चीन के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में प्राचीन लम्बे इतिहास से छोड़े गये बहुत से शहर और गढ़ विशाल गोबी व रेगिस्तान में पाये जाते हैं , पूर्वी हौलाईवूड कहलाने वाला चन पेह पाओ नामक पश्चिम फिल्म व टी.वी शहर उन प्राचीन गढ़ों में से एक है । आज के चीन के भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ इस वास्तविकता व इतिहास से जुड़ने वाले ऐतिहासिक संगम चन पेह पाओ का भ्रमण करने जा रहे हैं ।
चन पेह पाओ गढ़ पश्चिम चीन के निंगश्या हुई स्वायत्त प्रदेश की राजधानी इन छ्वान शहर के उत्तर पश्चिम से तीस किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है और वह चीन के मिंग व छिंग इन दोनों राजवंशों के कालों में निर्मित सीमांत शहर था । यह शहर पुराने व नये दोनों गढ़ों से बना हुआ है , पुराने गढ़ का निर्माण 16 वीं शताब्दी के मिंग राजवंश काल में हुआ था , सो वह मिंग शहर के नाम से जाना जाता है , जबकि नया गढ़ सन 1740 में छिंग राजवंश के छ्येन लुंग काल में बनाया गया है , इसलिये वह छिंग शहर कहा जाता है । मिंग शहर पर्वत पर स्थित होने की वजह से प्राचीन काल से ही एक सीमांत गढ़ माना जाता था और आज वह बहुत से देशी विदेशी फिल्म निर्माताओं को अपनी ओर खिंच लेता है । यहां बहुत सी टूटी फूटी झोपड़ियों व दीवारों जैसे खण्डहर फिल्म बनाने के लिये बेहद उपयोगी हैं और बहुत सी फिल्में इसी शहर में तैयार हो गयी हैं । इसीलिये चन पेह पाओ फिल्म व टी.वी शहर भी देशी विदेशी फिल्म जगत में बहुत विख्यात हो गया है ।
गाइड सुश्री न्यू शू ह्वी एक विनम्र व खुशमिजाज लड़की है , उन्हें यहां पर काम किये हुए दसेक साल हो चुके हैं और चन पेह पाओ से काफी लगाव हो गया है ।
पहले यहां का आधारभूत संस्थापन बहुत कमजोर था , आसपास न कोई रास्ता था और न बूंद का पानी , स्थिति अत्यंत शोचनीय व वीरान थी । पर इधर सालों में यहां के विकास के साथ साथ स्थिति भी बदल गयी है , साथ ही अधिकाधिक फिल्म निर्माता भी यहां आकर फिल्म बनाना पसंद करने लगे हैं । और तो और हमारे इस फिल्म व टी वी शहर की वास्तु शैली और प्रदर्शित वस्तुएं उत्तर पश्चिम चीन के परम्परागत परम्पराओं का परिचायक है , साथ ही यहां का पर्यटन कार्य भी काफी तेजी से विकसित होता गया है , इसलिये यह शहर आज बहुत प्रसिद्ध हो गया है और वह समूचे चीन के पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र भी बन गया है ।
1981 में चीन के प्रसिद्ध लेखक चांग श्येन ल्यांग ने सब से पहले अपनी रचना में चन पेह पाओ शहर का उल्लेख किया , फिर यहां पर चीनी फिल्म डायरेक्टर चांग च्युन चाओ ने प्रथम बार ही《एक और आठ》 नामक फिल्म बनायी और इस फिल्म का फोटोग्राफर वर्तमान चीन के सब से मशहूर फिल्म डायरेक्टर चांग ई मो ही हैं । उसी समय से ही फिल्म निर्देशक चांग ई मो को पश्चिमी चीन स्थित इस पुराने गढ़ से लगाव हो गया । 1988 में श्री चांग ई मो द्वारा निर्मित लाल बाजरा नामक फिल्म को बर्लिन फिल्म उत्सव में स्वर्ण भालू पुरस्कृत मिल गया , यह फिल्म इसी पुराने फिल्म शहर में निर्मित हो गयी है । इस के बाद श्री चांग ई मो ने पी ली नदी का गुणगान , पश्चिम यात्रा का विवरण और छाओ खानदान का निवास स्थान जैसी अनेक अच्छी फिल्म एक के बाद एक इसी पुराने फिल्म में निर्मित हो गय हैं , जिस से विश्व में उत्तरोत्तर चीन की फिल्मों व टी वी फिल्मों और पश्चिम चीन के बारे में ज्यादा जानकारियां करायी गयी है ।
हमारी गाइड सुश्री न्यु शू ह्वी ने चन पेह पाओ के लम्बी हस्ताक्षरित दीवार की ओर इशारा करते हुए कहा
हम इसी दीवार पर चीनी प्रसिद्ध कलाकारों के अनौखा हस्ताक्षरित नाम देख सकते हैं । आप जरा इधर देखिये , वह तो चीनी फिल्म जगत के असाधारण हस्ति चांग ई मो का हस्ताक्षर नाम ही है , उन्हों ने अपना नाम इतने अजीब ढ़ंग से लिखा है कि आम लोग पढ़कर पहचान नहीं पाते हैं । उधर भी देखिये , वहां पर मशहूर चीनी फिल्म स्टारों को यो , छन ताओ मिंग , च्यांग वन और चू इंग व चाओ शिंग ची जैसी अनेक हस्तियों के हस्ताक्षरित नाम भी अंकित हुए हैं ।
छिंग छंग की तुलना में मिंग छंग में मिट्टी से निर्मित कच्चे मकान ज्यादा देखने को मिलते हैं । यहां की वीरान स्थिति देखने के बाद आप कल्पना नहीं कर सकते हैं कि पिछले लम्बे अर्से से हवाओं व वर्षाओं की थपेड़ों से बचे खुचे टूटे फूटे मकानों के सहारे फिल्म कलाकारों ने सुंदर ध्यानाकर्षक फिल्में तैयार कर रखा हैं । लाल बाजरा नामक उन में से एक है , प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक चांग ई मो ने यह फिल्म बनाने से एक समय फिल्म जगत में एकदम धूम मचायी । यहां खड़े होकर पर्यटकों को लाल बाजरा नामी फिल्म में मदिरा पेश करने के हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण का आभास होता है ।
भीतरी चीन से आयी एक पर्यटक सुश्री ली चुन ने यहां पर फोटो खिंचने के बाद अपना अनुभव बताते हुए कहा
ऐसा कहा जा सकता है कि यहां का प्राकृतिक दृश्य दक्षिण चीन से बिल्कुल अलग है , मुझे यहां का दृश्य ज्यादा पसंद है । यहां का खुला वातावरण दक्षिण चीन में देखने को नहीं मिलता है ।
उत्तर चन पेह पाओ से दो सौ मीटर की दूरी पर शिन पाओ यानी छिंग छंग अवस्थित है । यह छिंग छंग मिंग छंग से काफी अच्छी तरह सुरक्षित हुआ है । हालांकि छिंग छंग की चार दीवारों का मिट्टी गेट कब से हटाया गया है , पर 2000 में सांस्कृतिक विभाग के अनुमोदन से स्थानीय लोगों ने कई सौ किलोमीटर दूर कू य्वान पहाड़ी गढ़ के खण्डहर की खुदाई में प्राप्त पुराने ईंटों से फिर एक बार वह गेट खड़ा कर दिया , अब यह छिंग छंग अपनी पुरानी वास्तु शैली के रूप में लोगों पर मोहित हो गया है ।
छिंग छंग में प्रवेश होते ही फिल्म में दिखायी जाने वाली रौनकदार सड़क नजर आती है । सड़क के दोनों किनारों पर खड़ी मिट दुकान , बैंक , चायघर , कपड़ा दुकान और आपेरा मंच जैसे निर्माण हजारों वर्ष पुरानी चीनी विशेषाओं वाली सड़क दृश्य का परिचायक हैं । इन निर्माणों में आपेरा मंच सब से ध्यानाकर्षक रहा है , इस मंच पर प्रतिदिन दिलचस्प विविधतापूर्ण विषयों वाले आपरा पेश किया जाता है ही नहीं , पर्यटक अपनी रूचि के अनुसार मुफ्त में आपेरा परिधान उधार कर आपेरा या नाटक मंच पर भी पेश कर सकते हैं या खुद रचित फिल्म बना लेते हैं । पूर्वी चीन के च्यांग सू प्रांत से आये पर्यटक श्री च्यांग हाई फंग ने बड़ी प्रसन्नता के साथ समीक्षा करते हुए कहा
सुना जाता है कि निंगशा हुई स्वायत्त प्रदेश आने के बाद फिल्म व टी वी शहर देखना जरूरी है । क्योंकि यहां छिंग व मिंग राजवंशों के पुराने अवशेष पाये जाते हैं । यहां बहुत सी वस्तुएं दूसरे शहरों में देखने को नहीं मिलती हैं । और तो और बहुत सी फिल्मों में दिखाई जाने वाली वस्तुएं भी यहां पर उपलब्ध भी हैं ।
यदि पर्यटक छिंग छंग के गेट पर चढ़कर दूरी पर नजर दौड़ाये , तो उत्तर निंग शा ह्वी स्वायत्त प्रदेश में स्थित हो लान पर्वत का सौंदर्य लोगों को इतना मोह लेता है कि लोग फिल्मों में दिखाये जाने वाली कहानियों और आधुनिक वास्तविता को अलग करने में असमर्थ हो गये हैं । फिर यह फिल्म व टी वी शहर के नाम से नामी चन पेह पाओ च्यों का त्यों उत्तर पश्चिम चीन की विशाल भूमि पर खड़ा होकर देशी विदेश पर्यटकों का सत्कार करता रहा है ।