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    संडे की मस्ती 2015-04-19
    2015-04-20 09:09:13 cri

     


    हैलो दोस्तों...नमस्कार...नीहाओ...। आप का स्वागत है हमारे इस चटपटे और laughter से भरे कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में। मैं हूं आपका दोस्त और होस्ट अखिल पाराशर।

    दोस्तों, हर बार की तरह आज के इस कार्यक्रम में होंगे दुनिया के कुछ अजब-गजब किस्से और करेंगे बातें हैरतंगेज़ कारनामों की.... इसी के साथ ही हम लेकर आये हैं मनोरंजन और मस्ती की सुपर डबल डोज, जिसमें होंगे चटपटे चुटकुले, ढेर सारी मस्ती, कहानी और खूब सारा फन और चलता रहेगा सिलसिला बॉलीवुड और चाइनिज गानों का भी।

    दोस्तों, आज कार्यक्रम को पेश करने में मेरा साथ दे रही है मेरी सहयोगी वनिता जी...।

    वनिता- हैलो... दोस्तों, आप सभी को वनिता का प्यार भरा नमस्कार।

    अखिल- दोस्तों, हमें खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि आज के इस अंक में आपके प्यारे खत और लेटर्स शामिल नहीं किये जाएंगे। पर हम आपसे वायदा करते हैं कि अगले अंक में आपके लेटर्स जरूर पढ़े जाएंगे। चलिए, हम प्रोग्राम की शुरूआत करते हैं एक चीनी गाने से।

    वनिता- इस गीत को गाया है चीन की फेमस सिंगर सीछिनकोली। गीत का शीर्षक है प्यार फूल जैसा है। गीत के बोल हैं, एक सेंकड का समय प्रयाप्त है, शायद बाद में हमें फिर नहीं मिलेगा। समय धीरे-धीरे बिताता है। हमारे प्यार फूल जैसा सुन्दर है। आइए.. सुनते हैं...

    अखिल- वैल्कम बैक दोस्तों, आप सुन रहे हैं संडे के दिन, मस्ती भरा कार्यक्रम संडे की मस्ती Only on China Radio International

    दोस्तों, इन दिनों यूपी बोर्ड के एग्जाम में पास होने के लिए बच्चे अनोखे तरीके अपना रहे हैं।

    'मैं परिवार में सौतेली बेटी हूं। अगर फेल हुई, तो मेरे साथ सौतेला व्यवहार किया जाएगा। मैं बहुत गरीब परिवार से आती हूं और आपको (एग्जामिनर) को इम्प्रेस करने के लिए अपनी कॉपी के साथ असली नोट भी नहीं लगा सकती। प्लीज़ मुझे पास कर दो।'

    उत्तर प्रदेश बोर्ड के एग्जाम की होम सायेंस की कॉपियां जांचते वक्त एग्जामिनर सरोज उपाध्याय को यह मेसेज एक स्टूडेंट की कॉपी के आखिर में लिखा हुआ मिला। जैसे ही उन्होंने यह बाकी एग्जामिनर्स को पढ़कर सुनाया, सब ठहाका मारने लगे। उनकी कॉलीग रीना शार ने तो दो कॉपियों में यह लिखा हुआ पाया, 'जून में मेरी शादी फिक्स होगी। रिजल्ट मेरी शादी से पहले आ जाएंगे, इसलिए आपसे गुजारिश है कि मुझे पास कर दो। अगर मैं फेल हुई तो लड़के वाले शादी तोड़ देंगे।'

    टीचर्स को सिर्फ इस तरह की प्रार्थनाएं ही नहीं मिलतीं, धमकियां भी मिलती हैं। एक कॉपी में लिखा था, 'मुझे फेल मत करना। मैं खुदकुशी कर लूंगा और भूत बनकर तुम्हें डराऊंगा।' कुछ कॉपियों में तो एग्जामिनर को लुभाने के लिए करंसी नोट चिपकाए गए होते हैं, ताकि बदले में वह ज्यादा मार्क्स दे दे। कॉपी चेक करना काफी प्रेशर भरा काम है, मगर इस तरह की धमकियां, गुजारिशें वगैरह पढ़कर टीचर थोड़े खिलखिलाकर फ्रेश हो जाते हैं।

    यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं की कॉपियां चेक कर रहे टीचर्स के मुताबिक स्टूडेंट्स कुछ भी अनाप-शनाप लिख देते हैं। इंग्लिश की आंसर कॉपी में एक स्टूडेंट ने नर्सरी की कविताएं लिख दी थीं, वह भी अपने स्टाइल में। एक अन्य स्टूडेंट ने तो यह पूरी कहानी ही लिख दी कि कैसे उसके गरीब परिवार ने उसे पढ़ाने के लिए संघर्ष किया है और उसके फेल हो जाने से मां को कितना सदमा पहुंचेगा। उसने लिखा था कि पिता के निधन के बाद अब पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी पर है। उसे अकेले ही मां और 11 बहनों का ख्याल रखना है।

    कुछ स्टूडेंट्स ने तो खराब सेहत और बीमारियों का बहाना बनाया है। फिजिक्स की कॉपी में एक स्टूडेंट ने लिखा था, 'मैं दसवीं क्लास में टॉपर था, लेकिन हाथ में सूजन की वजह से मैं एग्जाम में लिख नहीं पा रहा हूं। रहम करते हुए मुझे 33 में से 30 मार्क्स दे दीजिए, ताकि मैं टॉपर बना रहूं।'

    कुछ कॉपियों में तो स्टूडेंट्स ने अजीब गालियां लिखी हुई थीं। एक ने लिखा था- अगर तूने मुझे पास कर दिया तो तू मेरा जीजा और नहीं किया तो मैं तेरा जीजा।

    वनिता- हा हा हा हा... क्या दिलचस्प बात बतायी आपने अखिल जी। पर अफसोस होता है, उन बच्चो के मां-बाप पर, जो सोचते हैं कि उनके बच्चे ईमानदारी से पढ़ाई करके उनका नाम रोशन करेंगे।

    अखिल- जी हां वनिता जी। वाकई में अफसोस तो होता है और दुख भी होता है। चलिए... मैं ईमानदारी की मिसाल पेश करने वाले ऑटो ड्राइवर के बारे में बताता हूं, जिसे सुनने के बाद हम सभी का मन खुशी से झूम उठेगा।

    दोस्तों, आज के समय में भी हम अपने आस-पास कई ऐसी घटनाएं देखते हैं जिनसे अहसास होता है कि ईमानदारी और मानवता अभी जिंदा हैं। ऐसी ही दिल को छू लेने वाली एक घटना चेन्नै में हुई। यहां एक ऑटो ड्राइवर ने एक शख्स के एक लाख रुपये वापस लौटा दिए। वह शख्स बाइक से जा रहा था और एक लाख रुपयों से भरा उसका बैग नीचे गिर गया था।

    36 साल एन. रमेश कु्मार जे.जे नगर में ऑटो चला रहे थे। उन्होंने देखा कि कोई बाइकर तेजी से जा रहा था और उसका एक बैग बाइक से नीचे गिर गया। रमेश ने अपनी ऑटो रोकी और बैग उठाया। जब उन्होंने बैग खोला तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। बैग में एक लाख रुपये थे।

    इससे पहले कि रमेश बाइकर को रोककर उसके पैसे लौटाते, वह दूर निकल चुका था। फिर उन्होंने ऑटो से उसका पीछा करके उसे रुपये लौटाने का फैसला किया। उन्होंने बताया, 'मैंने लगभग आधा किलोमीटर तक उसका पीछा किया लेकिन इसके बाद वह पुल से नीचे उतर गया और फिर बाइकर्स की भीड़ में खो गया। इसके बाद मैंने वह बैग पुलिस को सौंपने की सोची।'

    रमेश ने बाइक का रजिस्ट्रेशन नंबर नोटिस नहीं किया था लेकिन बैग में एक पर्ची थी जिसके जरिए ओनर को ढूंढ लिया गया। पर्चे में एक मंदिर के ट्रस्ट का नंबर था। उन नंबर पर कॉल करने पर पता चला कि वह पैसा उन्हीं का था। पुलिस ने उनसे कहा कि वे पुलिस स्टेशन से आकर पैसे ले लें। बाद में मंदिर के ट्रस्टी एम.आर.के. लिंगम को कैश लौटा दिया गया।

    लिंगम ने ऑटो ड्राइवर रमेश कुमार का दिल से धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि यह पब्लिक का पैसा है और इसे नेक काम के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। बाद में पता चला कि बाइकर ने वे पैसे बिना गिने ही बैग में रख लिए थे। उसने सोचा था कि वह घर पहुंचकर पैसे गिनेगा।

    पुलिस ऑफिशल्स ने भी रमेश की ईमानदारी की तारीफ की। रमेश ने कहा, 'मैं ऑटो चलाकर काम भर के पैसे कमा लेता हूं। मैं उतने से अपने परिवार को खुश रख सकता हूं। अगर मैं आर्थिक तंगी से गुजर रहा होता तो भी ये पैसे न लेता। मेरी जिंदगी में लालच के लिए कोई जगह नहीं है। मुझे पता कि अगर आप गलत तरीके से पैसे कमाते हैं तो परेशान रहते हैं।'

    डेप्युटी कमिश्नर आर. सुधाकर ने कहा कि ऑटो ड्राइवर ने लोगों के लिए अच्छी मिसाल पेश की है। रमेश ने जो काम किया है उसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। लिंगम अपने पैसे पाकर बेहद खुश हुए वहीं रमेश भी काफी खुश नजर आए।

    वनिता- अरे वाह... वाकई में, उस ऑटो ड्राइवर ने ईमानदारी की एक अच्छी मिसाल पेश की है। हमारी तरफ से उस ऑटो ड्राइवर को सलाम

    वनिता- चलिए, मैं एक ऐसे टीचर के बारे में बताती हूं जो रस्सी के सहारे हर रोज पढ़ाती है।

    दोस्तों, चीन के हुबेई प्रांत में एक महिला के जज्बे की जितनी तारीफ की जाएं कम है। 49 साल की झू यूफांग चीन के चेंगुई कस्बे की शानग्लुओ स्कूल में टीचर हैं। स्पाइनोसेरेबेरल एटाक्सिया नाम की बीमारी से ग्रस्त झू पिछले तीन साल से रस्सी के सहारे बच्चों को पढ़ा रही है। उसके पांव इतने कमजोर है कि वह खड़ी तक नहीं हो सकती, पैरों का तालमेल भी कमजोर है, इसलिए छड़ी का भी इस्तेमाल नहीं कर सकती।

    बीमारी से हार न मानने वाली झू को तीन साल पहले ही अपनी बीमारी का पता चला। स्कूल ने झू से कहा कि वह चाहे तो घर पर रह सकती हैं और उसे वेतन मिलता रहेगा। झू ने स्कूल के ऑफर को ठुकराते हुए पढाऩा नहीं छोड़ा। झू बच्चों की फेवरेट टीचर है, इसलिए उसकी क्लास में बच्चे शोर भी नहीं करते। झू पिछले 31 साल से इसी स्कूल में है।

    झू के पति हुआंग भी उसे काफी सपोर्ट करते है। इसलिए हुआंग जब फ्री होते हैं अपनी पत्नी की मदद के लिए उसकी कक्षा में आ जाते हैं और बच्चों का ध्यान रखते हैं।

    अखिल- वाह.. हम उस टीचर के जज्बे को सलाम करते हैं। सच में, आज के समय में ऐसे टीचर ढूंढना बहुत मुश्किल है। चलिए दोस्तों, मैं आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहा हूं जो पहले मजदूर थी पर 9 साल में बन गई चीन की सबसे अमीर लेडी।

    दोस्तों, यो छुनफेई को चीन की सबसे धनी महिला आंका गया है। उनकी संपत्ति लगभग आठ अरब डालर है और वे टचस्क्रीन ग्लास बनाने वाली एक कंपनी की मालकिन हैं। एप्पल व सैमसंग जैसी कंपनियां इस कंपनी से टचस्क्रीन ग्लास खरीदती हैं। फोर्ब्स की सूची के अनुसार च्यो छुनफेई को 'क्वीन आफ मोबाइल फोन ग्लास' कहा जाता है। उन्होंने इस लिहाज से बीजिंग रेड सेंडलवुड क्लचरल फाउंडेशन की संस्थापक चान लाइवा को पछाड़ दिया है। यो छुनफेई की फर्म लेंस टेक्नोलाजी का शेयर मूल्य बढकर 78.08 युआन प्रति शेयर हो गया। कंपनी 18 मार्च को शेनचेन के ग्रोथ एंटरप्राइज मार्केट बोर्ड में सूचीबद्ध हुई थी।

    यो छुनफेई के इस मुकाम तक पहुंचने की कहानी भी किसी फिल्मी कथा से कम नहीं है। 1970 में चीन के एक छोटे से गांव में जन्मी च्यो ने घडिय़ों के लिए ग्लास बनाने वाले एक कारखाने में काम किया। उन्होंने 2003 में खुद की कंपनी बनाई। इस कंपनी में अब 60,000 लोग काम करते हैं और इसकी 10 अनुषंगी कंपनियां हैं।

    वनिता- हम्म्म्..... सच में, उस महिला की हिम्मत और जज्बे की दात देनी होगी। जो अपने बलबूते पर आज एक कंपनी की मालकिन बन गई है। चलिए दोस्तों, अभी हम सुनते हैं एक हिन्दी गाना... उसके बाद आपके ले चलेंगे हमारे मनोरंजन के दूसरे सेगमेंट की तरफ...

    अखिल- दोस्तों, आपका एक बार फिर स्वागत है हमारे इस मजेदार कार्यक्रम संडे की मस्ती में... मैं हूं आपका दोस्त एन होस्ट अखिल।

    दोस्तों, हर जगह चाहे चीन हो, या भारत, या कोई अन्य देश, साल के 12 महीनों की ही तरह 12 राशियां भी मानी जाती हैं। चीनी कैलेंडर में कुछ खास जानवर इसके प्रतीक होते हैं और उनके बारे में प्रचलित कहानियां भी काफी दिलचस्प हैं। चलिए.. आज हम आपको बताते हैं चीनी कैलेंडर के प्रतीकों के ख़ास मायने

    चूहा 鼠

    साल 2008 चूहे का अंतिम साल था. तब रूस में इसकी लोकप्रियता के नए रिकार्ड बन गए. चीन के इस पड़ोसी देश में पालतू पशुओं की दुकानों से चूहे हाथों हाथ बिक गए. साल 2020 फिर होगा चूहों का साल.

    बैल 牛

    दक्षिण कोरिया में बैल को लेकर एक मजेदार कहावत प्रचलित है. अगर कोई आपकी बात ना सुन रहा हो, तो कहते हैं, "पूरा बौद्ध ग्रंथ बैल के कान में पढ़ दिया."

    बाघ 虎

    प्राचीन चीन में बाघ को "पहाड़ों का राजा" माना जाता था, जो सभी दूसरे जानवरों पर राज करता था. कहानियां हैं कि जब बाघ 500 साल का हो जाता है तब वह सफेद रंग का हो जाता है. शायद इसीलिए आज भी कई लोग उन्हें मृतात्माओं का संरक्षक मानते हैं.

    खरगोश 兔

    चीनी पौराणिक कथाओं में खरगोश को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है. प्राचीन काल में मान्यता थी कि खरगोश चंद्रमा पर रहते थे. एक कहानी तो ऐसी भी है कि खरगोश एक लड़की के रूप में घोड़े, बाघ या शेर पर सवार होकर चंद्रमा से बीजिंग में उतरा था, और महामारी से मर रही पूरी आबादी की जान बचाई थी.

    ड्रैगन 龍

    एक समय पर ड्रैगन चीनी बादशाहों का प्रतीक हुआ करता था. चीनी राशि चक्र का यह एकलौता काल्पनिक पशु है, और इसे शाही सफलता और प्रसन्नता का चिन्ह मानते हैं.

    सांप 蛇

    माना जाता है कि जिन लोगों का जन्म सांप के साल में हुआ, वे अच्छाई और महानता के रास्ते पर चलते हैं. जॉन एफ केनेडी, पाब्लो पिकासो, ऑड्री हेपबर्न जैसे लोग सांप के साल में जन्मे थे. इसके अलावा चीनी मान्यता है कि मानव की रचना नू वा ने की, जो कि आधी महिला और आधी सांप थीं.

    घोड़ा 馬

    2014 घोड़े का साल था. इस साल चीन में बेबी बूम यानि खूब सारे बच्चों का जन्म दर्ज हुआ. चीन के कुछ हिस्सों में तो बीते साल इतने नवजात आए कि सरकारी दफ्तरों में जन्म के पंजीकरण वाले दस्तावेज कम पड़ गए.

    बकरी 羊

    बकरी या भेड़ के साल में पैदा हुए बच्चों को बोरिंग और महात्वाकांक्षारहित माना जाता है. इस धारणा के चलते कई लोग इस साल में बच्चे पैदा नहीं करना चाहते. 2015 भी भेड़ का साल है.

    बंदर 猴

    चीनी पौराणिक कथाओं में बंदर के कई प्रकार होते हैं. लंबे हाथों वाला प्राइमेट "शियाओ" या फिर पहाड़ों में पाया जाने वाला इंसानी शक्ल से मिलता जुलता और कपि जैसे शरीर वाला बंदर. यहां बंदरों के साथ कई दैवीय शक्तियों को जोड़कर भी देखा जाता है.

    मुर्गा 雞

    चीन में सुबह सुबह देसी मुर्गे की बांग को ना केवल एक नई शुरुआत, बल्कि बुरी आत्माओं को दूर भगाने का प्रतीक भी मानते हैं. माना जाता है कि कॉकेरेल उसी दिन बना था जिस दिन स्वर्ग और धरती का निर्माण हुआ. इसके बाद आए कुत्ता, बकरी, सूअर, बैल और घोड़ा.

    कुत्ता 狗

    आज जितनी भी फसलें हैं उनके लिए इंसान को कुत्तों का अहसानमंद होना चाहिए- ऐसी चीनी मान्यता है. दक्षिणी चीन में एक मिथक यह भी है कि एक समय पर कुत्ते की नौ पूंछें हुआ करती थीं. लेकिन आठ पूंछें स्वर्ग से इंसान के लिए बीज चुरा कर लाते समय देवों के साथ हुई लड़ाई में चली गईं.

    सूअर 豬

    सूअर का चीनी मिथकों में खास स्थान है. शोधकर्ता मानते हैं कि चीनी ही वे पहले लोग थे, जिन्होंने पहली बार करीब 10,000 साल पहले जंगली सूअर को पालतू बनाया था. हान कुल में किसी की मृत्यु के बाद उसके शव के साथ मिट्टी के बने छोटे से सूअर, बैल, भेड़ और कुत्ते भी दफनाने की परंपरा था.

    वनिता- तो दोस्तों, ये थे चीनी कैलेंडर के प्रतीकों के ख़ास मायने। चलिए दोस्तों, अभी अखिल जी से एक प्रेरक प्रसंग सुनते हैं, उम्मीद है कि आपको जरूर पसंद आएगी। इस प्रेरक प्रसंग की शीर्षक है- सफलता का पाठ

    अखिल- दोस्तों, इमरान ने बड़े उत्साह के साथ एक बिज़नेस की शुरुआत की , पर 5-6 महीने बाद किसी बड़े घाटे की वजह से उसे बिज़नेस बंद करना पड़ा। इस कारण से वह बहुत उदास रहने लगा। और काफी समय बीत जाने पर भी उसने कोई और काम नहीं शुरू किया। इमरान की इस परेशानी का पता प्रोफेसर कृष्णन को लगा, जो पहले कभी उसे पढ़ा चुके थे। उन्होंने एक दिन इमरान को अपने घर बुलाया और पूछा, " क्या बात है आज-कल तुम बहुत परेशान रहते हो ?"

    "जी कुछ नहीं बस मैंने एक काम शुरू किया था पर मैं जैसा चाहता था वैसे रिजल्ट्स नहीं आये और मुझे काम बंद करना पड़ा, इसीलिए थोड़ा परेशान हूँ।", इमरान बोला ।

    प्रोफेसर बोले, "ये तो होता ही रहता है, इसमें इतना मायूस होने की क्या बात है।

    लेकिन मैंने इतनी कड़ी मेहनत की थी, मैं तन-मन-धन से इस काम में जुटा था, फिर मैं नाकामयाब कैसे हो सकता हूँ।" , इमरान कुछ झुंझलाते हुए बोला।

    प्रोफेसर कुछ देर के लिए शांत हो गए, फिर कुछ सोच कर उन्होंने कहा, इमरान, मेरे पीछे आओ, टमाटर के इस मरे हुए पौधे को देखो।"

    ये तो बेकार हो चुका है, इसे देखने से क्या फायदा।, इमरान बोला।

    प्रोफेसर बोले, मैंने जब इसे बोया था तो हर एक वो चीज की जो इसके लिए सही हो। मैंने इसे समय-समय पर पानी दिया, खाद डाला, कीटनाशक का छिड़काव किया, पर फिर भी ये मृत हो गया।

    "तो क्या?", इमरान बोला ।

    प्रोफेसर ने समझाया, "चाहे तुम कितना भी प्रयास करो, पर अंततः क्या होता है तुम उसे तय नहीं कर सकते। बस तुम उन्ही चीजों पर कंट्रोल कर सकते हो जो तुम्हारे हाथ में हैं, और बाकी चीजों को तुम्हे भगवान पर छोड़ देना चाहिए।

    "तो मैं क्या करूँ? अगर कामयाबी की गारंटी नहीं है तो फिर प्रयास करने से क्या फायदा?", इमरान बोला ।

    "इमरान, बहुत से लोग बस इसी एक्सक्यूज का सहारा लेकर अपनी लाइफ में कुछ बड़ा करने का प्रयास नहीं करते कि जब सफलता की स्योरटी ही नहीं है तो फिर ट्राई करने से क्या फायदा !", प्रोफेसर बोले ।

    "हाँ , ठीक ही तो सोचते हैं लोग। इतनी मेहनत, इतना पैसा, इतना समय देने के बाद भी अगर सफलता चांस की ही बात है, तो इतना सब कुछ करने से क्या फायदा। ", इमरान बाहर निकलते हुए बोला ।

    रुको-रुको, जाने से पहले जरा इस दरवाजे को खोलकर तो देखो।", प्रोफेसर ने एक दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा।

    इमरान ने दरवाजा खोला, सामने बड़े-बड़े लाल टमाटरों का ढेर पड़ा हुआ था ।

    "ये कहाँ से आये?", इमरान ने हैरानी से पूछा।

    "बेशक, टमाटर के सारे पौधे नहीं मरे थे। अगर तुम लगातार सही चीजें करते रहो, तो सक्सेस पाने के तुम्हारा चांस बहुत बढ़ जाता है। लेकिन अगर तुम एक-दो फेलियरस की वजह से हार मान कर बैठ जाओ तो तुम्हे लाइफ कोई भी रिवॉर्ड नहीं देती।", प्रोफेसर ने अपनी बात पूरी की।

    इमरान अब सफलता का पाठ पढ़ चुका था, वह समझ गया कि उसे अब क्या करना है और वो एक नए जोश के साथ बाहर निकल पड़ा।

    दोस्तों , इमरान की तरह ही बहुत से लोग अपनी किसी एक असफलता को ही आगे प्रयास न करने की वजह बना लेते हैं । और ये सच है कि हम चाहे जितने भी प्रयास कर लें final outcome क्या होगा हम इस पर control नहीं कर सकते ,पर ये भी सच है कि जो लोग सफलता का स्वाद चखने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं उन्हें आज नहीं तो कल वो मिल ही जाती है। याद रखिये कि हर एक नाकामयाबी; कामयाबी की तरफ ही एक कदम होता है।

    वनिता- तो दोस्तों, ये थी एक प्रेरक कहानी, जो हमें एक अच्छी सीख देती है कि सफलता पाने के लिए हमें लगातार प्रयास करते रहना चाहिए। चलिए, अभी सुनते हैं एक मोटिवेशनल ओडियो, जिसमें भारत के जाने माने मोटिवेशन गुरू डॉ. स्नेह देसाई मोटिवेशन के गुर बता रहे हैं।

    वनिता- तो दोस्तों, यह था मोटिवेशनल की बातें, चलिए अब चलते हैं हंसी-खुशी की दुनिया में जहां सुनाए जाएंगे चटपटे और मजेदार जोक्स।

    अखिल- दोस्तों, एक पागलखाने में एक पत्रकार ने डॉक्टर से प्रश्न किया : आप कैसे पहचानते हैं कि कौन मानसिक रोगी है और कौन नहीं ?

    डॉक्टर : हम एक बाथटब पानी से पूरा भर देते हैं और मरीज को एक चम्मच एक गिलास और एक बाल्टी देकर कहते हैं कि वह बाथटब को खाली करे।

    पत्रकार : अरे वाह, बहुत बढ़िया। यानी जो नार्मल व्यक्ति होता होगा वह बाल्टी का उपयोग करता होगा, क्योंकि बाल्टी चम्मच और गिलास से बड़ा होता है।

    डॉक्टर : जी नहीं, नार्मल व्यक्ति बाथटब में लगे हुए ड्रेन प्लग को खींच कर टब को खाली करता है। आप 39 नंबर वाले बेड पर जाइए, ताकि हम आप की पूरी जांच कर सकें।

    दोस्तों, अगर आपने भी बाल्टी ही सोचा था तो कृपया बेड नंबर 40 पर जाइए। (हंसी की आवाज)

    दोस्तों, एक सजी-धजी महिला अपने पति के साथ एक डेंटिस्ट के क्लीनिक गई। महिला बोली : "एक दाँत निकलवाना है......! पर सिर्फ दस मिनट में.......! कोई एनेस्थिसिया, बेहोशी या पेन किलर की जरूरत नहीं .....थोड़ा बहुत दर्द होता है। तो होने दो....! पर जल्दी.....! मुझे एक किटी पार्टी में जाना है...! "

    डाक्टर ने कहा:- "अरे, कमाल है.....? गजब की बहादुर महिला हैं आप...! आइए इक्जामिन चेयर पर लेट जाइए! दिखाइए कौन सा दाँत है...! "

    महिला अपने पति से कहती है, "जाओ, लेट जाओ....और बता दो, कौन सा दाँत है..!"

    एक सरदार टीटी से कहता है : मुझे सुबह 4 बजे लुधियाना में उठा देना। अगर में ना जागू तो ज़बरदस्ती उतार देना..

    जबसुबह 8 बजे सरदार जागा तो लुधियाना निकल चूका था और ट्रेन अमृतसर पहुँच रही थी ..

    सरदार टीटी को खूब गालियाँ देने लगा... टीटी चुपचाप था। लोगों ने टीटी से कहा : वो इतनी गालियाँ दे रहा है और तुम चुपचाप सुन रहे हो ?

    टीटी बोलता है : वाहे गुरु की कसम, मैं यह सोच रहा हूँ की सुबह 4 बजे जिस सरदार को ज़बरदस्ती उतार दिया था, वो कितनी गालियाँ दे रहा होगा

    एक बार Pappu ऑमलेट बना रहा था। उसने जैसे ही अंडा तोड़ा तो अंडा खाली निकला। Pappu हैरान होकर बोला, साला, घोर कलयुग है!! अब मुर्गियां भी अबॉर्शन कराने लगी हैं।

    चलिए, दोस्तों, सुनते हैं एत मजेदार ओडियो जोक, कैसे एक आदमी अपने हलकत सवालों से दूसरे को मार देता है।

    अखिल- दोस्तों, इसी के साथ हम आपसे विदा लेते हैं। अब हमारा जाने का वक्त हो चला है... अगले हफ्ते हम फिर लौटेंगे, इसी समय, इसी दिन अपनी मस्ती की पाठशाला लेकर। हम हमेशा यही कामना करते हैं कि आप सभी हर दिन हंसते रहें, मुस्कराते रहें, और ढेर सारी खुशियां बांटते रहें। क्योंकि आप तो जानते ही हैं कि Laughing and Happiness are the best medicine यानि हंसना और खुशिया सबसे बढ़िया दवा है। तो आप Always be happy.... हमेशा खुश रहो.....और सुनते रहो हर रविवार, सण्डे की मस्ती। आप हमें लेटर लिखकर या ई-मेल के जरिए अपनी प्रतिक्रिया, चुटकुले, हंसी-मजाक, मजेदार शायरी, अजीबोगरीब किस्से या बातें भेज सकते हैं। हमारा पता है hindi@cri.com.cn। हम अपने कार्यक्रम में आपके लैटर्स और ईमेल्स को जरूर शामिल करेंगे। अभी के लिए मुझे और वनिता जी को दीजिए इजाजत। गुड बॉय, नमस्ते।

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