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    आप की पसंद 150214
    2015-02-14 18:27:19 cri

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली– श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईश पत्र लिख भेजा है पूज्य महात्मा गांधी श्रोता संघ से मुकुन्द कुमार तिवारी और इनके परिजनों ने आपने हमें पत्र लिखा है पिपरही, ज़िला शिवहर, बिहार से आपने जिस गाने को सुनने के लिये हमें पत्र लिखा है उस फिल्म का नाम है दूर का राही गायक हैं किशोर कुमार और सुलक्ष्णा पंडित, गीतकार हैं ए. इरशाद और संगीत दिया है किशोर कुमार ने, गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. बेकरार दिल तू गाये जा .....

    पंकज – तो मित्रों इस मधुर गीत के साथ ही शुरु करते हैं आपको आश्चर्यजनक जानकारी देने का सिलसिला, ये जानकारी हमारे पास आई है यूरोपीय देश नीदरलैंड से। नीदरलैंड में शोधकर्ताओं की एक टीम ने नमक वाली ज़मीन पर भी पैदा होने वाला आलू बनाया है।

    उनका मानना है कि इससे दुनिया भर में खाद्य पदार्थों के उत्पादन में क्रांति आ जाएगी.

    कई देश खेती की ज़मीन को नमक रहित बनाने में दसियों लाख डॉलर खर्च करते हैं, ताकि जोत की ज़मीन को फसल पैदा करने के लायक बनाया जा सके.

    नीदरलैंड में प्रयोग के तौर पर शोधकर्ताओं ने नमकयुक्त ज़मीन में आलू पैदा करके दिखाया है. यह प्रयोग नीदरलैंड के टेक्सेल में किया गया है.

    शोधकर्ता अर्जेन डी वोस का कहना है,"पहले साल में ही हमें इसमें सफलता मिल गई थी. लेकिन हमने किसी को बताया नहीं. हमें लगा कि जरूर हम कुछ ग़लत कर रहे हैं. यह संभव नहीं है कि नमक वाली ज़मीन पर इतने अच्छे से आलू पैदा हो सकता है, जबकि दुनिया यह नहीं मानती है."

    उम्मीद

    अर्जेन अब नमयुक्त ज़मीन पर अन्य फलों और सब्जियों की पैदावार का परीक्षण करने जा रहे हैं.

    नीदरलैंड में आलू का बहुत बड़ा बाज़ार है. पैदावार के लिहाज से नीदरलैंड में आलू तीसरी सबसे बड़ी फसल है.

    छह टन यह आलू पाकिस्तान भेजा गया है. पाकिस्तान के सिंध प्रांत में इस आलू को रोपा जा रहा है.

    पृथ्वी का 70 फ़ीसदी हिस्सा समुद्र से घिरा हुआ है. दुनिया भर में 25 करोड़ लोग नमक प्रभावित ज़मीन वाले क्षेत्र में रहते हैं.

    शोधकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि इससे बेकार पड़ी ज़मीन पर फसल उगाने में मदद मिलेगी. इसकी संभावनाएं वाकई में उम्मीद जगाने वाली हैं.

    अंजली– ये जानकारी बहुत काम की है, मैंने भी सुना है कि भारत में तटीय भूमि जो की नमक वाली होती है वहां पर कोई फसल नहीं होती और राजस्थान में मकराना के पास सांभर झील की पूरी भूमि नमकीन है इसलिये वहां पर भी कोई फसल नहीं होती है, इस नए शोध से बढ़ती हुई जनसंख्या का पेट भरने और कृषि कार्यों के लिये अधिक भूमि मिलेगी, अब मैं उठा रहा हूं अपने अगले श्रोता का पत्र, ये पत्र हमें लिखा है पावन रेडियो श्रोता संघ डिलियां रोड, कोआथ बिहार से प्रमोद कुमार केशरी, सनोज कुमार केशरी, विनय कुमार केशरी, प्रशांत कुमार केशरी और इनके ढेर सारे मित्रों ने, आप सभी ने सुनना चाहा है ओपरा हाउस फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है चित्रगुप्त ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 2. सोना ना सितारों का है कहना ....

    पंकज – मित्रों बिजली की समस्या भारत समेत कई विकासशील औऱ गैर विकसित देशों में फैली हुई है, वैज्ञानिक समय समय पर बिजली बनाने और कम खपत वाले उपकरण बनाने में जुटे हुए हैं। बिजली पैदा करने के लिये कोयला, तेल, परमाणु ऊर्जा समेत कुछ गैर पारंपरिक स्रोतों पर भी ध्यान दिया जा रहा है जिनमें सौर ऊर्जा, पवन, जल और मीथेन गैस शामिल है इसके साथ ही बायो गैस से भी बिजली बनाई जा रही है, इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने आलू से बिजली बनाने का नायाब तरीका खोज निकाला है, इसके तहत एक आलू जलाएगा 40 दिन तक आपका बल्ब !

    क्या बल्ब जलाने और घरों को रोशन करने के लिए बिजली ग्रिड की जगह आलू का इस्तेमाल संभव है?

    शोधकर्ता राबिनोविच और उनके सहयोगी पिछले कुछ सालों से लोगों को यही करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

    ये सस्ती धातु की प्लेट्स, तारों और एलईडी बल्ब को जोड़कर किया जाता है और उनका दावा है कि ये तकनीक दुनियाभर के छोटे कस्बों और गांवों को रोशन कर देगी.

    पढ़ें विशेष रिपोर्ट

    येरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी के राबिनोविच का दावा है, "एक आलू चालीस दिनों तक एलईडी बल्ब को जला सकता है."

    राबिनोविच इसके लिए कोई नया सिद्धांत नहीं दे रहे हैं. ये सिद्धांत हाईस्कूल की किताबों में पढ़ाया जाता है और बैटरी इसी पर काम करती है. इसके लिए ज़रूरत होती है दो धातुओं की- पहला एनोड, जो निगेटिव इलेक्ट्रोड है, जैसे कि ज़िंक, और दूसरा कैथोड - जो पॉज़ीटिव इलेक्ट्रोड है, जैसे कॉपर यानी तांबा.

    आलू के भीतर मौजूद एसिड ज़िंक और तांबे के साथ रासायनिक क्रिया करता है और जब इलेक्ट्रॉन एक पदार्थ से दूसरे पदार्थ की तरफ जाते हैं तो ऊर्जा पैदा होती है.

    इसकी खोज वर्ष 1780 में लुइगी गेल्वनी ने की थी जब उन्होंने मेंढ़क की मांसपेशियों को झटके से खींचने के लिए दो धातुओं को मेंढ़क के पैरों में बांधा था.

    लेकिन आप इसी प्रभाव को पाने के लिए इन दो इलेक्ट्रोड्स के बीच कई पदार्थ रख सकते हैं.

    एलेक्जेंडर वोल्टा ने नमक के पानी में भीगे हुए कागज का इस्तेमाल किया था. अन्य शोधों में धातु की दो प्लेट्स और मिट्टी के एक ढेर या पानी की बाल्टी से 'अर्थ बैटरियां' बनाई गईं थीं।

    अंजली – ये जानकारी बहुत अच्छी है इससे उन देशों को बहुत लाभ होगा जो आलू की खेती बहुतायत में करते हैं, लेकिन इससे भी आवश्यक बात ये है कि ऐसे शोध और आविष्कारों को सरकारी संरक्षण भी मिले, नहीं तो ये गुमनामी के अंधेरे में खो जाएंगे, खैर यहां पर मैं अपने श्रोताओं को उनकी पसंद का एक गीत सुनवाना चाहता हूं जिसके लिये हमें पत्र लिखा है कापशी रोड, अकोला महाराष्ट्र से संतोषराव बाकड़े, श्रीमती ज्योतिताई बाकडे, कुमारी दिपाली बाकड़े, पवन कुमार बाकड़े और पूरा बाकड़े परिवार, आप सभी ने सुनना चाहा है नास्तिक फिल्म का गाना जिसे गाया है अमित कुमार और आशा भोंसले ने और संगीत दिया है कल्याणजी आनंदजी ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. प्यारे तेरे प्यार में लुट गए हम बाज़ार में .....

    पंकज - आलू पर शोध

    वर्ष 2010 में, राबिनोविच ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एलेक्स गोल्डबर्ग और बोरिस रुबिंस्की के साथ इस दिशा में एक और कोशिश करने की ठानी.

    गोल्डबर्ग बताते हैं, "हमने 20 अलग-अलग तरह के आलू देखे और उनके आतंरिक प्रतिरोध की जांच की. इससे हमें यह समझने में मदद मिली कि गरम होने से कितनी ऊर्जा नष्ट हुई."

     आलू को आठ मिनट उबालने से आलू के अंदर कार्बनिक ऊतक टूटने लगे, प्रतिरोध कम हुआ और इलेक्ट्रॉन्स ज़्यादा मूवमेंट करने लगे- इससे अधिक ऊर्जा बनी.

     आलू को चार-पाँच टुकड़ों में काटकर इन्हें तांबे और ज़िंक की प्लेट के बीच रखा गया. इससे ऊर्जा 10 गुना बढ़ गई यानी बिजली बनाने की लागत में कमी आई.

     राबिनोविच कहते हैं, "इसकी वोल्टेज़ कम है, लेकिन ऐसी बैटरी बनाई जा सकती है जो मोबाइल या लैपटॉप को चार्ज कर सके."

     एक आलू उबालने से पैदा हुई बिजली की लागत 9 डॉलर प्रति किलोवाट घंटा आई, जो डी-सेल बैटरी से लगभग 50 गुना सस्ती थी.

     विकासशील देशों में जहां केरोसिन (मिट्टी के तेल) का इस्तेमाल अधिक होता है, वहां भी यह छह गुना सस्ती थी.

    भारतीय नेता आलू बैटरी से बेख़बर?

    वर्ष 2010 में दुनिया में 32.4 करोड़ टन आलू का उत्पादन हुआ. यह दुनिया के 130 देशों में उगाया जाता है और स्टार्च का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है.

    आलू सस्ते हैं, इन्हें आसानी से स्टोर किया जा सकता है और लंबे समय तक रखा जा सकता है।

    अंजली – आप अपनी चर्चा को आगे बढ़ाएं उससे पहले मैं अपने श्रोताओं को उनकी पसंद का अगला गाना सुनवाने जा रहा हूं, इस गीत के लिये हमें पत्र लिखा है शाहीन रेडियो श्रोता संघ मऊनाथ भंजन, उत्तर प्रदेश से इरशाद अहमद अंसारी, राशिदा खातून, शकीला खातून, मुसर्रत जहां, निज़ाम अंसारी, शादाब आलम, आफताब आलम, नियाज़ अहमद, माहताब आलम, रईसुल हसन, जावेद अहमद, अली ज़फ़र और शम्स अनवर ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म सगीना का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है सचिन देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. साला मैं तो साहब बन गया ....

    पंकज - दुनिया में 120 करोड़ लोग बिजली से वंचित हैं और एक आलू उनका घर रोशन कर सकता है।

    राबिनोविच कहते हैं, "हमने सोचा था कि संगठन इसमें दिलचस्पी दिखाएंगे. हमने सोचा था कि भारत के राजनेता हमें हाथों-हाथ लेंगे."

    फिर ऐसा क्या हुआ कि तीन साल पहले हुए इस शोध की तरफ दुनियाभर की सरकारों, कंपनियों या संगठनों का ध्यान नहीं गया.

    राबिनोविच कहते हैं, "सीधा सा जवाब है, वे शायद इसके बारे में जानते ही नहीं हैं."

    मामला जटिल?

    लेकिन वजह शायद इतनी सीधी नहीं है, मामला कुछ जटिल है.

    पहली वजह है यह मुद्दा 'बिजली के लिए खाद्यान्न' से जुड़ा है. संयुक्त राष्ट्र के कृषि और खाद्य संगठन का कहना है कि गन्ने या जैव ईंधन से ऊर्जा बनाने से बचना चाहिए।

    अंजली – मैंने भी सुना है कि भारत में कुछ शूगर मिल्स गन्ने से बिजली बनाकर पूरे इलाके को बिजली सप्लाई करती हैं साथ ही उत्तरी ग्रिड में बिजली सप्लाई कर सरकार से पैसे भी कमाती हैं, ऊपर से अपनी फैक्ट्री में बिजली की ज़रूरत के लिये सरकार पर वो निर्भर भी नहीं रहते। हमारे अगले श्रोता हैं शनिवार पेठ बीड शहर महाराष्ट्र से पोपट कुलथे, हनुमंत कुलथे, समर्थ कुलथे, पी बी कुलथे, और पूरा कुलथे परिवार, इनके साथ ही नारेगांव, औरंगाबाद महाराष्ट्र से दीपक आडाणे और श्याम आडाणे ने भी हमें पत्र लिखा है और आप सभी ने सुनना चाहा है हम फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद अज़ीज़ और शोभा जोशी ने संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. कागज़ कलम दावात ला ....

    पंकज - पहली आवश्यकता इस बात को देखने की है कि क्या खाने के लिए पर्याप्त आलू हैं ?

    कीनिया जैसे देश में लोगों के लिए मक्का के बाद आलू सबसे प्रमुख भोजन है. वहाँ छोटे किसानों ने इस साल एक करोड़ टन आलू उगाए।

    विशेषज्ञों के अनुसार इनमें से 10-20 प्रतिशत स्टोर न किए जाने या अन्य वजहों से नष्ट हुए और वो तो ज़रूर ऊर्जा पैदा करने के काम में लगाए जा सकते थे.

    केले के छिलके

    शायद यही वजह है कि श्रीलंका की केलानिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने केले के तने से यह प्रयोग करने की ठानी है.

    भौतिक विज्ञानी केडी जयसूर्या और उनकी टीम का कहना है कि केले के तने के हिस्सों को उबालने से एक एलईडी 500 घंटे तक चल सकता है.

    हालाँकि ऊर्जा का असली स्रोत आलू या केले का तना नहीं है.

    ऊर्जा तो ज़िंक के घिसने से पैदा होती है. इसका मतलब कुछ देर बाद ज़िंक दोबारा लगाना होगा.

    लेकिन ज़िंक सस्ता है और ज़िक इलेक्ट्रोड लगभग पांच महीने तक चलता है और इसकी कीमत एक लीटर केरोसीन के बराबर आती है.

    कम से कम श्रीलंका में तो एक लीटर केरोसीन एक परिवार दो रात में ही इस्तेमाल कर लेता है.

    अगर ज़िंक उपलब्ध नहीं है तो मैग्नीशियम और लोहे को भी विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

    अंजली – और अब बारी है हमारे कार्यक्रम के अंतिम श्रोता को उनकी पसंद का गीत सुनवाने की इसके लिये हमें पत्र लिखा है प्रकाश चंद्र वर्मा और इनके परिजनों ने आपने हमें पत्र लिखा है अम्बेडकर रेडियो श्रोता संघ की ओर से ग्राम कोटका सिम, ज़िला अलवर राजस्थान से आप सभी ने सुनना चाहा है लिबास फिल्म का गाना जिसे गाया है सुरेश वाडेकर और आशा भोंसले ने गीताकर हैं गुलज़ार और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 6. खामोश सा अफ़साना .....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली – नमस्कार।

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