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    आप की पसंद 150808
    2015-08-16 18:15:21 cri

    08 अगस्त आपकी पसंद

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, मित्रों हम हर सप्ताह आपको जैसी रोचक और आश्चर्यजनक जानकारियां देते हैं आप भी हमें कुछ ऐसी ही जानकारियां भेज सकते हैं, या फिर अपने शहर की विरासत के बारे में भी हमें लिखकर भेज सकते हैं जिसका कोई ऐतिहासिक महत्व हो। अगर आपके शहर में कोई भी अनोखी बात है या फिर कोई अनोखी घटना घटी है जिसे आप हमारे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें पत्र या फिर हमारी वेबसाईट पर लिखकर हमें भेज सकते हैं, और अब मित्रों हम आज के कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोता मित्रों जो जानकारियां आप हमें भेजना चाहते हैं वो आप पत्र के माध्यम से हमें भेज सकते हैं लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपकी भेजी हुई जानकारी हमतक जल्दी पहुंचे तो इसके लिये आप हमारी वेबसाईट www.hindi.cri.cn पर भेज सकते हैं जिससे आपके द्वारा भेजी गई जानकारी हमतक बहुत जल्दी पहुंच जाएगी। हर सप्ताह हमारे पास आपके ढेरों पत्र आते हैं, जिसमें आप हमसे अपने पसंद के गाने सुनाने का अनुरोध करते हैं। हम चाहते हैं कि आप हमसे और सक्रियता के साथ जुड़ें इसके लिये आप हमें अपना नाम, अपने परिजनों और मित्रों का नाम, शहर का नाम और पूरा पता साफ साफ अक्षरों में लिख भेजें। तो मित्रों इसी के साथ मैं उठा रहा हूं कार्यक्रम का पहला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है..... अखिल भारतीय रेडियो श्रोता संघ के पंडित मेवालाल परदेशी जी और इनके ढेर सारे मित्रों ने, आपने हमें पत्र लिखा है महात्वाना, माहोबा उत्तर प्रदेश से, आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म बेनाम (1974) का गाना जिसे गाया है नरेन्द्र चंचल ने, गीतकार हैं आनंद बख्शी, संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ......

    सांग नंबर 1. मैं बेनाम हो गया .....

    पंकज - इस संसार में कुछ लोग काल के गाल से वापस लौटकर आते हैं और उन्हें उस दौरान हुए अनुभव याद भी रहते हैं आज हम आपको इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं ----

    ये वाकया इंग्लैंड में 2011 का है. 57 साल के मिस्टर 'ए' काम के दौरान अचानक बेहोश हो गए और उन्हें साउथैम्पटन के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया.

    चिकित्साकर्मी उनके पेशाब करने के रास्ते में केथेटर डालने की कोशिश कर रहे थे, तभी उन्हें हार्ट अटैक आया. ऑक्सीजन की कमी से उनके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया और मिस्टर 'ए' की मौत हो गई.

    लेकिन आपको ये जानकर अचरज होगा कि अस्पताल के उस कमरे में उसके बाद क्या क्या हुआ...

    ये मिस्टर 'ए' को याद है. उनके मुताबिक मेडिकल स्टाफ ने उनको तुरंत ऑटोमेटेड 'ए' क्सटर्नल डाफाइबरिलेटर (ए आईडी) से झटका देना शुरू किया.

    इस दौरान मिस्टर 'ए' को दो लोगों की आवाज़ें भी सुनाई दीं- 'मरीज को झटके दो.' इसी दौरान मिस्टर 'ए' को लगा कि कोई महिला उनका हाथ पकड़कर छत के रास्ते से उन्हें बाहर ले जाना चाहती हैं. वे अपने बेजान शरीर को छोड़कर उसके साथ हो लिए .

    अंजली– इस रहस्यमयी और हैरतअंगेज़ जानकारी पर हम आगे भी बातें करेंगे लेकिन इस समय वक्त हो चला है कार्यक्रम में अगले पत्र को शामिल करने का, मित्रों ये पत्र हमारे पास आया है कुरसेला, तिनधरिया से जिसे हमें लिख भेजा है ललन कुमार सिंह, श्रीमती प्रभा देवी, कुमार केतु, मनीष कुमार मोनू, गौतम कुमार, स्नेहलता कुमारी, मीरा कुमारी, कुमारी मधु और एल के सिंह ने आप सभी ने सुनना चाहा है हरजाई फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. तेरे लिये पलकों की झालर बुनूं .....

    पंकज - मिस्टर 'ए' याद करते हुए बताते हैं, "मुझे ऐसा लगा कि वह मुझे जानती है. मुझे ये भी लगा कि मैं उस पर भरोसा कर सकता हूं. मुझे लगा कि वह किसी वजह से यहां आई है, लेकिन वह वजह मुझे मालूम नहीं है. अगले ही पल मैंने नीचे खुद को पड़ा हुआ देखा, नर्स और एक गंजे शख़्स को भी देखा."

    मौत का अनुभव

    अस्पताल के रिकॉर्ड्स के मुताबिक एईडी से जुड़े दो आदेश दिए गए थे और उनके आसपास वैसे ही लोग मौजूद थे, जैसा कि मिस्टर 'ए' ने बताया है. यानी अपना इलाज शुरू होने से पहले जिन लोगों को मिस्टर 'ए' ने नहीं देखा था, ना केवल उनकी बल्कि उनके कामों के बारे में भी मिस्टर 'ए' ने सही बताया.

    मिस्टर 'ए' ने उन तीन मिनटों के दौरान घटी हर बात का सही जिक्र किया, जो तब घटीं जब असल में मृत थे और उन्हें इनके बारे में जानकारी नहीं होनी चाहिए थी.

    मिस्टर 'ए' अपनी यादें इसलिए लोगों के साथ शेयर कर पा रहे हैं क्योंकि डॉक्टरों की कोशिशों से उनमें जीवन लौट आया. मिस्टर 'ए' का उदहारण जर्नल रिससिटेशन के एक पर्चे में शामिल किया गया है. यह पर्चा मौत के करीब से अनुभवों को स्वीकार करता है.

    अब तक तो शोधकर्ताओं के मुताबिक जब हृदय धड़कना बंद कर देता है या फिर आदमी के दिमाग को रक्त नहीं मिलता है तो सभी जागरूकता उसी वक्त समाप्त हो जाती है.

    यानी आदमी की तकनीकी तौर पर मौत हो जाती है. जब से लोगों ने मौत के विज्ञान के बारे में जानना शुरू किया है, तबसे उन्हें यह भी मालूम होने लगा है कि ऐसी स्थिति से आदमी जीवन में लौट भी सकता है.

    सालों तक ऐसे मामलों के बारे में आदमी उस घटना की यादों को बताता है, लेकिन विज्ञान और डॉक्टर उसे स्वीकार नहीं करते. इसकी वजह तो यही थी कि यह विज्ञान की खोजबीन के दायरे से बाहर की बातें थीं.

    न्यूयार्क के स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसीन के रिससिटेशन रिसर्च के निदेशक और क्रिटिकल केयर के फिजीशियन सैन पारनिया ऐसे अनुभवों पर रिसर्च कर रहे हैं.

    पारनिाय अमरीका और ब्रिटेन के 17 संस्थानों के सहयोगियों के साथ मिलकर उन 2000 लोगों के अनुभवों पर अध्ययन कर रहे हैं, जिनको ऐसे अनुभव हुए हैं.

    अंजली – मित्रों वैसे हम भी समय समय पर ऐसी ही आश्चर्यजनक खबरें पढ़ते रहते हैं हालांकि विज्ञान इस विषय पर कहता है कि जबतक किसी भी व्यक्ति का मस्तिष्क नहीं मरता वो व्यक्ति जीवित रहता है, अगर दूसरे शब्दों में इस बात को कहा जाए तो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद चार से पांच घंटों तक उसका मस्तिष्क सक्रिय रहता है अगर इस दौरान उसके मस्तिष्क को फिर से सक्रिय कर दिया जाए तो उस व्यक्ति में एकबार फिर जान आ जाती है। मित्रों अगला पत्र जो हमारे पास आया है वो हमें लिख भेजा है कलेर बिहार से आसिफ़ खान, बेगम निकतह परवीन, सदफ़ आरज़ू, बाबू अरमान आसिफ़, मदरसा रोड कोआथ बिहार से हाशिम आज़ाद, दुर्गेश दीवाना, डॉक्टर हेमन्त कुमार, पिंटू यादव और बाबू साजिद ने आप सभी ने सुनना चाहा है बसेरा फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 3. आउँगी एक दिन आ जाऊं ....

    पंकज - 2000 लोगों पर अध्ययन

    चार साल तक इन लोगों ने इन 2000 हार्ट अटैक के रोगियों पर नज़र रखी. इन सभी में समानता ये थी कि मरीज के हृदय ने काम करना बंद कर दिया था और आधिकारिक तौर पर उनकी मृत्यु हो चुकी थी.

    इन 2000 मरीजों में से करीब 16 फीसदी लोगों को डॉक्टरों ने मौत के मुंह से वापस खींच लिया. पारनिया और उनके सहयोगियों ने इन 16 फीसदी लोगों में से एक तिहाई - यानी 101 लोगों का इंटरव्यू किया.

    पारनिया बताते हैं, "हमारा लक्ष्य उनके अनुभवों को समझना था. इनके मानसिक और ज्ञान संबंधी अनुभवों को जानना था. हमें ऐसे भी लोग मिले जिनके पास अपनी मौत के बाद के पलों के बारे में सारी जानकारी थी."

    तो मिस्टर 'ए' अकेले ऐसे शख़्स नहीं हैं, जिनके पास अपनी मौत के पलों की यादाश्त है. इस अध्ययन में हिस्सा लेने वाले करीब 50 फ़ीसदी लोगों को कुछ ना कुछ उन पलों की याद थी.

    लेकिन मिस्टर 'ए' और एक अन्य महिला को छोड़ दें तो किसी भी मरीज का अनुभव उन घटनाओं से मेल नहीं खाता था जो उनकी मौत के बाद उनके आसपास घटी थीं.

    इनमें से कुछ ने सपने जैसी स्थिति या फिर भ्रामक तस्वीरों का जिक्र किया था. इन अनुभवों को पारनिया और उनके सहयोगियों ने सात प्रमुख थीम में बांटा है. पारनिया कहते हैं, "यह बताता है कि मौत के दौरान मानसिक अनुभव का दायरा विस्तृत है और इसका अतीत के अनुभव से नाता है."

    वो 7 थीम

    ये सातों थीम इस तरह से हैं- ''डर, जानवरों और पौधों को देखना, चमकीली रोशनी, हिंसा और उत्पीड़न, पहले देखा हुआ कोई दृश्य, परिवार को देखना और हार्ट अटैक के बाद की घटनाओं का जिक्र.''

    वैसे इन लोगों के अनुभव प्रसन्न करने वाले भी हैं और डरावने भी हैं. कई लोग खुद के डरे होने और पीड़ित होने का अनुभव बताते हैं. मसलन एक मरीज की सुनिए- "मैं एक समारोह में गया और समारोह में आग लग गई. मेरे साथ चार लोग थे, जो झूठ बोलता उसकी मौत हो जाती. मैंने ताबूत में लोगों को दफन होते हुए देखा." किसी ने बताया कि उसे किसी ने गहरे पानी में खींच लिया।

    अंजली – मित्रों हमें अगला पत्र लिखा है हमारे पुराने और चिर परिचित श्रोता ने परमवीर हाउस, आदर्श नगर, बठिंडा, पंजाब से अशोक ग्रोवर, परवीन ग्रोवर, नीती ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर और विक्रमजीत ग्रोवर ने आप सभी ने सुनना चाहा है मीरा (1979) फिल्म का गाना जिसे गाया है वाणी जयराम ने गीतकार हैं मीरा संगीत दिया है पंडित रवि शंकर ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 4. ए री मैं तो प्रेम दीवानी ....

    पंकज - करीब 22 फ़ीसदी लोगों को शांति और प्रसन्नता से जुड़ी चीजों का अनुभव हुआ. कुछ को जीवित चीजें दिखाई दीं. एक ने बताया, "हर तरफ पौधे थे, फूल नहीं." तो कुछ ने बताया, "मुझे तो शेर और बाघ दिखाई दिए."

    कुछ को चमकीली रोशनी भी दिखाई दी. कुछ ने अपने परिवार वालों से मुलाकात का जिक्र किया. इतना ही नहीं कुछ लोगों ने पहले देखी हुई घटना, या शरीर से अलग होने के भाव का जिक्र किया.

    (पढ़ें- बिल्ली आपके दिमाग पर काबू कर सकती है)

    पारनिया कहते हैं, "यह स्पष्ट है कि ये लोगों की मौत के बाद के अनुभव थे. ये जरूर था कि ये अनुभव उनकी पृष्ठभूमि और पूर्वाग्रह वाली सोच पर आधारित थे. जिस तरह से भारत का कोई शख्स मौत के बाद वापसी करते कहे कि उसने कृष्ण को देखा था. उधर एक अमरीकी शख्स ये कहे कि उसने ईसा को देखा है. हालाँकि किसे पता है कि ईश्वर कैसा दिखता है."

    नई जानकारियों का इंतज़ार

    शोध करने वाला यह दल अब तक इन विभिन्न अनुभवों के अंतर को नहीं समझ पाया था. पारनिया के मुताबिक ये अनुभव और भी लोगों को होता होगा लेकिन कई लोगों की यादाश्त दवाओं के वजह से प्रभावित होती होगी.

    पारनिया ये भी मानते हैं कि मौत के मुंह से वापस आने वाले लोगों में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं- ''कुछ का मौत का डर चला जाता है, तो कुछ के जीवन में परोपकारी भाव बढ़ जाता है."

    बहरहाल, पारनिया और उनके सहयोगी आपस में इस विषय पर विस्तृत अध्ययन की तैयारी की योजना बना रहे हैं, ऐसे में इस मामले में अभी और भी जानकारियों के सामने आने की उम्मीद है।

    अंजली - मित्रों हम इस समय आपको अपने अगले श्रोता के बारे में बता दें जिन्होंने हमें पत्र लिखा है शनिवार पेठ, बीड शहर महाराष्ट्र से पोपट कुलथे, हनुमंत कुलथे, समर्थ कुलथे, पी बी कुलथे, और समस्त कुलथे परिवार ने आपके साथ हमें पत्र लिखा है नारेगांव औरंगाबाद महाराष्ट्र से दीपक आडाणे और श्याम आडाणे ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म मेरे हुज़ूर (1968) का गाना जिसे गाया है मन्ना डे ने गीतकार हैं हसरत जयपुरी और संगीत दिया है शंकर जयकिशन ने गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 5 – झनक झनक तोरी बाजे पायलिया ....

    पंकज - 'हीट डोम' की वजह से इराक में तापमान हुआ लगभग 73 डिग्री सेल्सियस

    बगदाद, इराक

    भारत में गर्मियों के दिनों अगर तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के आस-पास पहुंच जाता है तो लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है। आसमान से बरसती आग लोगों को बेहाल करके रख देती है।

    इन दिनों भारत में बारिश हो रही है, लेकिन इरान में लोगों का हाल बढ़ते तापमान की वजह से बेहद खराब है। तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से भी कहीं ज्यादा लगभग 73 डिग्री सेल्सियस (लगभग 165 डिग्री फॉरेनहाइट) के आस-पास पहुंच गया है।

    मध्य-पूर्व क्षेत्र में इतने ज्यादा तापमान की वजह 'हीट डोम' बताई जा रही है। वहां के एक स्थानीय समाचार पत्र के मुताबिक बंदर महशर में सबसे ज्यादा तापमान पिछले हफ्ते रिकॉर्ड किया गया है।

    जहां लोग इतनी भीषण गर्मी से बचने के लिए कई उपाय कर रहे हैं, वहीं विशेषज्ञ लगातार तापमान रिकॉर्ड करते हुए ऐसे हालात पर अपनी निगाहें बनाए हुए हैं। तापमान के इस कदर बढ़ने की चेतावनी के चलते इराक में सरकार ने गुरुवार से ही चार दिनों की छुट्टी घोषित कर दी थी।

    मीटरोलॉजिस्ट एंथोनी सागलिया का कहना है कि उन्होंने इससे पहले कभी इतना ज्यादा तापमान रिकॉर्ड नहीं किया था। हालांकि इससे पहले साल 2003 में सऊदी अरेबिया में तापमान 178 डिग्री फॉरेनहाइट दर्ज किया गया था।

    अंजली– मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं ग्राम महेशपुर खेम, ज़िला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से तौफीक़ अहमद सिद्दीकी, अतीक अहमद सिद्दीकी, मोहम्मद दानिश सिद्दीकी और इनके सभी मित्र जनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है चिराग फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है मदनमोहन ने गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 6. तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है ......

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली - नमस्कार।

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