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    टी टाइम 150616 (अनिल और ललिता)
    2015-06-17 12:28:20 cri

    अनिल- टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ... आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 35 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। हां भूलिएगा नहीं, पूछे जाएंगे सवाल भी, तो जल्दी से हो जाइए तैयार।

    अनिलः आज हम अजब गजब में दुनिया के अजीब ओ गरीब कानून के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। सही मायने में देखा जाए तो भारत जैसा स्वतंत्र देश कोई भी नहीं है, जहां आपको बोलने से लेकर हर काम करने की आजादी है। लेकिन विदेशों के कानूनों पर अगर गौर फरमाएं तो कई कानून ऐसे हैं कि जिनको सुनकर आपकी आजादी पर कई जगह पावंदी लगाई जाती है।

    बात अगर डेन्मार्क के कानून की करें तो वहां आप दिन में वाहन की बत्तियों को बंद नहीं कर सकते हैं और आपको दिन में भी वाहनों की लाइट्‍स को ‍‍‍‍‍ड‍िम करके रखना पड़ता है। जबकि हमारे देश में चाहे आप रात में भी लाइट न जलाओ तो भी कोई पुलिस वाला आपकी गाड़ी को नहीं रोकेगा फिर दिन की तो बात ही क्या है।

    वहीं अगर खूबसूरत देश सिंगापुर की एक अजब गजब कानून की करें तो वहां पर छोटों से लेकर बड़ों तक को च्युंगम चबाने पर रोक है। वहीं अगर आप संयुक्त अरब अमीरात में ऐसा करते पकड़े जाते हैं तो आपको जेल भी जाना पड़ सकता है।

    थाईलैंड में वहां के नोट यानी रुपया पर पैर रखना एक अपराध माना जाता है क्योंकि वहां की मुद्रा पर सर्वाधिक सम्मानित थाई नरेश का चित्र बना होता है। इसलिए वहां के नोटों पर पैर या जूते रखना एक आपराधिक कार्य माना जाता है।

    हालांकि ऐसा हमारे यहां भी कोई नहीं करता लेकिन हां गलती से अगर पैर रख गया तो आपको किसी तरह की सजा नहीं होगी, लेकिन थाईलैंड में अगर आप गलती से भी ऐसा करते हैं तो आपको सजा मिल सकती है।

    ललिताः दोस्तो, अब आपको अगली जानकारी से रूबरू कराते हैं। क्या आप जानते हैं कि वैज्ञानिकों को धरती जैसा एक और ग्रह मिल गया है। जी हां, द माइंडअनलीश्ड के मुताबिक नासा के केपलर स्पेस टेलिस्कोप को धरती जैसा ही एक ग्रह एक सितारे के आस-पास मंडराता हुआ दिखा है। ये ग्रह हमारे आकाशगंगा में ही है। इसका नाम केपलर 186 एफ दिया गया है। बताया जा रहा है कि केपलर 186 एफ हमारी धरती से 500 लाइट इयर्स की दूरी पर है।

    आपको बता दें कि जिस जोन में केपलर 186 एफ को पाया गया है उसका नाम गोल्डीलॉक जोन है। यह एक सितारे के आस-पास का वो क्षेत्र है जिसमें ग्रहों के अस्तित्व में आने लायक चीजें पाई गई हैं। जैसे की एटमॉसफेरिक प्रेशर। इसका मतलब है ये जगहें पानी को सपोर्ट करने के लायक हैं।

    साइनटिस्टों का कहना है कि केपलर 186 एफ के अलावा चार और ग्रह केपलर 186 एफ सिस्टम के चारों तरफ घूम रहे हैं। जैसे हमारे ग्रह के पास सबसे बड़ा और नजदीक स्टार खुद सूर्य है, वैसे ही इन ग्रहों के भी नजदीके ग्रहों का पता चलते ही वहां जिंदगी के पनपने के चांसेज तेज हो सकते हैं।

    खबर यह भी मिली है कि केपलर 186 एफ का घनत्व और वजन सौयमंडल के सूरज का आधा है। हमारी धरती जितना सूर्य से एनर्जी ले पाती है, केपलर 186 एफ उसका आधा ही लेने में सक्षम है। केपलर 186 एफ अपने तारे के आस-पास 130 दिनों में एक बार चक्कर काट लेता है। ऐसे में अगर बाकई ऐसा है तो हमारी दुनिया में रह रहे लोगों को वहां के एनवायरमेंट के बारे में जानने की जिज्ञासा भी होगी। लिहाजा आखिरकार यह ग्रह भी हमारी गोल धरती की तरह की दिखाई देने वाला ग्रह है।

    अनिलः दोस्तो, प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का बस नहीं चलता। भूकंप हो या सुनामी। कुछ समय पहले नेपाल में भूकंप ने तबाही मचायी। लेकिन भूकंप से जुड़ी एक जानकारी। भूकंप आने पर अब आपका घर गिरेगा नहीं बल्कि जमीन से ऊपर उठ जाएगा और बाद में फिर अपनी जगह पर खड़ा हो जाएगा।

    जी हां, यह कोई मजाक नहीं बल्कि हकीकत है। शोधकर्ताओं ने ऐसी योजना के बारे में खुलासा किया है जिसमें घर के नीचे ऐसा प्लेटफार्म बनाया जाएगा जिससे कई चुंबक जुड़े होंगे और भूकंप आने पर घर अपने आप ऊपर उठ जाएगा।

    आर्ट पैक्स कंपनी इस योजना पर काम कर रही है। अमरीकी भूगर्भीय सर्वेक्षण से मिल रहे फंड तथा जार्डन और बेत्ती मूरे फाउंडेशन से मिल रहे अनुदान की सहायता से यूनिवर्सिटीज का एक संगठन "शेकअलर्ट" तकनीक विकसित कर रहा है जिससे भूकंप का तुरंत पता लग सके और सुरक्षा अलर्ट भेजा जा सके।

    आर्ट पैक्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सह संस्थापक ग्रेग हेंडरसन ने बताया कि कंपनी से इससे पहले पानी या गैस के इस्तेमाल से घरों को उठाने की तकनीक विकसित की और उसका पेटेंट भी कराया और अब वह ऐसी तकनीक विकसित कर रही है जिससे तरल पदार्थ के बजाय चुंबक का इस्तेमाल कर भूकंपरोधी घर बनाए जाएंगे।

    हेंडरसन ने कहा कि हमारा लक्ष्य भूमि के अंदर जेट इंजन की सहायता से भूकंप के समय इमारत को ऊपर उठाना है। तीन मंजिला घर को औसत 90 सेकंड के भूकंप के दौरान ऊपर उठाना है, इसमें पांच कार की बैटरी की ऊर्जा का इस्तेमाल होगा। इस तकनीक में भूकंपरोधी आधार बनाया जाएगा और जमीन के अंदर होवर इंजन लगाए जाएंगे, जिससे कि घर को ऊपर उठाया जा सके।

    उन्होंने कहा कि जब हमें भूकंप की चेतावनी मिलेगी तो कम्प्यूटर से होवर इंजन को चालू किया जाएगा। यह सब बहुत त्वरित होगा।

    ललिताः तो दोस्तो, कैसी लग रही है आपको ये जानकारियां, हमें जरूर लिखिएगा। अब वक्त हो गया है, अगली सूचना का। अगर आपको ज्यादा नींद आती है तो आप लाखों रुपए कमा सकते हैं। ये सुनकर आपको अचंभा जरूर लगा होगा कि ज्यादा सोने से भला लोग पैसे कैसे कमा सकते हैं। हालांकि यह कोई अफवाह नहीं है। यह एक हकीकत है।

    दरअसल, अमरीका की स्पेस एजेंसी नासा ने 70 दिन लगातार बिस्तर पर आराम करने वाले व्यक्ति को 18 हजार डॉलर (11.5 लाख रुपए) देने की पेशकश की है।

    एजेंसी ने माइक्रोग्रेवटी पर लंबे समय तक रहने के प्रभावों की स्टडी करने के लिए यह रिसर्च "बेड रेस्ट" बनाया है। जो भी व्यक्ति इसमें भाग लेगा उसे 70 दिन बेड पर लेटा रहना पड़ेगा।

    इस स्टडी को करने के लिए वैज्ञानिकों का खास मकसद है। वे जानना चाहते हैं कि एस्ट्रोनॉट्स के लिए शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में मांसपेशियों, दिल और हड्डियों के लिहाज से कौन सी एक्सरसाइज बेहतर रहेगी।

    बताया जा रहा है कि जो भी व्यक्ति "बेड रेस्ट" में भाग लेगा उसे 2 से तीन हफ्ते आम जीवनयापन करना होगा उसके बाद उसे 10 हफ्ते तक बिस्तर पर पूरा समय काटना होगा।

    अनिलः चीन से लेकर पूरा विश्व आज के दौर में जनसंख्या को नियंत्रित करने में जुटा है लेकिन एक ऐसा देश सामने आया है जहां बच्चा पैदा करने पर पैसे के साथ-साथ घर भी दिया जा रहा है।

    फिनलैंड सरकार ने घटती जनसंख्या को देखते हुए और उसे कंट्रोल करने के लिए इस तरह का कदम उठाया है। दरअसल, फिनलैंड के एक कस्बे में जनसंख्या लगातार घट रही है जिस पर कंट्रोल करने के लिए सरकार ने बच्चा पैदा करने वाले दंपत्तियों को घर और पैसा देने का फैसला किया है। योजना के मुताबिक दंपत्तियों को 10 हजार यूरो (7.25 लाख रुपए) और घर दिया जाएगा।

    गौरतलब है कि इससे पहले फिनलैंड सरकार ने बच्चा पैदा होने के बाद 17 साल तक उन्हें आर्थिक मदद व हर नवजात के लिए जरूरी सामान अनिवार्य कर दिया था।

    फिनलैंड सरकार उताजार्वी कस्बे की घटती जनसंख्या को लेकर काफी चिंतित है। वह जनसंख्या वृद्धि के लिए लोगों को लोक लुभावने ऑफर देती रहती है। इस कस्बे की आबादी करीब 2900 है।

    ललिताः खानपान में प्रोसेस्ड और प्रिजर्वेटिव्स फूड की बजाय देसी फूड को प्राथमिकता दी जाए तो कई बीमारियों से न केवल मुक्ति पाई जा सकती है बल्कि सेहतमंद भी रहा जा सकता है।

    शरीर में होने वाले ज्यादातर रोगों का केंद्र पेट ही होता है। ऐसे में खानपान के मामले में थोड़ी-सी भी लापरवाही कई बीमारियों की वजह बनती हैं। इसलिए सावधानी ही बचाव है। मैगी नूडल्स में हानिकारक सीसा और मोनो सोडियम ग्लूटापेट मिलने से बैन कर दिया गया है। लेकिन रेडी टू ईट और पैकेज्ड फूड के अलावा कई अन्य उत्पादों में प्रिजर्वेटिव्स, स्वीटनर और कलर मिलाए जाते हैं। ऐसे सभी उत्पाद न केवल हमारे शरीर के लिए धीमे जहर का काम करते हैं बल्कि घातक बीमारियों की वजह भी बनते हैं। इनसे बचने का एक मात्र उपाय देसी और प्राकृतिक खानपान को डाइट में शामिल करना है।

    पोटेशियम ब्रोमेट

    इसके सेवन से कैंसर का खतरा रहता है। इसे ब्रेड और बेकरी उत्पादों में मिलाया जाता है। पोटेशियम ब्रोमेट आटे को लचीला बनाता है। इससे बनी चीजों को यदि उच्च तापमान पर नहीं पकाया जाए तो यह उनमें ही रह जाता है।

    सोडियम बेंजोएट

    सॉस, फ्रूट जूस, जैम और अचार आदि में इस प्रिजर्वेटिव का प्रयोग किया जाता है जिसका अधिक इस्तेमाल कैंसर की आशंका को बढ़ाता है।

    अनिलः ट्रांस फैट

    वेजीटेबल ऑयल में हाइड्रोजन मिलाने से उसमें ट्रांस फैट की अधिकता बढ़ जाती है। इससे उत्पाद को लंबे समय तक सुरक्षित तो रखा जा सकता है लेकिन खाने वाले के शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है जो आगे चलकर हृदयरोग या हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।

    रिफाइंड ग्रेन्स

    रिफाइंड ग्रेन्स जैसे वाइट ब्रेड, वाइट राइस व वाइट पास्ता हृदय रोगों का खतरा बढ़ाते हैं। इनमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है जिससे मोटापा बढ़ता है।

    फ्रक्टोज कॉर्न सिरप

    कृत्रिम स्वीटनर वाला हाई फ्रक्टोज कॉर्न सिरप नैचुरल स्वीटनर्स से सस्ता है। इसे वीट ब्रेड, हेम बर्गर बन, मफिन्स, बियर, सॉफ्ट ड्रिंक्स और कैचअप में मिलाया जाता है। इनसे हृदयरोग-मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।

    सोडियम नाइट्रेट

    हेम बर्गर, हॉट डॉग्स और सॉसेज आदि में इस प्रिजर्वेेटिव का प्रयोग किया जाता है। इससे अस्थमा का खतरा बढ़ता है और फेफड़ों के रोग होने की आशंका भी होने लगती है।

    एस्परटेम

    लो कैलोरी डाइट फूड और शक्कर के विकल्प के रूप में इस कृत्रिम स्वीटनर का उपयोग होता है। इसके ज्यादा इस्तेमाल से माइग्रेन, नेत्रदोष और सिरदर्द होने लगता है।

    सॉल्ट यानी नमक

    जिन खाद्य पदार्थों में नमक की मात्रा ज्यादा होती है वे स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं।

    ललिताः कई लोग बहुत ज्यादा पानी नहीं पी पाते। इस कारण उन्हें पानी की कमी हो जाती है। यदि आपके साथ भी ऐसा होता है तो चिंता की कोई बात नहीं। हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बता रहे हैं जिसके सेवन से आप पानी की कमी को दूर कर सकते हैं।

    नारियल पानी में 95 फीसदी पानी की मात्रा मौजूद होती है। दही और डेयरी प्रोडक्ट में 85 से 89 फीसदी पानी की मात्रा मौजूद होती है।

    ब्रोकली में 91 फीसदी पानी की मात्रा मौजूद होती है। पालक में 92 फीसदी पानी की मात्रा मौजूद होती है। फूलगोभी में 92 फीसदी पानी की मात्रा मौजूद होती है। टमाटर में 94 फीसदी पानी की मात्रा मौजूद होती है। खीरा में भी 96 फीसदी पानी की मात्रा मौजूद होती है। सलाद में 96 फीसदी पानी की मात्रा मौजूद होती है।

    अनिलः अब तक आपने यह सोचकर रक्तदान किया होगा कि इससे किसी और की जिंदगी बचेगी। और कुछ ऐसे लोग हैं, जो इस गलतफहमी में रक्तदान करने से कतराते हैं कि इससे उनकी सेहत प्रभावित होगी। ऐसे में आपकी सोच यह जानने के बाद बदल जाएगी कि रक्तदान करने से आपकी सेहत बनती है, न कि बिगड़ती है। यकीन नहीं होता तो जान लीजिए रक्तदान से सेहत को होने वाले फायदों के बारे में...

    नाइजीरिया के एक शोध के मुताबिक रक्तदान से जो खुशी एवं स्वास्थ्य लाभ मिलता है वह अन्य उपाय से प्राप्त नहीं किया जा सकता। खुद को सेहतमंद रखने का यह एक अच्छा तरीका है। गौरतलब है कि फिनलैंड में एक रिसर्च में 2,682 लोगों ने भाग लिया। जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन ने पाया कि 43 से 60 साल के जिन लोगों ने हर छह महीने के अंतराल पर रक्तदान किया था, उनमें हार्ट अटैक का खतरा कम निकला। रक्तदान को कैंसर के खिलाफ बड़ा हथियार माना जा रहा है। रक्तदान करने वाले में कैंसर का खतरा 95 प्रतिशत कम हो जाता है।

    नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ने बताया कि शरीर में आयरन का उच्च स्तर कैंसर को जन्म दे सकता है। इसके लिए 1200 लोगों पर रिसर्च किया तो पता चला कि हर 6 महीने में जिसने रक्तदान किया, उनमें आयरन की कमी आई। इससे कैंसर का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा रक्तदान से शरीर में जो नया रक्त बनता है, उसके सेल्स ज्यादा स्वस्थ होते हैं और नए रक्त उत्पादन से शरीर चुस्त रहता है। सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि रक्तदान विभिन्न अंगों में कैंसर के रिस्क से दूर रखता है।

    ललिताः एक यूनिट रक्‍तदान करने से हमारे शरीर से 650 कैलोरी जलती है। इससे वजन नियंत्रित रहता है। तो रक्तदान कर आप अपनी अतिरिक्त कैलोरी बर्न कर सकते हैं। इससे शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। एक नई रिसर्च के मुताबिक नियमित ब्लड डोनेट करने से दूसरी कई बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है। अस्थिमज्जा लगातार क्रियाशील बनी रहती है।

    ब्लड डोनेशन में जितना खून लिया जाता है, वह 21 दिन में शरीर फिर से बना लेता है। ब्लड का वॉल्यूम तो शरीर 24 से 72 घंटे में ही पूरा बन जाता है। रक्तदान का करने का डोनर को एक बड़ा फायदा यह है कि इससे उसकी कोई छिपी बीमारी भी सामने आ जाती है। इसका कारण यह है कि दान किए गए रक्त की सात प्रकार की जांच होती है। कोई भी गड़बड़ी होती है, तो उसका खुलासा हो जाता है।

    अनिलः चीन वैसे तो तेजी तेजी से तरक्की करने और तेज रफ्तार ट्रेने चलाने के लिए सुर्खियों में रहता है लेकिन इस बार यहां के इंजीनियर्स ने कुछ अलग कारनाम कर दिखाया है। दक्षिण चीन के चांग्शा के बाहरी इलाके में हाल ही में एक इमारत बन कर तैयार हुई है। हालांकि, ना तो इसका डिजायन बेहद आकर्षक है और ना ही इसकी ऊंचाई, लेकिन इसे बनाने में जो वक्त लगा वो किसी को भी अश्चर्य में डाल देगा।

    बीबीसी की एक खबर के अनुसार, इस 57 मंजिला इमारत को बनने में महज 19 दिन लगे हैं। इसके निर्माण का वीडियो देखने पर पता लगता है कि हर एक दिन में इंजीनियरों ने इसकी 3 मंजिलें बना कर तैयार कर दी थी। खबर के अनुसार इस इमारत को बनाने वाले हैं जैंग उइ और उनका मानना है कि ये तो बस शुरूआत है।

    इसे बनाने वाली ब्रॉड ग्रुप कंपनी ने अपनी हैंडबुक में भी अपनी सोच को उजागर करते हुए लिखा है, इंसान ने उद्योग, कृषि, यातायात और सूचना के क्षेत्र में क्रांति देखी है लेकिन अब तक इमारत बनाने के क्षेत्र में नहीं।' इसे इतनी जल्दी बनाने के पीछे के राज के बारे में बात करते हुए जैंग बताते हैं कि यह माड्यूलर क्रांती होगी। मिनी स्काई सिटी नाम की इस इमारत को हजारों फैक्ट्री निर्मित मॉड्यूल्स को खांचेनुमा ढांचे में एक साथ सजाकर तैयार किया गया।

    ललिताः उनके अनुसार, इस तकनीक से न सिर्फ तेजी से इमारत बनाना संभव है बल्कि यह एक सुरक्षित तरकीब भी है।' जैंग की चाहत है कि इस तरकीब की मदद से दुनिया की सबसे ऊंची इमारत स्काय सिटी बनाएं। फिलहाल दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का खिताब बुर्ज खलीफा के नाम दर्ज है लेकिन जैंग की 220 मंजिला 'वर्टिकल सिटी' जो की बुर्ज खलीफा से 10 मीटर ऊंची होगी उसे तैयार होने में महज 7 महीने लगेंगे। जैंग और भी इमारतें बनाना चाहतें और यह भी चाहते हैं कि वो सभी मॉड्यूलर और स्टील से बनी हो ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। जब बात सुरक्षा की आती है तो उनका कहना है कि 2008 में आए भूकंप के बाद हर कोई सोच रहा था कि सुरक्षित इमारतें कैसे बनाई जाए।

    अनिलः अब वक्त हो गया है, श्रोताओं के कमेंट शामिल करने का।

    सबसे पहले ई-मेल हमें आया हैकेसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का। लिखते हैं कि साप्ताहिक "टी टाइम" के तहत आज दी गई तमाम जानकारी भी हमें काफी सूचनाप्रद लगी। फिर चाहे वह रांची की दुर्गादेवी स्वांसी की समझदारी की बात हो या कि इटली के कुछ भूतहा समझे जाने वाले इलाकों में महज़ एक यूरो मूल्य में मकान उपलब्ध होने की जानकारी, सब कुछ हमारे सामान्य-ज्ञान में वृध्दिकारक लगा। वैसे दो कसाइयों द्वारा नियंत्रण में कर ऊँट को काटे जाने की कोशिश और फिर एक कसाई की गर्दन ऊँट के मुंह में आने के वीडियो सम्बन्धी समाचार के वास्तविक होने की सम्भावना अधिक लगती है। कब्ज़ से निज़ात पाने एक शख्स द्वारा बीयर का गिलास ही अपने मलाशय में डाल लेना उसके सनकीपन को दर्शाता है। हमें ऐसी बातों से बचना चाहिये। उपकरण में मधुमक्खी होने की सूचना के बाद ब्रिटेन के साउथेम्पटन से डबलिन जाने वाले विमान को विलम्बित किया जाना, सावधानीभरा कदम कहा जायेगा।

    ललिताः वहीं फेसबुक पर महिला द्वारा गर्भ में पल रहे अपने बच्चे की बिक्री सम्बन्धी किये गये पोस्ट के बारे में यही कहना उचित होगा कि-यह एक कोरी बक़वास है। तकनीक सम्बन्धी जानकारी में फेसबुक द्वारा लॉन्च नये एप्प "फेसबुक लाइट" तथा आमिर खान द्वारा बिना अनुमति राष्ट्रीय प्रतीक "सत्यमेव जयते" के उपयोग पर क़ानूनी नोटिस आदि जानकारियां भी अच्छी कही जायेंगी। हंसगुल्लों में भागलपुर के श्रोता भाई हेमन्त कुमार द्वारा प्रेषित जोक सहित अन्य तीनों जोक्स भी गुदगुदाने में सफल रहे। धन्यवाद। धन्यवाद सुरेश जी।

    अनिलः प्रोग्राम में अगला ई-मेल आया है, धनबाद से लोकेश कुमार का। वे लिखते हैं कि 9 जून को पेश टी टाईम कार्यक्रम में हंसगुल्ले और रोचक समाचार अच्छे लगे ।अफ्रीकी लोगों और ऐनक(Mirror) का चुटकुला खूब अच्छा लगा। इसमें पूछे सवालों का जवाब मैं भेज रहा हूं, आपके प्रोग्राम में पेश गीत भी हमें पसंद आए।

    वहीं मधुबनी, बिहार से अवधेश कुमार और दक्षिण दिनाजपुर, पश्चिम बंगाल से देबाशीष गोप ने भी ई-मेल भेजा है।

    आप सभी का शुक्रिया। आगे भी हमें कमेंट भेजते रहिए।

    अब लीजिए समय हो गया है, हंसगुल्लों यानी जोक्स का। जी हां, हंसगुल्ले तो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बनते ही हैं।

    पहला हंसगुल्ला...

    शराबी (डॉक्टर से)- क्या आप मेरी शराब छुड़वा सकते हैं?

    डॉक्टर- हां, क्यों नहीं।

    शराबी- तो पुलिस ने मेरी 20 बोतल पकड़ी हैं। प्लीज छुड़वा दो।

    दूसरा हंसगुल्ला...

    गोपू स्कूल में पढ़ाई कम और शरारतें ज्यादा करता था।

    एक दिन तंग आकर उसकी मैडम उसे डांटते हुए बोली- अगर मैं 2 दिन के लिए तेरी मां बन जाऊं, तो तुझे सुधार दूं।

    गोपू खुशी से उछलते हुए बोला, मैडम सच्ची में?

    मैं अभी जाकर पापा को बताता हूं कि आपकी लॉटरी लगने वाली है।

    तीसरा हंसगुल्ला...

    दादा (पोते से)- तेरी टीचर आ रही है। जा छुप जा।

    पोता- पहले आप छुप जाओ दादाजी। आपकी मौत के बहाने मैंने दो हफ्ते की छुट्टी ले रखी है।

    जोक्स यही तक..अब समय हो गया है, सवाल जवाब का।

    पिछले हफ्ते हमने दो सवाल पूछे थे।

    पहला सवाल था, फेसबुक ने क्या कुछ नया किया है।

    सही जवाब है, फेसबुक ने धीमी इंटरनेट स्पीड में भी चलने वाला लाइट एप तैयार किया है।

    दूसरा सवाल था, आमिर खान पर क्या आरोप लगा है।

    सही जवाब है- आमिर खान पर आरोप है कि उन्होने देश के प्रतीक का बिना इजाजत के इस्तेमाल किया है। इसके लिए आमिर खान को नोटिस भी भेजा गया है।

    इन सवालों का सही जवाब हमें लिखकर भेजा है, मधुबनी बिहार से अवधेश कुमार, मधुबनी से लोकेश कुमार, दक्षिण दिनाजपुर, पश्चिम बंगाल से देबाशीष गोप, व केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल.......आदि ने। आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया।

    अब आज के सवालों का वक्त हो गया है...

    पहला सवाल है.. किस देश में च्युंगम चबाने पर रोक है।

    दूसरा सवाल है....भूकंप के बारे में शोधकर्ताओं ने क्या खुलासा किया है।

    अगर आपको इनका जवाब पता है तो जल्दी हमें ई-मेल कीजिए या खत लिखिए।.....हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn....... अपने जवाब के साथ, टी-टाइम लिखना न भूलें।

    अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही ...अगले हफ्ते फिर मिलेंगे.....चाय के वक्त......तब तक आप चाय पीते रहिए और सीआरआई के साथ जुड़े रहिए। नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर,चाइ च्यान.....

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