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    एक तिब्बती अप्रवासी गांव में लोगों का जीवन
    2015-02-06 19:48:10 cri

    ध्यान रहे, चीन की सभ्यता और मां समान नदी के रूप में ह्वांग हो यानी पीली नदी, छांगच्यांग नदी यानी यांत्सी नदी और छह एशियाई देशों से गुज़रने वाली लान छांगच्यांग नदी (एशिया के दूसरे देशों में इसे मेकोंग नदी भी कहा जाता है) का उद्गम स्थल छिंगहाई तिब्बत पठार में स्थित है। ये तीन नदियां छिंगहाई प्रांत से गुज़रती हैं और इनका उद्गम स्थान इसी प्रांत में है। इस तरह तीनों नदियों के उद्गम स्थल को चीनी लोग सानच्यांग युआन कहते हैं। चीनी भाषा में"सान"का अर्थ"तीन"है, "च्यांग"का अर्थ"नदी"और "युआन"का अर्थ"स्रोत"। कुल मिलाकर कहा जाए, तो"सान च्यांग युआन" का अर्थ"तीन नदियों का उद्गम स्थल"होता है। सानच्यांग युआन क्षेत्र चीन के लिए ही नहीं, विश्व भर के पारिस्थितिकी और जलवायु के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

    चीन सरकार द्वारा बनाई गई सानच्यांग युआन पारिस्थितिकि संरक्षण परियोजना के तहत इसी क्षेत्र में पशुपालन के बदले पुनः घास उगाए जाते हैं। इस तरह पहले पशुपालन करने वाले चरवाहों को दूसरे स्थान जाना पड़ा।

    इन तिब्बती चरवाहे के जीवन की गारंटी के लिए चीन सरकार ने नए अप्रवासी गांव के पहले चरण की स्थापना के लिए 2 करोड़ युआन का खर्च किया। 40 हज़ार युआन मूल्य वाले मकान निशुल्क गांव वासियों को दिया गया। इसके बाद सरकार ने गांव में पानी व बिजली सप्लाई, मकान की मरम्मत, मार्ग निर्माण, वन रोपण, सौर ऊर्जा उपकरणों की स्थापना जैसे क्षेत्रों में क्रमशः 3 करोड़ युआन की राशि दी। अब नए अप्रवासी गांव में मार्केट, स्कूल, अस्पताल, सार्वजनिक मैदान और सांस्कृतिक केंद्र जैसे बुनियादी संस्थापन उपलब्ध हैं। इसके साथ ही शत प्रतिशत गांव के लोग चिकित्सा बीमा का उपभोग करते हैं।

    सरकार दस सालों के भीतर हर साल प्रति परिवार के गांववासी को 6000 युआन का जीवन भत्ता देती है। पहले पशुपालन करने वाले घास-मैदान के क्षेत्रफल के मुताबिक प्रति चरवाहे को सरकार से मुआवज़ा भी मिला है। इस तरह हर वर्ष गांव वासी को सरकार के भत्ते और मुआवज़े से करीब 20 हज़ार युआन मिला है। इन राशि से गांव वासियों के वर्तमान जीवन में मौजूद समस्याओं को दूर किया गया। सरकार का भत्ता बंद किए जाने के बाद भविष्य में उनका जीवन किस पर निर्भर रहेगा?इसकी चर्चा में थांगकुलाशान कस्बे के जन प्रतिनिधि सभा के अध्यक्षदल के अध्यक्ष वनछांगथाई ने कहा:

    "अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि बाद में यहां का विकास कैसे किया जाए?इस संबंध में क्या विचार है?कैसा उपाय अपनाया जाएगा और क्या कदम उठाये जाएंगे?वर्तमान में हमने तिब्बती कार्पेट कारखाने और मानी प्रस्तर नक्काशी क्षेत्र जैसी परियोजनाएं बनाई हैं।"

    ध्यान रहे, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और तिब्बती बहुल क्षेत्र में मानी पत्थर टीला बहुत सामान्य है। मानी पत्थर आम तौर पर सफेद रंग का होता है, जिसका आकार गोल और वर्गाकार होता है। आमतौर पर मानी पत्थर पहाड़ की चोटी, रास्ते के चौराहे, बंदरगाह, झील के तट पर और मठ में देखने को मिल जाता है, यह मंगल का प्रतीक माना जाता है। स्थानीय लोग कुछ विशेष सफेद पत्थरों पर बौद्ध सूत्र और बुद्ध मूर्ति अंकित करते हैं। इन मानी पत्थरों का आकार भिन्न-भिन्न है, जिस पर अंकित किए जाने वाले विषय आम तौर पर तिब्बती बौद्ध धर्म से संबंधित हैं । बौद्ध सूत्र, बुद्ध मूर्ति और देव मूर्ति के अलावा तिब्बती लोग शुभकामना वाले वाक्य और जानवरों की आकृति आदि भी तराशते हैं।

    स्थानीय सरकार अप्रवासी गांव वासियों के घुमंतू जीवन से स्थाई जीवन तक बेरोकटोक संक्रमण की सहायता देती है। सरकार द्वारा नियमित रुप से खाना बनाना, गाड़ी चलाना, वेल्डिंग, डांस आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे कई गांव वासियों को रोज़गार मिला है। थांगकुलाशान कस्बे के शीर्ष नेता चाओ शोयुआन के अनुसार वर्ष 2014 में स्थानीय सरकार के प्रशिक्षण से 8 गांववासी स्थानीय हॉटल के वेटर बने और और 3 युवाओं को मिनरल वॉटर कंपनी में रोज़गार मिला। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इस अप्रवासी गांव में अधिक मध्यम उम्र के गांववासी और बुढ़े लोग ज्यादा तौर पर सरकारी भत्ते पर निर्भर रहते हैं।

    43 वर्षीय छाई रनत्सो को कोई चिंता नहीं सताती है। उसके पति तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा में मूंगा, कोर्दिसेप्स (चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में एक साल में एक बार पैदा होने वाली एक विशेष किस्म की जड़ी-बूटी, जो गर्मियों में घास के रूप में और सर्दियों में कीड़े के रूप में दिखती है) से जुड़े व्यापार करते हैं। घर का जीवन स्तर अच्छा है। छाईरनत्सो ने हमारे संवाददाता को बताया कि अब वह घर के कामकाज करने के अलावा, घर में कढ़ाई और स्वेटर बुनती है। कभी कभी वह पहले के घास के मैदान में पशुपालन से जुड़े जीवन को याद करती है। वर्तमान में उसका जीवन बहुत आरामदायक है।

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