चीन की सब से बड़ी नदी यांग्त्सी नदी यानी छांगच्यांग नदी के मध्य भाग में स्थित लू शान पर्वत का प्राकृतिक सौंदर्य चीनी लोगों के बीच बहुत चर्चित है।विशेषकर हर साल वसंत में पूरा पर्वत खिले हुए आड़ू और सिम्बिदियोम के फूलों से भर जाता हैं और पर्वतारोही प्रिय पर्यटकों को लुभा लेता है ।
लू शान पर्वत दक्षिण पूर्वी चीन के च्यांग शी प्रांत के च्यु च्यांग शहर के उपनगर में स्थित है।उस के बगल में चीन की मीठे पानी वाली प्रथम बड़ी झील पो यांग झील मौजूद है। इसलिये लू शान पर्वत का मौसम साल भर नमी वाला और सुहावना रहता है और वर्षा की भी यहां भरमार रहती है । जबकि वसंत में इस पहाडी क्षेत्र में दिन व रात के तापमान में अंतर काफी बड़ा है और कोहरा चारों ओर फैला रहता है ।
वसंत में लू शान पर्वत में हर जगह बादलों के समुद्र में डूबी हुई मालूम पड़ती है। लू शान पर्वत की छत पर स्थित ह्वा चिंग और फशाओ येन जैसी जगहें बादलों का समुद्र देखने की सब से बढ़िया जगह हैं।वसंत-ऋतु में कोई भी पर्यटक यदि सुबह जल्दी उठकर अपने कमरे का दरवाजा खोले ,तो उस के सामने तुरंत ही यह आश्चर्यजनक दृश्य नजर आ सकता है कि कैसे कोमल धुंधुला कोहरा चारों तरफ से धीरे-धीरे ऊपर उठकर समूचे लू शान पर्वत को अपनी बाहों में भरता है।यदि आप पर्वत के नीचे से ऊपर नजर दौड़ाएं,तो पर्वत की छत कभी साफ दिखाई देती है और कभी बादलों में लीन हो जाती है। यदि आप पर्वत की छत पर खड़े होकर नीचे देखें तो ऐसा जान पड़ता है कि आप असीमित विशाल समुद्र में डूबे हुए हों । लू शान पर्वतीय क्षेत्र के मौसम में भी परिवर्तन आता रहता है,आकाश के ऊपर कभी काले बादल मंडराते दिखाई देते हैं,तो कभी मुलायम हवा के झोंकों के साथ छुटपुट वर्षा होती है, फिर थोड़ी देर में एकदम साफ सुथरे मौसम में अनुपम प्राकृतिक दृश्य़ सामने नजर आने लगते हैं।ऐसे वक्त पर आप अपने सारे बदन में अभूतपूर्व ताजगी महसूस कर देते हैं।लू शान पर्वत में रहने वाले ली वन त्यांग ने हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में कहा
यदि आप वसंत के मार्च या अप्रैल में घूमने लू शान आते हैं,तो पर्वत की छत पर रहना सब से अच्छा विकल्प है । क्योंकि सुबह उठकर बाहर जाते ही पूरे पर्वत पर छाया हुआ कोहरा देखकर आप अपने आप को भूल जाते हैं और अभूतपूर्व ताजगी महसूस करते हैं।
क्योंकि लू शान पर्वतीय क्षेत्र साल भर बादल और कोहरे से घिरा रहता है,इसलिये यहां पर उपलब्ध चाय को बादल-कोहरा चाय का नाम दिया गया है।बादल-कोहरा चाय की गुणवत्ता बहुत बढ़िया है। वह न सिर्फ पूरे चीन में बेची जाती है, बल्कि जापान,जर्मनी,कोरिया गणराज्य , अमरीका और ब्रिटेन आदि देशों में भी खूब बिकती है । हर वर्ष अप्रैल में स्थानीय लोग बादल-कोहरा चाय की पत्तियां काटकर ताजा चाय बनाते हैं, चाय बनाने का यह सुनहरा मौसम भी माना जाता है। इसलिये पर्यटक ऐसे वक्त पर लू शान पर्वत का दौरा करने जाते हैं और उपहार के रूप में कुछ नयी ताजा बादल-कोहरा चाय खरीदकर वापस ले जाते हैं।
लू शान पर्वत क्षेत्र की विशेष प्राकृतिक स्थिति नाना प्रकार वाली वनस्पति के लिये बेहद अनुकूल है।मार्च और अप्रैल में पूरे पर्वत क्षेत्र पर आड़ू के फूल, सिम्बिदियोम और नाशपति के फूल तथा बेशुमार जंगली फूल खिले हुए दिखाई देते हैं और चारों ओर हल्की सी महक फैली रहती है,जिस से लोगों का मन खुश हो जाता है।
1934 में निर्मित लू शान वनस्पति बागान चीन में अपने ढंग का सब से पुराना माना जाता है और पर्यटकों के लिये देखने लायक है।बागान में वृक्ष क्षेत्र,ग्रीन हाऊस,दलदल वनस्पति क्षेत्र , बादल-कोहरा चाय बागान और जड़ी बूटियां क्षेत्र स्थापित हैं , जहां अंगिनत दुर्लभ वनस्पतियां पायी जाती हैं।आंकड़ों के अनुसार लू शान पर्वत बागान में अब देश-विदेश की तीन हजार चार सौ से अधिक किस्मों वाली वनस्पतियां हैं, साथ ही इस बागान ने 60 से अधिक देशों के साथ बढ़िया बीजों के आदान-प्रदान का सम्पर्क कायम किया है। लू शान पर्वत वनस्पति बागान के उप अनुसंधानकर्ता श्री श्वी श्यांग मेह ने इस का परिचय देते हुए कहा
देवदार किस्म वाले पेड़ और सिम्बिदियोम फूल हमारे बागान की सब से बड़ी विशेषता हैं। इस बागान ने अपनी स्थापना के शुरू में विदेशों से बड़ी तादाद में चीढ़ व देवदार जैसे पेडों और सिम्बिदियोम फूल का आयात किया।आज इस बागान में जितने अधिक आकाश से बातें करने वाले पेड़ दिखाई देते हैं वे सब उसी समय विदेशों से आयातित किए हुए हैं ।
लू शान पर्वत क्षेत्र में घने बादलों व कोहरे में झांकने वाले बंगलों ने अपनी विशेष पहचान बना ली है और वह लू शान पर्वत की दूसरी बड़ी विशेषता है।सन 1885 में एक ब्रिटिश पादरी द्वारा यहां पर गर्मियों से बचने के लिये प्रथम बंगला निर्मित किये जाने से लेकर आज तक लू शान पर्वत क्षेत्र में जो एक हजार से अधिक पहाड़ी बंगले ढंग से संरक्षित हैं,उनमें 18 देशों की विशेष वास्तु निर्माण कला की अच्छी तरह अभिव्यक्ति हुई है।मिसाल के लिये इन अपने ही ढंग के बंगलों में ब्राजीली वास्तु शैली युक्त बंगले,इटालियन वास्तु निर्माण शैली से निर्मित बंगले , उत्तरी व दक्षिणी युरोपीय वास्तु निर्माण कला से निर्मित ढलान रूपी छत वाले बंगले हैं।इतने अधिक बंगलों में कुछ हरे-भरे पर्वत पर खड़े हुए नजर आते हैं और कुछ कल-कल करती हुई नदी के तट पर स्थित हैं। हरे-भरे वसंत के मौसम में झांकने वाले ये बंगले अत्यंत आकर्षित दिखाई पड़ते हैं ।
पेइचिंग से आयी पर्यटक सुश्री थांग तुंग तुंग विशेष तौर पर दो बार इन बंगलों को देखने आ चुकी हैं । उन्हों ने कहा कि लू शान पर्वत के बंगले अपने अलग ढंग के ही नहीं , उन की विशेष वास्तु निर्माण शैलियों और आसपास के पर्यावरण के बीच बहुत सामंजस्य भी है। चीन के इतने विख्यात पर्वतों में केवल लू शान पर्वत क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने वाला विश्व गांव देखा जा सकता है ।
उन का कहना है कि लू शान पर्वत के बंगले देखने में बड़ा आनन्द ही नहीं मिलता ,विभिन्न देशों की वास्तु निर्माण कलाओं से परिचित भी होता है। मैं बार-बार इन बंगलों को देखने क्यों आती हूं,क्योंकि इन अपने ही ढंग के बंगलों को देखने से सौंदर्य महसूस होने के साथ- साथ अपने जमाने की बहुत सी दिलचस्प ऐतिहासिक कहानियां भी सुनी जा सकती हैं।
लू शान पर्वत में बंगले देखने के बाद कुछ प्राचीन सांस्कृतिक अवशेष भी देखने लायक हैं। उदाहरण के लिये प्रसिद्ध ह्वा चिंग नामक स्थल लू शान पर्वत के प्रसिद्ध प्राचीन जंगली मंदिर का खण्डहर है।कहा जाता है कि चीन के सुप्रसिद्ध महान कवि पाइ च्यू ई ने लू शान पर्वत की छत पर देखा कि चारों तरफ खिले हुए आड़ू के फूल नजर आ रहे हैं,जबकि पहाड़ के नीचे ये फूल कब से मुर्झा गए थे,तो उन्हों ने तुरंत ही यह कविता लिखी कि अप्रैल में महकदार फूल मुर्झाए मानव जाति में, आड़ू के फूल खिलने लगे पहाड़ी मंदिर में। आज से एक हजार सात सौ वर्षों से पहले निर्मित यह पुराना तुंग-लिन मंदिर बहुत बड़ा है और वह लू शान पर्वत पर स्थापित सब मंदिरों में से एक माना जाता है।इस के अतिरिक्त पाइ लु तुंग नामक विद्यालय भी काफी चर्चित है। कहा जाता है कि चीन के दूसरे विख्यात कवि ली पो कभी इस विद्यालय में पढ़ते थे। यहां बड़ी संख्या में बड़े-बड़े वृक्ष उगे हुए है और वातावरण शांत व तरोताजा है।विद्यालय के आंगन में चीन के अनेक राजवंशों के सैकड़ों शिलालेख सुरक्षित हैं।यह विद्यालय चीन के इतिहास में सब से प्राचीन बड़े विद्यालयों की गिनती में गिना जाता है ।