दोस्तो, आप को याद होगा कि पहले हम चीन का भ्रमण कार्यक्रम में पेइचिंग शहर से निकट स्थित एक केंद्र शासित शहर थ्येनचिन का दौरा कर चुके हैं । पर उस दौरे में हम ने केवल थ्येनचिन शहर की हाइहो नदी के रमणीय प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ ही उठाया था , आज के इस कार्यक्रम में हम थ्येनचिन शहर के सांस्कृतिक अवशेषों और प्राचीन चीनी सांस्कृतिक पर्यावरण के बारे में जानकारी मालूम करेंगेः
कोई छह सौ वर्ष पुराना सांस्कृतिक शहर थ्येनचिन चीन की राजधानी पेइचिंग शहर के दक्षिण भाग में सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है , और कार द्वारा एक घंटे में ही थ्येनचिन शहर पहुंच सकता है । थ्येनचिन शहर एक सांस्कृतिक शहर के रुप में जाना जाता है । क्योंकि इस शहर में स्थानीय विशेषता वाले मनोरंजक कार्यक्रम व पारम्परिक लोक कलात्मक चित्र ही नहीं , बल्कि नाना प्रकार के प्राचीन सांस्कृतिक अवशेष और दुर्लभ वस्तुएं भी देखने को मिलती हैं । आज के इस कार्यक्रम में हम आप के साथ थ्येनचिन शहर के कई प्राचीन वास्तु शैलियों से युक्त भवनों में से एक वन म्याओ यानी संस्कृति मंदिर को देखने जाएंगे ।
वन म्याओ यानी संस्कृति-मंदिर चीन में बहुत से क्षेत्रों में पाये जाते हैं । क्योंकि अतीत काल में इसी प्रकार के मंदिरों में सुप्रसिद्ध चीनी विचारक और शिक्षक कनफ्युशियस की पूजा की जाती थी , साथ ही वे तत्कालीन चीन के सब से उच्च स्तरीय विद्यालय भी माने जाते थे । आंकड़ों के अनुसार समूचे विश्व में कुल दो हजार से अधिक वन म्याओ यानी संस्कृति मंदिरों में से आज सिर्फ तीन सौ से ज्यादा अच्छी तरह सुरक्षित हैं। थ्येनचिन शहर का वन म्याओ यानी संस्कृति मंदिर उन में से एक है ।
थ्येनचिन शहर का वन म्याओ यानी संस्कृति मंदिर थ्येनचिन शहरीय क्षेत्र में सब से विशाल प्राचीन भवन समूह माना जाता है और इस भवन समूह का रखरखाव भी बढिया है । संस्कृति मंदिर के प्रमुख भवन की छत विशेष सुनहरे खपरैलों से निर्मित है , जबकि उस के छज्जों और खंभों पर बड़ी सूक्ष्मता से चित्रण किया गया है। पूरा भवन अत्यंत आलीशान नजर आता है । थ्येनचिन संस्कृति मंदिर म्युजियम की उप प्रधान सुश्री छन थुंग ने इस निर्माण समूह का परिचय देते हुए कहा कि संस्कृति मदिर का दौरा करने से पर्यटक प्राचीन चीन में पद पाने की प्रणाली के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । उन का कहना है
पुराने जमाने में किसी को भी सरकारी पद पाने के लिए इसी प्रकार के संस्कृति मंदिर यानी सरकारी स्कूल में दाखिला पाना जरूरी था। इस योग्यता के बिना कोई भी जिंदगी भर किसी भी स्तर का पद पाने का हकदार नहीं बन सकता था। यदि ऐसे संस्कृति मदिर में पदों की राष्ट्रीय परीक्षा में कोई सब से अच्छा अंक पाता , तो ही उसे बड़ा अधिकारी बनने और मालामाल होने का मौका मिलता था ।
बेशक , आज संस्कृति मंदिर में इस प्रकार की क्षमता नहीं रही है , अब यहां मुख्य तौर पर कनफ्युशियस की पूजा की जाती है । हर वर्ष वसंत और शरद में थ्येनचिन संस्कृति मंदिर संग्रहालय नियमित रूप से कनफ्युशियस की स्मृति में भव्य आयोजन करता है । क्योंकि कनफ्युशियस की जन्म-तिथि व जयंती इन ऋतुओं में ही आती हैं । कनफ्युशियस की समृति में आयोजित समारोह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है । मौके पर संचालक प्राचीन काल के अधिकारिक वस्त्र पहनकर कनफ्युशियस के सम्मान में सूत्र पाठ करते हुए कागज भी जलाते हैं , साथ ही हरेक रस्म में निश्चित गतिविधियां भी चलाते हैं । पर्यटक ऐसे मौके पर प्राचीन चीनी सांस्कृतिक माहौल महसूस कर सकते हैं।
वन म्याओ यानी संस्कृति मंदिर के बगल में 14 वीं शताब्दी के शुरू में निर्मित असाधारण इतिहास वाला थ्येनचिन घंटा भवन खड़ा हुआ है । थ्येनचिन घंटा भवन अजायब घर की उप निदेशक सुश्री इन ह्वा ने हमारे संवाददाता को बताया कि इतिहास में इस घंटे भवन का दो बार निर्माण हुआ था। उन्हों ने कहा
सन 1900 में आठ देशों की संयुक्त सेना द्वारा थ्येनचिन शहर पर आक्रमण किये जाने के बाद 1901 में थ्येनचिन शहर की शहरीय दीवार मजबूरी में नष्ट की गयी । उस समय यह घंटा भवन इतना क्षतिग्रस्त हो गया था कि उस का आधार मूलतः ढह गया । सन 1921 में इस घंटा भवन का पुनःर्निर्माण किया गया और इस ने पहले से भी अधिक आलीशान मूरत हासिल की । भवन की छत पर हरी खपरैल बिछायी गय़ी और अब इस की ऊंचाई भी पहले से अधिक है । पर नये चीन की स्थापना के बाद थ्येनचिन शहर के विकास के चलते सड़कें बहुत तंग थीं । सड़कों को विस्तृत करने के लिये सन 1952 में इस घंटा भवन को दुबारा तोड़ा गया । सन 2000 में थ्येनचिन शहर की राष्ट्रीय संस्कृति की अलग पहचान को प्रदर्शित करने के लिये फिर उसी स्थल पर घंटा भवन का पुनर्निर्माण किया गया ।
अभी जो घंटा भवन देखने को मिलता है , वह 2000 में निर्मित हुआ है । यह नवनिर्मित घंटा भवन पुराने आकार-प्रकार के आधार पर ही निर्मित है , पर उस में नया आधार जोड़ कर पहले की तीन मंजिलों को बढ़ाकर पांच मंजिलों तक पहुंचा दिया गया है । और तो और पहले इस घंटा भवन पर लटकाया गया महा घंटा लौहे से तैयार हुआ था , पर आज का घंटा तीन टन भारी तांबे से बना हुआ है , पर्यटक यहां आकर अपनी इच्छा से इस महा घंटे को पीट सकते हैं और उस की प्रभावित करने वाली भारी आवाज को सुन सकते हैं ।
दोस्तो, वन म्याओ यानी संस्कृति मंदिर और घंटा भवन का दौरा करने के बाद अब हम क्वांगतुंग सोसायटी भवन देखने चलते हैं ।
थ्येनचिन का क्वांगतुंग सोसायटी भवन का आंगन चीनी परम्परागत ऊंची चारदीवारी से घिरा हुआ है , उस का मुख्य गेट भी बहुत बड़ा है । दक्षिण चीन की क्वांगतुंग प्रातीय वास्तु कला युक्त यह प्राचीन भवन थ्येनचिन शहर में बसने आये क्वांगतुंग वासियों के परिश्रम व मेहनत से सिंचित हुआ है । करीब तीन सौ वर्षों से पहले दक्षिण चीन के क्वांगतुंग व फूच्येन प्रांतों के व्यापारी साथ मिलकर व्यापार के लिये उत्तर चीन के थ्येनचिन शहर आये थे । समय बीतने के साथ-साथ इन व्यापारियों ने पैसे जुटाकर इस भवन का निर्माण किया , ताकि सौदा करने , दोस्तों से मिलने और गरीब प्रांतीय बंधुओं को सहायता देने और बंधुओं के बीच उत्पन्न विवादों को सुलझाने के लिये एक निश्चित स्थल मिल सके ।
इस भवन में स्थापित औपेरा थिएटर सब से ध्यानाकर्षक है और वह आज की दुनिया में सुरक्षित कुछेक चीनी प्राचीन वास्तु शैली वाले औपेरा थिएटरों में से एक है । लकड़ी से निर्मित सात आठ सौ दर्शकों की क्षमता वाले इस थिएटर का ऊपरी भाग तीन प्रमुख लकड़ी के खंभों और बेशुमार पतली लकड़ियों से तैयार हुआ है । थ्येनचिन औपेरा संग्रहालय की उप प्रधान सुश्री शू मेह मेह ने इस का परिचय देते हुए कहा
कहा जाता है कि इस थिएटर के ऊपरी भाग में लगे तीन प्रमुख लकड़ी के खंभे विशेष तौर पर दक्षिण चीन से लाये गये थे । इतना सीधा बड़ा खंभा बनाने के लिये कम से कम चालीस पचास मीटर ऊंचे पेड़ की जरूरत थी , यह सचमुच कमाल की बात है ।
सुश्री श्यू ने आगे कहा कि इस औपेरा थिएटर की डिजाइन भी अपने ढंग की है जोकि मंच की तीनों तरफ खुली हुई हैं। दर्शक पूर्वी , पश्चिमी और उत्तरी तीनों तरफ से औपेरा देख सकते हैं , साथ ही दर्शकों और कलाकारों को आपस में अपनी भावनाओं का आदान-प्रदान करने में कोई बाधा महसूस नहीं होती । एक फ्रांसीसी पर्यटक ने क्वांगतुंग बंधु सोसायटी के औपेरा थिएटर को देखने के बाद उस की विशेष डिजाइन की खूब तारीफ की ।
अच्छा दोस्तो , चीन में यह कहावत प्रचलित है कि सौ बार सुनने से कहीं बेहतर है एक नजर डालना । यदि बाद में आप थ्येनचिन शहर घूमने आयें , तो थ्येनचिन के वन म्याओ यानी संस्कृति मंदिर , घंटा भवन और क्वांगतुंग बंधु सोसायटी भवन को देखना मत भूलियेगा ।