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पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।
दिनेश – श्रोताओं को दिनेश का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है ... मनकारा मंदिर, बीडीए कॉलोनी, करगैना बरेली उत्तर प्रदेश से पन्नी लाल सागर, बेनी सिंह मासूम, धर्मवीर मनमौजी, ममता चौधरी, आशीष कुमार सागर, कुमारी रूबी भारती, अमर सिह, कुमारी एकता भारती, कुमारी दिव्या भारती, श्रीमती ओमवती भारती और बहिन रामकली देवी ने आप सभी ने सुनना चाहा है मुस्कुराहट (1992) फिल्म का गाना जिसे गाया है उदित नारायण, कविता कृष्णामूर्ति और एमजी श्रीकुमार ने संगीत दिया है रामलक्ष्मण ने और गीत के बोल हैं ----
सांग नंबर 1. अपनी जेब में लाखों होंगे ....
पंकज - 12वीं पास ने बनाई पानी से चलने वाली कार, अब मिला चीन की कंपनी से ऑफर
सागर (भोपाल). दुनिया जिस इको फ्रेंडली फ्यूल की खोज में जुटी है, उसका उत्पादन प्रदेश के छोटे से जिले सागर से हो सकता है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले कुछ समय में डीजल-पेट्रोल के बजाय पानी से तैयार फ्यूल के जरिए कारें दौड़ती नजर आएंगी। यह दावा है शहर के मोहम्मद रहीस मकरानी का।
अपने इसी सपने को साकार करने के सिलसिले में वे 26 मई को चीन गए थे और हाल ही में लौटे हैं। फॉर्मूले को पेटेंट कराने के लिए उन्होंने 2013 में इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया के मुंबई स्थित आॅफिस में अर्जी भी लगाई है। महज साइंस से हायर सेकंडरी पास मेकैनिक रहीस के फार्मूले का चीन के वैज्ञानिकों और मेकैनिकल एक्सपर्ट ने भी लोहा माना है। रहीस के अनुसार, चीन के सिनयांग शहर से इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली मल्टीनेशनल कंपनी के लियो के एमडी सुमलसन ने इस फॉर्मूले पर मिलकर काम करने का प्रस्ताव रखा है। कंपनी ने बड़े स्तर पर फॉर्मूला तैयार कर चीन में ही लॉन्च करने के उद्देश्य से मुझे बुलाया था। मैंने इसे भारत और खासकर सागर में तैयार कर लॉन्च करने की शर्त कंपनी के सामने रखी है। कंपनी ने इस संबंध में तीन महीने बाद निर्णय करने की बात कही है। मैंने कंपनी से बड़े स्तर पर पानी और कार्बाइड से एसिटिलीन बनाकर इसे इलेक्ट्रिक एनर्जी लिक्विड फ्यूल में बदलकर देने पर बात की है। यदि कंपनी तैयार हो गई तो पानी से बने फ्यूल से चलने वाली पहली कार ईजाद होगी। रहीस के अनुसार, देश में कैल्शियम कार्बाइड के भंडार हैं। इसलिए पेट्रोल-डीजल का विकल्प बनने वाली यह तकनीक सस्ती भी पड़ेगी और पर्यावरण के अनुकूल भी रहेगी।
दिनेश – ऐसी ही छोटी छोटी शुरुआत से हम किसी बड़े नतीजे पर पहुंचते हैं, विज्ञान की दिशा में प्रगति करते हुए हम आगे बढ़ते हैं और इसका पूरा लाभ सभी लोगों को मिलता है, इस खोज से हमारा वातावरण प्रदूषण रहित होगा और बहुत सस्ता ईंधन हमारे वाहनों के लिये उपलब्ध होगा जिससे आने वाले समय में यातायात के सस्ते साधन उपलब्ध होंगे .... इसी के साथ मैं कार्यक्रम का अगला पत्र उठा रहा हूं जिसे हमें लिख भेजा है कहारवाड़ी राजपुर, मध्यप्रदेश से धीसु दिलवारे, लक्ष्मी दिलवारे, माधुरी दिलवारे, कुनाल दिलवारे और सोनाली दिलवारे ने आप सभी ने सुनना चाहा है परख (1960) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं शैलेन्द्र और संगीत दिया है शलिल चौधरी ने और गीत के बोल हैं ----
सांग नंबर 2. ओ बरखा बहार आई .....
पंकज - दुबई की कंपनी से भी आया था ऑफर
रहीस के अनुसार, 2013 में दुबई की इन्वेस्टमेंट कंपनी लस्टर ग्रुप ने भी मुझे इस फॉर्मूले पर काम करने के लिए सहयोग करने का ऑफर दिया था। लेकिन भारत में रहकर फॉर्मूला तैयार और लॉन्च करने की बात को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी।
एसे तैयार की पानी से चलने वाली कार
पेट्रोल इंजन में फेरबदल के बाद एसिटिलीन से चलने वाला इंजन बनाया। कार में पीछे की तरफ एक सिलेंडर लगाया है। इसमें पानी और कैल्शियम कार्बाइड को मिलाकर एसिटिलीन पैदा किया जाता है। कुछ ही देर में एसिटिलीन बनते ही कार चलने लगती है। बायोलॉजी में विशेष रुचि रखने वाले रहीस को मोटर, गाड़ियां सुधारने का हुनर विरासत में मिला है। उनके पिता मो. सईद मकरानी भी मेकैनिक हैं। उनका सदर में गैराज है। यही गैराज रहीस की लैब भी है।
गैस वेल्डिंग करते वक्त सूझा यह आइडिया
रहीस के मुताबिक, मुझे गैस वेल्डिंग करने के दौरान पानी से कार चलाने का आइडिया सूझा। गाड़ी के इंजन के पिस्टन को चलाने के लिए आग और करंट चाहिए। वेल्डिंग में भी कैल्शियम कार्बाइड और लिक्विड के मिलने से आग पैदा होती है। उसने अपनी पेट्रोल कार के इंजन में हल्का फेरबदल किया और गाड़ी के फ्यूल टैंक में पेट्रोल के बजाय पानी और कैल्शियम कार्बाइड की पाइप लगा दी। इसके बाद गाड़ी को स्टार्ट करके देखा तो इंजन ऑन हो गया। इस तकनीक को विकसित करने में करीब पांच साल लग गए। अब उसकी कार 20 लीटर पानी और 2 किलो कैल्शियम कार्बाइड के मिश्रण से तैयार ईंधन से 20 किलोमीटर चलती है।
दिनेश – श्रोता मित्रों पंकज तो आपको अलग अलग तरह की रोचक जानकारी देते रहेंगे लेकिन मैं आप सभी को बीच बीच में गाना सुनवा रहा हूं जिससे हम गाने के साथ जानकारियों का भी आनंद लेते चलें। कार्यक्रम का अगला पत्र हमें लिख भेजा है धनौरी तेलीवाला, हरिद्वार, उत्तराखंड से निसार सलमानी, समीना नाज़, सुहैल बाबू और इनके अनेक परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म आप तो ऐसे न थे का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं निदा फ़ज़ली और संगीत दिया है ऊषा खन्ना ने और गीत के बोल हैं -----
सांग नंबर 3. तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है ....
पंकज - दुनिया का पहला ब्रेन टू ब्रेन मैसेज
आजकल इंटरनेट कनेक्शन की रफ़्तार ख़ासी तेज़ हो गई है. हम उन उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो हमें लगभग हर समय ऑनलाइन रखने में मदद करते हैं.
कई बार तो ऐसा लगता है कि हम हर पल ईमेल कम्यूनिकेशन से जुड़े हैं.
ये इंस्टेंट कम्यूनिकेशन का दौर है. ये अच्छा है या बुरा, इस पर अलग से बहस हो सकती है लेकिन अहम ये है कि ऐसा संभव है.
बहुत समय पहले की बात नहीं कि हम एक दूसरे से संपर्क के लिए दिनों और कई बार हफ़्तों तक इंतजार किया करते थे.
ऐसे में ऑनलाइन कम्यूनिकेशन का सबसे बेहतर तरीका क्या होगा? क्या ऐसा दौर भी आएगा जब एक आदमी दूसरे आदमी के दिमाग से सीधा संपर्क साध लेगा?
यदि ऐसा हुआ तो सबसे पहले तो टाइपिंग के झंझट से छुटकारा मिल जाएगा. जैसे ही आपके दिमाग में कोई आइडिया आता है तो उसे आप सीधे अपने दोस्त से शेयर कर पाएँगे, फिर वो दुनिया के किसी भी कोने में हो.
इस दिशा में पहला कदम उठाया गया है. एक ताज़ा प्रयोग में हज़ारों मील की दूरी पर दो इंसानों के बीच इंटरने के ज़रिए ब्रेन टू ब्रेन कम्यूनिकेशन का दावा किया गया है.
दिनेश – मित्रों जिस तरह से विज्ञान तरक्की कर रहा है उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि भविष्य में हम बिना किसी उपकरण की मदद के एक दूसरे से बातें कर लिया करेंगे, फिर चाहे हमसे बात करने वाला व्यक्ति दुनिया के किसी भी कोने में ही क्यों न बैठा हो। संचार और यातायात के क्षेत्र में दिनों दिन बहुत तरक्की होती जा रही है और इसका लाभ हमें मिल रहा है जिससे हमारी यात्रा निरंतर रूप से पहले से आसान होती जा रही है, मित्रों हमें अगला पत्र लिख भेजा है बाबू रेडियो श्रोता संघ आबगिला, गया बिहार से मोहम्मद जावेद खान, ज़रीना खानम, मोहम्मद जामिल खान, रज़िया खानम, शाहिना परवीन, खाकशान जाबीन, बाबू टिंकू, जे के खान, बाबू, लड्डू, तौफीक उमर खान, इनके साथ ही केपी रोड गया से हमें पत्र लिखा है मोहम्मद जमाल खान मिस्त्री, शाबिना खातून, तूफ़ानी साहेब, मोकिमान खातून, मोहम्मद सैफुल खान, ज़रीना खातून ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म दूसरा आदमी का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं ----
सांग नंबर 4.- चल कहीं दूर निकल जाएं .....
पंकज - पहला प्रयोग
ऐसा नहीं कि मनुष्य ऐसे संवाद के बेहद करीब पहुँच गया हो और नज़दीक भविष्य में ऐसा होने लगेगा.
ये अध्ययन केवल प्रूफ़ ऑफ़ कॉन्सेप्ट (यानी ऐसा संभव होने का सबूत) है.
बार्सिलोना स्थित स्टारलैब के सीईओ और इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक शोधकर्ता जूलियो रुफ़िनी इस मुद्दे पर विस्तार से रोशनी डालते हैं.
उनके मुताबिक केरल स्थित एक आदमी के दिमाग को ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस से कनेक्ट किया गया जो ब्रेन वेव्स को रिकॉर्ड कर लेता है.
उस व्यक्ति को कहा गया कि वो कल्पना करे कि वह अपना हाथ हिला रहा है या फिर पांव. जब वह अपना पांव हिलाने की सोचता तो कंप्यूटर उसे शून्य दर्ज करता, जब वह अपने हाथ हिलाने की सोचता तो कंप्यूटर उसे एक दर्ज करता.
शून्य और एक के बारंबर आवृति को इंटरनेट के ज़रिए फ़्रांस के स्ट्रॉसबर्ग में बैठे एक शख्स तक पहुँचाया गया जो इस संदेश का रिसीवर था.
फ़्रांसीसी शख़्स को टीएमएस रोबोट से जोड़ा गया. टीएमइस रोबोट के ज़रिए दिमाग में बिजली का छोटा मगर तेज़ झटका दिया जाता है.
जब संदेश भेजने वाला ये सोचता कि वह हाथ हिलाए तो टीएमएस रोबोट के ज़रिए संवाद ग्रहण करने वाला व्यक्ति दिमाग में लाइट देखता, चाहे उसकी आंखे बंद थीं.
जब केरल का व्यक्ति पांव हिलाने की सोचता तो कोई रोशनी नहीं जलती.
दिनेश – मित्रों हम कार्यक्रम में आगे बढ़ें इससे पहले एक और गाना हो जाए, इस गाने के लिये हमें पत्र लिख भेजा है सदफ़ रेडियो श्रोता संघ कलेर बिहार से मोहम्मद आसिफ़ ख़ान, बेगम निकहत परवीन, सदफ़ आरज़ू, साहिल अरमान, अजफर हामिद तहमीना मशकूर ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म यही है ज़िंदगी का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं ----
सांग नंबर 5. दिलरुबा आ मेरी बांहों में .....
पंकज - कई हैं मुश्किलें
यह सुनने में बड़ा सामान्य लगता है, लेकिन इसमें प्रत्येक स्टेज पर मुश्किलें है.
संदेश भेजने वाले के दिमाग में यदि कुछ और विचार आने लगते हैं तो उसे डिस्टरबेंस माना जाता है और संदेश की प्रक्रिया बाधित हो जाती है. इसलिए संदेश भेजने वाले को पहले संदेश भेजने की ट्रेनिंग दी गई.
यह पूरी प्रक्रिया बहुत तेज़ी से भी नहीं हो पाती है. शोधकर्ताओं के मुताबिक दिमाग से दिमाग के बीच संवाद का संचार दो बिट प्रति मिनट की रफ़्तार से होता है, यानी सामान्य संदेश को भेजने में भी वक्त लगेगा. लेकिन रुफ़िनी इसके होने भर से रोमांचित हैं.
वे कहते हैं, "आप इस प्रयोग को दो तरह से देख सकते हैं. पहला तरीका तो है कि यह काफी तकनीकी मामला है जबकि दूसरी ओर पहली बार ऐसा संभव हुआ है, तो ये ऐतिहासिक भी है."
पहले भी हुई हैं कोशिशें
इस प्रयोग को लेकर बहस भी हो रही है कि क्या ऐसा पहली बार हुआ है. पिछले साल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के दल ने आदमी के दिमाग और चूहे की पूंछ के बीच संपर्क स्थापित किया था. आदमी के सोचने भर से चूहे की पूंछ में हरकत होने लगती है.
इसके अलावा वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में भी दिमाग से दिमाग के बीच संपर्क साधने की कोशिशों पर काम हुआ. ऐसे में आईईईई स्पेक्ट्रम से एक वैज्ञानिक ने तो यहां तक कह दिया कि उन्हें रुफ़िनी का काम 'स्टंट ज्यादा लगा' और ये पहले भी हो चुका था.
लेकिन रुफ़िनी के सपने बड़े हैं. वे इसके ज़रिए भावनाओं, संवेदनाओं और विचारों का आदान-प्रदान करना चाहते हैं.
वे कहते हैं, "अभी तकनीक का इस्तेमाल काफी सीमित होता है. लेकिन एक दिन यह काफी शक्तिशाली होगी. तब आपस में ये संवाद भी बहुत कारगर हो जाएगा."
क्या हैं इसके ख़तरे?
रुफ़िनी मानते हैं कि इससे लोगों को एक दूसरे को समझने में काफ़ी मदद मिलेगी. ऐसा होने पर दुनिया काफी बदल सकती है.
लेकिन इसके लिए एक और शून्य की आवृति के विकल्प को तलाशना होगा, साथ ही संकेत के लिए रोशनी की जगह दूसरे विकल्प आज़माने होंगे.
हालांकि इसके खतरे भी कम नही हैं. इंटरनेट पर किसी संदेश को भेजने के दौरान उसे हैक करना संभव होगा. दिमाग से सीधे संदेश भेजना संभव होने पर लोग इसका ग़लत इस्तेमाल भी कर सकते हैं और कई वैज्ञानिकों ने तो इससे व्यक्ति के दिमाग और मोटर सिस्टम पर किसी बाहरी ताकत के कब्ज़े का ख़तरा भी गिनाया है.
लेकिन फ़िलहाल ये सब ख़ासी दूर की बात है.
दिनेश – मित्रों अब हम सुनेंगे कार्यक्रम का अगला गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है मुबारकपुर, ऊंची तकिया, आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश से दिलशाद हुसैन, फातेमा सोगरा, वकार हैदर, हसीना दिलशाद और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म पिया का घर का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ----
सांग नंबर 6. ये जीवन है .... .
पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।
दिनेश – नमस्कार।