून के महीने में यह घटना अधिक होती है। इसके अलावा अमावस और कोहरे वाली रात को पक्षियों के आत्म हत्या करने के मामले अधिक देखने को मिलते हैं।
पक्षियों के आत्महत्या का रहस्य क्या है इस बात को लेकर कई तरह की बातें इस क्षेत्र में प्रचलित थी। यहां की जनजाति यह मानती है कि यह भूत-प्रेतों और अदृश्य ताकतों का काम है।
जबकि वैज्ञानिक धारणा यह है कि यहां तेज हवाओं से पक्षियों का संतुलन बिगड़ जाता है और वह आस-पास मौजूद पेडों से टकराकर घायल हो जाती हैं और मर जाती हैं। अब बात चाहे जो भी हो लेकिन यह स्थान पक्षियों के आत्म हत्या के कारण दुनिया भर में रहस्य बना हुआ है।
दिनेश – मित्रों हमें अगला पत्र लिख भेजा है जुगसलाई टाटानगर से इंद्रपाल सिंह भाटिया, इंद्रजीतकौर भाटिया, साबो भाटिया, सिमरन बाटिया, सोनक भाटिया, मनजीत भाटिया, बंटी भाटिया, जानी भाटिया, लाडो, भाटिया, मोनी भाटिया, रश्मि भाटिया और पाले भाटिया ने आप सभी ने सुनना चाहा है त्रिदेव (1989) फिल्म का गाना जिसे गाया है मनहर उदास और अल्का यागनिक ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है कल्याणजी आनंदजी ने और गीत के बोल हैं ----
सांग नंबर 6. गली गली में फिरता है......
पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।
दिनेश - नमस्कार।