Web  hindi.cri.cn
    आप की पसंद 150912
    2015-09-25 09:10:06 cri

     पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, मित्रों हम हर सप्ताह आपको जैसी रोचक और आश्चर्यजनक जानकारियां देते हैं आप भी हमें कुछ ऐसी ही जानकारियां भेज सकते हैं, या फिर अपने शहर की विरासत के बारे में भी हमें लिखकर भेज सकते हैं जिसका कोई ऐतिहासिक महत्व हो। अगर आपके शहर में कोई भी अनोखी बात है या फिर कोई अनोखी घटना घटी है जिसे आप हमारे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें पत्र या फिर हमारी वेबसाईट पर लिखकर हमें भेज सकते हैं, और अब मित्रों हम आज के कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    दिनेश – श्रोताओं को दिनेश का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोता मित्रों जो जानकारियां आप हमें भेजना चाहते हैं वो आप पत्र के माध्यम से हमें भेज सकते हैं लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपकी भेजी हुई जानकारी हमतक जल्दी पहुंचे तो इसके लिये आप हमारी वेबसाईट www.hindi.cri.cn पर भेज सकते हैं जिससे आपके द्वारा भेजी गई जानकारी हमतक बहुत जल्दी पहुंच जाएगी। हर सप्ताह हमारे पास आपके ढेरों पत्र आते हैं, जिसमें आप हमसे अपने पसंद के गाने सुनाने का अनुरोध करते हैं। हम चाहते हैं कि आप हमसे और सक्रियता के साथ जुड़ें इसके लिये आप हमें अपना नाम, अपने परिजनों और मित्रों का नाम, शहर का नाम और पूरा पता साफ साफ अक्षरों में लिख भेजें। तो मित्रों इसी के साथ मैं उठा रहा हूं कार्यक्रम का पहला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है..... नारनौल हरियाणा से उमेश कुमार शर्मा, प्रेमलता शर्मा, सुजाता, हिमांशु और नवनीत ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म एक थी रीता (1971) का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले ने संगीत दिया है जयदेव ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 1. कहीं हाथ हमसे छुड़ा तो न लोगे .....

    पंकज - अजीबोगरीब अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं

    पंकज - जब आप दो देशों की सीमाओं को देखते हैं, तो अधिकांशत: इनके बीच अंतर साफ दिखाई पड़ता है कि यहां एक देश का बॉर्डर खत्म हो रहा है और दूसरे का शुरू हो रहा है। लेकिन दुनिया के कुछ देश ऐसे हैं जिनके बॉर्डर अजीबोगरीब हैं। यहां यह अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि क्या वाकई में दो देश अलग हो रहे हैं? आज हम आपको ऐसे ही कुछ देशों का अनोखा बॉर्डर लाइन्स दिखाने जा रहे हैं...

    ये बॉर्डर उन देशों की सीमाओं से अलग हैं जहां बड़ी संख्या में सुरक्षा बल और सैनिकों की तैनाती की जाती है। हर पल तनाव का माहौल बना रहता है। जबकि इन बॉर्डर पर काफी शांत और खुशनुमा माहौल दिखाई पड़ता है।

    मकान के अंदर बॉर्डर

    नीदरलैंड और बेल्जियम का बॉर्डर तो एक मकान के अंदर है, इसे सिर्फ सांकेतिक अक्षरों से समझा जा सकता है कि यहां दो देशों की सीमाएं हैं। कई देशों का बॉर्डर लाइन्स अचरज में डालता है।

    पंकज - ऐसी जनजाति जो सारा काम पानी पर ही करती है

    मनीला. फिलीपींस की सबसे पुरानी जनजाति टैगबानुआ के लोगों की जिंदगी समुद्र के पानी में ही गुजर जाती है। हर सुबह इनकी दिनचर्या की शुरुआत पानी में ही होती है। इनके पास न तो बिजली है और न ही आधुनिक सुविधाएं। ये पूरी तरह से समुद्री संसाधनों पर निर्भर हैं। ये इन संसाधनों का अच्छा उपयोग भी कर रहे हैं।

    फोटोग्राफर जैकब माएन्ट्ज ने समुद्री जनजाति टैगबानुआ की लाइफ को अपने कैमरे में कैद किया है। माना जा रहा है कि टैगबानुआ मूलरूप से बोर्नियो से आए होंगे, लेकिन कई जनजातियां पालवन या कोरोन में मौजूद हैं। बाद में इन्हें कालामियन टैगबानुआ के रूप में जाना गया। ये लोग अपने परिवार का पालन-पोषण मछली का शिकार करके करते हैं। इनके लिए समुद्री जीव और शैवाल ही फसलें हैं। टैगबानुआ भाले और जाल का उपयोग शिकार के लिए करते हैं।

    दिनेश – मित्रों हमें अगला पत्र लिख भेजा है हमारे पुराने श्रोता मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश से मोहम्मद इरशाद, शमशाद अहमद, गुफ़रान अहमद, नियाज़ अहमद, इरशाद अहमद अंसारी, अब्दुल वासे अंसारी, रईस अहमद, शादाब अहमद, शारिक अनवर और दिलकशां अनवर ने आप सभी ने सुनना चाहा है पत्थर के सनम फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी, संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 2. पत्थर के सनम .....

    पंकज - टैगबानुआ जनजाति के लोग समुद्री ककड़ी को समुद्र से एकत्रित कर सुखाकर विदेशी बाजार में बेचते हैं। इनके मकान पुरानी और पारंपरिक चीजों से बने हुए हैं। ये समुद्र किनारे की पहाड़ों की तलहटी में मकान बनाकर रहते हैं। इनके यहां बिजली नहीं है। ये घरों में रोशनी के लिए केरोसिन का उपयोग करते हैं। टैगबानुआ बहुत ही फ्रेंडली होते हैं और अपने यहां आने वाले लोगों का खूब स्वागत करते हैं। फिलीपींस के समाज में अभी तक इनका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।

    1998 में पानी से घिरे कोरोन आइलैंड को टैगबानुआ की पैत्रिक संपत्ति घोषित कर दिया गया था। इसके बाद से ये लोग यहां आने वाले हर पर्यटक से कुछ पैसा वसूलते हैं। यह राशि लगभग 120 रुपए के बराबर होती है। कोरोन आइलैंड की खूबसूरती को देखने के लिए दुनिया के कई देशों से पर्यटक पहुंचते हैं।

    पंकज - देश की इस नदी में सैकड़ों साल से निकलता है सोना, नहीं सुलझा है रहस्य

    रामगढ़/रांची. किसी नदी के बारे में ये बात सुनने में थोड़ी अजीब जरूर लगती है, लेकिन देश में एक ऐसी नदी है जिसकी रेत से सैकड़ों साल से सोना निकाला जा रहा है। हालांकि, आजतक रेत में सोने के कण मिलने की सही वजह का पता नहीं लग पाया है। भूवैज्ञानिकों का मानना है कि नदी तमाम चट्टानों से होकर गुजरती है। इसी दौरान घर्षण की वजह से सोने के कण इसमें घुल जाते हैं। बता दें कि ये नदी देश के झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ इलाकों में बहती है। नदी का नाम स्वर्ण रेखा है। कहीं-कही इसे सुबर्ण रेखा के नाम से भी पुकारते हैं। नदी का उद्गम रांची से करीब 16 किमी दूर है। इसकी कुल लंबाई 474 किमी है।

    दिनेश – विश्व के कुछ और हिस्सों से कुछ ऐसी ही खबरें समय समय पर सामने आती हैं, हमारी धरती हैरतअंगेज़ घटनाओं से भरी हुई है, जब भी हम खोज करते हैं तो हमेशा कुछ न कुछ ऐसा सामने आता है जो हमें आश्चर्य में डाल देता है। मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं धनौली, तेलीवाला, हरिद्वार, उत्तराखंड से निसार सलमानी, समीना नाज़ सुहैल बाबू और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है जॉनी गद्दार फिल्म का गाना जिसे गाया है शंकर महादेवन, एहसान नूरानी, लॉय मेंडोन्सा और हार्ड कौर ने गीतकार हैं जयदीप साहनी और संगीत दिया है शंकर एहसान लॉय ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 3. MOVE YOUR BODY ……..

    पंकज - सोने के कण कहां से आते हैं, यह एक रहस्य

    स्वर्ण रेखा और उसकी एक सहायक नदी 'करकरी' की रेत में सोने के कण पाए जाते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि स्वर्ण रेखा में सोने का कण, करकरी नदी से ही बहकर पहुंचता है। वैसे बता दें कि करकरी नदी की लंबाई केवल 37 किमी है। यह एक छोटी नदी है। आज तक यह रहस्य सुलझ नहीं पाया कि इन दोनों नदियों में आखिर कहां से सोने का कण आता है।

    झारखंड में तमाड़ और सारंडा जैसी जगहों पर नदी के पानी में स्थानीय आदिवासी, रेत को छानकर सोने के कण इकट्ठा करने का काम करते हैं। इस काम में कई परिवारों की पीढ़ियां लगी हुई हैं। पुरुष, महिला और बच्चे - ये घर के हर सदस्य की रूटीन का हिस्सा है।

    यहां के आदिवासी परिवारों के कई सदस्य, पानी में रेत छानकर दिनभर सोने के कण निकालने का काम करते हैं। आमतौर पर एक व्यक्ति, दिनभर काम करने के बाद सोने के एक या दो कण निकाल पाता है।

    दिनेश – मित्रों मैं आप सभी को इस समय कार्यक्रम का अगला गाना सुनवा देता हूं जिससे हमें इस जानकारी को सुनने में और आनंद आएगा क्योंकि ये गाना आप सभी का मूड फ्रेश कर देगा, इसके लिये हमें पत्र लिख भेजा है कुरसेला तिनधरिया से ललन कुमार सिंह, श्रीमती प्रभा देवी, कुमार केतु, मनीष कुमार मोनू, गौतम कुमार, स्नेहलता कुमारी, मीरा कुमारी और एल के सिंह ने आप सभी ने सुनना चाहा है लूटमार फिल्म (1980) का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले ने गीतकार हैं अमित खन्ना और संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं --------

    सांग नंबर 4. जब छाये मेरा जादू .....

    पंकज - नदी से सोना छानने के लिए बेहद धैर्य और मेहनत की जरूरत होती है। एक व्यक्ति माह भर में 60-80 सोने के कण निकाल पाता है। हालांकि किसी माह में यह संख्या 30 से कम भी हो सकती है। ये कण चावल के दाने या उससे थोड़े बड़े होते हैं। रेत से सोने के कण छानने का काम सालभर होता है। सिर्फ बाढ़ के दौरान दो माह तक काम बंद हो जाता है।

    रेत से सोना निकालने वालों को एक कण के बदले 80-100 रुपए मिलते हैं। एक आदमी सोने के कण बेचकर माहभर में 5-8 हजार रुपए कमा लेता है। हालांकि बाजार में इस एक कण की कीमत करीब 300 रुपए या उससे ज्यादा है।

    दिनेश – मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं ग्राम महेशपुर खेम, ज़िला मुरादाबाद उत्तर प्रदेश से तौफ़ीक अहमद सिद्दीकी, अतीक अहमद सिद्दीकी, मोहम्मद दानिश सिद्दीकी और इनके मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है मुकद्दर का सिकंदर फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं अंजान और संगीत दिया है कल्याणजी आनंदजी ने गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 5. दिल तो है दिल ......

    पंकज - स्थानीय दलाल और सुनार, सोना निकालने वाले लोगों से ये कण खरीदते हैं। कहते हैं कि यहां के आदिवासी परिवारों से सोने के कण खरीदने वाले दलाल और सुनारों ने कारोबार से करोड़ों की संपत्ति बनाई है।

    स्वर्ण रेखा नदी तीन राज्यों से होकर गुजरती है।

    झारखंड के जिस इलाके में सोने के कण को निकालने का काम किया जाता है वह बेहद जंगली इलाका है। ये नक्सलियों के गढ़ के रूप में भी कुख्यात है।

    दिनेश – श्रोता मित्रों हम अब उठाने जा रहे हैं कार्यक्रम का अगला गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है कलेर बिहार से मोहम्मद आसिफ खान, बेगम निकहत परवीन, सदफ़ आरज़ू, साहिल अरमान, अजफ़र हामिद और तहमीना मशकूर ने आप सभी ने सुनना चाहा है जुर्म फिल्म का गाना जिसे गाया है कुमार शानू ने गीतकार हैं इंदेवर और संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 6. जब कोई बात बिगड़ जाए ......

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    दिनेश - नमस्कार।

    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040