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    टी टाइम 150623 (अनिल और वेइतुंग)
    2015-06-23 17:06:05 cri

    अनिल- टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ... आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।

    अनिलः 21 जून को पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।

    .... भारत सहित दुनिया भर के 192 देशों में 21 जून को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। भारत की राजधानी दिल्ली में राजपथ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हजारों लोगों ने योग अभ्यास किया। इस दौरान भारत के तमाम शहरों और कस्बों आदि में लोग योग करते दिखे।

    वेइतुंग जी---आप क्या कहेंगे योग के बारे में। क्या आप करते हैं।

    वेइतुंगः योग के बारे में........

    अनिलः वहीं 21 जून को योग दिवस की बात करें तो, संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में भी योग का बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें यूएन महासचिव बान की-मून और भारत की विदेश सुषमा स्वराज सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित हुए।

    न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वॉयर पर योग दिवस के कार्यक्रम में हजारों लोग पहुंचे। यहां के बाद सुषमा स्वराज हिंदू टैंपल सोसायटी के योग दिवस कार्यक्रम में भी शामिल हुई और वहां लोगों को संबोधित किया।

    अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, पाकिस्तान, फ्रांस, जर्मनी, सिंगापुर, थाइलैंड, मलेशिया, वियतनाम, जापान, फिलिपीन, नेपाल सहित दुनिया के कई हिस्सों में योग दिवस बड़े पैमाने पर मनाए जाने की खबर है।

    गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर 177 देशों के माध्यम से दिए गए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए इसी साल संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया है।

    वेइतुंगः योग दिवस के बारे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने क्या कहा।

    संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात के दौरान पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर कहा कि योग ने दुनिया भर के लोगों में अप्रत्याशित जोश पैदा कर दिया है। गौरतलब है कि मून ने कल शाम मैनहट्टन होटल में सुषमा से मुलाकात की। संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आए मून ने पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन पर सुषमा को बधाई दी। उन्होंने कहा, मैं बहुत उत्साहित हूं। बान की मून ने भारतीय विदेश मंत्री से कहा कि विश्व संस्था ने अलग-अलग थीम पर कई अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाए हैं, लेकिन योग दिवस को लेकर जोश और उत्साह अप्रत्याशित है। मून ने कहा कि बहुत ज्यादा उत्साह है। हमने कई अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाए हैं, लेकिन यह (योग दिवस) अप्रत्याशित, बहुत रोमांचक है। 21 जून के समापन तक दुनिया भर में करीब दो अरब लोग योग दिवस में शामिल हुए।

    अनिलः दोस्तो, योग दिवस के बारे में क्या ख्याल है, योगाभ्यास को लेकर आप क्या सोचते हैं, अपनी टिप्पणी हम तक पहुंचा सकते हैं। हमें इसका इंतजार रहेगा।

    योग के बाद अब प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हैं और जानकारी देने का सिलसिला होता है शुरू। सदियों से कुत्तों को इंसानों का वफादार माना जाता रहा है। प्राचीन मिस्र में कुत्तों का इस्तेमाल भेड़िए के सिर वाले अनुबिस नाम के देवता के साथ संपर्क साधने के लिए भी किया जाता था।

    मिस्र के सकारा में इस देवता के मंदिर के पास मिली भूमिगत सुरंगों में इसी उद्देश्य से 80 लाख कुत्तों और अन्य जानवरों की ममी बनायी गयी थी।

    प्राचीन मिस्र में ऐसा माना जाता था कि कुत्ते अनुबिस देवता के पास जाकर उनके पक्ष में बोलेंगे और उनके जो परिजन मर चुके हैं, उनकी मदद करेंगे। सकारा में इन ममियों को कई सुरंगों में पाया गया।

    वेइतुंगः समय के साथ कई सुरंग मकबरे की लूट करने वाले गिरोह के कारण क्षतिग्रस्त हो गये और कई ममियों का इस्तेमाल खाद बनाने में कर लिया गया।

    बाकी मची ममियां एक दूसरे के ऊपर रखी हैं और अधिकतर की हालत बदतर है। ऐसा माना जा रहा है कि ये सुरंग 750 से 30 ईसा पूर्व के बीच के हैं।

    शोधकर्ताओं की अगुवाई करने वाले कार्डिफ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पॉल नकोलसन के मुताबिक सकारा में व्यापारियों का समुदाय रहता था, जो अबुनिस देवता की ताम्र मूर्ति बेचता था ।

    यहां के पुजारी देवता की पूजा करते थे और लोग देवता के सम्मान में ममी बनाये जाने वाले कुत्तों की पालते थे।

    अनिलः अब दूसरी जानकारी से रूबरू कराते हैं। इंग्लैंड के कवेंट्री की रहने वाली 31 साल की लीही 2 बच्‍चों की मां हैं। लेकिन पिछले दिनों इन्होंने एक जिंदा लाश की तरह जिंदगी जी है।

    दरअसल, बच्चों की फिक्र में वो 6 सालों तक रोजाना सिर्फ 1 घंटा सोई तो वो जिंदा तो रहीं, लेकिन जिंदा लाश बन गई। अब हिप्‍नोथेरेपी की मदद से वो ठीक हो रही हैं।

    एक अंग्रेजी वेबसाइट के की मानें तो ब्‍लेयर पहला बच्‍चा होने के बाद से ही इंसोमिया की शिकार होने लगी। कॉलिक से पीड़‍ित उनकी बेटी ओर्ला सारी रात रोती रहती थी। एक मां के तौर पर बच्‍चे की फिक्र में वो रात में सो नहीं पाती थी।

    इसके बाद जब उनकी दूसरी बेटी हुई तो भी स्थिति जस की तस रही। एक शाम 7 बजे से रात 11 बजे रात तक रोती थी, जबकि दूसरी 12 बजे रात से सुबह 4 बजे तक रोती थी।

    ब्‍लेयर सारा दिन ऑफिस में काम करने के बाद सारी रात दोनों बेटियों का ध्‍यान रखने के लिए जागती थी और इस बीच उन्‍हें केवल एक घंटे की नींद मिल पाती थी।

    वेइतुंगः जल्‍द ही उनकी हालत खराब होने लगी और दिन पर दिन वो एक जिंदा लाश में तब्दील हो गई। घबराहट और अवसाद के चलते उन्‍होंने नौकरी छोड़ दी। 4 साल तक कम सोई अगले 2 साल में उन्हें एक घंटे से ज्यादा नींद आनी ही बंद हो गई। यहां तक की उन पर नींद की गोलियों का भी असर नहीं हुआ।

    6 साल तक इस तरह जिंदा रहने के बाद आखिरकार उन्‍होंने हिप्‍नोथेरेपी की मदद ली और अब उनका कहना है कि उनकी जिंदगी पटरी पर लौट रही है। हिप्‍नोथेरेपिस्‍ट डेविड ने जब एक घंटे की थैरेपी की तो वो कई साल बाद जी भर कर सोई पाई। ब्‍लेयर के मुताबिक अब उनकी जिंदगी बदलने लगी है और अब काफी अच्‍छा महसूस कर रही हैं।

    अनिलः वहीं एक सौ पचास किलोग्राम वजनी विश्व की सबसे बड़ी किताब एक विशालकाय एटलस आस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स(एनएसडब्ल्यू) की स्टेट लाइब्रेरी में अगले चार सप्ताह के लिए रखी जाएगी।

    एटलस के प्रकाशक मिलेनियम हाउस के गॉर्डोन चियर्स ने बताया कि वर्ष 2012 में जारी की गई इस किताब की केवल 31 प्रतियां हैं और आस्ट्रेलिया में इसकी एक ही प्रति स्टेट लाइब्रेरी में है। द अर्थ प्लेटिनम नाम का यह एटलस स्टेट लाइब्रेरी के स्थाई संग्रह का हिस्सा है और इसे यहां मिशेल लाइब्रेरी रीडिंग रूम में रखा जाएगा।

    चियर्स ने बताया कि विश्व के इस सबसे बडे एटलस की परिकल्पना 25 वर्ष पहले की गई थी और इसे तैयार करने में चार वर्ष का समय लगा। इसके निर्माण में 100 से अधिक मानचित्रकार, भूगोलवेत्ता और छायाचित्रकारों ने अपना योगदान दिया है।

    वेइतुंगः वहीं पेरिस एयर शो में दिखाई जाने वाली नई एयरबस ए350 एक्सडब्लूबी कई मामलों में नई तकनीक की शुरुआत करने का दावा कर सकती है।

    इस एयरबस में किसी भी दूसरे एयरबस की तुलना में अधिक 3डी प्रिंटर से तैयार कलपुर्जों का इस्तेमाल किया गया है।

    इसमें 3डी प्रिंटर से बने करीब 1000 कलपुर्जें लगे हुए हैं।

    रेथियॉन मिसाइल में भी 3डी प्रिंटर से बने कलपुर्जों का इस्तेमाल किया गया है। वहीं ड्रोन के निर्माण में भी इनका इस्तेमाल किया जा रहा है।

    यूनाइटेड लॉच एलायंस भी अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले रॉकेट में 3डी प्रिंटर से बने कलपुर्जों का इस्तेमाल कर रही है। ये बोइंग और लॉकहीड मार्टिन का संयुक्त उपक्रम है।

    इस तकनीक में इतनी संभावनाएं है कि ये एयरोस्पेस उद्योग का कायाकल्प कर दे।

    इस तकनीक से कलपुर्जों के उत्पादन की लागत कम हो सकती है और हल्के कलपुर्जें तैयार किए जा सकते हैं। यह तकनीक बड़े पैमाने पर उत्पादन को बढ़ा सकती है।

    हालांकि यहां बात सिर्फ छोटे-छोटे कलपुर्जों की हो रही है बजाए कि किसी बड़ी संरचना की।

    ब्रिटेन में एयरबस ग्रुप में नए शोध के प्रमुख इयान रीस्क का कहना है, "3डी प्रिंटिंग की महत्वपूर्ण भूमिकाओं को खारिज मत कीजिए। ये कलपुर्जे निर्माण में बड़ी भूमिका निभाते हैं। अक्सर ये वो जटिल कलपुर्जे होते हैं जिनकी वजह से उत्पादन में देरी होती है।"

    प्रिंटिंग मशीन के आकार की वजह से इस तकनीक से बनाए जाने वाले कलपुर्जें ज्यादा बड़े नहीं होते हैं।

    रीस्क इस बात पर संदेह जताते हैं कि कभी पूरे हवाईजहाज का ढांचा भी तैयार हो पाएगा। उन्होंने कहा, " लेकिन हम इसके बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के बारे में सोच रहे हैं। "

    अनिलः एक 3डी प्रिटिंग कंपनी ने ऐसा रोबोटिक 3डी प्रिंटर बनाया है जो हवा में लकीरे खींचकर कोई भी आकृति बना सकता है जो देखने में वास्तव लगेगी।

    इसके लिए ये कंपनी अपने पहले प्रयोग के तौर पर शहर में एक नहर के ऊपर पुल बनाएगी। कंपनी का कहना है कि हमने बहुत ही कम खर्चे पर एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिसके बल पर खूबसूरत और असली लगने वाली 3डी चीजों को आसानी से बनाया जा सकता है।

    इस पुल को शहर की एक खास जगह पर बनाया जाएगा जिससे लोगों को इस नई तकनीक से वाकिफ कराया जा सके।

    कंपनी चाहती है कि लोग देखे कि उसके रोबोट, सॉफ्टवेयर इंजीनियर और डिजाइनर क्या-क्या कर सकते हैं।

    मेटल के पुल को डिजाइनर जोरिस लारमैन और कई सारे कलाकार मिलकर बनाएगें। इसमें तरल धातु के छोटे-छोटे टुकड़ो को पहले से मौजूद संरचना में जोड़ा जाएगा।

    उसके बाद स्टील की कुछ छड़ो को भी लगाया जाएगा जिसके अधार पर ही प्रिंटर आकृति तैयार करेगा। इस साल सितंबर तक इसके शुरु होने की संभावना है।

    वेइतुंगः वहीं चिली में एक बुजुर्ग महिला के पेट में 50 साल से भ्रूण पड़ा था और उसे पता भी नहीं चला। खुद डॉक्टर भी तब हैरान रह गए जब उन्होंने 92 साल की महिला की जांच करते हुए उसके पेट में मरा हुआ भ्रूण पाया।

    इस भ्रूण का वजन लगभग 2 किलो था और यह सात महीने का था। खास बात यह है कि इससे महिला को अब तक कोई दर्द भी नहीं हुआ।

    दरअसल, महिला अपने घर में गिर गई थी और उसके बाद वह अस्पताल पहुंची, जहां उनके हिप के एक्स-रे के दौरान इस भ्रूण का पता चला।

    डॉक्टरों का कहना है कि इस स्थिति को चिकित्सीय भाषा में लिथोपेडियन कहते हैं जिसमें गर्भावस्था के दौरान भ्रूण पेट में ही मर जाता है और यूट्रस से बाहर आ जाता है।

    डॉक्टरी इतिहास में ऐसे कुछ सौ केस ही अब तक सामने आए हैं। डॉक्टरों ने महिला को चेकअप के बाद बिना ऑपरेशन के ही छुट्टी भी दे दी।

    अनिलः धरती पर जीवन के अंत का नया दौर शुरू हो चुका है और सबसे पहले विलुप्त होने वाली प्रजातियों में मानव प्रजाति भी हो सकती है। अमरीका के तीन विश्वविद्यालयों के अध्ययन में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है।

    स्टेनफर्ड, प्रिंसटन और बर्कले विश्वविद्यालय के अध्ययन में कहा गया है कि रीढ़ की हड्डी वाले जानवरों के लुप्त होने की दर सामान्य से 114 गुना तेज है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हम अब लुप्त होने के छठे बड़े दौर में प्रवेश कर रहे हैं। इंसानों के भी शुरुआती दौर में ही विलुप्त होने की आशंका है।

    इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 1900 से अब तक रीढ़ की हड्डी वाले जानवरों की 400 प्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं। बड़े पैमाने पर प्रजातियों के लुप्त होने की आखिरी घटना साढ़े छह करोड़ साल पहले घटी थी, जब डायनोसॉर धरती से लुप्त हो गए।

    वेइतुंगः वैज्ञानिकों का कहना है कि इतना बड़ा नुकसान आम तौर पर 10,000 सालों में देखा जाता है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर का कहना है कि हर साल कम से कम 50 जानवर खत्म होने के करीब आ जाते हैं।

    इसी तरह के निष्कर्ष बीते साल ड्यूक विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में भी सामने आए थे। यह ताजा अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में छपा है। प्रमुख शोधकर्ता गेरार्डो सेबालोस का कहना है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो धरती पर जीवन फिर से आने में कई लाख साल लग जाएंगे।

    अनिलः लीजिए अब वक्त हो गया है हेल्थ टिप्स का।

    हेल्थ टिप्स.

    आप जानकर हो जाएगे दंग की भारत के शहरो में रहना वाला आदमी है गंभीर कब्ज से परेशान है। एक सर्वे में ये बात सामने आई है कि 14% से ज्यादा लोगों को कब्ज की दिक्कत रहती है।

    एक स्टडी में यह भी जाहिर हुआ है कि एक व्यक्ति का हफ्ते में तीन बार ही सुबह के समय पेट साफ होता है। इसके अलावा 45 से 65 के आयुवर्ग के 20% लोग ज्यादा प्रभावित हैं।

    कब्ज की समस्या लम्बे समय तक बनी रहे तो कई ओर गम्भीर बीमारियों हो जाती हैं जिसमें पाइल्स प्रमुख है।

    अगर कब्ज की समस्या ज्यादा गम्भीर हो जाए तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को बड़ा सकता है।

    गंगाराम अस्पताल के डॉ ब्रीज बी अग्रवाल का कहना है सुबह के समय आने वाले हार्ट अटैक अक्सर इन्ही कारणों से होता है। दुनिया भर में लगभग 10% लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं।

    इसके अलावा 60% लोग घरेलु नुस्खों से इसका इलाज करते हैं। कब्ज से सबसे ज्यादा परेशान शहरों में हर 10 में से 2 व्यक्ति इससे पीड़ित है।

    ज्यादा मात्रा में मांसाहार लेने वाले, घर के बाहर ज्यादा खाने से वाले और पानी कम पीने वाले इससे ज्यादा परेशान हैं।

    वेइतुंगः वहीं गर्मियों में रोजाना छाछ का सेवन अमृत के समान है। इसमें कैलोरी और फैट कम होता है। छाछ के ढेरों फायदे हैं....

    छाछ को भोजन के साथ लेना हितकारी होता है। यह आसानी से पचने वाला पेय है। ताजे दही से बनी छाछ का प्रयोग ज्यादा लाभकारी होता है। छाछ से पेट का भारीपन, आफरा, भूख न लगना, अपच व पेट की जलन की शिकायत दूर होती है।

    खाना हजम न होने पर भुना हुआ जीरा, कालीमिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक छाछ में मिलाकर घूंट-घूंट कर पीने से खाना जल्दी पचता है। कमरदर्द, जोड़ों का दर्द व गठिया आदि में भी छाछ का प्रयोग विशेषज्ञ की सलाह से कर सकते हैं। पीलिया रोग में भी एक कप छाछ में 10 ग्राम हल्दी मिलाकर दिन में तीन-चार बार लेने से फायदा होता है।

    छाछ का नियमित इस्तेमाल करते रहने से बवासीर, मूत्र विकार, प्यास लगना और त्वचा संबंधी बीमारियों में लाभ होता है।गर्मी के कारण अगर दस्त हो रही हो तो बरगद की जटा को पीसकर और छानकर छाछ में मिलाकर पीएं। छाछ में मिश्री, काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर रोजाना पीने से एसिडिटी जड़ से साफ हो जाती है।

    इसमें हेल्‍दी बैक्‍टीरिया और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं साथ ही लैक्‍टोस शरीर में आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगर कब्ज की शिकायत बनी रहती हो तो अजवाइन मिलाकर छाछ पीएं। पेट की सफाई के लिए गर्मियों में पुदीना मिलाकर लस्सी बनाकर पीएं। बटर मिल्‍क में विटामिन सी, ए, ई, के और बी पाये जाते हैं जो कि शरीर के पोषण की जरुरत को पूरा करता है। यह स्वस्थ पोषक तत्वों जैसे लोहा, जस्ता, फास्फोरस और पोटेशियम से भरी होती है।

    .....श्रोताओं के कमेंट का वक्त हो गया है। .......

    सबसे पहले पेश है, पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु का ई-मेल। वे कहते हैं....

    टी-टायम प्रोग्राम में दी गई तमाम जानकारी मुझे बहुत रुचिकर लगी।

    आज कार्यक्रम की शुरूआत में भारत के अलावा डेन्मार्क, संयुक्त अरब अमीरात,सिंगापुर,थाईलैंड आदि देशों के अजब गजब कानून के बारे में प्रस्तुत रोचक चर्चा को सुनकर मैं तो एकदम हैरान हो गया। इसके बाद हमारी धरती की तरह दिखाई देने वाला ग्रह "केपलर 186 एफ" के बारे में दी गयी जानकारी से मेरे ज्ञान में इजाफा हुआ। आपके माध्यम से यह सुना कि भूकंप से बचने के लिए शोधकर्ताओं ने एक नयी तकनीक विकसित की है जिससे भूकंप का तुरंत पता लग सके और सुरक्षा अलर्ट भेजा जा सके। चुंबक का इस्तेमाल कर भूकंपरोधी घर बनाने की यह जानकारी देने के लिए आपको शुक्रिया। वहीं जनसंख्या वृद्धि के लिए फिनलैंड सरकार ने बच्चा पैदा करने वाले दंपत्तियों को घर और पैसा देने का योजना बनाई है। वहीं चीन के हुनान प्रांत की राजधानी छांगशा में एक 57 मंजिला इमारत को सिर्फ 19 दिन में बनाया गया था जो चीन की फ्लरिशिंग इकानमी का जीता -जागता उदाहरण है। चीन की तरक्की को देखकर तो यही लगता है कि ये सिर्फ और सिर्फ चीनी लोगों की मेहनत और ईमानदारी का फल है।

    प्रोग्राम में पेश रक्तदान से जुड़ा समाचार बहुत अच्छा लगा। रक्तदान-महादान है क्योंकि दान किया गया रक्त किसी की जान बचाता है । यह सच है कि नियमित रक्तदान से दूसरी कई बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है। सभी लोगों को यह समझना चाहिये कि रक्तदान से न केवल लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है,बल्कि इससे बेहतर जीवन भी प्राप्त होता है।

    मैं यहां पर उल्लेख करना चाहूंगा कि हमारे न्यू हराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब लोगों के बीच स्वैच्छिक रक्तदान के लिए जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रहा है। इस साल भी हमने आम जनता के बीच सीआरआई हिंदी विभाग के प्रचार-प्रसार के लिए 5 अप्रैल,2015 को एक "सीआरआई रक्तदान शिविर-2015" आयोजन किया था। इस मेल के साथ मैं इस साल सीआरआई रक्तदान शिविर में हमारे क्लब की सदस्या मनीषा चक्रवर्ती द्वारा गाए गए गीत को आपके पास भेज रहा हूं। धन्यवाद, रविशंकर जी, हमें पत्र भेजने के लिए।

    अब लीजिए पेश है, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का ई-मेल। वे लिखते हैं कि बहरहाल, ताज़ा अन्तराष्ट्रीय समाचारों में देश-दुनिया के हालात का ज़ायज़ा लेने के बाद साप्ताहिक "टी टाइम" का श्रवण भी पूरी तन्मयता से किया। आज के अंक में विभिन्न देशों के अजीबोग़रीब नियमों के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद अनायास मुँह से एक ही वाक्य निकालता है कि -सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा। नासा द्वारा खोज़े गये कैप्लर 186-एफ़ नामक एक नये ग्रह के बारे में दी गई जानकारी से मन की पिपासा शान्त नहीं हुई, कृपया आगामी अंक में इस पर और विस्तार से चर्चा करें, तो आपकी इनायत होगी। भूकम्प आने पर मक़ान गिरेगा नहीं, अपितु ज़मीन से ऊपर उठ कर सुरक्षित हो जायेगा। यह जानकारी भूकम्प का दंश झेल चुके लोगों को कितनी राहत पहुँचाने वाली होगी, सहज ही कल्पना की जा सकती है। शून्य गुरुत्वाकर्षण वातावरण में लम्बे समय सोने वालों को नासा के तोहफ़े की बात जितनी आसान लगती है, वास्तव में उतनी है नहीं। फिनलैण्ड में बच्चे पैदा करने पर नग़द ईनाम और घर का सपना पूरा करने का ऑॅफर "काश" हम भारतीयों को मिलता ! कार्यक्रम में बाज़ार में बिकने वाले लोकप्रिय ब्रांडों में इस्तेमाल होने वाले ख़तरनाक़ प्रिज़र्वेटिव के बारे में जान कर शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई। हमारी राय में लोगों के स्वास्थ्य और जीवन से खिलवाड़ करने वाले इन लोगों को फांसी की सज़ा होनी चाहिये। कम पानी पीने के आदी लोगों के लिये सुझाये गये पूरक आहार की जानकारी देने हेतु साधुवाद, परन्तु यह चीज़ें आम आदमी के लिये ख़रीद कर उपयोग में लाना बहुत मुश्किल है। रक्तदान के फ़ायदों पर नाइजीरियाई शोध की चर्चा किया जाना काफी प्रेरक लगा। वास्तव में, हम सभी को जीवन में रक्तदान-महादान अवश्य करना चाहिये। यूँ तो दक्षिण चीन में 19 दिनों में बन कर तैयार 57 मंज़िला इमारत की जानकारी सीआरआई पर पहले भी कई बार प्रसारित की जा चुकी थी, परन्तु आज पेशकश का अन्दाज़ कुछ अलग होने के कारण फिर से सुनना अच्छा लगा। आज के कार्यक्रम में शराबी द्वारा डॉक्टर से अपनी शराब छुड़ाने सम्बन्धी किया गया प्रश्न हमें भी काफी गुदगुदा गया। धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति हेतु।

    धन्यवाद सुरेश जी, हमें ई-मेल भेजने के लिए।

    वहीं पश्चिम बंगाल से देबाशीष गोप और मधुबनी बिहार से अवधेश कुमार आदि ने भी हमें ई-मेल भेजे हैं, आपका भी धन्यवाद।

    अब पेश है, सुलतानपुर, यूपी से राजेश कुमार मिश्र का ई-मेल। वे लिखते हैं कि टी-टायम प्रोग्राम को मनोरंजक और ज्ञानवर्धक बनाने के लिए आपका शुक्रिया। मुझे आपके कार्यक्रम में पेश होने वाली जानकारी बहुत अच्छी लगती है। पिछला 16 जून का प्रोग्राम का अंक भी बहुत अच्छा लगा। मैं ई-मेल के साथ सवालों के जवाब भेज रहा हूं। धन्यवाद।

    धन्यवाद राजेश जी।

    .....

    आप सभी श्रोताओं का बहुत-बहुत शुक्रिया। हमें आगे भी आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा।

    अब समय हो गया है, हंसगुल्लों का। जोक्स

    पहला जोक.

    125 साल के एक दादाजी मृत्यु के बाद स्वर्ग पहुंचे। स्वर्ग में खूबसूरत अप्सराओं का नृत्य देख कर दादाजी फूट-फूट कर रोते हुए बोले, साला बाबा रामदेव के चक्कर में नहीं पड़ता तो कब का यहांपहुंच गया होता।

    दूसरा जोक-

    बंता- जेल को हिंदी में हवालात क्यों कहते हैं? संता- क्योंकि जेल में खाने को सिर्फ हवा और लात ही मिलती है

    तीसरा और अंतिम जोक.

    इमरजेंसी (एक्सीडेंट या हार्ट अटैक) के वक्त... 'डॉक्टर साहेब, आप भगवान हो इन्हें बचा लो....' अगले दिन मरीज के बच जाने पर और आपात स्तिथि निकल जाने पर... 'डाक्टर साहेब, आप तो भगवान् जैसे हो....' मरीज के I.C.U. से वार्ड में शिफ्ट होने पर.... 'सब भगवान् की माया है' और अंत में छुट्टी होते वक्त...'डाक्टर तो डाकू है..

    ....

    जोक्स यही तक..

    अब समय हो गया है, सवाल जवाब का।

    पिछले हफ्ते हमने दो सवाल पूछे थे।

    पहला सवाल था, किस देश में च्युंगम चबाने पर रोक है।

    सही जवाब है, सिंगापुर में छोटों से लेकर बड़ों तक को च्युंगम चबाने पर रोक है। वहीं संयुक्त अरब अमीरात में ऐसा करते पकड़े जाते हैं तो आपको जेल भी जाना पड़ सकता है।

    दूसरा सवाल था, ....भूकंप के बारे में शोधकर्ताओं ने क्या खुलासा किया है।

    सही जवाब है- भूकंप आने पर अब घर गिरेगा नहीं बल्कि जमीन से ऊपर उठ जाएगा और बाद में फिर अपनी जगह पर खड़ा हो जाएगा। यह खुलासा शोधकर्ताओं ने किया है।

    इन सवालों का सही जवाब हमें लिखकर भेजा है, पश्चिम बंगाल से देबाशीष गोप, व केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल.......आदि ने। आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया।

    अब आज के सवालों का वक्त हो गया है...

    पहला सवाल है.. अन्तरर्राष्ट्रीय योग दिवस कब मनाया जाता है

    दूसरा सवाल है- विश्व की सबसे अधिक वजनी एटलस किस देश में है।

    अगर आपको इनका जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।.....हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn....... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें।

    अनिलः टी-टायम प्रोग्राम में आज के लिए इतना ही नहीं, अगले हफ्ते फिर मिलेंगे चाय के वक्त, तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर, चाइ च्यान।

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